Kmsraj51 की कलम से…..
Haal Sunata Paribhasha | हाल सुनाता परिभाषा।
तुमको अपनी व्यथा सुनाता हूं आज,
बगैर मेरे समाज के पूर्ण होवे न कोई काज।
व्यथा सुनाने के लिए जरूरी नही कोई शब्द, न ही भाषा की,
देखो मेरा हाल बखान करता मेरी परिभाषा ही।
मेरे बच्चों की मुस्कान दिल को नित्य उत्साह से भरती,
उनकी खुशी को ढूंढने को जिंदगी हरसंभव प्रयास करती।
मेरे फटेहाल कपड़े और काली हुई त्वचा धूप से,
मेरे बच्चों की मुस्कान का मेल न मेरे रूप से।
हर दिन मालिकों की डांट में भी सदा मुस्कराता,
अपने जख्मों को हर समय मरहम लगाता।
न धूप की, बारिश की और तूफान की परवाह,
गरीबी की हर ओर बस दिखाई देती आह।
बस अपने कर्म में दिल लगाए मैं तो मजदूर हूँ,
बस परिवार के भरण पोषण में चूर हूँ।
मैं बेबस नहीं, मजबूर नहीं हूँ लाचार,
हमने ही तो लगाए सब ऐशो-आराम के तार।
समय मिले तो कभी….
कभी मेरी अंतर्मन की पीड़ा भी झांक कर देखना तुम,
कभी किसी कामगार पर स्वार्थ की रोटी न सेकना तुम।
♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦
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- “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — मजदूर कहते हैं मैं आराम करने लगूं तो गजब हो जाएगा। मेरे लिए आराम हराम है। मैं खेतों से अन्न उपजाने का काम करता हूं। मैं आराम करने लगूं तो लाखों लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हो जाएंगे। मजदूर कहते हैं — मैं मजदूर हूं। मैंने प्राचीन काल से लेकर आज तक सभ्यता की सीढ़ियां मैंने गढ़ी है। जमाना बदला लेकिन मैंने ज़मीन पर पीठ तक नहीं टिकाई। मैंने नदियों के बहाव को रोका है और उन पर विशाल पूलों का निर्माण किया है। मैंने बड़ी-बड़ी इमारतों को बनाया है । इन लंबी लंबी सड़कों को किसने बनाया? कश्मीर की क्यारियों में केसर किसने उगाई ? खेतों में फसलें किसने पैदा की ? मैंने ! केवल मजदूर ने। दिन सोता था। रात सोती थी, लेकिन मजदूर जगता था। मजदूर ने पहाड़ों को कांटा, चट्टानों को खोदा, खदानों में पहुंचा और वहां से सोना, चांदी लोहा, कोयला, हीरा सब कुछ निकाला। मजदूर कहता है… मैंने वनों को काटा, पथरीली जमीन को खोद-खोद कर नरम बनाया। मुझे अंग्रेज भारत से मारीशस, फीजी आदि अफ्रीकी घने जंगलों में ले गए। वहां सूर्योदय से सूर्यास्त तक काम किया।
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यह कविता (हाल सुनाता परिभाषा।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी (राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षिका व अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार) है। शिक्षा — डी•एड, बी•एड, एम•ए•। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।
- अनेक मंचों से राष्ट्रीय सम्मान।
- इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज।
- काव्य श्री सम्मान — 2023
- “Most Inspiring Women Of The Earth“ – Award 2023
{International Internship University and Swarn Bharat Parivar} - Teacher’s Icon Award — 2023
- राष्ट्रीय शिक्षा शिल्पी सम्मान — 2021
- सावित्रीबाई फुले ग्लोबल अचीवर्स अवार्ड — 2022
- राष्ट्र गौरव सम्मान — 2022
- गुरु चाणक्य सम्मान 2022 {International Best Global Educator Award 2022, Educator of the Year 2022}
- राष्ट्रीय गौरव शिक्षक सम्मान 2022 से सम्मानित।
- अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ लेखिका व सर्वश्रेष्ठ कवयित्री – By — KMSRAJ51.COM
- अंतरराष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान — 2022
- राष्ट्रीय शिक्षक गौरव सम्मान — 2022
- राष्ट्रीय स्त्री शक्ति सम्मान — 2022
- राष्ट्रीय शक्ति संचेतना अवार्ड — 2022
- साउथ एशिया टीचर एक्सीलेंस अवार्ड — 2022
- 50 सांझा काव्य-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित (राष्ट्रीय स्तर पर)।
- 70 रचनाएँ व 11+ लेख और 1 लघु कथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित (KMSRAJ51.COM)। इनकी 6 कविताएं अब तक विश्व स्तर पर प्रथम और द्वितीय स्थान पा चुकी है, जिनके आधार पर इनको सर्वश्रेष्ठ कवयित्री व पर्यावरण प्रेमी का खिताब व वरिष्ठ लेखिका का खिताब की प्राप्ति हो चुकी है।
- इनकी अनेक कविताएं व शिक्षाप्रद लेख विभिन्न प्रकार के पटल व पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं।
- 3 महीने में तीन पुस्तकें प्रकाशित हुए। जिसमें दो काव्य संग्रह “समर्पण भावों का” और “भाव मेरे सतरंगी” और एक लेख संग्रह “एक नजर इन पर भी” प्रकाशित हुए। एक शोध पत्र “आओं, लौट चले पुराने संस्कारों की ओर” प्रकाशित हुआ। इनके लेख और रचनाएं जन-मानस के पटल पर गहरी छाप छोड़ रहे हैं।
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