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You are here: Home / Archives for प्रेम का अहसास कविता

प्रेम का अहसास कविता

हो गए जुदा हम मिलने से पहले।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ हो गए जुदा हम मिलने से पहले। ♦

ढह गये उम्मीदों के स्तंभ,
छत बनने से पहले,
हो गये जुदा हम मिलने से पहले।

रह गई तड़पती, ए रूह जिंदगानी,
हुईं ना मुक्कमल जुबां की रुहानी।
बूझ गये दीये तमाम, जलने से पहले,
हो गये जुदा हम, मिलने से पहले।

ख़्वाहिश थी दिल की दीदार-ए-स़नम की,
रह गई अधूरी मेरे बात मन की।
मुरझा गये फूल, खिलने से पहले,
हो गये जुदा हम, मिलने से पहले।

एक रोज आंधी चली इस क़दर की,
बिखरे ये अरमां हुए दर बदर की।
सात टूटे वचन साथ चलने से पहले,
हो गये जुदा हम, मिलने से पहले।

ना उससे शिकायत ना मुझमे कमी थी,
दोनों के आंखों में ऐसी नमी थी।
बने थे एक दूजे के एक होने से पहले,
पर हो गये जुदा हम, मिलने से पहले।

♦ अमित प्रेमशंकर जी — एदला-सिमरिया, जिला–चतरा, झारखण्ड ♦

—————

Conclusion

  • “अमित प्रेमशंकर“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — जब भी इंसान किसी से बेहद प्यार करते, जो दिल के बहुत करीब होते है और वो अपना बनने वाला होता है, लेकिन अपना बनने से पहले ही हमसे दूर चला जाता है उस समय मन की क्या परिस्थिति, मन में क्या उथल – पुथल चलता है, इसका बहुत सटीक वर्णन किया है।

—————

यह कविता (हो गए जुदा हम मिलने से पहले।) “अमित प्रेमशंकर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। आपकी ज्यादातर कविताएं युवा पीढ़ी को जागृत करने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

नाम: अमित प्रेमशंकर
पता: एदला – सिमरिया
जिला: चतरा (झारखण्ड)
सम्प्रति: कवि, गीतकार व ढोलक वादक।

प्रकाशित पुस्तकें: आत्म सृजन, काव्य श्री, एक नई मधुशाला १, एक नई मधुशाला २, भावों के मोती, व अक्षर पुरूष।
प्रकाशित रचनाएं: देश के अलग-अलग पत्र पत्रिकाओं मे लगभग दो सौ रचनाएं प्रकाशित व समय समय पर सामाचार पत्रों के माध्यम से पत्राचार।
विशेष: “सीता माता सी कोई नहीं” तथा “आज राम जी आएंगे” महाराष्ट्र के वरिष्ठ साहित्यकार श्री ओ. सी. पटले द्वारा पोवारी भाषा में अनुवाद।

प्राप्त सम्मान: काव्य श्री साहित्य सम्मान, आत्म सृजन साहित्य सम्मान, सरदार भगतसिंह साहित्य सम्मान, सुमित्रानंदन पंत कृति सम्मान, साहित्य कर्नल सम्मान, रैदास साहित्य सम्मान, द फेस ऑफ इंडिया सम्मान, दिल्ली युथ डेवलपमेंट से सम्मानित।
प्रकाशनार्थ: मन की धारा

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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रिश्तों का गणित।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ रिश्तों का गणित। ♦

रिश्तों का गणित
अक्सर कहते हैं लोग मुझे,
मैं गणित का ज्ञान रखती नहीं।
करती हूं किस प्रकार गृहस्ती में काम,
कुछ तो करो इस का बखान॥

चलो – गणित की शुरुआत,
मैं कुछ इस प्रकार करती हूं !
शून्य से प्रारंभ कर,
शून्य से ही अंत करती हूं॥

माना अंकगणित से,
ज्यादा नाता रखती नहीं।
पर इतना तो जरूर है,
की रिश्तों में मैं ज्यादा,
गुणा भाग करती नहीं॥

जोड़ना हो अगर तो,
दिलों को मैं जोड़ना हूं जानती।
घटने और घटाने की बात आए तो,
मैं नफरतों को देती हूं घटा॥

समीकरण तो ज्यादा समझ में आते नहीं,
पर रिश्तों में सामंजस्यता बैठा लेती हूं।
उठता है अगर अहंकार का जोड़ वाला चिन्ह,
तो उसे मैं दो मीठे बोल बोलकर घटा ही लेती हूं॥

ज्यादा पहाड़े तो आते नहीं,
लेकिन मुट्ठी भर खुशियों को,
उम्मीद के दामन के साथ गुणा करके,
पहाड़ जितना बना देती हूँ॥

