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“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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दुनियादारी पर कविता

दुनियादारी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ दुनियादारी। ♦

बेरुख हो चुकी हैं हवाएं, अब मौसम भी शुष्क हुआ है।
महफूज रहे जमाने में सब, बस रब से इतनी सी दुआ है।

लोग लगे हैं स्वार्थ साधने, मतलब की ही दुनियादारी है।
मुंह में राम – राम बगल में छुरी, इस दौर में भी जारी है।

रिश्तों की साख है दाव पे, आज कौन किसका पराया है?
दमड़ी का खेला है, वरना सगे को कहे कहां से आया है?

मरणासनी बाप की है कहां? चिन्ता में पिता की माया है।
सेवा की पड़ी ही है किसको? हाथ तिज़ोरी धन न आया है।

है फुरसत कहां बतियाने की आज? अपनापन ही खोया है।
कांधा देते पुत्र अर्थी को पिता की, पूछो कितना कर रोया है?

बहिर्मुखी जमाने में अब तो, संस्कारों की बात बेईमानी है।
हर रिश्तेे – नाते में रहा भरोसा कहां? मन में भरी शैतानी है।

सनातन से रहा सरोकार कहां? आधुनिकता की खुमारी है।
अपनी सभ्यता से रहा प्यार कहां? पश्चिम की हुई पुजारी है।

नई नसलों को नसीहत दो वरना, खतरे में ये दुनियादारी है।
कैंसर है महज जिस्म लीलता, रूह घाती स्वार्थ की बीमारी है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — आजकल स्वार्थ से भरी हुई दुनियादारी हो गई है, इंसानियत के नाते कोई किसी का कार्य नही कर रहा हैं, हर कार्य में उसका स्वार्थ निहित हैं। स्वार्थ पूरा ना होने पर आग बबूला हो जाता, भयानक बावरा रूप धारण कर अपना और दूसरों का भी नुकसान करता है। पश्चिमी संस्कृति का आज की पीढ़ी पर कुछ ऐसा असर हुआ की वह अपने भारत देश के महान प्राचीन सनातन संस्कृति का मजाक बनाता है, और काम, क्रोध, लोभ, मोह व अहंकार, से भरा हुआ जीवन व्यतीत कर रहा हैं। उसे ना ही अपना फिक्र है और ना ही अपने परिवार का फिक्र है। व्यभिचार में डूबा हुआ, अच्छा व बुरा के भेद को भी नहीं समझ पा रहा हैं। अपने कर्मों से अपना ही विनाश कर रहा हैं आज का मानव। हे मेरे देश के युवा अब भी समय हैं संभल जाओ और अपने प्राचीन महान भारतीय संस्कृति, सभ्यता व संस्कार को धारण कर अपना व अपने परिवार का कल्याण करों। सच्चे मन से देश सेवा का कार्य करों।

—————

यह कविता (दुनियादारी।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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