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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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देशभक्ति जोशीला कविता

शहीद दिवस।

Kmsraj51 की कलम से…..

Shaheed Diwas | शहीद दिवस।

सुखदेव, राजगुरु और भगत सिंह को फंदे पर लटकाया था।
23 मार्च के दिन को इसी लिए ही शहीद दिवस मनाया था।

भारत मां के इन लालों ने, अंग्रेजों के नाकों चना चबाया था।
भारत को आजाद करवाने हेतु अपना बलिदान चढ़ाया था।

मेरा रंग दे बसंती चोला माए, कह कर जो फंदे पर झूल गए।
दुख होता है आज कि हम उनको, क्यों और कैसे भूल गए?

जब लुटती रहती बहु – बेटियां और बच्चे – बूढ़े पीटते जाते।
दावे से कहता हूं कि ऐसे में, इन वीरों को कोई भूल न पाते।

हैरान हूं जग की रीत को, सुख दिलाने वालों को भुलाया है।
महता उसको देते हैं, जो हाल में ही, हमारे जीवन में आया है।

खुश रहो पर याद रखो कि, यह आजादी पुरखों की थाती है।
खून बहाया है पुरखों ने, जिस पर नव पीढ़ी हक जताती है।

इसे सहेजना न कि गढ़े मुर्दों को कुरेदना, हमारी जिम्मेवारी है।
पर हमे तो मौज मस्ती में खो कर, हो गई भूलने की बीमारी है।

चलो जी कहें तो क्या कहें? आज हमारे हाथों में सरदारी है।
जमाने का प्रभाव है यह सब या कि, हमारी सोच नकारी है?

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कितने दुःख की बात है की हमसब देशभक्त भारत माता के असली पुत्रों (सुखदेव, राजगुरु और भगत सिंह) को भूल कर, फालतू लोगो को याद रखते हैं। ये भूल ना जाना की आज जो तुम्हे आज़ादी हैं ये इन्हीं की दें है, जो इनके बलिदान से ही मिला है। जान हथेली पर लेकर सभी दुश्मन का चीर सीना दिया। फिर से वीर भारत माँ के शहीद (सुखदेव, राजगुरु और भगत सिंह) हो गए । याद करेगा तुमको ये भारत सदैव और वंदे मातरम् गायेगा। फिर से वीर भारत माँ के शहीद हो गए।

—————

यह कविता (शहीद दिवस।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur poems, Hindi Kavita, poem on shaheed diwas in hindi, जोश भर देने वाली देशभक्ति कविता, देशभक्ति क्रांतिकारी कविता, देशभक्ति जोशीला कविता, प्रेरणा देने वाली कविता, वीरता का संदेश देने वाली कविता, वीरों पर कविता, शहीद दिवस, शहीद दिवस - हेमराज ठाकुर, शहीद दिवस पर कविता हिंदी में, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं

बल के लिए।

Kmsraj51 की कलम से…..

Bal Ke Liye | बल के लिए।

देवभूमि की जड़, जमीन, जंगल के लिए,
नदिया, पर्वत, सेहरा, चरखा, हल के लिए।
बलखाती बेले, लहलहाती फसल के लिए,
सुखद सुरक्षित आज, सुनहरे कल के लिए।
क्यूँ ना सीना चौड़ा हो, क्यूँ ना मस्तक ऊँचा हो,
हमे चुना माँ भारती नें अपने सुहाग, आँचल के लिए।
हम प्रहरी क्यूँ ना गर्व करें, सीमा सुरक्षा बल के लिए।

सरहद से संसद तक जल और थल के लिए,
विघ्न और बाधाओं से दंगल के लिए।
शत्रुओं का दर्प-दलन ओ दहल के लिए,
हम तैयार खड़े सब अनल, गरल के लिए।
जब देश को सर की जरूरत हो,
त्यागी तेवर की जरूरत हो,
तब राष्ट्र हमारी ओर तके उस पल के लिए।
हम प्रहरी क्यूँ ना गर्व करें सीमा सुरक्षा बल के लिए।

