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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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You are here: Home / Archives for मैं हूँ ना…।

मैं हूँ ना...।

बिना कष्ट सहे सफलता नहीं मिलता।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ बिना कष्ट सहे सफलता नहीं मिलता। ϒ

बाज लगभग 70 वर्ष जीता है। परन्तु अपने जीवन के ४०-वें वर्ष में आते-आते उसे एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ता है। उस अवस्था में उसके शरीर के तीन प्रमुख अंग निष्प्रभावी होने लगते हैं…

  • पंजे लम्बे और लचीले हो जाते है व शिकार पर पकड़ बनाने में अक्षम होने लगते हैं।
  • चोंच आगे की ओर मुड़ जाती है और भोजन निकालने में व्यवधान उत्पन्न करने लगती है।
  • पंख भारी हो जाते हैं, और सीने से चिपकने के कारण पूरे खुल नहीं पाते हैं, उड़ानें सीमित कर देते हैं।

भोजन ढूँढ़ना, भोजन पकड़ना और भोजन खाना। तीनों प्रक्रियायें अपनी धार खोने लगती हैं। उसके पास तीन ही विकल्प बचते हैं…..

  • या तो देह त्याग दे।
  • या अपनी प्रवृत्ति छोड़ गिद्ध की तरह त्यक्त भोजन पर निर्वाह करे।
  • या फिर स्वयं को पुनर्स्थापित करे।

आकाश के निर्द्वन्द्व एकाधिपति के रूप में।
जहाँ पहले दो विकल्प सरल और त्वरित हैं।
वहीं तीसरा अत्यन्त पीड़ादायी और लम्बा।

  • हिंदी कहानी – निरंतर प्रयास जरूर पढ़े।

बाज पीड़ा चुनता है और स्वयं को पुनर्स्थापित करता है। वह किसी ऊँचे पहाड़ पर जाता है, एकान्त में अपना घोंसला बनाता है और तब प्रारम्भ करता है पूरी प्रक्रिया। सबसे पहले वह अपनी चोंच चट्टान पर मार-मार कर तोड़ देता है। अपनी चोंच तोड़ने से अधिक पीड़ादायक कुछ भी नहीं पक्षीराज के लिये।

तब वह प्रतीक्षा करता है, चोंच के पुनः उग आने की। उसके बाद वह अपने पंजे भी उसी प्रकार तोड़ देता है और प्रतीक्षा करता है पंजों के पुनः उग आने की। नये चोंच और पंजे आने के बाद, वह अपने भारी पंखों को एक-एक कर नोंच कर निकालता है और प्रतीक्षा करता पंखों के पुनः उग आने की।

150 दिन की पीड़ा और प्रतीक्षा….. और तब उसे मिलती है वही भव्य और ऊँची उड़ान, पहले जैसी नयी। इस पुनर्स्थापना के बाद वह 30 साल और जीता है, ऊर्जा, सम्मान और गरिमा के साथ।

सीख – प्रकृति हमें सिखाने बैठी है। पंजे पकड़ के प्रतीक हैं। चोंच सक्रियता की और पंख कल्पना को स्थापित करते हैं। इच्छा परिस्थितियों पर नियन्त्रण बनाये रखने की, सक्रियता स्वयं के अस्तित्व की गरिमा बनाये रखने की, कल्पना जीवन में कुछ नयापन बनाये रखने की। इच्छा, सक्रियता और कल्पना…..तीनों के तीनों निर्बल पड़ने लगते हैं। हममें भी चालीस तक आते-आते।

हमारा व्यक्तित्व ही ढीला पड़ने लगता है। अर्धजीवन में ही जीवन समाप्तप्राय सा लगने लगता है। उत्साह, आकांक्षा, ऊर्जा….. अधोगामी हो जाते हैं। हमारे पास भी कई विकल्प होते हैं…..

