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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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नारी शक्ति पर कविता

स्त्री।

Kmsraj51 की कलम से…..

Nari | स्त्री।

मैं स्त्री हूं, प्रायः घर की देवी भी कहलाती हूं,
कहीं प्रताड़ित, तो कहीं पूजी जाती हूं।

कहीं मेरा मान सम्मान किया जाता है,
कहीं मुझे कोख में ही मार दिया जाता है।

कभी बड़े चाव से सोलह शृंगार करते है,
कभी भरी सभा में, वस्त्र भी तो हरते है।

कभी वंश वृद्धि के लिए सर माथे बिठाते हैं,
कभी रहन सहन पर, बेबात ही उंगली उठाते है।

देख चोंचले समाज के, आ जाता है रोष मुझे,
पूछती हूं दर्पण से, क्यों जड़ा यह दोष मुझे?

क्यों मर्यादा की बेड़ी ने, स्त्रियों को ही जकड़ा है,
मान की जंजीरों ने, पुरुषों को कब पकड़ा है?

जिद्दी, अड़ियल, ढीठ, चाहे जो कह लो मुझे,
देवी की संज्ञा न दो, बस स्त्री ही रहने दो मुझे।

♦ नंदिता माजी शर्मा – मुंबई, महाराष्ट्र ♦

—————

  • “नंदिता माजी शर्मा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — मैं स्त्री हूं, जीवन हूं,आकांक्षा हूं ,सपना हूं स्वयं के निर्माण का, परिवार के और मानव समाज के! मैं सौंदर्य नहीं स्वरूप हूं ,सृष्टि का! पर आजकल के मानव को क्या हो गया है कहीं मेरा बहुत मान सम्मान किया जाता है, तो कहीं मुझे कोख में ही क्यों मार दिया जाता है? वैसे तो प्रायः घर की देवी भी कहलाती हूं, लेकिन फिर भी कहीं प्रताड़ित, तो कहीं पूजी जाती हूं। कभी बड़े चाव व प्रेम से सोलह शृंगार करते है, तो कभी भरी सभा में, वस्त्र भी तो हरते है। कभी वंश वृद्धि के लिए सर माथे बिठाते हैं, तो फिर क्यों कभी रहन सहन पर, बेबात ही उंगली उठाते रहते है? इस तरह का देख चोंचले समाज के, आ जाता है कभी-कभी बहुत रोष मुझे, अक्सर पूछती हूं दर्पण से, क्यों जड़ा यह दोष मुझे? जरा सोचे क्यों मर्यादा की बेड़ी ने, स्त्रियों को ही जकड़ा है? मान की जंजीरों ने, पुरुषों को कब पकड़ा है? बस यही कहना है हमारा – जिद्दी, अड़ियल, ढीठ, चाहे जो कह लो मुझे, भले ही देवी की संज्ञा न दो, बस स्त्री ही रहने दो मुझे।

—————

यह कविता (स्त्री।) “नंदिता माजी शर्मा जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी मुक्तक/कवितायें/गीत/दोहे/लेख/आलेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

नाम – नंदिता माजी शर्मा

साहित्यिक नाम : नंदिता “आनंदिता”
लेखिका/डिजीटल अलंकरणकर्ता/कवियत्री/समाज सेविका 
संस्थापक/अध्यक्ष — कर्मा फाऊंडेशन
राष्ट्रीय सह-अध्यक्ष — साहित्य संगम संस्थान (पंजीकृत साहित्यिक संस्था)
अलंकरण प्रमुख — साहित्योदय(पंजीकृत साहित्यिक संस्था)
अलंकरण अधिकारी — अंतरराष्ट्रीय शब्द सृजन
प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष — साहित्य संगम संस्थान, (महाराष्ट्र इकाई)
जिला प्रभारी — एन.जी.टी.ओ
मीडिया प्रभारी — महाराष्ट्र शब्दाक्षर
मुख्य संपादक — दोहा संगम ( मासिक ई पत्रिका )
प्रधान संपादक — वंदिता ( मासिक ई पत्रिका )
मुख्य संपादक — महाराष्ट्र मल्हार ( मासिक ई पत्रिका )
प्रधान संपादक — आह्लाद मासिक ई-पत्रिका
प्रधान संपादक — अविचल प्रभा मासिक ई-पत्रिका