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – बॉर्डर ही उसका बिस्तर है, आकाश ही उसका चादर है। क्यूँ ना सीना चौड़ा हो, क्यूँ ना मस्तक ऊँचा हो, हमे चुना माँ भारती नें अपने सुहाग, आँचल के लिए। हम प्रहरी क्यूँ ना गर्व करें, सीमा सुरक्षा बल के लिए। सरहद से संसद तक जल और थल के लिए, हर प्रकार के विघ्न और बाधाओं से दंगल के लिए। शत्रुओं का दर्प-दलन ओ दहल के लिए, सदैव ही हम (सीमा सुरक्षा बल) तैयार खड़े सब अनल, गरल के लिए। जब देश को सर की जरूरत हो, त्यागी तेवर की जरूरत हो, तब राष्ट्र हमारी (सीमा सुरक्षा बल) ओर तके उस पल के लिए। हम प्रहरी क्यूँ ना गर्व करें सीमा सुरक्षा बल के लिए। जय हिन्द – जय भारत।

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यह कविता (बल के लिए।) “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

About Yourself – आपके ही शब्दों में —

  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
  • शिक्षा: स्नातकोत्तर (PG Diploma)
  • व्यवसाय: केन्द्रीय पुलिस बल में 2001 से राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत।
  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

  • जरूर पढ़े: चली जाती है।
  • जरूर पढ़े: अच्छा लगता है।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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सैनिक का सैनिक।

Kmsraj51 की कलम से…..

Sainik Ka Sainik | सैनिक का सैनिक।

उसके हिस्से चारदीवारी, शहर कहाँ आता है,
शब्दकोश में छुट्टी, आराम अक्षर कहाँ आता है।
दुनियाँ को सैनिक का शौर्य, त्याग तो दिखता है,
उस सैनिक के पीछे का सैनिक नजर कहाँ आता है।

जिसे जवानी कहते हैं वो उमर कहाँ आता है,
वो चार कदम वाला रोमांटिक सफर कहाँ आता है।
किस्मत में उसके मायके और ससुराल आया करती है,
उस सैनिक के हिस्से अपना घर कहाँ आता है।

उनके ख्वाबों के परिंदों को पर कहाँ आता है,
सरहद से उसकी जमीं उसका अंबर कहाँ आता है।
लोगों के दिन, दुनियाँ, तकदीर बदलते रहते हैं,
उस सैनिक के हिस्से नया कैलेंडर कहाँ आता है।

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – बॉर्डर ही उसका बिस्तर है, आकाश ही उसका चादर है, उसके हिस्से में चारदीवारी या शहर का आराम कहाँ आता है। एक सैनिक के शब्दकोश में छुट्टी व आराम अक्षर कहाँ आता है भला। दुनियाँ को एक सैनिक का शौर्य, त्याग तो दिखता है, पर उस सैनिक के पीछे का सैनिक नजर कहाँ आता है। एक सैनिक के लिए जवानी का उमर व चार कदम वाला रोमांटिक सफर कहाँ आता है। किस्मत में उसके मायके और ससुराल आया करती है, उस सैनिक के हिस्से अपना घर कहाँ आता है, उसका घर तो पूरा देश ही है। आम लोगों के दिन, दुनियाँ, तकदीर बदलते रहते हैं, पर उस सैनिक के हिस्से नया कैलेंडर कहाँ आता है। गर्व करो अपने वीर सैनिकों पर जो बॉर्डर पर सीना ताने खड़े है हमारे सुख चैन के लिए। जय हिन्द – जय भारत।

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  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

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हो जाओ तैयार।

Kmsraj51 की कलम से…..

Ho Jao Taiyaar – हो जाओ तैयार।

दे रहा आवाज समय हमको, हो जाओ तैयार,
जीवन का राज यही है, हो जाओ तैयार।
चलो रे साथी चलो रे मेरे यार…….

