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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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डॉक्टर जय महलवाल

मेरे राम आए हैं।

Kmsraj51 की कलम से…..

Mere Ram Aae Hain | मेरे राम आए हैं।

He is the seventh and one of the most popular avatars of Vishnu. In Rama-centric traditions of Hinduism, he is considered the Supreme Being. Rama.

कण –कण में देखो,
भगवान श्री राम समाए हैं।
सबके मन देखो,
दर्शन के लिए ललचाए हैं।
बहुत वर्षों बाद देखो ,
आई है आज शुभ घड़ी,
देखो देखो अयोध्या में ,
आज फिर मेरे राम आए हैं।

गली गली सजी है,
आज फूलों से,
महक उठा है,
चमन – चमन,
दूर-दूर से दर्शन करने,
श्री राम लला के,
देखो आज ,
हम भी अयोध्या आए हैं।

जन-जन के मन में ,
राम बसते आए हैं।
सबके बिगड़े कामों को,
श्री राम बनाते आए हैं।
धन्य हो गया आज हर,
एक जनमानस,
देखो-देखो अयोध्या में,
आज फिर मेरे राम आए हैं।

दुल्हन जैसे सज गई है,
आज अयोध्या नगरी।
खुशियों से भरी हुई जैसे,
छलक गई है गगरी।
रोम रोम पुलकित ,
हो उठा है आज,
देखो – देखो अयोध्या में,
आज फिर मेरे राम आए हैं।

♦ लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी  – बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “श्री लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस कविता में कवि भगवान श्री राम के आगमन का जो दृश्य चित्रित कर रहे हैं, उसे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं से भरा हुआ है। वे कह रहे हैं कि भगवान श्री राम सभी के हृदय में हैं और उनके दर्शन के लिए सभी लोग बेहद उत्कृष्ट भावनाओं से प्रेरित हैं। कवि आगे बढ़ते हैं और बताते हैं कि बहुत वर्षों के बाद फिर से एक शुभ घड़ी आई है, और आज अयोध्या में भगवान राम फिर से अपने भक्तों के बीच आए हैं। उनके आगमन से पूरा नगर सज गया है, हर गली-मोहल्ले में फूलों से भरा हुआ है। लोग दूर-दूर से आकर श्री राम लला के दर्शन करने के लिए उत्कृष्ट भावनाओं में लिपटे हैं और खुशी से भरे हुए हैं। कवि ने इस कविता के माध्यम से भक्ति, सांस्कृतिक समृद्धि, और समर्पण की भावनाएं सुंदरता से चित्रित की हैं, और व्यक्ति को अपने आत्मा की शुद्धि और धार्मिक अनुष्ठान की दिशा में प्रेरित करती हैं।

—————

यह कविता (मेरे राम आए हैं।) “श्री लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, लघु कथा, सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल है। साहित्यिक नाम — डॉ• जय अनजान है। माता का नाम — श्रीमती कमला देवी महलवाल और पिता का नाम — श्री सुंदर राम महलवाल है। शिक्षा — पी• एच• डी•(गणित), एम• फिल•, बी• एड•। व्यवसाय — सहायक प्रोफेसर। धर्म पत्नी — श्रीमती संतोष महलवाल और संतान – शानवी एवम् रिशित।

  • रुचियां — लेखक, समीक्षक, आलोचक, लघुकथा, फीचर डेस्क, भ्रमण, कथाकार, व्यंग्यात्मक लेख।
  • लेखन भाषाएं — हिंदी, पहाड़ी (कहलूरी, कांगड़ी, मंडयाली) अंग्रेजी।
  • लिखित रचनाएं — हिंदी(50), पहाड़ी(50), अंग्रेजी(10)।
  • प्रेरणा स्त्रोत — माता एवम हालात।
  • पदभार निर्वहन — कार्यकारिणी सदस्य कल्याण कला मंच बिलासपुर, लेखक संघ बिलासपुर, सह सचिव राष्ट्रीय कवि संगम बिलासपुर इकाई, ज्वाइंट फाइनेंस सेक्रेटरी हिमाचल मलखंभ एसोसिएशन, सदस्य मंजूषा सहायता केंद्र।
  • सम्मान प्राप्त — श्रेष्ठ रचनाकार(देवभूमि हिम साहित्य मंच) — 2022
  • कल्याण शरद शिरोमणि सम्मान(कल्याण कला मंच) — 2022
  • काले बाबा उत्कृष्ट लेखक सम्मान — 2022
  • व्यास गौरव सम्मान — 2022
  • रक्त सेवा सम्मान (नेहा मानव सोसायटी)।
  • शारदा साहित्य संगम सम्मान — 2022
  • विशेष — 17 बार रक्तदान।
  • देश, प्रदेश के अग्रणी समाचार पत्रों एवम पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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झांसी वाली रानी।

Kmsraj51 की कलम से…..

