• Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • HOME
  • ABOUT
    • Authors Intro
  • QUOTES
  • POETRY
    • ग़ज़ल व शायरी
  • STORIES
  • निबंध व जीवनी
  • Health Tips
  • CAREER DEVELOPMENT
  • STUDENT PAGE
  • योग व ध्यान

KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

Check out Namecheap’s best Promotions!

Domain & Hosting bundle deals!
You are here: Home / Archives for प्रकृति पर कविता शायरी

प्रकृति पर कविता शायरी

श्रीगन्ध बयार।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ श्रीगन्ध बयार। ♦

देखो आई श्रीगन्ध बयार रे,
किस दूरागत अनजान दिश से,
अलीयों की बहीर रे,
देखो आई श्रीगन्ध बयार रे।

असन्नद्ध आरस स्मित जोबन सिन,
मदिर शैया पर आसक्त बेजान।
कंपित कुसुमरेणु सा अवसन्न,
पसर गई विभावती चिकुरों की,
मंजरी भरी लर रे।

सार बूंदों का कोमल परस ले,
तिमिरारपु दग्ध फुलवा मुकुलों के,
बिखरा सौरभ का आलोक रे,
पल्लवन अबोध खड़ी सपनों की,
अमल वहती के कूल रे।

वनदेवी के नूतन वनांचल के अनुहार,
हिल रहा धरुण धवल शून्य तिमिर।
खुला धाराधर काल मिहिर-मयंक अनुहार,
कांत-निसर्ग प्राण बन कितने लुढ़क रहे।
क्षीर-वीर्य रे, देखो आई श्रीगन्ध बयार रे।

अर्थ: श्रीगन्ध = चंदन, अलीयों = भौंरा, बहीर = भीड़, कुसुमरेणु = केसर,
चिकुर = बाल(केश), वहती = नदी, धरुण = आग,
क्षीर-वीर्य = आत्मबल, परस = स्पर्श, स्मित = अधखिला पुष्प

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — प्रकृति की सुंदरता देखते ही बनती है हरी-भरी प्रकृति के कारण ही हमारा जीवन इतना अच्छा सरल सुन्दर है। बहती नदी के पानी का कलकल की आवाज मन को सुकून देता है। प्रकति के बीच रहने पर चंदन सा सुगन्धित जीवन व आत्मबल भी तेज होता है। सदैव रंग बदलती यह प्रकृति हर पल मन को भाए, नभ में कभी बादल तो कभी नीला आसमां हो जाए, जो मन को भाये, रूप तेरा (प्रकृति) देख कर हर किसी का मन मोहित हो जाए। प्रकृति हमें सब से प्रेम करना सिखाए। सुन्दर पक्षियों की मधुर आवाज मन को सदैव ही प्रफुल्लित कर जाये।

—————

यह कविता (श्रीगन्ध बयार।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ® ———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं! ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: kavi satish shekhar srivastava parimal, Poems of Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', poet Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', प्रकृति पर कविता, प्रकृति पर कविता शायरी, प्रकृति प्रेम पर शायरी, प्राकृतिक सौंदर्य शायरी, बहारों के दिन आ गये, सतीश शेखर श्रीवास्तव - परिमल, सतीश शेखर श्रीवास्तव – परिमल

बहारों के दिन आ गये।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ बहारों के दिन आ गये। ♦

देखो रे! बहारों के दिन आ गये,
कलिका बालाओं के रदों पर मधुकर गीत छाये।

अबोध वल्लरियों सार पनघट पर,
ले तरुणाई अंतर्घट हर्षित अंतर।

हँस रही अँखियों में अलसाई मधुल अनुराग भाये,
विपिन अमरी की रोमलताओं सी।

आनंदित हो उठी पर्ववल्ली दल इंदिरा श्री,
मीहिका कनों के धंधला कितने श्रम धूलिका लहराये।

कोरक कुंतल ने विभु लालसा से,
‘परिमल’ प्रसिद्ध प्रीति लज्जा से।

सौंदर्यांचल में मनोहर धुलि से मुक्तामणि बिखराये,
देखो रे! बहारों के दिन आ गये।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — प्रकृति की सुंदरता देखते ही बनती है हरी-भरी प्रकृति के कारण ही हमारा जीवन इतना अच्छा सरल सुन्दर है। सदैव रंग बदलती यह प्रकृति हर पल मन को भाए, नभ में कभी बादल तो कभी नीला आसमां हो जाए, जो मन को भाये, रूप तेरा (प्रकृति) देख कर हर किसी का मन मोहित हो जाए। प्रकृति हमें सब से प्रेम करना सिखाए। सुन्दर पक्षियों की मधुर आवाज मन को सदैव ही प्रफुल्लित कर जाये।