कई विधाओं में लेखन।

अनेक ई-पत्रिकाओं का सफल संपादन।
विभिन्न साहित्यिक मंचो और गोष्ठियों से ‘श्रेष्ठ रचनाकार’ ‘सर्वश्रेष्ठ रचनाकार’ इत्यादि अनेक सम्मान प्राप्त।
हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में स्वतंत्र लेखन।
०६ साझा – संग्रह ‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज।
अनावृत संचालन हेतु लन्दन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज।
०१ साझा – संग्रह इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज।
०१ दिव्याक्षर ब्रेल साझा – संग्रह वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज।
हिंदी अकादमी, मुंबई द्वारा साहित्य भूषण सम्मान २०२३ से सम्मानित।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Nandita Majee Sharma, Nandita Majee Sharma Poems, आज की नारी पर कविता, नंदिता "आनंदिता", नंदिता माजी शर्मा, नंदिता माजी शर्मा जी की कविताएं, नारी की व्यथा पर कविता, नारी जीवन की व्यथा - Naari Jeevan Ki Vyatha, नारी शक्ति पर कविता, नारी शक्ति पर कविता इन हिंदी, भारतीय नारी कविता, समाज और नारी कविता, स्त्री

अब डटकर लड़ना होगा।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ अब डटकर लड़ना होगा। ♦

गदा तीर तलवार उठा लो,
अब डटकर लड़ना होगा।
बहुत पढ़े हम पाठ प्रेम का,
अब प्रतिशोध पढ़ना होगा।

बहन बेटियों की आबरू,
कब तक हम गंवाएंगे।
हाथ सिरहाने रख कर यूं ही,
कब तक सोते जाएंगे।

उठो चलो संग्राम करो,
अब प्रहार करना होगा।
गदा तीर तलवार उठा लो,
अब डटकर लड़ना होगा।

नीच निराधम असुरों की,
ऐसे मन बढ़ते जाएगी।
कभी बेटियां तेरी तो,
बहनें बली चढ़ती जाएगी।

कर दो नाश निशाचर का,
दूजा न कोई पैदा होगा।
गदा तीर तलवार उठा लो,
अब डटकर लड़ना होगा।

दरबार यहां अंधों का है,
क्या? रक्त हमारा देखेगा!
प्रलय ला दो प्रचंड बनकर,
कि रोष वक्त भी देखेगा।

खाल खींच ले क़ातिल का,
ये बल सब में भरना होगा।
गदा तीर तलवार उठा लो,
अब डटकर लड़ना होगा।

नोट: झारखण्ड, दुमका की बेटी अंकिता सिंह हत्याकांड पर अमित प्रेमशंकर की एक कविता।

♦ अमित प्रेमशंकर जी — एदला-सिमरिया, जिला–चतरा, झारखण्ड ♦

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Conclusion

  • “अमित प्रेमशंकर“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — प्राचीन काल से ही नारी बहुत शक्तिशाली है, नारी हर एक विद्या में माहिर होती थी, अपनी रक्षा स्वयं करने में पूर्ण सक्षम थी। फिर आज की नारी अपने आपको इतना लाचार क्यों समझती है? अब नारी को अपनी शक्ति को पहचान कर अपनी रक्षा स्वयं करनी होगी। ब्रह्माण्ड के निर्माण के समय से ही नारी के अंदर सहनशीलता, प्रेम, धैर्य, स्नेह, करुणा व ममता और मधुर वाणी जैसे बहुत से गुण विद्यमान है जो कि नारी की असली शक्ति है। यदि कोई नारी कुछ भी करने का निश्चय कर ले (दिल से ठान ले) तो वह उस कार्य को करे बिना पीछे नहीं हटती है और वह बहुत से क्षेत्रों में पुरूषों से बेहतरीन कर अपनी शक्ति का परिचय देती भी है।