Jhansi Wali Queen | झांसी वाली रानी।

Lakshmi Bai was rani (queen) of Jhansi. During the Indian Mutiny of 1857–58, she rapidly organized her troops and assumed charge of the rebels in the Bundelkhand region.

19 नवंबर को जन्म हुआ था,
वाराणसी तब धन्य हुआ था।
लक्ष्मीबाई आई थी उस दिन धरा पर,
अपना हिंदोस्तान तब कृतज्ञ हुआ था।

हुई सगाई वीरांगना की झांसी में,
छोटी सी वो मनु बनके आई झांसी की रानी थी।
बहादुर इतनी थी कि कहते सब वो तो मर्दानी थी,
हिंदोस्तान को जिस पर गर्व रहेगा वो तो झांसी वाली रानी थी।

राजवंशों के सिंहासन डोल उठे थे,
जब उसने अपनी भृकुटी तानी थी।
उसकी वीरता का लोहा था माना उन सब ने,
सच में ही वो झांसी वाली रानी थी।

अपनी वीरता से उसने लौ जगाई वो आज़ादी की दीवानी थी,
तब जाके सबने आज़ादी की कीमत पहचानी थी।
हर हिंदोस्तानी हतप्रभ था देख उसकी जो कहानी थी,
वाह क्या खूब वीरांगना थी वो जो झांसी वाली रानी थी।

1857 में अलख जगाई वो तलवार पुरानी थी,
बुंदेलों के मुंह से सबने सुनी वो कहानी थी।
विद्रोह करके अंग्रेजों को नाकों चने चबवाए जिसने,
आज़ादी की दीवानी थी वो जो झांसी वाली रानी थी।

♦ लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी  – बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “श्री लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस कविता में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका का सुंदर चित्रण किया गया है। यह कविता उनके जन्म, बचपन, विवाह, और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका पर ध्यान केंद्रित है। कुल मिलाकर, यह कविता झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की महानता और उनके समर्पण को अद्वितीयता के साथ प्रस्तुत करती है।

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यह कविता (झांसी वाली रानी।) “श्री लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, लघु कथा, सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल है। साहित्यिक नाम — डॉ• जय अनजान है। माता का नाम — श्रीमती कमला देवी महलवाल और पिता का नाम — श्री सुंदर राम महलवाल है। शिक्षा — पी• एच• डी•(गणित), एम• फिल•, बी• एड•। व्यवसाय — सहायक प्रोफेसर। धर्म पत्नी — श्रीमती संतोष महलवाल और संतान – शानवी एवम् रिशित।

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सोच।

Kmsraj51 की कलम से…..

Thinking | सोच।

उस दिन राम किसी लंबी यात्रा से अपने घर लौटा था। राम ने जैसे ही दरवाजा खटखटाया बेटा जल्दी से दरवाजा खोलने आया और एकदम से अपने पापा के बैग से अपने लिए मिठाई ढूंढने लगा। बेटे ने ना तो पापा के चरण स्पर्श किए और ना ही हाल-चाल पूछा। क्योंकि बेटा अभी 5 साल का है इसलिए पापा ने भी ज्यादा परवाह न की। घर के अंदर बेटी ने भी पापा को नमस्ते की और कहा पापा मेरे लिए क्या लाए हैं? पापा ने भी बैग खोलते हुए उसको बताया कि उसके लिए कपड़े लाए हैं। पापा ने अपनी मां के चरण स्पर्श किए और मां ने आशीर्वाद देते हुए कहा कि शाबाश मुझे तुम पर गर्व है।

इसके बाद राम की धर्मपत्नी ने ना तो राम को पानी के लिए पूछा, ना चाय के लिए पूछा, क्योंकि शाम को लगभग 8:00 का समय था, राम अभी अपने कपड़े बदल ही रहा था कि उसकी पत्नी ने उसे कहा थोड़ी सी सब्जी बची है, बाकी अगर खाना, खाना है तो खाना बना लो, बाकियों के लिए भी खाना बना लो, मैं खाना नहीं बनाऊंगी। राम को एकदम से गुस्सा आया और उसने कहा कि मैं इतनी दूर से आया हूं ना तो तुम मेरे लिए चाय के लिए पूछ रही हो, ना पानी के लिए। सीधे ही हुक्म लगा रही हो कि अपने लिए खाना बना लो, बाकी के लिए भी खाना बना लो, यह कहां का न्याय है?