  • कुछ सरल और त्वरित।
  • कुछ पीड़ादायी।

हमें भी अपने जीवन के विवशता भरे, अतिलचीलेपन को त्याग कर नियन्त्रण दिखाना होगा। बाज के पंजों की तरह। हमें भी आलस्य उत्पन्न करने वाली वक्र मानसिकता को त्याग कर ऊर्जस्वित सक्रियता दिखानी होगी। “बाज की चोंच की तरह।” हमें भी भूतकाल में जकड़े अस्तित्व के भारीपन को त्याग कर कल्पना की उन्मुक्त उड़ाने भरनी होंगी।

  • हिंदी कहानी – प्यार का return गिफ्ट जरूर पढ़े।

“बाज के पंखों की तरह।” 150 दिन न सही, तो एक माह ही बिताया जाये, स्वयं को पुनर्स्थापित करने में। जो शरीर और मन से चिपका हुआ है, उसे तोड़ने और नोंचने में पीड़ा तो होगी ही।

बाज तब उड़ानें भरने को तैयार होंगे। इस बार उड़ानें और ऊँची होंगी, अनुभवी होंगी, अनन्तगामी होंगी।

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कृपया Comments के माध्यम से अपने विचार जरूर बताये।

आप सभी का प्रिय दोस्त

Krishna Mohan Singh(KMS)
Editor in Chief, Founder & CEO
of,,  https://kmsraj51.com/

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।~Kmsraj51

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Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है: kmsraj51@hotmail.com. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiya ensolar radiation, and encourage good solar radiation to become tthemselves

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAJ51

 

 

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Filed Under: 2017-Kmsraj51 की कलम से….., हिंदी कहानियाँ।, हिंदी कहानी, हिन्दी साहित्य Tagged With: bachon ki kahaniyan in hindi, child story in hindi, hindi stories with moral, kahaani, kahaniyan in hindi, moral stories for childrens in hindi, moral stories for kids, no pain no gain, Short Hindi Stories, मैं हूँ ना...।, शिक्षादायक कहानी, हिंदी कहानियाँ।, हिंदी कहानी

सात दिन ही बचे हैं…।

Kmsraj51 की कलम से…..

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ϒ सात दिन ही बचे हैं…। ϒ

एक बार की बात है, संत तुकाराम अपने आश्रम में बैठे हुए थे। तभी उनका एक शिष्य, जो स्वभाव से थोड़ा क्रोधी था, उनके समक्ष आया और बोला, ‘गुरु जी, आप कैसे अपना व्यवहार इतना मधुर बनाये रहते हैं, ना आप किसी पे क्रोध करते हैं और ना ही किसी को कुछ भला-बुरा कहते हैं। 

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कृपया अपने इस अच्छे व्यवहार का रहस्य बताइए। (Please tell the secret of your good behavior.) संत तुकाराम जी बोले – ‘मुझे अपने रहस्य के बारे में तो नहीं पता, पर मैं तुम्हारा रहस्य जानता हूँ।’ ‘मेरा रहस्य ! वह क्या हैं गुरु जी?’ शिष्य ने आश्चर्य से पूछा।

‘तुम अगले एक हफ्ते में मरने वाले हो।’ संत तुकाराम दुःखी होते हुए बोले। कोई और कहता तो शिष्य ये बात मजाक में टाल सकता था, पर स्वयं संत तुकाराम के मुख से निकली बात को कोई कैसे काट सकता था।

शिष्य उदास हो गया और गुरु का आशीर्वाद ले वहा से चला गया। उस समय से शिष्य का स्वभाव बिलकुल बदल सा गया। वह हर किसी से प्रेम से मिलता और कभी किसी पे क्रोध न करता, अपना ज्यादातर समय ध्यान और पूजा में लगाता। वह उनके पास भी जाता जिससे उसने कभी गलत व्यवहार किया था और उनसे माफ़ी मांगता। देखते-देखते संत की भविष्यवाणी को एक हफ्ते पुरे होने को आये।

शिष्य ने सोचा, चलो एक आखिरी बार गुरु के दर्शन कर आशीर्वाद ले लेते हैं। वह उनके समक्ष और बोला- ‘गुरु जी, मेरा समय पूरा होने वाला हैं, कृपया मुझे आशीर्वाद दीजिये।’ ‘मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ हैं पुत्र। अच्छा, ये बताओ कि पिछले सात दिन कैसे बीते? क्या तुम पहले की तरह ही लोगों से नाराज हुए, उन्हें अपशब्द कहे?’