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यह कविता (अब डटकर लड़ना होगा।) “अमित प्रेमशंकर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। आपकी ज्यादातर कविताएं युवा पीढ़ी को जागृत करने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

नाम: अमित प्रेमशंकर
पिता: श्री द्वारिका प्रजापति

माता: श्रीमती रेखा देवी
पत्नी: श्रीमती संजू प्रेमशंकर

जन्मतिथि: १० मार्च १९९३
पता: ग्राम+पोस्ट – एदला
प्रखण्ड: सिमरिया
जिला: चतरा (झारखण्ड)
पिन: ८२५१०३

शिक्षा: स्नातक (हिंदी) विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग
सम्प्रति: कवि, गीतकार व ढोलक वादक।

प्रकाशित पुस्तकें: मन की धारा(एकल),आत्म सृजन, काव्य श्री, एक नई मधुशाला १, एक नई मधुशाला २, भावों के मोती, हमारी शान तिरंगा है व अक्षर पुरूष
प्रकाशित रचनाएं: देश के अलग-अलग पत्र पत्रिकाओं में लगभग दो सौ रचनाएं प्रकाशित व समय समय पर सामाचार पत्रों के माध्यम से पत्राचार।
विशेष: कविता “सीता माता सी कोई नहीं” तथा “आज राम जी आएंगे” महाराष्ट्र के वरिष्ठ साहित्यकार श्री ओ. सी. पटले द्वारा पोवारी भाषा में अनुवाद व दर्जनों हिन्दी, भोजपुरी गीत यूट्यूब पर मौजूद हैं जिसे अलग अलग गायक और गायिकाओं ने अपने स्वर से सजाया है।

प्राप्त सम्मान: काव्य श्री साहित्य सम्मान, आत्म सृजन साहित्य सम्मान, भावोन्नती साहित्य सम्मान, सरदार भगतसिंह काव्य लेखन सम्मान, सुमित्रानंदन पंत स्मृति सम्मान, साहित्य कर्नल सम्मान दो बार, रैदास साहित्य सम्मान,द फेस ऑफ इंडिया साहित्य सम्मान, राष्ट्र प्रेमी साहित्य सम्मान तथा दिल्ली साहित्य रत्न सहित अनेकों आनलाईन काव्य पाठ द्वारा ई-सम्मान पत्र शामिल है।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Best Hindi Poems On Nari Shakti, poem on women empowerment in hindi, Poems of Amit Prem Shankar, अंकिता सिंह हत्याकांड पर अमित प्रेमशंकर की कविता, अब डटकर लड़ना होगा, अब डटकर लड़ना होगा - अमित प्रेमशंकर, अमित प्रेमशंकर, अमित प्रेमशंकर की कविताएं, झारखण्ड दुमका की बेटी अंकिता सिंह हत्याकांड पर अमित प्रेमशंकर की कविता, नारी शक्ति पर कविता, नारी शक्ति पर कविता इन हिंदी, नारी शक्ति पर दो लाइन, नारी शक्ति पर सुंदर कविता इन हिंदी, नारी सशक्तिकरण पर कविता, हिंदी कविता

मैं कौन हूँ?

