Kmsraj51 की कलम से…..
♦ माँ सरयू बहुत महान। ♦
माँ सरयू बहुत महान।
यहां घूमते थके ना राम।
जिह्वा पर बस एक ही नाम,
राम राम बस राम ही राम।
तीनो लोक करें गुणगान।
हे माँ सरयू तुझे प्रणाम।
राम – कथा सरयू के तीर,
कहता – सुनता होता वीर।
सुखमय उसका जीवन होता।
वह होता धीर – गंभीर।
पीता सदा वह राम मैं जाम,
हे माँ ! सरजू तुझे प्रणाम।
भोले बाबा औघड़ दानी।
सृष्टि में कोई नहीं है शानी।
शिव भक्तों से जो भी उलझे।
हो जाती उसकी खत्म कहानी।
शिव भक्ति मिले बिन मोल औ दाम।
हे माँ ! सरजू तुझे प्रणाम।
शिव – संग शक्ति, शक्ति से किरपा,
प्रतिपल हो सुलभ आशीष।
सभी का शुभ चाहता चले जो,
रण में होता वही है बीस।
नाम न होवे कभी नाम।
हे माँ ! सरयू तुझे प्रणाम।
♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦
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- “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – माँ सरयू नदी के महत्व को बताया है, प्रभु श्री राम से माँ सरयू के जुड़ाव का वर्णन किया हैं। शिव और शक्ति के महत्व को समझाया है। प्रभु श्री राम के जीवन में शिव और शक्ति का क्या महत्व था यह भी बताया है।
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यह कविता (माँ सरयू बहुत महान।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
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