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पूनम गुप्ता जी की रचनाएँ

सावित्रीबाई फुले जयंती।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ सावित्रीबाई फुले जयंती। ♦

सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को एक दलित परिवार में महाराष्ट्र के नायगांव – सतारा में हुआ था। सावित्रीबाई फुले को देश की पहली महिला शिक्षिका माना जाता है आज उनकी 192 वी जयंती है। सावित्रीबाई फुले का 9 वर्ष की आयु में ही 13 साल के ज्योतिराव फुले के साथ विवाह हो गया था, सावित्रीबाई फुले अपने क्रांतिकारी पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर बेटियों के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोले, जिसमें पहला स्कूल और 18वां स्कूल पुणे में खोला गया था।

सावित्रीबाई फुले देश की पहली अध्यापक नारी, नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता थी। असामाजिक और बुरी नीतियों के खिलाफ सावित्रीबाई फुले ने अपने पति के साथ मिलकर इसका विरोध किया। छुआछूत सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा विवाह जैसी कुरीतियों के विरुद्ध काम किया उन्होंने मजदूरों के लिए भी रात में स्कूल खोला ताकि दिन में काम पर जाने वाले मजदूर रात में अपनी पढ़ाई कर सकें और अपने पैरों पर खड़े हो सके।

गांव की छुआछूत से परेशान सावित्रीबाई फुले ने पानी न मिल पाने के लिए परेशानी होने पर अपने ही घर में एक कुआं खोद दिया था जिससे सभी लोग पानी भरा करते थे। सावित्रीबाई ने बहुत बड़ा कदम उठाया एक विधवा को आत्महत्या करने से रोका और बाद में उस महिला को अपने घर में रख कर ही उसके पुत्र को पाल पोसकर बड़ा किया और डॉक्टर बनाया। सावित्रीबाई फुले एक भारतीय समाज सुधारक शिक्षाविद और महाराष्ट्र की कवियत्री थी।

अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ महाराष्ट्र में उन्होंने भारत में महिलाओं के अधिकारों को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें भारत के नारीवाद आंदोलन की अग्रणी माना जाता है सावित्रीबाई और उनके पति ने 1848 में पुणे में भारतीय लड़कियों के पहले और आधुनिकता स्कूल की स्थापना की। जाति और लिंग के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव और अनुचित व्यवहार को भी खत्म करने का विरोध किया और वह इस काम में सफल भी हुई।

सावित्रीबाई फुले की जयंती के दिन राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। सावित्रीबाई फुले का पूरा जीवन समाज सेवा में निकला। गलत लोगों के खिलाफ आवाज उठाई। समाज की कुरीतियों के खिलाफ उन्होंने आंदोलन किया, महिलाओं की हक के लिए लड़ी, और 1897 में प्लेग महामारी आने पर लोगों की सेवा करते-करते उन्होंने अंतिम सांस ली। लेकिन वह लोगों की सेवा करती रही ऐसे में सावित्रीबाई भी इसकी चपेट में आ गई और 10 मार्च 1897 को उनका निधन हो गया।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — सावित्रीबाई फुले एक भारतीय समाज सुधारक शिक्षाविद और महाराष्ट्र की कवियत्री थी। सावित्रीबाई फुले देश की पहली अध्यापक नारी, नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता थी। असामाजिक और बुरी नीतियों के खिलाफ सावित्रीबाई फुले ने अपने पति के साथ मिलकर इसका विरोध किया। छुआछूत सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा विवाह जैसी कुरीतियों के विरुद्ध काम किया उन्होंने मजदूरों के लिए भी रात में स्कूल खोला ताकि दिन में काम पर जाने वाले मजदूर रात में अपनी पढ़ाई कर सकें और अपने पैरों पर खड़े हो सके।

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यह लेख (सावित्रीबाई फुले जयंती।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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गुरु पूर्णिमा।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ गुरु पूर्णिमा। ♦

हिंदू मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा का त्यौहार आषाढ़ माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान से भी बढ़कर माना जाता है। संस्कृति में “गु” का अर्थ होता है अंधकार (अज्ञान) एवं “रु” का अर्थ होता है प्रकाश, ज्ञान गुरु हमें अज्ञान रूपी अंधकार से (ज्ञान) रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं।

गुरु को महत्व देने के लिए महान गुरु वेदव्यास जी की जयंती पर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इसी दिन भगवान शिव द्वारा अपने शिष्यों को ज्ञान दिया गया।

इस दिन कई महान गुरुओं का जन्म भी हुआ था, लोगों को ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसी दिन गौतम बुद्ध ने धर्म चक्र का परिवर्तन किया था। इस दिन गुरु पूजन का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म के अनुसार यह तिथि वेदव्यास की जयंती भी मनाई जाती है और विधिवत पूजन भी किया जाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार महर्षि वेद व्यास जी का भी जन्म हुआ था और इन्हें प्रथम गुरु का स्थान भी मिला है।

