• Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • HOME
  • ABOUT
    • Authors Intro
  • QUOTES
  • POETRY
    • ग़ज़ल व शायरी
  • STORIES
  • निबंध व जीवनी
  • Health Tips
  • CAREER DEVELOPMENT
  • STUDENT PAGE
  • योग व ध्यान

KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

Check out Namecheap’s best Promotions!

Domain & Hosting bundle deals!
You are here: Home / Archives for प्रसिद्ध प्रेरक कविता

प्रसिद्ध प्रेरक कविता

सूना-सूना दूर गगन है।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ सूना-सूना दूर गगन है। ♦

प्रेम के धागे टूटे, टूटा रक्त का संबंध,
बोलते मुखड़े पर, सूना-सूना दूर गगन है।

रुनझुन गाती भोर है,
दालान की साँझ सुहानी।
कच्ची गलियाँ गाँवों की,
बन गई बिसरी कहानी।
घनी छाँव पीपल की,
ढूँढ़ता श्रापित मन है।

रसभरी अमराईयों की,
वेदना प्राणों में जन्मती।
रह गये आँखों में अश्रु अकेले,
खोजती अँखियां नेह प्रीति।
हाय! बेचैनियाँ अधरों पर,
मोह यादों की चुभन है।

रहा मानस के जंगल में,
पहन स्वांगों के मुखौटे।
हर दिन ताजा चोट लेकर,
किंवाड़ पीछे साँझ लौटे।
कुहासों में घुली साँस है,
घावों की थकन पाँव में है।

निरर्थक सी जिंदगी को,
जी रही गुमसुम उदासी।
श्याम-शित पन्थों पर भटकती,
पी कोलाहल की आशा प्यासी।
अनुरक्ति में कसमसाता वह,
आज तक लड़कपन है।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

यह कविता (सूना-सूना दूर गगन है।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: hindi poem, motivational poem in hindi, Poems of Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', उत्साह बढ़ाने वाली कविता, प्रसिद्ध प्रेरक कविता, प्रेरणा देने वाली कविता, लें संकल्प पुनरावर्तन का - सतीश शेखर श्रीवास्तव परिमल, सतीश शेखर श्रीवास्तव – परिमल, सीख देने वाली कविता, सूना-सूना दूर गगन है, सूना-सूना दूर गगन है - सतीश शेखर श्रीवास्तव परिमल, हौसला बढ़ाने वाली प्रेरक कविता

लें संकल्प पुनरावर्तन का।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ लें संकल्प पुनरावर्तन का। ♦

अंतस् का विश्वास यह स्वर्ण-चक्र रुके नहीं,
मानस की सुमंगली कुंकुम कभी चुके नहीं।

प्रवाह रहे झिलमिल,
जैसे आदित्य की थाल।
वृन्तों पर अतीत के,
खिले आगम श्रीवास।
नैनों में धूप रक्तिम,
रंग उन अधरों की।
जिसके गातों तनुरूह में,
सिन्धुनंदनी की कली।

छाँव में पलकों के कलाधार कभी थके नहीं,
मानस की सुमंगली कुंकुम कभी चुके नहीं।

मन-आत्मा का अटल विश्वास,
धरा में जैसे ज्वाल रहे।
नजरों की अँगड़ाईयों में,
जैसे अदृश्य मनुहार रहे।
मिट्टी की खुशबू जल में,
विटप-वृंद में बयार रहे।
विचारों की शुचीर्य की,
पैदावार बारंबार रहे।

उर-अंतस्-प्राणों के संघर्षों में वेदनायें कभी दुखे नहीं,
मानस की सुमंगली कुंकुम कभी चुके नहीं।

भावी समय के पन्थ मिले,
अल्पना की कल्पना रंग भरे।
यामित रक्षित कंगूरों पर,
देश भविष्य का दीप धरे।
श्रद्धा आलंब आधार पर,
कभी न धूमिल साँझ घिरे।
आयुष्य प्रखर सुर-ताल बने,
युगों – युगों तक विश्व में,
भारत की जय गान बजे।

चरणों में अनाचार के मनु-आर्य के कभी झुके नहीं,
मानस के सुमंगली कुंकुम कभी चुके नहीं।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

यह कविता (लें संकल्प पुनरावर्तन का।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: hindi poem, motivational poem in hindi, Poems of Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', उत्साह बढ़ाने वाली कविता, प्रसिद्ध प्रेरक कविता, प्रेरणा देने वाली कविता, लें संकल्प पुनरावर्तन का - सतीश शेखर श्रीवास्तव परिमल, सतीश शेखर श्रीवास्तव - परिमल, सीख देने वाली कविता, हौसला बढ़ाने वाली प्रेरक कविता

आज न होगा।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ आज न होगा। ♦

आज न होगा कोई मंगल गान प्रिये,
विपदा में व्यथित जो समूची धरती है।
नफरत के शोलों से विदीर्ण हर वक्ष आज है,
मानवता तिल – तिल कर आज यहां मरती है।