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ मैं कौन हूँ? ♦

एक नारी पूछे खुद से ही एक सवाल।
कहो कैसा है तुम्हारे दिल का हाल॥

बाल तेरे आज क्यूँ इस कदर बिखर गए।
बाकी आस-पास वाले तो सब सँवर गए॥

सबके लिए तुम समय निकालती हो।
क्या कभी अपने को भी जानती हो॥

पहचाने तुझको न जाने वो तो कौन है।
क्यूँ झनझनाते तेरे स्वर आज मौन है॥

कौन सा दर्द-ए-जख्म छुपाया है तुमने।
इस चुप्पी में चुपके से दबाया तुमने॥

इन आँखों में ज्यादा हो गया था पानी।
तेरे लुढ़कते आँसू भी कह गए कहानी॥

अपने त्याग से तो हुई दुनिया में मशहूर।
मशहूर की कीमत तो अदा करनी जरूर॥

वैसे एक बात कहूँ तू ऐसे भी अच्छी।
बात कड़वी लगती तेरी जो कहे सच्ची॥

क्यूँ देखना तुझको जहां का हसीन नजारा।
तेरी जिम्मेदारी ही तो बस फर्ज तुम्हारा॥

क्यूँ कभी तू खिलखिलाकर इतनी हँसती।
तेरी तो मुस्कान भी है सबसे सस्ती॥

चाँद-सितारों को छूने का तुझको हक नही।
उड़ान भर सके, तुझें मिले वो पंख नही॥

चल फिर कभी बातें करेगें तुझसे चंद।
तेरा आस्तित्व हूँ मैं जो तेरे लिए फिक्रमंद॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — स्त्री ईश्वर की वह सुन्दर रचना है जिसमें त्याग, स्नेह, भावनाओं और समर्पण भरपूर होता है। स्त्री अनेक भूमिकाओं को बखूबी निभाती है। आज के समय की बात की जाये तो आधुनिक स्त्री घर-परिवार और दफ्तर को भी बखूबी संभालती है। परन्तु महिला त्याग का ही इंसानी रूप है। प्राचीन भारत में नारी और पुरुष को बराबर ही समझा जाता था और एक समान सम्मान प्रदान किया जाता था। “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता।” मनुस्मृति के वचन अनुसार:- जहां स्त्री जाति का आदर सम्मान होता है उनकी आवश्यकता और अपेक्षाओं की पूर्ति होती है उस स्थान, समाज ,परिवार पर देवता गण प्रसन्न रहते हैं।

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यह कविता (मैं कौन हूँ?) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, सुशीला देवी जी की कविताएं।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Famous Poem on Women in Hindi, poem on nari shakti in hindi, sushila devi poems, कवयित्री सुशीला देवी की कविताएं, कवियित्री सुशीला देवी, नारी त्याग की मूरत, नारी त्याग की मूरत है, नारी पर कविता, नारी पर दोहे, नारी शक्ति पर कविता, नारी शक्ति पर कविता हिंदी में, नारी शक्ति पर गीत, नारी शक्ति पर दोहे, महिलाओं पर कविताएँ, मैं कौन हूँ?, समाज और नारी कविता, सुशीला देवी, हिंदी पोएम

नारी : सृष्टि की फुलवारी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ नारी : सृष्टि की फुलवारी। ♦

सृजनकर्ता का अनुपम उपहार है नारी,
नारी ही तो है सृष्टि की फुलवारी।

नीरव भीतों को नारी ही तो घर बनाती है,
गृहलक्ष्मी जब तुलसी में दीप जलाती है।

द्वारे पर जब नारी रंग रँगोली के बिखराती है,
प्रसन्न हो माता लक्ष्मी स्वयं चली आती है।

जहाँ सम्मान घर की लक्ष्मी का नहीं होता,
किसी देवता का वहाँ वास नहीं होता।

नारी ही सृष्टि में बाल फूल खिलाती है,
प्रगति की राहों से बाधा शूल हटाती है।

सावित्री सी डट जाये तो यम पर भी भारी है,
सुहाग लौटाने की सुनी यम की लाचारी है।

मान करोगे नारी का तो सौ भूल भुला देगी,
वरना त्रि-देवों को भी झूले में झुला देगी।

प्रकृति रूप है नारी का वरना बंजर धरा सारी है,
नारी है तो सृष्टि है नारी सृष्टि की फुलवारी है।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