सारनाथ में गौतम बुद्ध अपने पहले 5 शिष्यो को पहला उपदेश देने के लिए गुरु पूर्णिमा मनाई जाती रही है। हिंदू और जैन धर्म में भी अपने शिक्षकों का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार है गुरु ही शिष्य का मार्गदर्शन करते हैं और वही जीवन को पूर्ण बनाते हैं। भारतीय संस्कृति में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई है। जीवन के विकास के लिए गुरु की अत्यधिक की आवश्यकता होती है।

गुरु के साथ रहकर प्रवचन आशीर्वाद अनुग्रह जैसे; गुरु जो मिल जाए तो उसका कृतार्थ जीवन भर रहता है। क्योंकि बिना गुरु के न आत्म दर्शन होता है न ही परमात्मा दर्शन इस दिन गुरु दीक्षा भी लेने का अवसर होता है।

गुरु हमें जिंदगी में एक जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनाने में हमारी सहायता करते हैं। वही हमें जीवन जीने का असली तरीका सिखाते हैं; और वही हमें जीवन के राह पर ता-उम्र सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। जिस तरह से शिक्षक हमें शिक्षा और ज्ञान के जरिए बेहतर इंसान बनाने के लिए जो मेहनत करता है। वही स्थान गुरु का होता है।

गुरु हमें अंधकार भरे जीवन से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु एक दीपक की भांति होता है जो अपने शिष्यों के जीवन को प्रकार से भर देते हैं। विद्यार्थी जीवन में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। गुरु विद्यार्थी को हर प्रकार के विषय से संबंधित ज्ञान देते हैं; और जीवन के अलग-अलग पड़ाव पर मुसीबतों से लड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु के बिना किसी का कोई जीवन नहीं होता है गुरु ही शिष्य के व्यक्तित्व का विकास करने में अत्यधिक सहायक होते हैं।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — गुरु हमें जिंदगी में एक जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनाने में हमारी सहायता करते हैं। वही हमें जीवन जीने का असली तरीका सिखाते हैं; और वही हमें जीवन के राह पर ता-उम्र सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु हमें अंधकार भरे जीवन से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु एक दीपक की भांति होता है जो अपने शिष्यों के जीवन को प्रकार से भर देते हैं। विद्यार्थी जीवन में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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यह लेख (गुरु पूर्णिमा।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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योग दिवस।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ योग दिवस। ♦

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस हर वर्ष 21 जून को मनाया जाता है। पहला अंतराष्ट्रीय योग दिवस 2015 में मनाया गया था तबसे ही इसकी शुरूआत हुई। इस दिन विश्व में करोड़ो लोगों ने योग किया। योग व्यायाम एक प्रभावशाली प्रकार है जिसके माध्यम से शरीर के अन्य अंगों को मजबूत बनाया जा सकता है।

मन, मस्तिष्क और आत्मा में संतुलन बनाया जाता है योग से अनेक प्रकार के लाभ होते है जब हम ज्यादा थकान महसूस करते है तो योगा करने से हमें थोड़ी शांति मिलती है ये अनेक प्रकार से लाभकारी है यही कारण है योग से शारीरिक और मानसिक बीमारियों से मुक्ति मिल सकती है।

योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द के युज शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है आत्मा का सार्वभोमिक मिलन चेतना से होता है।

योग दस हजार वर्ष से अपनाया जा रहा है। हिन्दू धर्म में योग साधु, संतों के द्वारा प्राचीन काल से अपनाया गया है। योग की महिमा को आधुनिक युग में एक विधा के रूप अपनाया गया है।

आज की जीवन शैली को देखते हुए यह बहुत जरूरी हो गया है कि हम अपनी व्यस्त जिंदगी में से थोड़ा समय निकाल कर योग करें और अपने स्वास्थ्य को ठीक रखें। जब शरीर स्वस्थ होगा तो मन भी स्वस्थ होगा। जब ही देश का हर एक नागरिक स्वस्थ होगा तब ही वो देश की सेवा में अपना सहयोग दे पाएंगे।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस प्रत्येक वर्ष 21 जून को मनाया जाता है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ही इस दिन को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव दिया था। योग का अभ्यास एक बेहतर इंसान बनने के साथ एक तेज दिमाग, स्वस्थ दिल और एक सुकून भरे शरीर को पाने के तरीकों में से एक है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — योग आकाश के नीचे लगभग किसी भी बीमारी को ठीक कर सकता है। वास्तव में यह कहना उचित होगा कि यदि आप प्रतिदिन योग का अभ्यास करते हैं तो आप सभी रोगों से मुक्त रह सकते हैं। योग एक कला है जो हमारे शरीर, मन और आत्मा को एक साथ जोड़ता है और हमें मजबूत और शांतिपूर्ण बनाता है। योग आवश्यक है क्योंकि यह हमें फिट रखता है, तनाव को कम करने में मदद करता है और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखता है और एक स्वस्थ मन ही अच्छी तरह से ध्यान केंद्रित करने में सहायता कर सकता है। योग के अभ्यास की कला व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। यह भौतिक और मानसिक संतुलन कर के शान्त शरीर और मन प्राप्त करवाता हैं। तनाव और चिंता का प्रबंधन करके आपको राहत देता हैं। यह शरीर में लचीलापन, मांसपेशियों को मजबूत करने और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने में भी मदद करता हैं।

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यह लेख (योग दिवस।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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