दर्द का दरिया बह रहा है दिल में,
हृदय की जमीन हो गई अब परती है।
मानस कल्पना की लहरों से भी अब तो,
आक्रोश – कटाक्ष की आग ही झड़ती है।

अतृप्त लालसाओं ने जग को है घेरा,
स्वार्थ बेड़ियों ने रूह ही मानो जकड़ी है।
अब उठती ही कहां है कोमल भावनाएं मन में?
हृदय भाव की गति भौतिकता ने जो जकड़ी है।

होता न आदर आज गांव के गलियारों में,
शहरों में तो पहले से ही रही आपाधापी है।
आज न नातों – रिश्तों की कद्र है कहीं पर,
मानव रूप में पाश्विक सभ्यता देखो आती है।

गांव की गुड्डी को गभरू बहन यहां कहते थे,
आज नव जवान देहाती भी खुराफाती है।
महफूज कहां रही अब अस्मत बहू – बेटी की?
वह अपनों के ही हाथों आज लूटी जाती है।

पढ़े-लिखे आदिमानव हो चले हैं हम क्या?
अर्धनग्न घूमते हैं और मद्य – मांस ही खाते हैं।
पशु सी करते हैं करतूतें सब उन्मादी में,
फिर खुद को सभ्य – सुसंस्कृत मानव बताते हैं।

हाय – हाय री! फैशन लाचारी और मानव दुर्दशे,
सच में आज विद्रूपता है जीती और हम है हारे।
शहर – शहर और गांव – गांव में देखो आज तुम,
हर कोई फिरते हैं फैशन के पीछे मारे – मारे।

आज न होगा कोई मंगल गान प्रिये,
इन सब घटनाओं से भीतर भारी पीड़ा है।
मानव समाज में विकृतियों आते देख को,
सोचता हूं, यह विधि की कैसी क्रीड़ा है?

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

Must Read : क्या लिव इन रिलेशनशिप ठीक है?

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — समस्त संसार का एक ही मूलमंत्र होना चाहिए, वो है जीवमात्र पर दया करना। यह दया भाव मनुष्य का मनुष्य के प्रति या मनुष्य का अन्य जीवों के प्रति होती है। जीवमात्र पर दया करना ही मानवता है। पृथ्वी पर मनुष्य सबसे उत्तम और सर्वश्रेष्ठ प्रजाति है। पर आजकल हो क्या रहा है? इसके बिलकुल उलट – सबकुछ हो रहा है आज का मानव शैतान व राक्षस हो गया है, शराब पीना, मांस खाना, बलात्कार करना, काम वासना व नशे में चूर होकर बड़े से बड़ा विकर्म करने से भी जरा भी नही डरता, क्यों ? पूर्ण रूप से शैतान व राक्षस बन गया है आज का मानव पढ़-लिखकर भी ऐसे कुकर्म करने से पहले एक बार भी नहीं सोचता की आने वाली पीढ़ी के लिए हम क्या सीख दे रहे हैं, हद हैं तेरी रे मानव क्या से क्या हो गया तू !

—————

यह कविता (आज न होगा।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं। Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur poems, Inspiring Poems in Hindi, kavi hemraj thakur, motivational poem in hindi, poem in hindi, Poem on Humanity in Hindi, आज न होगा, आज न होगा - हेमराज ठाकुर, प्रसिद्ध प्रेरक कविता, प्रेरणा देने वाली कविता, प्रेरणादायक हिंदी कविता संग्रह, मानवता पर कविता, मोटिवेशनल कविता हिंदी में, विद्यार्थियों के लिए प्रेरक कविता, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं

Primary Sidebar

Recent Posts

  • ब्रह्मचारिणी माता।
  • हमारा बिहार।
  • शहीद दिवस।
  • स्वागत विक्रम संवत 2080
  • नव संवत्सर आया है।
  • वैरागी जीवन।
  • मेरी कविता।
  • प्रकृति के रंग।
  • फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।
  • यह डूबती सांझ।
  • 10th Foundation Day of KMSRAJ51
  • प्रकृति और होरी।
  • तुम से ही।
  • होली के रंग खुशियों के संग।
  • आओ खेले पुरानी होली।
  • हे नारी तू।
  • रस आनन्द इस होली में।

KMSRAJ51: Motivational Speaker

https://www.youtube.com/watch?v=0XYeLGPGmII

BEST OF KMSRAJ51.COM

ब्रह्मचारिणी माता।

हमारा बिहार।

शहीद दिवस।

स्वागत विक्रम संवत 2080

नव संवत्सर आया है।

वैरागी जीवन।

मेरी कविता।

प्रकृति के रंग।

फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।

यह डूबती सांझ।

10th Foundation Day of KMSRAJ51

Audiobooks Now

AudiobooksNow - Digital Audiobooks for Less

Affiliate Marketing Network

HD – Camera

Free Domain Privacy

Footer

Protected by Copyscape

KMSRAJ51

DMCA.com Protection Status

Copyright © 2013 - 2023 KMSRAJ51.COM - All Rights Reserved. KMSRAJ51® is a registered trademark.