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मानसून की आफत

आफत की बारिश।

Kmsraj51 की कलम से…..

Rain Of Disaster | आफत की बारिश।

हिमाचल की प्राकृतिक,
शान है देखो कितनी निराली।
अरे ओ मानव तूने यहां भी,
ये कैसी साजिश रच डाली।

बना – बना के बड़ी – बड़ी इमारतें,
सब नदी नालों की राहें रोक डाली।
तभी तो हो रही ये आफत की बारिश आज,
त्राहि – त्राहि कर रहा मेरा शिमला,
मंडी, कुल्लू हो या फिर हो मनाली।

क्यों कर रहे हो पहाड़ों से,
छेड़छाड़।
बना – बना के सुरंगे,
सारी ज़मीन खोखली कर डाली।

अभी तो रुक जाओ,
बीस साल बाद देखना मेरा प्रकोप।
जब बह जायेंगे सारे भवन,
बनकर कंकड़ पत्थर।
तो फिर मनाना सिर पर,
दोनों हाथ रखकर तुम शोक।

अभी भी संभल जाओ,
मत बिगाड़ो संतुलन पहाड़ों में।
है तुम सब से मेरी भी ये गुजारिश,
वरना हर साल ऐसे ही आती,
रहेगी ये आफत की बारिश।

♦ लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी  – बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “श्री लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — “हिमाचल की प्राकृतिक शान है देखो कितनी निराली। अरे ओ मानव तूने यहां भी, ये कैसी साजिश रच डाली।” चारों तरफ पानी पानी, हर तरफ तबाही ही तबाही है। जो अपने आवेश में सबकुछ, ख़त्म करने पर अड़ी है। पर आज उसे भी अपना, अस्तित्व बचाने की पड़ी है। आफत की बारिश से हुई तबाही का मंजर अभी भी खौफनाक नजर आता है। बादल फटने की वजह से आसमान से जब अचानक तबाही बरसने लगे तो लोग हक्का-बक्का रह गए। जब तक वे संभलने या सुरक्षित स्थानों में जाने का प्रयास करते, तब तक मूसलाधार बारिश का कहर अपनी चरम पर पहुँच चुका था। “हे मानव अभी भी संभल जाओ और मत बिगाड़ो संतुलन पहाड़ों में, है तुम सब से मेरी भी ये गुजारिश, वरना हर साल ऐसे ही आती रहेगी ये आफत की बारिश।” जय माता दी!

—————

यह कविता (आफत की बारिश।) “श्री लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल है। साहित्यिक नाम — डॉ• जय अनजान है। माता का नाम — श्रीमती कमला देवी महलवाल और पिता का नाम — श्री सुंदर राम महलवाल है। शिक्षा — पी• एच• डी•(गणित), एम• फिल•, बी• एड•। व्यवसाय — सहायक प्रोफेसर। धर्म पत्नी — श्रीमती संतोष महलवाल और संतान – शानवी एवम् रिशित।

  • रुचियां — लेखक, समीक्षक, आलोचक, लघुकथा, फीचर डेस्क, भ्रमण, कथाकार, व्यंग्यात्मक लेख।
  • लेखन भाषाएं — हिंदी, पहाड़ी (कहलूरी, कांगड़ी, मंडयाली) अंग्रेजी।
  • लिखित रचनाएं — हिंदी(50), पहाड़ी(50), अंग्रेजी(10)।
  • प्रेरणा स्त्रोत — माता एवम हालात।
  • पदभार निर्वहन — कार्यकारिणी सदस्य कल्याण कला मंच बिलासपुर, लेखक संघ बिलासपुर, सह सचिव राष्ट्रीय कवि संगम बिलासपुर इकाई, ज्वाइंट फाइनेंस सेक्रेटरी हिमाचल मलखंभ एसोसिएशन, सदस्य मंजूषा सहायता केंद्र।
  • सम्मान प्राप्त — श्रेष्ठ रचनाकार(देवभूमि हिम साहित्य मंच) — 2022
  • कल्याण शरद शिरोमणि सम्मान(कल्याण कला मंच) — 2022
  • काले बाबा उत्कृष्ट लेखक सम्मान — 2022
  • व्यास गौरव सम्मान — 2022
  • रक्त सेवा सम्मान (नेहा मानव सोसायटी)।
  • शारदा साहित्य संगम सम्मान — 2022
  • विशेष — 17 बार रक्तदान।
  • देश, प्रदेश के अग्रणी समाचार पत्रों एवम पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।

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