Kmsraj51 की कलम से…..
♦ बिरसा – जो महामना। ♦
वाणी मेरी कलम की करे अवलोकन, विस्मित हो,
माने उपकार, बिरसा नाम के युगपुरुष ईशांश का।
प्रसक्त उद्यमी जो शोषक सत्ता का विनाश कामी,
महान रक्षक जो स्वाभिमानी आदिवासी अस्मिता का।
जल, जंगल, जमीं, भारत संस्कृति के दिव्यांश का…॥
दया से अश्रु-पूरित उन संगियों के क्षेम के हेतु जो,
जो जंगल से बेदखल, लड़ें भूख से, अंधकार-अभाव से।
शब्द उसके थे, ब्रह्म-वाक्य, बना विश्व-व्यक्तित्व वह,
नेतृत्व था मुक्तिबोधक, अरिभाव रख मिलें अन्याय से…॥
जिसका अभिमान था प्रकृति तत्व संरक्षण सदा,
जो भक्त जनसत्ता का, लाया आतंक शोषक प्राण में।
जिसके विभव से जाग्रत हुई जन – जाति- चेतना,
हुआ नव-राज्य गठन जिसके परम जय सम्मान में॥
पारित हुआ कानून, झुकी जब फ़रेबी सरकार थी,
मिली मुक्ति बेकारी से, बिरसा तभी बना भगवान।
अकाल, महामारी में, की सेवा बेमिसाल सतत,
बन पौराणिक, जीवनदानी, लेता वह संस्कार संज्ञान॥
अपूर्ण आज भी, अमर बिरसा का जीवन दर्शन है,
उद्योग युग में, विस्थापन का झेले दंश जब तक है।
अग्नि क्रांति भाव का रहे ज्वलित, संघर्ष संकल्पित हो,
आदि जन – ज्ञान संरक्षित हो, जन-गौरव प्रतिष्ठित हो॥
♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦
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- “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — बिरसा मुंडा : शक्ति और साहस के परिचायक … स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतभूमि पर ऐसे कई नायक पैदा हुए जिन्होंने इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों से लिखवाया। एक छोटी सी आवाज को नारा बनने में देर नहीं लगती बस दम उस आवाज को उठाने वाले में होना चाहिए और इसकी जीती जागती मिसाल थे बिरसा मुंडा। बिरसा मुंडा ने बिहार और झारखंड के विकास और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अहम रोल निभाया। अपने कार्यों और आंदोलन की वजह से बिहार और झारखंड में लोग बिरसा मुंडा को भगवान की तरह पूजते हैं। बिरसा मुण्डा(Birsa Munda) ने मुण्डा विद्रोह पारम्परिक भू-व्यवस्था के जमींदारी व्यवस्था में बदलने के कारण किया। बिरसा मुण्डा ने अपनी सुधारवादी प्रक्रिया के तहत सामाजिक जीवन में एक आदर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने नैतिक आचरण की शुद्धता, आत्म-सुधार और एकेश्वरवाद का उपदेश दिया। उन्होंने ब्रिटिश सत्ता के अस्तित्व को अस्वीकारते हुए अपने अनुयायियों को सरकार को लगान न देने का आदेश दिया था।
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यह कविता (बिरसा – जो महामना।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।
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