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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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नव वर्ष पर कविता

रह गई आस्था मन में।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ रह गई आस्था मन में। ♦

विधा – नववर्ष।

लिए हुए रह गई मैं अपनी आस्थाएं मन में,
पुरातन वर्ष जाने और नववर्ष के आगमन में।

आवरण तो तोड़ना था संकल्प लें सृजन मन में,
पुरातन भी कुछ संजोना है नववर्ष के संग में।

कुछ नया करने के लिए सोचती रह गई भीड़ में,
हसरतों के दीप जलते रहे महामारी के दौर में।

कुछ अपने बिछुडे कुछ नए दोस्त आए जीवन में,
आनलाइन से जुड़ करके नाते निभाए हमने।

प्रगति, समाजवाद के नारे रह गए कागज़ों में,
नजाने विकास कहां खो गया देखिए जमाने में।

सभी लगे हैं अपनी-अपनी झोलिया भरने में,
कोई ठिठुरती रात में ताउम्र के लिए सो गया दो गज कफन में।

देश और समाज में क्यूं और क्या देखूं मैं ?
कोई महज हसरत लिए ढह गया दो वक्त की रोटी में।

हौसले थे उसके मन में भी नव वर्ष के आगमन में,
पर वो बेचारा क्या करता आस्थाएं धरी रह गई मन में।

एकबार फिर नई हसरतों के दीप जलाए उसने मन में,
पुरातन में जो रह गई तमन्नाएं नववर्ष में पूरी करेंगे संकल्प लिया मन में।

विजयलक्ष्मी है कहती नई आशाओं को लेकर आगे बढ़ो जीवन में,
आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं नववर्ष के आगमन में।

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए; इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की हैं — कुछ पुरानी खट्टी-मीठी यादें मन में संजोए बिट गया पुराना वर्ष २०२२, अब नव वर्ष 2023 का सुभारम्भ हुआ, नए संकल्पों व उमंग उत्साह के साथ । जो गलतिया किया हम सभी ने अब तक, उन गलतियों को पुनः दोहराये नहीं। 2020 से ही अब तक कोरोना काल ने बहुत कुछ सिखाया इंसान को, इंसानियत से बढ़कर कुछ भी नहीं है इस संसार में, मानव सेवा ही प्रभु सेवा है। सब मिलजुलकर समाज में सुधार लेन की कोशिश करें, सुधार अपने आप से व अपने परिवार से शुरू करें। जहां तक हो सके जरूरतमंदो की मदद करें, अपनी स्व रक्षा के लिए जरूरत पड़ने पर शस्त्र भी उठाएं। नए उमंग व उत्साह के साथ जीवन में आगे बढ़े, प्रकृति की रक्षा करें अच्छे स्वास्थ्य के लिए। विजयलक्ष्मी है कहती नई आशाओं को लेकर आगे बढ़ो जीवन में, आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं नववर्ष के आगमन में।

—————

यह कविता (रह गई आस्था मन में।) “विजयलक्ष्मी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम विजयलक्ष्मी है। मैं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय, छारा – 2, ब्लॉक – बहादुरगढ़, जिला – झज्जर, हरियाणा में मुख्य शिक्षिका पद पर कार्यरत हूँ। मैं पढ़ाने के साथ-साथ समाज सेवा, व समय-समय पर “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” और भ्रूण हत्या पर Parents मीटिंग लेकर उनको समझाती हूँ। स्कूल शिक्षा में सुधार करते हुए बच्चों में मानसिक मजबूती को बढ़ावा देना। कोविड – 19 महामारी में भी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाना, वीडियो और वर्क शीट बनाकर भेजना, प्रश्नोत्तरी कराना, बच्चों को साप्ताहिक प्रतियोगिता कराकर सर्टिफिकेट देना। Dance Classes प्रतियोगिता का Online आयोजन कराना। स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर कार्य करना। इन सभी कार्यों के लिए शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा और कई Society द्वारा बार-बार सम्मानित किया गया।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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चलो हम नववर्ष मनाएं।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ चलो हम नववर्ष मनाएं। ♦

