Kmsraj51 की कलम से…..
♦ नैतिक शिक्षा। ♦
नैतिक मूल्यों का ह्रास —
सच्चाई से मुँह नहीं मोड़ा जा सकता जीवन के हर क्षेत्र में नैतिक मूल्यों का ह्रास दृष्टिगोचर हो रहा है। राजनीति हो, व्यव्साय हो, समाज हो, कार्यालय हो या विद्यालय, हर जगह मानवीय मूल्यों में गिरावट परिलक्षित हो रही है वर्त्तमान समय में मानव इतना स्वार्थान्ध हो गया है कि उसे अपने स्वार्थ के अलावा, कुछ दिखाई नहीं देता। सिध्दान्तों, आदर्शों एंव मान्यताओं का विचार केवल किताब के पन्नों में सिमट कर रह गया है।
परमार्थ का चिन्तन व्यर्थ समझा जाने लगा हर इन्सान यह साबित करने में लगा है कि उससे अच्छा, ईमानदार कोई नहीं, फिर इतना अपराध, अन्याय कौन कर रहा है। समाज एंव देश का चारित्रिक पतन क्यों हो रहा है। हर आदमी दूसरे को दोषी मानता है, सुधार चाहता है लेकिन स्वंय को छोड़कर, यह उत्तरदायित्व केवल विद्यालय का
नहीं है। कोई भी विघालय व्देष, घृणा, हिंसा, धूसखोरी, मिलावट, धोखा एंव भ्रष्टाचार की शिक्षा नहीं देता है।
चारित्रिक पतन को रोकने के लिए…
गाय हमेशा शुध्द दूध देती है लेकिन पानी मिलाने वालों की कमी नहीं है। सुगन्धित फूलों को बचाने के लिए जहरीले पौधों को हटाना ही होगा। जब तक नैतिक शिक्षा, ईमानदारी, भाईचारा, देश प्रेम का भाव नहीं होगा तब तक भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा। नैतिक शिक्षा द्वारा मनुष्य के जीवन में सुख, शांति, प्रेम, भाईचारा, त्याग, सौहार्द एंव विश्ववंधुत्व की भावना जागृत होती है। जब तक चारित्रिक उत्थान न हो तब तक सामजिक, राजनीतिक, आर्थिक एंव वैज्ञानिक प्रगति व्यर्थ है। इच्छा शक्ति, दृढ संकल्य एंव ईमानदारी ही सभी कार्यों को सफल बनाता है। नैतिक शिक्षा-धर्म, भाषा, वर्ण, लिंग, जाति, ऊँच-नीच आदि की भावना समाप्त कर निष्पक्ष रुप से विचार करने
एंव व्यव्हार करने की प्रवृति जागृत करता है। चारित्रिक पतन को रोकने के लिए समाज का शिक्षित होना अति आवश्यक है।
सही शिक्षा-योग्य, कुलीन, अनुभवी, चरित्रवान, शिक्षक ही दे सकते हैं हर क्षेत्र में, हर व्यक्ति में, हर संस्था में सुधार की जरुरत है- नए समाज एंव देश के निर्माण के लिए।
भ्रष्टाचार तभी खत्म होगा जब कोई भ्रष्ट न हो।
“येंषा न विघा न तपो न दान
झानं न शीलं न गुणो न धर्म ।
ते मर्त्यलोके भूवि भारभूतां
मनुष्य रुपेण मृगाश्चरन्ति ।।”
शिक्षा ही अस्त्र एंव शस्त्र दोनों है। सर्प को देखकर मनुष्य खौफ खाता है लेकिन चन्दन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। शिक्षा और योग्य शिक्षक ही इन्सान को चन्दन बनाते है। जो अपनी सुगन्ध, त्याग, नम्रता, बुद्धि, से देश का नाम रौशन करते हैं। इन्सान किसी को दोषी ठहराने के लिए अंगुली उठाता है तो तीन अंगुली उसके स्वंय के तरफ इशारा करती है।
“प्रेम की मीनार उठाएं,
नफरत की दीवार गिराएं।
झूठ की बाढ़ को बांध न सकें तो,
सच की राह में रोड़ा भी न बने॥”
♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150/नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦
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- “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — सही शिक्षा-योग्य, कुलीन, अनुभवी, चरित्रवान, शिक्षक ही दे सकते हैं हर क्षेत्र में, हर व्यक्ति में, हर संस्था में सुधार की जरुरत है- नए समाज एंव देश के निर्माण के लिए। भ्रष्टाचार तभी खत्म होगा जब कोई भ्रष्ट न हो। नैतिक शिक्षा। शिक्षा ही अस्त्र एंव शस्त्र दोनों है। सर्प को देखकर मनुष्य खौफ खाता है लेकिन चन्दन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। शिक्षा और योग्य शिक्षक ही इन्सान को चन्दन बनाते है। जो अपनी सुगन्ध, त्याग, नम्रता, बुद्धि, से देश का नाम रौशन करते हैं। इन्सान किसी को दोषी ठहराने के लिए अंगुली उठाता है तो तीन अंगुली उसके स्वंय के तरफ इशारा करती है।
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यह लेख (नैतिक शिक्षा।) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।
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