मिटा दो दिल की रंजिशें,
छुआ-छूत को दूर करो।
देश से प्रेम अगर है तो जाओ तैयार,
कदम-कदम से-ऽऽ दिल को मिला लो।
लड़ने को हो तैयार, हो जाओ तैयार,
चलो रे साथी, चलो रे मेरे यार…….

जैसे मिले-ऽऽ सुर से ताल,
तालों से मिले सुर और राग।
घुल-मिल जाओ राग बनाओ,
सरगम के शोलों से आग बनाओ।
आगों से चराग जलाओ-ऽऽ
त्यागो-ऽऽ दिल के भेद, हो जाओ तैयार।
चलो रे साथी चलो रे मेरे यार…….

ये भूख हमें क्या जलायेगी,
जल – जल कर खुद मर जायेगी।
दीवाने हैं हम वतन के,
बाँधे हैं हम कफन सर पे।
हँसकर शूली चढ़ जायेगे,
झूलकर डोरी पर कह जायेगें।
आजाद वतन के हम परिंदें,
परवाज हम कर जायेंगे।
हँस – हँसकर खेल जायेगें,
कहते-कहते हम जायेगें, हो जाओ तैयार।
चलो रे साथी, चलो रे मेरे यार…….

ये युद्ध की अब बारी है,
सरहद पर मिटने की यारी है।
अपने लहू से लिख जायेगें,
जान निछावर कर जायेगें।
शोर – शराबे से हम नहीं डरते,
किसी की धमकी से नहीं झुकते।
तिरंगे की शान बढ़ायेगें,
वतन की आन बनायेगें।
कहते कहते कह जायेगें,
चलो रे साथी, चलो रे मेरे यार…….

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला – सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

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यह कविता (हो जाओ तैयार।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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माँ की शिकायत।

Kmsraj51 की कलम से…..

Maa ki Shikayat – माँ की शिकायत।

साँपों का अब देश नहीं सारी दुनियां स्वीकार करे,
इधर ना अब ताके-झाँकें ना खरी कोई दीवार करे।
महारूद्र सा सीमा प्रहरी सरहद पर हुंकार रहा,
जिसकी माँ ने दूध पिलाया हो वो सीमा पार करे।

काटके गर्दन रख दूँगा सीमा-स्तंभ के ऊपर ही,
हर वार सामने से होगा मस्तक, छाती औ धर पर ही।
सन सैंतालीस, बासठ का ना भारत हमें समझना तुम,
आँख हमारी दुश्मन पर और रहते कर खंजर पर ही।
कदम बढ़ाने से पहले अंजाम का सोच विचार करे,
जिसकी माँ ने दूध…….

कायर श्रृगालों चोरी छुप के सोये शेरों को मत छेड़ो,
अपने नापाक हाथ हमारे शीश, भाल पर मत फेरो।
थप्पड़ पड़ते ही दुम दबाकर राष्ट्रसंघ भाग जाते हो,
चूहे-बिल्ली की फौज बनाकर ऐरावत को मत घेरो।
या फिर बीवी-बहनों को बेवा बनने को तैयार करे,
जिसकी माँ ने दूध…….

एक से बढ़के एक हुतात्मा खड़े हैं दिल दहलाने को,
रणचंडी बन शत्रु के घर में त्राहिमाम मचाने को।
दो हाथ दिये, दो पाँव दिये, दो आँखे भी दी लड़ने को,
सिर्फ एक ही जिंदगी क्यूँ दी भारत माँ पे लुटाने को।
यही शिकायत माँ को भी है सुत दो से प्रभु चार करे,
जिसकी माँ ने दूध पिलाया हो वो सीमा पार करे।