चलो आज करें शुरुआत,
निराशाओं को देकर मात।
मन के मैल को हटाएं,
तम को मन से दूर भगाएं।
जीवन में रौशनी फैलाएं,
चलो हम नववर्ष मनाएं।

दे बेसहारे को सहारा,
भूखे को देकर निवाला।
भटके को दिखाकर राह,
सबके मंगल की कर चाह।
मन से ईर्ष्या द्वेष मिटाएं,
चलो हम नववर्ष मनाएं।

सब पर स्नेह लुटाकर,
मन को मंदिर बनाकर।
भेद-भाव मिटाकर,
स्वार्थ मोह सब त्यागकर।
परहित पर जीवन अर्पित कर,
चलो हम नववर्ष मनाएं।

आओ हमसब मिलकर,
एक नई उमंग जगाकर।
ऐसा वातावरण बनाएं,
नव ज्योति का प्रकाश फैलाएं।
चारों ओर खुशहाली लाएं,
चलो हम नववर्ष मनाएं।

दीप से दीप जलाकर,
हाथ से हाथ मिलाकर।
चाहूं ओर सुख शांति लाएं,
न रहे कोई भूखा बेसहारा।
ऐसी निर्मल धारा बहाएं,
चलो हम नववर्ष मनाएं।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — मानव सेवा ही प्रभु सेवा है, सभी आपस में मिलजुलकर जरूरतमंदो की मदद करें। देकर बेसहारे को सहारा और भूखे को देकर निवाला। भटके को दिखाकर राह सदैव ही सबके मंगल की कर चाह। मन से ईर्ष्या द्वेष मिटाएं, चलो हम नववर्ष मनाएं। सब पर दिल से स्नेह लुटाकर, मन को मंदिर बनाकर। आपसी भेद-भाव मिटाकर, स्वार्थ मोह सब त्यागकर। परहित पर जीवन अर्पित कर, चलो हम नववर्ष मनाएं। हम अपनी रक्षा के लिए केवल शस्त्र उठाएं, निर्दोषों पर अत्याचार न करें कभी। उमंग के दीप से दीप जलाकर, हाथ से हाथ मिलाकर। आओ चाहूं ओर सुख शांति लाएं, कोशिश हो हम सबकी न रहे कोई भूखा बेसहारा। ऐसी निर्मल धारा हम बहाएं, चलो हम नववर्ष मनाएं।

—————

यह कविता (चलो हम नववर्ष मनाएं।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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नया साल।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ नया साल। ♦

यह नया साल हमारा और वह तुम्हारा,
हैप्पी न्यू ईयर, नव संवत्सर की बधाई।
जश्न तो नए साल का है दोनो जगह पर,
फिर भी है भावों और विचारों की लड़ाई।

न जाने क्यों नफ़रत सी होती है मन में मुझे,
अंग्रेजी नव वर्ष के हर एक बधाई संदेश से।
जब ये नहीं मानते हैं नव संवत्सर हमारा तो,
मैं कहीं धोखा तो नहीं कर रहा हूं स्वदेश से?

हम क्यों भूल दें जी सनातन तहजीब हमारी?
और उपनिवेशवादियों का सब अपनाते चले।
भौतिक वैभव तो लूट ही गए थे हमारा ये सब,
और आज भावों से भी जाए क्यों हम ही छले?

आज, मंजूर है मुझको इनका हर त्यौहार मानना,
पर ये भी तो हमारे पर्वों को मिलजुल कर मनाएं।
पर हां, यह तो नहीं चलेगा कि हर बार ये इठले,
और हम हमेशा बस यूं ही मौन रह मुंह की खाएं।

ताली कहां सुना है बजाते तुमने एक हाथ से भाई,
आओ मिलकर मित्रवत दोनों ही हाथों से बजाएं।
हमने अपनाया आपका बहुतेरा है जी आज तक,
तुम भी तो संस्कृति का कुछ हमारी जी अपनाएं।

हमारे नव संवत्सर में मौसम नूतन वसंत है आता,
तुम्हारे नव वर्ष में आती महज पतझड़ और सर्दी।
अपनाने दो हमे भी कुछ अपनी ही संस्कृति का,
तुम्हारी नकल की तो हमने आज हद ही है कर दी।

लिवास तुम्हारे हैं, है हर एक अजब अंदाज़ तुम्हारा,
हमारे पास तो आज बचा ही क्या कुछ है हमारा?
अन्दर से बाहर, कुछ भी देखो, पैंट कोट चाहे शरारा,
चिन्तित हूं कि क्यों रंगा है पछुआ रंग में देश हमारा?

