Kmsraj51 की कलम से…..
♦ प्रकृति तेरे रंग। ♦
प्रकृति तेरे रंग के आगे
हर रंग फीका।
तेरे दिए रंगों को देखकर
इंसान ने सीखा रंगों का सलीका।
गर्व करता है पगला कि
कितने रंगों से सजा दिया मैंने पहनावा।
कुदरत के हर फूल, पत्ती में रंग नया,
तू तो करता बस दिखावा।
हर फूल, फल के रस का
नया ही रंग रूप।
इंसान तूने रसायन का कर प्रयोग,
बदल दिया इनका स्वरूप।
प्रकृति की हर शह अपनी
कलाकृति के लिए है मशहूर।
इसके हर रंग, रूप, कला में सरूर।
जब – जब निहारों इसको तुम,
हो जाये अपनी प्रकृति पर गरूर।
♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦
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- “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – इस कविता में कवयित्री ने प्रकृति के गुणों और खूबियों का महत्व बयां किया है। इंसानियत के सुख और खुशियों के लिए, प्रकृति का सुन्दर मनोहर उपहार मिला।
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यह कविता (प्रकृति तेरे रंग।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।
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