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डॉ• जय अनजान

मेरे गुरु जी।

Kmsraj51 की कलम से…..

Mere Guruji | मेरे गुरु जी।

My Guru Ji was so lovely, He was a very beautiful sight in the classroom, He used to teach very lovingly, We also never got scolded by him.

मेरे गुरु जी कितने प्यारे थे,
बहुत ही सुंदर होते वो कक्षा के नज़ारे थे,
वो बहुत प्यार – प्यार से सिखाते थे,
हम भी कभी उनसे डांट नहीं खाते थे।

कक्षा में वो कभी देरी से नहीं आते थे,
खूब मन लगाकर सारे बच्चों को पढ़ाते थे,
पहले अच्छी शिक्षा हमको देते थे,
फिर बाद में हमारी परीक्षा लेते थे।

अगर कोई गलती हम कर देते थे,
उसका एहसास कराकर खूब हमको हंसाते थे,
ऐसे ज्ञान की अलख जगाते थे,
साथ में अच्छे संस्कार भी हमको सिखाते थे।

पढ़ाई में जो पीछे रह जाते थे,
उनको आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते थे,
सच में ही मेरे गुरु जी कितने प्यारे थे,
सारे जग में वो सबसे न्यारे थे।

♦ लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी  – बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “श्री लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस कविता में कवि अपने गुरु जी की प्रशंसा करते हुए बताते हैं कि वे कितने प्यारे और आदर्श शिक्षक थे। वे कक्षा में समय पर आते थे और पूरी मेहनत और मन से सभी छात्रों को पढ़ाते थे। वे न केवल शिक्षा देते थे, बल्कि छात्रों को अच्छे संस्कार भी सिखाते थे। अगर कोई गलती होती, तो वे उसे हंसी-मजाक के साथ सुधारते थे और छात्रों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते थे। कुल मिलाकर, कवि का मानना है कि उनके गुरु जी सबसे प्यारे और अनोखे थे।

—————

यह कविता (मेरे गुरु जी।) “श्री लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, लघु कथा, सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल है। साहित्यिक नाम — डॉ• जय अनजान है। माता का नाम — श्रीमती कमला देवी महलवाल और पिता का नाम — श्री सुंदर राम महलवाल है। शिक्षा — पी• एच• डी•(गणित), एम• फिल•, बी• एड•। व्यवसाय — सहायक प्रोफेसर। धर्म पत्नी — श्रीमती संतोष महलवाल और संतान – शानवी एवम् रिशित।

  • रुचियां — लेखक, समीक्षक, आलोचक, लघुकथा, फीचर डेस्क, भ्रमण, कथाकार, व्यंग्यात्मक लेख।
  • लेखन भाषाएं — हिंदी, पहाड़ी (कहलूरी, कांगड़ी, मंडयाली) अंग्रेजी।
  • लिखित रचनाएं — हिंदी(50), पहाड़ी(50), अंग्रेजी(10)।
  • प्रेरणा स्त्रोत — माता एवम हालात।
  • पदभार निर्वहन — कार्यकारिणी सदस्य कल्याण कला मंच बिलासपुर, लेखक संघ बिलासपुर, सह सचिव राष्ट्रीय कवि संगम बिलासपुर इकाई, ज्वाइंट फाइनेंस सेक्रेटरी हिमाचल मलखंभ एसोसिएशन, सदस्य मंजूषा सहायता केंद्र।
  • सम्मान प्राप्त — श्रेष्ठ रचनाकार(देवभूमि हिम साहित्य मंच) — 2022
  • कल्याण शरद शिरोमणि सम्मान(कल्याण कला मंच) — 2022
  • काले बाबा उत्कृष्ट लेखक सम्मान — 2022
  • व्यास गौरव सम्मान — 2022
  • रक्त सेवा सम्मान (नेहा मानव सोसायटी)।
  • शारदा साहित्य संगम सम्मान — 2022
  • विशेष — 17 बार रक्तदान।
  • देश, प्रदेश के अग्रणी समाचार पत्रों एवम पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2024-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Short Teacher's Day Poem in Hindi, Teachers Day Poem in Hindi, टीचर्स डे पोएम इन हिंदी, डॉ• जय अनजान, मेरे गुरु जी, मेरे गुरु जी - डॉ• जय अनजान, शिक्षक दिवस कविताएँ और दोहे

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