राम की पत्नी तपाक से बोली तुमने कहा मेरा हाल चाल पूछ लिया मैं बीमार हूं, मेरे बारे में कोई नहीं सोचता है, जबकि ऐसा नहीं था वह पता नहीं किस बात के लिए नाराज थी। राम ने कपड़े बदल कर कुर्सी पर बैठकर सोचा कि आखिर आदमी किसके लिए कमाता है, किसके लिए वह दिन भर इधर-उधर दौड़ भाग करता है और अगर आदमी कमा भी लेता है तो अपने साथ क्या लेकर जाएगा?

आखिरकार राम ने अपने मन को शांत किया और चुपचाप रसोई घर में जाकर बहुत सारे प्रश्न लेकर खाना बनाने की तैयारी करने लग पड़ा। तभी राम की बीवी रसोई में आती है और अपनी आंखों से आंसू टपकाते हुए आटा गूंथने में लग जाती है जबकि राम ने कहा कि कोई बात नहीं, तुम अगर बीमार हो तो तुम आराम करो, मैं खाना बना लूंगा। लेकिन राम की बीवी ने आनन-फानन में आटा गूथ ली और चपाती भी बना दी। उधर राम ने सब्जी बना दी और सबने खाना खाया और थोड़ा माहौल शांत हुआ लेकिन राम के मन में उठे प्रश्नों का जवाब राम को कहीं नहीं मिल पाया?

एक तरफ राम की मां थी जो राम को आशीर्वाद देते हुए कहा कि शाबाश बेटा मुझे तुम पर गर्व है और दूसरी तरफ राम की धर्मपत्नी थी जिसने मुबारकबाद देने की बजाय हुकुम चलाना शुरु कर दिया कि तुम यह करो, तुम वह करो, तुम ऐसा नहीं करते हो, तुम वैसा नहीं करते हो? या औरत ही है जो मन भी है और बीवी भी है लेकिन सच में दिन-रात का फर्क है। कोई मां अपने परिवार के लिए दिन रात ही सोचती रहती है तो कोई मां ऐसी भी है जो सिर्फ और सिर्फ अपने तक ही सीमित है? सब सोच-सोच का फर्क है।

♦ लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी  – बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “श्री लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लघु कथा के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — “एक मां ही है जो अपने परिवार के लिए दिन रात ही सोचती रहती है” तो कोई मां ऐसी भी है जो सिर्फ और सिर्फ अपने तक ही सीमित है? ये सब सोच-सोच का फर्क है। भारतीय संस्कृति में माँ सदैव ही अपनों का हित चाहती है, और एक माँ ही है जो बिना किसी स्वार्थ के सबका ध्यान रखती है, भले ही खुद कितना भी कष्ट झेलती है फिर भी गुस्सा नही करती है, लेकिन आजकल की कुछ लड़कियों को क्या हो गया है जो अपनी निज संस्कार व फर्ज को भूलती जा रही है, ये कैसी सोच है इनकी? खैर एक बात याद रखे की मानव जीवन की तीन मुख्य जरूरतें है, अच्छा खाना, अच्छा पहनने को कपडा और रहने के लिए मकान, इन्हीं जरूरतों के लिए आदमी कार्य करता है जिससे उसके परिवार का जरुरत पूर्ण होता रहे। इसके बदले वह सिर्फ दिल का प्रेम व सहानुभूति के दो शब्द चाहता है अपनों से।

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यह लघु कथा (सोच।) “श्री लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, लघु कथा, सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल है। साहित्यिक नाम — डॉ• जय अनजान है। माता का नाम — श्रीमती कमला देवी महलवाल और पिता का नाम — श्री सुंदर राम महलवाल है। शिक्षा — पी• एच• डी•(गणित), एम• फिल•, बी• एड•। व्यवसाय — सहायक प्रोफेसर। धर्म पत्नी — श्रीमती संतोष महलवाल और संतान – शानवी एवम् रिशित।

  • रुचियां — लेखक, समीक्षक, आलोचक, लघुकथा, फीचर डेस्क, भ्रमण, कथाकार, व्यंग्यात्मक लेख।
  • लेखन भाषाएं — हिंदी, पहाड़ी (कहलूरी, कांगड़ी, मंडयाली) अंग्रेजी।
  • लिखित रचनाएं — हिंदी(50), पहाड़ी(50), अंग्रेजी(10)।
  • प्रेरणा स्त्रोत — माता एवम हालात।
  • पदभार निर्वहन — कार्यकारिणी सदस्य कल्याण कला मंच बिलासपुर, लेखक संघ बिलासपुर, सह सचिव राष्ट्रीय कवि संगम बिलासपुर इकाई, ज्वाइंट फाइनेंस सेक्रेटरी हिमाचल मलखंभ एसोसिएशन, सदस्य मंजूषा सहायता केंद्र।
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