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  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — नारी का सम्मान करोगे तो वह भी तुम्हारा सम्मान करेगी, नारी घर की लक्ष्मी है। यह जरूरी है कि हम स्वयं को और अपनी शक्तियों को समझें। जब कई कार्य एक समय पर करने की बात आती है तो महिलाओं को कोई नहीं पछाड़ सकता। यह उनकी शक्ति है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए। में समाज में ही नहीं, बल्कि परिवार के भीतर भी महिलाओं और पुरुषों के बीच भेदभाव को रोकना होगा। महिलाओं को खुद से जुड़े फैसले लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए – सही मायने में हम तभी नारी सशक्तिकरण को सार्थक कर सकते हैं। नारी सशक्तिकरण में आर्थिक स्वतंत्रता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चाहे वो शोध से जुड़ी गतिविधियां हों या फिर शिक्षा क्षेत्र, महिलाएं काफी अच्छा काम कर रही हैं। कृषि के क्षेत्र में भी महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है।

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यह कविता (नारी : सृष्टि की फुलवारी।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी मुक्तक/कवितायें/गीत/दोहे/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

साहित्यिक नाम : वेदस्मृति ‘कृती’
शिक्षा : एम. ए. ( अँग्रेजी साहित्य )
बी.एड. ( फ़िज़िकल )
आई आई टी . शिक्षिका ( प्राइवेट कोचिंग क्लासेज़)
लेखिका, कहानीकार, कवियित्री, समीक्षक, ( सभी विधाओं में लेखन ) अनुवादक समाज सेविका।

अध्यक्ष : “सिद्धि एक उम्मीद महिला साहित्यिक समूह”
प्रदेश अध्यक्ष : अखिल भारतीय साहित्य सदन ( महाराष्ट्र इकाई )
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान बिहार प्रान्त की महिला प्रकोष्ठ,
श्री संस्था चैरिटेबल ट्रस्ट : प्रदेश प्रतिनिधि ( महाराष्ट्र )
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद में – सह संगठन मंत्री, मुंबई ज़िला, महाराष्ट्र
हिन्दी और अँग्रेजी दोनों विधाओं में स्वतंत्र लेखन।

अनेक प्रतिष्ठित हिन्दी/अँग्रेजी पत्र – पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित।

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माँ दुर्गा और बेटियां।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ माँ दुर्गा और बेटियां। ♦

आया नवरात्री का त्योहार,
फिर सजा अम्बे का दरबार।
देख बिलखती बेटियाँ, एक,
नैन से नीर बहा दूजे से अंगार।

करुण स्वर में करती पुकार,
आयी एक बेटी माँ के द्वार।
बोली मत भेजो मुझे धरा पर,
कर दो मुझ पे ये उपकार।

दंश गिद्ध का सहूँ मैं कैसे ?
दानव जग में रहूँ मैं कैसे ?
बर्बरता की कथा शब्दों में,
बोलो माँ कहूँ मैं कैसे ?

या तुम रहो मम सह,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै
नमो नमः।
सुन कर पुत्री की करूँ कथा,
शेरा वाली ने उस से कहा…

—•—

चूड़ियाँ उतार कर शक्ति का आवाह्न कर ,
अंतस में झाँक अब स्वयं की पहचान कर।

मदद को पुकार नहीं शक्ति रूप धार तू ,
सभी दानवों का अब स्वयं कर संहार तू।

हर शुम्भ निशुम्भ की बन के काल सर्पिणी,
ले त्रिशूल हाथ में तू है शक्ति रूपिणी।

न दिखा स्व वेदना अब सिंह सी हुंकार भर,
जगा शक्ति रूप को फिर प्रचंड प्रहार कर।

धड़ से अब कर अलग वहशियों के भाल को,
दुर्योधनों के रक्त से धरा अब लाल हो।

महिषमर्दिनी सम अब तेरी ललकार हो,
दरिन्दों के रक्त से अब भारती का श्रृंगार हो।

जो तुझे मान दे उसे नेह नीर दे,
जो तुझे पीर दे अंग उसके चीर दे।

असुरों का नाश कर अपने प्रखर ओज से,
वसुधा भी मुक्त हो पापियों के बोझ से।

त्राहि माम त्राहि माम कहें रक्तबीज सब,
देखें तुझे सुसज्जित आयुधों के संग जब।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

