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“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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You are here: Home / Archives for मीरा भारती की कविताएं

मीरा भारती की कविताएं

माँ सरस्वती वंदना।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ माँ सरस्वती वंदना। ♦

आदि ब्रह्मा की शुक्लाम्बरा,
कन्या हैं, माँ शारदा आप।
वेद-धर्म में है नारी सशक्त,
युग विचार की संविदा आप।
ब्रह्म-विद्या की वरदा हैं आप।

पितामह संकल्प से सिरजें,
जंगम-स्थावर जीव अनेक।
मौन, उदास थे उनमे हरेक।
अभाव-तम में ज्योति आप।

ब्रह्मा, विष्णु ने की स्तुति, वह
परावाणी हैं, माँ शारदा आप।

सब दिश तिमिर घनघोर था,
सारहीन, जैसे मृत शरीर था।
विष्णु-आह्वान से आदि-मूल,
ज्योति-पुंज प्रकट होती माँ।
शब्द – रूपा शारदा आप।

श्वेतवर्ण तेजस्विनी, हैं दिव्य,
मातृरूप हैं तपस्विनी आप।

मातृ – वीणा करे जो मधुर-नाद,
वीणा-राग लाती है मधुर संवाद।
आप बनाती पशु से मनु-ज्ञानी,
वाद-प्रतिवाद जन्म देकर माँ।
साधक को दें आत्मज्ञान आप।

मुस्कान में उल्लास, पुस्तक में,
ज्ञान, माला है सत-वृत्ति दानी।
हंस सौंदर्य, मधुर स्वर प्रतीक,
जन-मन को करें समर्थ तन्मय।
छंद-रस से बनाती सिद्ध आप।

बनती जल-धार, पवन-वेग में,
भाव संग ओजस्विता दामिनी।
प्रज्ञा, बुद्धि, क्षमता के दान से,
बनीं जन-हित मंत्र-उच्चारिणी।

संगीत, कला में भाव संचारिणी,
मुक्तहस्त समभाव दानी आप।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — ज्ञान और बुद्धि के बिना ये जीवन किसी काम का नहीं। ज्ञान, बुद्धि की देवी अपनी कृपा व करुणा का संचार कर हम पर, हे माँ तुम्हारी करुणा बड़ी अपरम्पार है। मां शारदे की महिमा से अछूता न कोई मनुष्य है, मां के रूपों में ही छुपा हुआ पूर्ण जग संसार है। उन्हीं के चरणों में ज्ञान का भंडार है, विद्यादायिनी मां से आज रज है हमारी। मां शारदे वर दे तू अपने ही रंग में रंग दे। जो नकारात्मक प्रवृतियों से सकारात्मकता का कराए सदैव भान, पुस्तक ही बस एक नाम। जो निरस जीवन में सरसता का, रंग भरती, वीणा ही वो सरगम। स्फटिक माला दर्शाती वैराग्य और ध्यान बिन, न मिलता संपूर्णता का है भाव। अपनाने के लिए तो बहुत है मगर, कल्याणकारी अपनाने की कला हंस है सिखलाता। कीचड़ में ही कमल है खिलता, अर्थात: सर्व विघ्न से न्यारे व पवित्र, कोमलता और सुंदरता का क्या अनुपम सार है। वीणापाणी मां के सर्वस्व संरचना में, सबक बहुत बेहिसाब है। आओ हम सब मिलकर सच्चे मन से माँ की वंदना करे।

—————

यह कविता (माँ सरस्वती वंदना।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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तकनीक गंगा प्रवाह।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ तकनीक गंगा प्रवाह। ♦

कोरोना संकट के दो वर्ष, सतत करें शिक्षण संघर्ष,
ई-शिक्षा सहज हो, शिक्षा विवेक को दे सतत प्रकर्ष।

शिक्षा को अवसर में बदलें, प्रयास हो रहे अपर्याप्त,
पाठ्यक्रम असमान, अंतर्जाल-गति, तकनीक अशक्त।

तन-मन स्थिति पर विपरीत असर, दैनिक नियम चलें सुस्त,
छात्र-शिक्षक नहीं सम्मुख, तो रहे न चेतन-ज्ञान स्वानुभूत।

ई -शिक्षा सदी 21, करे गुणवत्ता बेंचमार्क, गुणवत्ता तंत्र मांग,
कौशल-संग प्रयास, बाधा-पर्वत झुकें, नव-तकनीक सप्तरंग।

एक भी छात्र वंचित, तो तकनीक माध्यम होगी विफल,
वर्ग द्वार खुले, पर हो ऑनलाइन शिक्षा सुगम औ सरल।

वायु, जल, संचेतना सम, तकनीक सद्भाव से हो वितरित,
उच्च तकनीक जन-मन में, हो मलय पवन-सा विस्तारित।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

