Kmsraj51 की कलम से…..
♦ माँ। ♦
माँ, तेरे हर रूप की महिमा ने,
सम्पूर्ण ब्रह्मांड को हर्षाया।
तेरी चाैखट पर,
सब देवगणों ने शीश झुकाया।
जगदम्बे, तू सबकी माँ,
वरदाती कहलायें।
सर्वस्व
सब तुझ में ही समाये।
सिंघवाहिनी तेरे शेर की गर्जना,
जब-जब हो जाये ।
तब-तब सुन,
महाकाल भी थर्राए।
तेरे आलाैकिक, अद्भुत,
रूपों की त्रिलोक महिमा गाये।
तेरे हर रूप की महिमा,
जग का कल्याण कर जाए।
हे विश्व विनोदिनी, वरदाती
तेरी एक मधुर मुस्कान से,
विश्व का कल्याण हो जायें।
हे! माँ स्वीकार करो बारम्बार नमन,
पड़े तेरे चरणों में ये सिर झुकाए।
♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦
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- “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – इस कविता में कवयित्री ने माता रानी के गुणों और शक्तियों का महत्व बयां किया है। माता रानी से प्रार्थना: किया है इंसानियत के सुख और खुशियों के लिए, प्रकृति का सुन्दर मनोहर उपहार मिला।
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यह कविता (माँ।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।
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