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  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — सुन कर पुत्री की करूँ कथा, शेरा वाली ने उस से कहा… अब ना सहो तुम अत्याचार, शक्ति रूप धारण कर सभी दानवों का अब स्वयं कर संहार तू। हर शुम्भ निशुम्भ (दानव प्रवृती के लोग) की बन के काल सर्पिणी, ले त्रिशूल हाथ में तू कर संहार तू है शक्ति रूपिणी तू। ना अपने को अबला समझ, रोने की जगह, अब सिंह सी हुंकार भर, जगा शक्ति रूप को फिर प्रचंड प्रहार कर, सभी दानवों का अब स्वयं कर संहार तू। ॥ प्रेम से बोलो जय माता दी ॥

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यह कविता (माँ दुर्गा और बेटियां।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/गीत/दोहे/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

साहित्यिक नाम : वेदस्मृति ‘कृती’
शिक्षा : एम. ए. ( अँग्रेजी साहित्य )
बी.एड. ( फ़िज़िकल )
आई आई टी . शिक्षिका ( प्राइवेट कोचिंग क्लासेज़)
लेखिका, कहानीकार, कवियित्री, समीक्षक, ( सभी विधाओं में लेखन ) अनुवादक. समाज सेविका।

अध्यक्ष : “सिद्धि एक उम्मीद महिला साहित्यिक समूह”
प्रदेश अध्यक्ष : अखिल भारतीय साहित्य सदन ( महाराष्ट्र इकाई )
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान बिहार प्रान्त की महिला प्रकोष्ठ,
श्री संस्था चैरिटेबल ट्रस्ट : प्रदेश प्रतिनिधि ( महाराष्ट्र )
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद में – सह संगठन मंत्री, मुंबई ज़िला, महाराष्ट्र
हिन्दी और अँग्रेजी दोनों विधाओं में स्वतंत्र लेखन।

अनेक प्रतिष्ठित हिन्दी/अँग्रेजी पत्र – पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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नारी सम्मान।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ नारी सम्मान। ♦

भगवान का दिया अनमोल,
उपहार, जग में नारी।
ईश्वर ने सब गुणों का,
समावेश कर, धरती पर उतारी।

त्याग, तपस्या, ममता का,
रूप इसने धारा।
जग में होती ये,
हर घर का उजियारा।

इस धरा को अपने अस्तित्व से,
प्रकाशवान किया, वो तो है नारी।
कभी पुत्री, कभी वधू , कभी माँ,
कभी सास का रूप ये धारी।

श्रृंगार, विरह, वेदना, प्रीत, ममता के,
सब रस इसमें ही समाहित।
इसके सद्गुणों का स्मरण भी,
करें प्रसन्न चित।

नारी – सम्मान को किन किन,
शब्दों से करूँ, मैं बखान।
इसके सद्गुणों पर वारी जाऊँ,
जो बढ़ा दे हर परिवार का मान।

नारी – सम्मान जग में लायें,
अमन, खुशहाली।
इनके गुणों का मान करें,
फिर हो जायें, रोज दीवाली।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – इस संसार में नारी की जगह कोई और नहीं ले सकता, नारी हर रूप में ममतामयी है। इस धरा को अपने अस्तित्व से, प्रकाशवान किया, वो तो है नारी। कभी पुत्री, कभी वधू , कभी माँ, कभी सास का रूप ये धारी। श्रृंगार, विरह, वेदना, प्रीत, ममता के, सब रस इसमें ही समाहित। इसके सद्गुणों का स्मरण भी, करें प्रसन्न चित।

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यह कविता (नारी सम्मान।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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