जय हिन्द – जय भारत।

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – मेरे देश के वीर सैनिक, महारूद्र सा सीमा प्रहरी सरहद पर हुंकार रहा, जिसकी माँ ने दूध पिलाया हो वो सीमा पार करे। वीर सैनिको की गर्जना है – काटके गर्दन रख दूँगा सीमा-स्तंभ के ऊपर ही, हर वार सामने से होगा मस्तक, छाती औ धर पर ही। सन सैंतालीस या बासठ का ना भारत हमें समझना तुम, आँख हमारी दुश्मन पर और रहते कर खंजर पर ही। कदम बढ़ाने से पहले अंजाम का सोच विचार करलो। कायर श्रृगालों चोरी छुप के जो वार करने की आदत है तुम्हारी, ये मत भूलो व सोये शेरों को मत छेड़ो, अपने नापाक हाथ हमारे शीश, भाल पर मत फेरो। जरा सा थप्पड़ पड़ते ही दुम दबाकर राष्ट्रसंघ भाग जाते हो तुम। एक से बढ़के एक वीर हुतात्मा खड़े हैं तुम्हारे दिल दहलाने को, रणचंडी बन शत्रु के घर में त्राहिमाम मचाने को। “हे प्रभु दो हाथ दिये, दो पाँव दिये, दो आँखे भी दी लड़ने को, सिर्फ एक ही जिंदगी क्यूँ दी भारत माँ पे लुटाने को।” यही शिकायत माँ को भी है सुत दो से प्रभु चार करे, जिसकी माँ ने दूध पिलाया हो वो सीमा जरा पार करे। जय हिन्द – जय भारत।

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यह कविता (माँ की शिकायत।) “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

About Yourself – आपके ही शब्दों में —

  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
  • शिक्षा: स्नातकोत्तर (PG Diploma)
  • व्यवसाय: केन्द्रीय पुलिस बल में 2001 से राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत।
  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

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बलिदानी क्या सोचेंगे?

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ बलिदानी क्या सोचेंगे? ♦

ओ पदवी के सब चाहवानों! अब तो पदवी का मोह छोड़ो।
अपनी गलती का ठीकरा प्यारो, दूसरों के सर पर न फोड़ों।

देश हमारा, हम सब हैं इसके, ध्रुवीकरण से इसे मत तोड़ो।
खैर जो चाहते हैं गर अपनी तो, जर्रा – जर्रा देश का जोड़ो।

रोप के पौधा आजादी का, पल्वित पुष्पित कर जो चले गए।
क्या बीतेगी दिल पर उनके? देखे सपने जो उनके छले गए।

जाति धर्म की बाट कहां जोही? समता ही जिनका स्वप्न रहा।
विषमता विश्व से मिटाने के खातिर, निरंतर कड़ा संघर्ष सहा।

वे बलिदानी क्या सोचेंगे? जब हमको लड़ता भिड़ता देखेंगे।
“बेकार हुई सब मेहनत हमारी,” हम पर तो लानत ही फेंकेंगे।

राष्ट्र बड़ा है स्वार्थ से पगलो, कभी कुछ तो खुद पे शर्म करो।
सत्ता के महल की नीव में यारो, ईमान – धर्म की कंक्रीट भरो।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — ओ पदवी के सब चाहने वालो, अब तो अपने पदवी का मोह छोड़ो और अपनी गलती का ठीकरा प्यारो, दूसरों के सर पर न फोड़ों। ये देश हमारा व हम सब हैं इसके, ध्रुवीकरण से इसे मत तोड़ो, अपनी सलामत अगर चाहते हैं तो, जर्रा – जर्रा देश का जोड़ो। रोप के पौधा आजादी का, पल्वित पुष्पित करके जो महानायक देशभक्त चले गए, जरा सोचों क्या बीतेगी दिल पर उनके? देखे सपने जो उनके छले गए तुम्हारे अपने निजी स्वार्थ के कारण। जाति धर्म से ऊपर उठकर सदैव समता ही जिनका स्वप्न रहा। नफ़रत को विश्व से मिटाने व आज़ादी के खातिर, निरंतर कड़ा संघर्ष सहा। कभी सोचा है की वे बलिदानी क्या सोचेंगे? जब हमको लड़ता भिड़ता देखेंगे। “बेकार हुई सब मेहनत हमारी,” हम पर तो लानत ही फेंकेंगे। एक बात याद रखना राष्ट्र बड़ा है स्वार्थ से पगलो, कभी कुछ तो खुद पे शर्म करो। अब तो सत्ता के महल की नीव में यारो, ईमान – धर्म की कंक्रीट भरो।