फैला दिया है जैसे रायता सा मेरे देश में तुमने आज,
छोड़ा ही क्या है तुमने आज शेष, बाकी देने लेने को?
कुछ तो रहने दो हमारे भी शेष अपनी संस्कृति का,
हमारे पास भी कोई थाती हो, नई पीढ़ी को देने को।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — अब भी समय है संभल जाओ, वर्ना अपनी संस्कृति सभ्यता का शायद फिर सुगंध भी सुलभ न होगा। वैसे जश्न तो नए साल का है दोनो जगह पर फिर भी है भावों और विचारों की लड़ाई। न जाने क्यों नफ़रत सी होती है मन में मुझे, अंग्रेजी नव वर्ष के हर एक बधाई संदेश से। जब ये नहीं मानते हैं नव संवत्सर हमारा तो, मैं कहीं धोखा तो नहीं कर रहा हूं स्वदेश से? जरा सोचे हमने क्यों भूला दिया अपने सनातन तहजीब को? हमारी भौतिक वैभव तो लूट ही गए थे हमारा ये सब, और आज भावों से भी जाए क्यों हम ही छले? आज, मंजूर है मुझको इनका हर त्यौहार मानना, पर ये भी तो हमारे पर्वों को मिलजुल कर मनाएं। हमारे नव संवत्सर में मौसम नूतन वसंत है आता, चारों तरफ हरियाली और खुशियां ही खुशियां और तुम्हारे नव वर्ष में आती महज पतझड़ और सर्दी। अब तो लिवास तुम्हारे हैं, है हर एक अजब अंदाज़ तुम्हारा, हमारे पास तो आज बचा ही क्या कुछ है हमारा? फैला दिया है जैसे रायता सा मेरे देश में तुमने आज, छोड़ा ही क्या है तुमने आज शेष, बाकी देने लेने को हमारे पास? कुछ तो रहने दो हमारे भी शेष अपनी संस्कृति का, हमारे पास भी कोई थाती हो, अपनी नई पीढ़ी को देने को।

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यह कविता (नया साल।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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समर्पित नव वर्ष को।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ समर्पित नव वर्ष को। ♦

नयन में चंचला दीप्ति है,
बाँहों में बीजल धनु मण्डित।
केयूर स्थिरता चरण में,
उर में श्रद्धा अखंडित।

प्राणों में जलती ज्वालामुखी,
ड़मरु-मध्य हथेली पर सँभाले।
जा रहा है जो संभाग,
ध्वजस्तंभ को गगन में उछाले।

सुदर्शन विजय उद्घोष कर,
युग निर्माण में अभिनव बढ़ा है।
युधान को ललकारता जो,
शिखर शैलाधिराज पर चढ़ा है।

दर्प भी कन्दर्प का,
मुख कांति का देख मर्दित।
देश के उस ज्वान को,
मेरी काव्य संजीवनी समर्पित।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

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यह कविता (समर्पित नव वर्ष को।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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नव वर्ष समारोह 2023

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ नव वर्ष समारोह – 2023 ♦

हम गरीबों के लिए क्या नया साल साहब,
दो वक्त की रोटी के लिए हो गई सुबह से शाम साहब।
मेरे होठों की मुस्कान सबको दिखती है,
मगर दिल का जख्म किसी को दिखती नहीं।

मेरी आंखों से निकले आंसू सबको दिखती है,
मेरी आंसूओं में छिपा दर्द किसी को दिखती नहीं।
इंसान मैं भी हूं, मेरे दिल में है एक अरमान,
नए साल के जश्न में देखूं , सबके चेहरे पे मुस्कान।

