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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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नदी और हिमालय पर कविता

सागर और सरिता।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ सागर और सरिता। ♦

“सुनो सरिते रौद्र रूप धर,
क्यों तांडव तुम यूं करती हो?
है सहज सरल तुम शांत स्वभावी,
फिर दहशत क्यों तुम भरती हो?

आकंठ डुबाकर जनजीवन जल में,
क्यों त्राहि – त्राहि तुम मचाती हो?
रो उठते हैं प्राणी मात्र सब तब,
जब नीड़ उनका तुम बहाती हो।”

“मैं भूली बिसरी पावन सरिता,
हिमगिरी के शिखर से बहती हूं।
मैं कहां से निकली, कहां को जाती?
कभी, किसी से कुछ न कहती हूं।

गांव के पावन गलियारों में बहती,
पवनों में, शीतलता मैं ही देती हूं।
संचित कर के कृषित भूमि को,
मैं घट – घट को नवजीवन देती हूं।”

घाट – घाट पर तृप्ताती हूं सब को,
सब कूड़ा – कचरा जब मैं ढोती हूं।
सच कहती हूं मैं कुदरत की बेटी,
मानुषी करणी पर तब मैं रोती हूं।

क्यों भूल जाते हैं लोग मुझको?
तृषा नाशिनी मैं उनकी रोटी हूं।
निर्मल – पावन मैं आई गिरी से,
पिया तक पहुंचते मटमैली होती हूं।

जो जिसका किया वह उसे लौटाती,
मैं बदला कहां कब किसी से लेती हूं?
निज करणी का फल भोग रहे हैं सब,
तुम कहते हो मैं यह सब दंड देती हूं?

जिन जनी नहीं कोई जान जिस्म से,
प्रसव पीड़ा को वे भला क्या जाने?
मैं जननी हूं जलचर – थलचर की,
मेरी पीड़ा को भला वे क्यों माने?

मैं सज – धज – पावन निकली थी प्रियतम,
मटमैली गंदली होकर तुमसे मिलती हूं।
निर्दोष हूं मैं सनातनी परंपरा प्रवाहित,
निज प्रहारों से देहे कई की छीलती हूं।

“होती है मुझे भी पीड़ा तब प्रियतम
यह सब सुनकर सागर अकुलाता है।”
“मदहोश मानुष की यह जरूरत?” सागर,
सुनामी लहरों से आगबबूला हो जाता है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — प्रकृति के पांच तत्व सलीके से अपना-अपना चक्र पूर्ण करते है, अर्थात प्रकृति के पांच तत्व तब तक मानव या जीव जंतु का नुकसान नहीं करते जब तक मनुष्य उनके प्राकृतिक रूप व पथ को अवरुद्ध न करें। मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति के पांच तत्व के साथ खिलवाड़ करता आ रहा जिसका परिणाम कहीं भूकंप, तो कहीं बाढ़, कहीं सुनामी, तो कहीं बर्फबारी और भी अनेकानेक रूप देखने को मिल रहे है, क्या नदी हो क्या समुद्र मनुष्य ने सभी के साथ खिलवाड़ किया हैं। हे मानव अब भी समय हैं सुधर जा वर्ना ये धरा तेरे रहने के लायक बिलकुल भी नहीं बचेगी। फिर कहां जायेगा तू रहने सोच जरा।

—————

यह कविता (सागर और सरिता।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं। Tagged With: hemraj thakur poems, Hindi Poems, kavi hemraj thakur poems, Poem on Nature in Hindi, poem on river in hindi, नदी और सागर पर कविता, नदी और हिमालय पर कविता, प्रकृति के पंच तत्व पर कविता, प्रकृति के पांच तत्व, सागर और सरिता, सागर और सरिता - हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर की कविताएं

माँ सरयू बहुत महान।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ माँ सरयू बहुत महान। ♦

माँ सरयू बहुत महान।
यहां घूमते थके ना राम।
जिह्वा पर बस एक ही नाम,
राम राम बस राम ही राम।

तीनो लोक करें गुणगान।
हे माँ सरयू तुझे प्रणाम।

राम – कथा सरयू के तीर,
कहता – सुनता होता वीर।
सुखमय उसका जीवन होता।
वह होता धीर – गंभीर।

पीता सदा वह राम मैं जाम,
हे माँ ! सरजू तुझे प्रणाम।

भोले बाबा औघड़ दानी।
सृष्टि में कोई नहीं है शानी।
शिव भक्तों से जो भी उलझे।
हो जाती उसकी खत्म कहानी।

शिव भक्ति मिले बिन मोल औ दाम।
हे माँ ! सरजू तुझे प्रणाम।

शिव – संग शक्ति, शक्ति से किरपा,
प्रतिपल हो सुलभ आशीष।
सभी का शुभ चाहता चले जो,
रण में होता वही है बीस।

नाम न होवे कभी नाम।
हे माँ ! सरयू तुझे प्रणाम।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – माँ सरयू नदी के महत्व को बताया है, प्रभु श्री राम से माँ सरयू के जुड़ाव का वर्णन किया हैं। शिव और शक्ति के महत्व को समझाया है। प्रभु श्री राम के जीवन में शिव और शक्ति का क्या महत्व था यह भी बताया है।

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यह कविता (माँ सरयू बहुत महान।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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