हवा चलती है जब परेशानियों की,
तो मैं भाग कर देती हूं।
थोड़ी उम्मीद में देती हूं बाँट,
थोडा सब्र रखने की करती हूं बात॥

फिर भी जोड़ गुणा भाग – घटा,
में रह जाए कोष्ठक जैसा कोई सवाल,
उसे भी अलग रखकर देती हूं।
रिश्ते में नई पहचान,
ताकि वो ना हो जाये परेशान॥

अंको की इस भीड़ में फिर भी,
अपनी पहचान शून्य ही बताती हूँ।
शून्य से शुरुआत करके – शून्य,
पर ही खत्म हो जाती हूं॥

♦ कविता पाल जी – नई दिल्ली ♦

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  • “कविता पाल जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए समझाने की कोशिश की हैं — रिश्ता चाहे कोई भी है, उतार चढ़ाव तो रिश्तों में आता रहता है, प्रेम, समर्पण और समझदारी से हरेक रिश्तों को संभाला जा सकता हैं। रिश्तों का गणित तो बहुत सरल है बस जरूरत है समझदारी के साथ सभी से तालमेल बनाकर चलने की। चाहे बड़े हो या छोटे सबको प्रेम से मिलजुल कर रहना चाहिए। सभी का आदर व सम्मान करना चाहिए। मिलजुल कर हर एक कार्य करना चाहिए। आओ हम सब मिलकर एक सुखमय समाज का निर्माण करें।

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यह कविता (रिश्तों का गणित।) ” कविता पाल जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/गीत/दोहे/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए, माता रानी की कृपा से।

नाम : कविता पाल
शिक्षा : पुस्तकालय विज्ञान में D.LIS, B.LIS, और M.LIS
PG Diploma in YOGA.

शौक : अध्यापन, लेखन, समाज सेवा द्वारा महिलाओं की स्थिति में जागरूकता लाना।

— अपने बारे में कुछ शब्द साहित्यिक गतिविधियां काव्य लेखन, गद्य लेखन एवं फेसबुक के विभिन्न साहित्यिक समूहों में सक्रिय सहभागिता रहती है अतः सक्रिय लेखक सम्मान एवं पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।
— मेरे द्वारा फेसबुक पर अनमोल अल्फाज नामक पेज का संचालन भी किया जाता है। जिसका एकमात्र उद्देश्य समाज में मेरी कविताओं द्वारा महिलाओं एवं अन्य क्षेत्र में जागरूकता का कार्य करना है।

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कुछ यादें हैं – जो गुदगुदाया करती हैं।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ कुछ यादें हैं – जो गुदगुदाया करती हैं। ♦

सच कहा है किसी ने ओ संग दिल,
कि मुहब्बत कभी भी नहीं मरती है।
आज भी स्मृति के एक कोने में प्रिये,
कुछ यादें हैं, जो गुदगुदाया करती हैं।

मिलना, मिलकर फिर से बिछुडना,
यह रीत संसार की बहुत पुरानी है।
है कुछ नहीं और यह जिन्दगी प्रिये,
बस खट्टी – मीठी यादों की कहानी है।

क्यों लड़ते – झगड़ते हैं ये लोग यहां?
न जाने क्यों होती इन्हे यह परेशानी है?
मुहब्बत का फलक है विशाल इतना कि,
समेटने को छोटी पड़ जाती जिंदगानी है।

बहते जल की मानिद यह जिंदगानी,
क्षण – क्षण निरन्तर बह जाया करती है।
आज तुम नहीं हो पास तो क्या हुआ?
कुछ यादें हैं, जो गुदगुदाया करती हैं।

हो जाता हूं अकेला मैं भीड़ में भी जब,
तो तुम्हारी यादों के सहारे तब जीता हूं।
मायूसियां करती हैं जब परेशान घना तो,
तब तेरी यादों के साए में गमों को पिता हूं।

प्रियतम क्या होता है? ओ दिलजानी!
खोने के बाद जिंदगी महसूस करती है।
फिर भीगे से जिंदगी के इस दामन में,
कुछ यादें हैं, जो गुदगुदाया करती हैं।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

• Conclusion •

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — यादें ही इंसान के मन पटल पर लम्बे समय तक बनी रहती है। यादें ही वह ऊर्जा है जो बीते हुए कल व किसी अपने से बिछुडने पर हम यादों के जरिए अच्छा महसूस करते हैं। यादें किसी के भी साथ बिताये हुए पल का रिकॉर्डिंग हैं जो मन में रिकॉर्ड रहता है। यादों के बिना भावनाओं का कोई महत्व नहीं है इस संसार में। चाहे वो यादें किसी की भी हो।

