Kmsraj51 की कलम से…..
♦ किसान ब्याज। ♦
आज आ गया जब घर में,
भारी भरकम अनाज।
ताक लगाए बनिया बैठा,
पैसा लगाने को आज।
दे रखा था पहले से ही,
रुपया कुछ पर ब्याज।
अड़ा खड़ा बनिया घर पर,
लेने को सस्ता अनाज।
देख रहा था तिरछी आंखें,
वह किसान का अनाज।
खैनी फांक रहा वह,
किसान के द्वार।
बोला इसी फसल में चुकता।
कर दो मेरा पूरा ब्याज।
अभी मूल की बातें होती।
तुम पर गिरेगी गाज।
घूमर घूमर बादल छाए।
ख्यालों में आकाश दिखाएं।
बेचारा किसान क्या करता ?
आधा अनाज ब्याज का देता ?
गुजरे दिन सदियों किसान के,
कोई सुध नहीं लेता।
बरसों से थोड़ी आशावत,
एमएसपी पर अनाज बिकता।
बिचौलियों ने चक्कर डाला।
आंदोलन का हवाला।
अनाज गोदाम जो जाए।
मुझे भी मिले निवाला।
♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦
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- “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से बखूबी समझाने की कोशिश की है – किसान, ब्याज और एमएसपी को कविता के माध्यम से।
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यह कविता “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
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