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यह कविता (बलिदानी क्या सोचेंगे।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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भारत के लाल।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ भारत के लाल। ♦

मेरी नौका है पुरानी,
ये नदी भी है अन्जानी।
डरने वाले कभी दरिया पार नहीं करते,
कायरों की दुनिया ख्वाबों में होती हैं।

कायर वो गद्दार कभी तिरंगे से प्यार नहीं करते,
दुश्मन को भारतीयों की एकता व हौसला बहुत अखरता है।
वो वाकिफ नहीं, हर भारतीय के रगों में,
सुभाष एंव खुदीराम बोस का लहू दौड़ता हैं।

उसे क्या मालूम, हर घर में महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज,
राजेन्द्र, जय प्रकाश, वीर कुंवर ही पलता हैं।
हमें सिखाया पुर्वजों ने, जब तक सफल न हो,
संघर्ष का मैदान छोड़कर, कायरों की तरह मत भागो।

लाल बहादुर शास्त्री जैसे कर्मठ की कभी हार नहीं होती,
कुछ किए बिना कभी जय जयकार नहीं होती।
तुम भारत मां के लाल हो, इस गुलशन के गुलाब हो,
दुश्मन का सपना कभी सच न हो,
तुम्ही कल के आफताब हो।

न गुलाब चाहिए, न माहताब चाहिए,
भारत के सपूतों की ऑंखों में, भारत मां के लिए प्यार चाहिए।
दुश्मन का प्यार तो है बस दिखाने के लिए,
ढूढ़ते हैं वो बहाने हर वक्त जुल्म ढ़ाने के लिए।

अपने आप कश्ती किनारे तक नहीं जाती कभी,
हौसला, हिम्मत चाहिए किनारा पाने के लिए।
तिरंगा देखकर, दुश्मन हुए भयभीत,
भगदड़ मच गई है, तुम्हारी होगी जीत।

भारत के लाल तेरी जीत बनेगी मिसाल,
शेर सा दहार सुनकर, दुश्मन होगा बेहाल।
लगा दो आग, जहां बारूद रखता हैं,
बना दो कब्र उनकी जो टेढ़ी नजर से देखता हैं।

♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150/नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦

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  • “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह भारत भूमि वीरों की भूमि है, उसे क्या मालूम, हर घर में महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज, राजेन्द्र, जय प्रकाश, वीर कुंवर ही पलता हैं। हमें सिखाया पुर्वजों ने, जब तक सफल न हो, तब तक संघर्ष का मैदान छोड़कर, कायरों की तरह मत भागो। हम भारत वासी दिल से प्रेम करने वाले को प्रेम करते है और जो हमें आँख दिखाते है उनका आँख भी निकाल लेते है। हम कभी किसी पर पहले वार नही करते है लेकिन अगर दुश्मन हम पर वार करे तो हम हाथ पर हाथ धरे बैठे भी नहीं रहते है। हमें गर्व है अपने वीर सेनानी लाल बहादुर शास्त्री जी पर, उन्होंने दुश्मन को दिखाया हिन्दुस्तानी चाटा। एक बात याद रखे नफरतों की फिजाओं में कभी भी प्यास मुहब्बतों की नहीं बुझती। चाहे कोई भी पड़ोसी देश हो हमारा हमसे प्यार करेगा, हम भी उन पर प्यार बरसायेंगे, लेकिन अगर हमसे गद्दारी करेंगे तो उसका जवाब उसी की भाषा में हमें देना आता हैं, जय हिन्द – जय हिन्द की सेना।

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यह कविता (भारत के लाल।) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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