तोहफा देने के काबिल नहीं,
पैसा हो जेब में दुनिया सुहानी लगती है।
दौलत में है इतनी ताकत, मिट जाती है दूरियां,
सारी दुनिया अपनी लगती है।

इल्तज़ा है खुदा से, मिटा दो सारी दूरियां,
ना कोई अमीर ना कोई गरीब, ना हो कोई मजबूरियां।
धरती ही जन्नत बन जाए,
शफ़त पे हो तबस्सुम, उल्फत के तराने।

गले से गले मिलें, जो भी आएं नया साल मनाने,
गया दिसंबर, जनवरी आई, नए साल की सबको बधाई।
हैं बख्ताबर, भारत देश की माटी पाई,
सभी देश वासियों को मेरी तरफ से नए साल की हार्दिक बधाई।

♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150/नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦

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  • “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — क्या नया साल 2023 सभी के लिए खुशियाँ लेकर आएगा? या फिर गरीबों के लिए नए साल का कोई मतलब नहीं। नया साल केवल अमीरों के चोचले है। क्या केवल तारिक बदलेगा या फिर ये नया साल सभी के लिए खुशियों का सौगात लेकर आएगा? आओ हमसब मिलकर ये संकल्प ले इस नए साल 2023 में खूब मेहनत करेंगे और नए भारत के ग्रोथ में सहयोग करेंगे, जरूरतमंदों की मदद करेंगे। सभी देशवासियों को मेरी तरफ से नए साल की हार्दिक बधाई।

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यह कविता (नव वर्ष समारोह – 2023) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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नया आ रहा है।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ नया आ रहा है। ♦

होने लगी है नए साल की, अब थोड़ी-थोड़ी सुगबुगाहटें।
पुराना जा रहा है, नया आ रहा है, ले करके नई आहटें।

हे प्रभु! रहम करना, मत देना नए साल में कोई कड़वाहटें।
विनय है विश्व बंधुत्व दे, फैलें दशों दिशाओं में नई चाहतें।

पापित – शापित को क्षमा करो, हो नए ज्ञान का विमल उद्भास।
सत्ता – समाज में सौहार्द्र बने और जगे धरा पर नूतन विश्वास।

सीमाएं हो जाए निर्द्वंद्व और रिहाइशें हो महफूज और आवाद।
रोग शोक की गुलामी की जंजीरों से, बच्चा-बच्चा होवे आजाद।

क्षमा, दया, समता और वैभव की उमंग विश्व में अब छा जाए।
हर मानव के भीतर मानवता के हर गुण, आटे में नमक से समा जाए।
आ रहा है…

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — हे प्रभु! रहम करना, मत देना नए साल में कोई कड़वाहटें। विनय है विश्व बंधुत्व दे, फैलें दशों दिशाओं में नई चाहतें। हे प्रभु! यही प्रार्थना है मेरी। बीत रहा वर्ष बहुत दर्द दे गया, बहुत सारे परिवार ने अपनों को खो दिया, लेकिन इस संकट के समय ने इंसान को बहुत कुछ सिखाया भी। अब भी समय है हे मानव तू सुधर जा प्रकृति को निखारने वाला कार्य कर, तूने प्रकृति के साथ बहुत खिलवाड़ किया। अब सुधर जा वरना रोने के सिवा कुछ नहीं बचेगा। हे मानव तूने प्रकृति के पांचो तत्वों को अपवित्र और प्रदूषित किया हद से ज्यादा, अब प्रकृति को निखारने व बचाने वाला कार्य कर तू, समय रहते प्रकृति को उसके ओरिजिनल रूप में सुरक्षित करो। जितना ज्यादा हो सके पेड़ लगाएं, जिससे प्रकृति अपने सभी ऋतुओं का समय पर संचालन करें, और फिर से ये धरा खिलखिला उठे। चारो तरफ खुशिया ही खुशिया बिखर जाये।

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यह लेख (नया आ रहा है।) “हेमराज ठाकुर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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