—————

यह कविता (बहारों के दिन आ गये।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ® ———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं! ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Poems of Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', poet Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', प्रकृति पर कविता, प्रकृति पर कविता शायरी, प्रकृति प्रेम पर शायरी, प्राकृतिक सौंदर्य शायरी, बहारों के दिन आ गये, सतीश शेखर श्रीवास्तव - परिमल

प्रकृति तेरे रंग।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ प्रकृति तेरे रंग। ♦

प्रकृति तेरे रंग के आगे
हर रंग फीका।
तेरे दिए रंगों को देखकर
इंसान ने सीखा रंगों का सलीका।

गर्व करता है पगला कि
कितने रंगों से सजा दिया मैंने पहनावा।
कुदरत के हर फूल, पत्ती में रंग नया,
तू तो करता बस दिखावा।

हर फूल, फल के रस का
नया ही रंग रूप।
इंसान तूने रसायन का कर प्रयोग,
बदल दिया इनका स्वरूप।

प्रकृति की हर शह अपनी
कलाकृति के लिए है मशहूर।
इसके हर रंग, रूप, कला में सरूर।
जब – जब निहारों इसको तुम,
हो जाये अपनी प्रकृति पर गरूर।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – इस कविता में कवयित्री ने प्रकृति के गुणों और खूबियों का महत्व बयां किया है। इंसानियत के सुख और खुशियों के लिए, प्रकृति का सुन्दर मनोहर उपहार मिला।

—————

यह कविता (प्रकृति तेरे रंग।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ® ———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है: kmsraj51@hotmail.com. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

cymt-kmsraj51

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

 

 

____Copyright ©Kmsraj51.com  All Rights Reserved.____

Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, सुशीला देवी जी की कविताये।, हिंदी कविता, हिन्दी साहित्य, हिन्दी-कविता Tagged With: Poem about nature beauty, poem about nature beauty in hindi, poem in hindi, Poem on Nature for Kids, Poem on Nature in Hindi, Self made poem on nature, short poem on nature in hindi, sushila devi hindi poems, sushila devi poems, The best poems on nature, कुदरत पर कविता, कोरोना और प्रकृति पर कविता, प्रकृति और मानव पर कविता, प्रकृति तेरे रंग, प्रकृति पर कविता शायरी, प्रकृति पर कविता हिंदी में, प्रकृति पर बच्चों के लिए कविता, प्रकृति पर सुंदर शायरी, प्रकृति पर सुविचार हिंदी, सुशीला देवी जी की कविताये

Primary Sidebar

Recent Posts

  • लोहारी नहीं डूबा।
  • दर्दे दिल।
  • आया तूफान।
  • सफर।
  • बेजार।
  • ओ माझी रे।
  • इक प्रयास।
  • इक प्रयास।
  • स्त्री।
  • जागो अब तो जागो।
  • मंत्र को गुप्त क्यों रखा जाता है?
  • यही हमारा नारा है।
  • बल के लिए।
  • आन बान आउर शान बा।
  • सैनिक का सैनिक।
  • आज आजादी है हमको मिली तो।
  • हो जाओ तैयार।

KMSRAJ51: Motivational Speaker

https://www.youtube.com/watch?v=0XYeLGPGmII

BEST OF KMSRAJ51.COM

लोहारी नहीं डूबा।

दर्दे दिल।

आया तूफान।

सफर।

बेजार।

ओ माझी रे।

इक प्रयास।

इक प्रयास।

स्त्री।

जागो अब तो जागो।

मंत्र को गुप्त क्यों रखा जाता है?

Audiobooks Now

AudiobooksNow - Digital Audiobooks for Less

Affiliate Marketing Network

HD – Camera

Free Domain Privacy

Footer

Protected by Copyscape

KMSRAJ51

DMCA.com Protection Status

Copyright © 2013 - 2023 KMSRAJ51.COM - All Rights Reserved. KMSRAJ51® is a registered trademark.