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न जाने क्यों

न जाने क्यों?

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ न जाने क्यों? ♦

न जाने क्यों लोग बुराई के साथ मन का दरिया पार कर जाते हैं,
लंका पति रावण का पुतला दहन कर इंसान न जाने क्यों इतराता है॥

सियासत भी मुश्किलों से घिरी है इंसान की गोद में आकर,
बचाती हूं कारोबार तो न जाने क्यों ईमान बीच में आ जाता है॥

बहना के प्यार में रावण ने धोखे से मां सीता का हरण कर डाला,
चारों वेदों का ज्ञाता वो न जाने क्यों मां सीता को वह हाथ लगा नहीं पाता है॥

दस-दस हाथियों का बल था उसमें तीनों लोकों का स्वामी था,
इतना बलशाली होकर भी न जाने क्यों मां सीता को छू नहीं पाता है॥

इसे मैं नाम से रावण की मासूमियत कहूं या कहूं चालाकियां,
उस ज्ञानी रावण के चरित्र के आगे न जाने क्यों मन भ्रमित हो जाता है॥

कभी सोचती है विजय आज के इंसान के बारे में तो वक्त ठहरा हुआ सा नजर आता है,
मुझे तो हर गली नुक्कड़ चौराहे पर न जाने क्यों हर मोड़ पर रावण नजर आता है॥

देखती आ रही हूं कई युगों से उस रावण का पुतला इंसान जलाते आ रहे हैं,
मन में दुर्भावना लेकर न जाने क्यों रावण का पुतला दहन कर इतराता हैं॥

अरे! समझो समाज के ठेकेदारों अपने मन के रावण को मारते क्यों नहीं हो?
ज्ञानी रावण के जैसा संयम रख अपना चरित्र संवारते क्यों नहीं हो॥

मैं देखती हूं हर रोज कितनी ही लड़कियों का इंसान हनन कर रहा है,
कागज का पुतला जलाने की बजाए न जाने क्यों लोग अपने मन का रावण मारते क्यों नहीं है॥

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए; इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की हैं — मैं देखती हूं हर रोज कितनी ही लड़कियों का इंसान हनन कर रहा है, कागज का पुतला जलाने की बजाए न जाने क्यों लोग अपने मन का रावण मारते क्यों नहीं है। केवल रावण का पुतला प्रत्येक वर्ष जलाने से कुछ भी नहीं होगा, जब तक अपने मन के अंदर के रावण को हर इंसान नहीं जलाता हैं। इसलिए आओ हमसब मिलकर ये प्रण ले की अपने मन के अंदर के रावण को सदैव के लिए जलाएंगे, तभी एक सच्चे और अच्छे समाज की नींव पड़ेगी। तभी आने वाली पीढ़ी ख़ुशी-ख़ुशी अपना योगदान मानव कल्याण के लिए दे पायेगी। याद रखें – अच्छा संस्कार, अच्छा आचरण, अच्छा व्यवहार, अच्छा चरित्र, से ही एक अच्छे समाज का निर्माण होता हैं।

—————

यह कविता (न जाने क्यों?) “विजयलक्ष्मी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम विजयलक्ष्मी है। मैं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय, छारा – 2, ब्लॉक – बहादुरगढ़, जिला – झज्जर, हरियाणा में मुख्य शिक्षिका पद पर कार्यरत हूँ। मैं पढ़ाने के साथ-साथ समाज सेवा, व समय-समय पर “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” और भ्रूण हत्या पर Parents मीटिंग लेकर उनको समझाती हूँ। स्कूल शिक्षा में सुधार करते हुए बच्चों में मानसिक मजबूती को बढ़ावा देना। कोविड – 19 महामारी में भी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाना, वीडियो और वर्क शीट बनाकर भेजना, प्रश्नोत्तरी कराना, बच्चों को साप्ताहिक प्रतियोगिता कराकर सर्टिफिकेट देना। Dance Classes प्रतियोगिता का Online आयोजन कराना। स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर कार्य करना। इन सभी कार्यों के लिए शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा और कई Society द्वारा बार-बार सम्मानित किया गया।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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