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  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — क्या पिछले कुछ समय समय से कोरोना संकट के दो वर्ष ई-शिक्षा के माध्यम से जो शिक्षा दिया जा रहा है, वह नई पीढ़ी के के लिए बहुत बड़ा संकट तो नहीं बनने वाला हैं? क्योंकि स्कूली शिक्षा का वातावरण ना मिलना और प्रैक्टिकल गतिविधि के ना होने से बच्चे प्रैक्टिकल रूप से कमजोर हो जायेंगे। ये सोचने का विषय है। बच्चों को स्कूली शिक्षा का वातावरण मिलना इसलिए जरूरी है… शिक्षण व शिक्षा ऐसा हो जिससे मानसिक रूप से हर बच्चा शक्तिशाली बने। मानसिक रूप से हर बच्चा इतना शक्तिशाली बने की जीवन के हर उतार चढ़ाव में मन से स्थिर रहे, उसे कोई भी समस्या विचलित न कर सके। कोई उसकी बुराई करे तो उसके मन पर किसी भी तरह का नकारात्मक असर न पड़े। चाहे घर हो या स्कूल कोशिश यही हो सभी की, की बच्चों को हर जगह सकारात्मक वातावरण मिले। बच्चों को जैसा वातावरण मिलता है बच्चे वैसे ही बनते है, आपके अच्छे व बुरे संस्कार और आदतों का बच्चों के मन पर बहुत असर पड़ता है। बच्चें कच्चे मिट्टी के घड़े के समान होते है, उन्हें जैसे और जिस तरह से ढाला जाये वो ढलते जायेंगे।

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यह कविता (तकनीक गंगा प्रवाह।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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अम्बे शुभ प्रभात।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ अम्बे शुभ प्रभात। ♦

शुभ प्रभात, माँ ब्रह्मचारिणी,
पूजन जननी श्वेताम्बरा का।
युग प्रेरणा माँ तपस्विनी,
स्वयंप्रभा प्रिय स्वरूप इक।
हाथ जपत माल, बाम धरें॥

कमंडल, करें ज्ञान-विज्ञान,
साहित्य संवर्धन सतत।
नवदृष्टि जागृत करें,
तप: जल से मात।
प्रक्षालित करें, नव-मानव,
हृदय को……॥

तत्वज्ञान नि:स्वार्थ सेवा,
का दें भाव आज मात।
फल आराधन का, तप,
त्याग, वैराग्य, सदाचार।
संयम दें, लें अर्घ्य में,
स्वार्थ, मोह हर भारत,
समूह का……॥

नाम जिनका अपर्णा,
अशन करें धरा।
स्पर्शी बेलपत्र, निज
दुष्कर तप का।
लघु अंश दान करें,
माँ, युवा वर्ग चेतना को॥

तपबल से, अम्बे के
जीती भरत कन्याएं।
दृष्टि से अम्बे दें,
आशीष, जीवन।
निर्माण का, राष्ट्र सेवा,
से हों ऊर्जा भावित,
वे आज……॥

मुझे दो कमंडल, मैं,
इक सेविका आपकी।
ले खड्ग हाथ, विनाश,
कर कामना, असंयम,
अहंकार……॥

अम्ब ब्रह्मचारिणी,
तप भाव करें, संचार दें।
विवेक, कल्याण दीक्षा मंत्र,
इस महोत्सव को, लक्ष्य,
प्रेरित रखें सदा……॥

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से महानवरात्रि व माँ ब्रह्मचारिणी के बारे में बताने की कोशिश की है— महानवरात्रि के दूसरे दिन पूजा माँ ब्रह्मचारिणी स्वीकार करें। हे माँ तत्वज्ञान नि:स्वार्थ सेवा का दें भाव आज मात। फल आराधना का तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार संयम दें माँ। लें अर्घ्य में, स्वार्थ, मोह हर भारत, समूह का। माँ ब्रह्मचारिणी का आओ हम सब मिलकर पूजन करें।

—————

यह कविता (अम्बे शुभ प्रभात।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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माँ शैलपुत्री का पूजन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ माँ शैलपुत्री का पूजन। ♦

महानवरात्रि की प्रथम पूजा,
माँ, स्वीकार करें, समुदाय,
की अर्पित लाल चुनरी,
झिलमिल, दिव्य, ज्ञान-दीप्त।

ग्रहण करें, दायित्व सर्व के,
आत्म – साधन का, चरणों में,
समेटें, जो सदा तप: पूत..
दुःख नाशिनी, माया – हारिणी,
पवित्र गंगाजल, सुवासित।

भावना के अभिदान से,
शीतल करें माँ जन मन को।
तव, प्रेम – तत्व, करें,
विह्वल, जन – आस्था को।

दें बन्धन, समरसता का न,
लक्ष्य हो, हमारा धन – यश व,
लौकिक संस्कार…

तव ज्ञान रुप स्पर्शी हवा,
करे अस्त बुराई का।
उदय हो प्रति ह्रदय प्रेम का,
सद्गुण, सम् – भाव का।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से महानवरात्रि व माँ शैलपुत्री के बारे में बताने की कोशिश की है — महानवरात्रि की प्रथम पूजा माँ शैलपुत्री स्वीकार करें। समुदाय की अर्पित लाल चुनरी, झिलमिल, दिव्य, ज्ञान-दीप्त ग्रहण करें। दायित्व सर्व के आत्म-साधन का, चरणों में समेटें। जो सदा तप: पूत.. दुःख नाशिनी, माया – हारिणी, पवित्र गंगाजल, सुवासित माँ शैलपुत्री का आओ हम सब मिलकर पूजन करें।

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यह कविता (माँ शैलपुत्री का पूजन।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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