Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ स्व का पहचान सर्व ज्ञान का स्रोत। ϒ
प्यारे दोस्तों – आज मैं आप सभी को बहुत समय पहले की एक सत्य से अवगत करवाता हूँ।
महर्षि उद्दालक के पुत्र श्वेतकेतु अत्यंत प्रतिभाशाली थे। गुरुकुल में निरंतर १२ वर्षो तक शास्त्रों का अध्ययन करने के पश्चात् – जब वे महर्षि के पास लौटे तो उन्होंने उनसे प्रश्न किया – “वत्स ! वह क्या है, जिसका ज्ञान होने से सृष्टि के समस्त पहलुओं का ज्ञान हो जाता है।”
इस प्रश्न का उत्तर श्वेतकेतु से न देते बना तो – उसकी जिज्ञासा का समाधान करते हुए महर्षि उद्दालक बोले – “पुत्र जिस प्रकार स्वर्ण का ज्ञान हो जाने से स्वर्ण से बनी सभी वस्तुओं का ज्ञान हो जाता है, कृषि का ज्ञान हो जाने से सभी अन्य वनस्पतियो को उगाने का ज्ञान हो जाता है।”
“वैसे ही आत्मा का ज्ञान हो जाने से सृष्टि के समस्त पहलुओं का ज्ञान हो जाता है। तुम अब अपना जीवन उसी आत्मज्ञान को प्राप्त करने में लगाओं।”
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Krishna Mohan Singh(KMS)
Editor in Chief, Founder & CEO
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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।~Kmsraj51
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