—————

यह कविता (कुछ यादें हैं – जो गुदगुदाया करती हैं।) “हेमराज ठाकुर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता, हेमराज ठाकुर जी की कविताये। Tagged With: author hemraj thakur, heart touching love poem in hindi for girlfriend, hemraj thakur poems, hindi romantic poem for girlfriend, love poem in hindi for girlfriend, love poems in hindi, poem in hindi, poet hemraj thakur, romantic love poems for her in hindi, romantic love poems in hindi, short poem for girlfriend in hindi, कुछ यादें हैं - जो गुदगुदाया करती हैं, पवित्र प्रेम कविता, प्रेम का अहसास कविता, प्रेम विरह कविता, बेहद रोमांटिक कविता, रोमांटिक कविता इन हिंदी, हेमराज ठाकुर जी की कविताये

यादों में तुम हो।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ यादों में तुम हो। ♦

लबों पे वो, बाहों में ये, ख़्वाबों में तुम हो।
हर घड़ी हर पहर यादों में तुम हो॥

कैसी कशमकश है दुनिया हमारी,
सब कुछ मिला, न मिला दिलकरारी।
हिम्मत नहीं खुदकुशी की ऐ जानम,
कैसे बताऊं, है क्या बेकरारी॥

जिता हूँ तुमसे… मेरी सांसों में तुम हो।
हर घड़ी हर पहर यादों में तुम हो॥

जिस्म में और कोई, बातों में और कोई,
हृदय की ध्वनि में तेरे सिवा न और कोई।
जागूं तो तुम, सोऊं तो तुम, रोऊं तो तुम,
मेरे एक – एक इंद्रियों में ऐसे हो तुम खोई॥

सच यही है.मेरे जलते जज़्बातों में तुम हो।
हर घड़ी हर पहर यादों में तुम हो॥

ये थके हारे नैन अटके हैं कल पर,
तुझे ढूंढती है हरदम, प्रेमियों के पटल पर।
तेरे दरस बिन मचलती है आहें।
टीका लगा दे मेरे अंत: तल पर॥

आजा सनम, जाने कहां कब से गुम हो।
हर घड़ी हर पहर यादों में तुम हो॥

♦ अमित प्रेमशंकर जी — एदला-सिमरिया, जिला–चतरा, झारखण्ड ♦

—————

Conclusion

  • “अमित प्रेमशंकर“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — जब भी इंसान किसी से बेइंतहा प्यार करता है, उससे जब भी दूर होता है, उसे बहुत दर्द महसूस होता है। उसकी यादों वाली भावनाएँ दूर नहीं जातीं, उससे। अब महसूस होता है उसे – आज तन्हा हूं, अकेला हूं फिर भी बीते पल को याद करता हूं, जो यादों में भी करीब है। दूर (बिछड़ने) होने के दर्द को वही महसूस कर सकता है जो किसी से बेइंतहा प्यार करता है। उसे महसूस होता है हृदय की ध्वनि में तेरे सिवा न और कोई, जागूं तो तुम, सोऊं तो तुम, रोऊं तो तुम, मेरे एक – एक इंद्रियों में ऐसे हो तुम खोई।

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यह कविता (यादों में तुम हो।) “अमित प्रेमशंकर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। आपकी ज्यादातर कविताएं युवा पीढ़ी को जागृत करने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

नाम: अमित प्रेमशंकर
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जिला: चतरा (झारखण्ड)
सम्प्रति: कवि, गीतकार व ढोलक वादक।

प्रकाशित पुस्तकें: आत्म सृजन, काव्य श्री, एक नई मधुशाला १, एक नई मधुशाला २, भावों के मोती, व अक्षर पुरूष।
प्रकाशित रचनाएं: देश के अलग-अलग पत्र पत्रिकाओं मे लगभग दो सौ रचनाएं प्रकाशित व समय समय पर सामाचार पत्रों के माध्यम से पत्राचार।
विशेष: “सीता माता सी कोई नहीं” तथा “आज राम जी आएंगे” महाराष्ट्र के वरिष्ठ साहित्यकार श्री ओ. सी. पटले द्वारा पोवारी भाषा में अनुवाद।

प्राप्त सम्मान: काव्य श्री साहित्य सम्मान, आत्म सृजन साहित्य सम्मान, सरदार भगतसिंह साहित्य सम्मान, सुमित्रानंदन पंत कृति सम्मान, साहित्य कर्नल सम्मान, रैदास साहित्य सम्मान, द फेस ऑफ इंडिया सम्मान, दिल्ली युथ डेवलपमेंट से सम्मानित।
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