  • हिंदी कहानी – निरंतर प्रयास जरूर पढ़े।

संत तुकाराम ने प्रश्न किया। ‘नहीं-नहीं, बिलकुल नहीं। मेरे पास जीने के लिए सिर्फ सात दिन थे, मैं इसे बेकार की बातों में कैसे गंवा सकता था। मैं तो सबसे प्रेम से मिला, और जिन लोगों का कभी दिल दुखाया था उनसे क्षमा भी मांगी।’ शिष्य तत्परता से बोला।

सीख- संत तुकाराम मुस्कुराए और बोले – ‘बस यही तो मेरे अच्छे व्यवहार का रहस्य हैं। मैं जानता हूँ कि मैं कभी भी मर सकता हूँ, इसलिए मैं हर किसी से प्रेमपूर्ण व्यवहार करता हूँ।’ शिष्य समझ गया कि संत तुकाराम ने उसे जीवन का यह पाठ पढ़ाने के लिए ही मृत्यु का भय दिखाया था। वास्तव में हमारे पास भी सात दिन ही बचे हैं… रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि, आठवां दिन तो बना ही नहीं हैं। तो, आइये आज से ही परिवर्तन आरम्भ करें।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

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मैं हूँ ना…।

Kmsraj51 की कलम से…..

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ϒ मैं हूँ ना…। ϒ

एक व्यक्ति का दिन बहुत खराब गया। उसने रात को ईश्वर से फरियाद की। उसने कहा : ‘भगवान, आप गुस्सा न हों तो एक प्रश्न पूछूँ?’  भगवान ने कहा: ‘पूछ, जो पूछना हो पूछ।’ व्यक्ति ने कहा: ‘भगवान, आपने आज मेरा पूरा दिन एकदम ख़राब क्यों किया?’ भगवान हँसे……. पूछा: ‘पर हुआ क्या?’ व्यक्ति ने कहा: ‘सुबह अलार्म नहीं बजा, मुझे उठने में देरी हो गई…….।’ भगवान ने कहा: ‘अच्छा फिर…….।’ व्यक्ति ने कहा: ‘देर हो रही थी, उस पर स्कूटर बिगड़ गया। मुश्किल से रिक्शा मिला।’ 

भगवान ने कहा: ‘अच्छा फिर…….।’ व्यक्ति ने कहा: ‘टिफिन ले नहीं गया था, वहाँ कैंटीन भी बंद थी….. एक सैंडविच पर दिन निकाला, वो भी ख़राब थी।’

भगवान केवल हँसे……. व्यक्ति ने फरियाद आगे चलाई, ‘मुझे आवश्यक काम के लिए महत्वपूर्ण फोन आया था और फ़ोन बंद हो गया।’ भगवान ने कहा: ‘अच्छा फिर…….।’ व्यक्ति ने कहा: ‘विचार किया कि जल्दी घर जाकर सो जाऊँ, पर घर पहुँचा ताे लाईंट नहीं थी। भगवान……. सब तकलीफें मुझे ही। ऐसा क्यों किया मेरे साथ?’

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भगवान ने कहा: ‘देख, मेरी बात ध्यान से सुन…, आज तुझ पर कोई आफत आणि थी। मैंने देवदूत को भेजकर अलार्म बजे ही नहीं ऐसा किया। भगवान ने कहा: स्कूटर से accident होने का डर था इसलिए स्कूटर बिगाड़ दिया। कैंटीन में खाने से food poisoning हो जाता। फ़ोन पर बड़ी काम की बात करने वाला आदमी तुझे बड़े घोटाले में फँसा देता। इसलिए फ़ोन बंद कर दिया।  तेरे घर में आज शार्ट-सर्किट से आग लगती, तू सोया रहता और तुझे ख़बर ही नहीं पड़ती। इसलिए लाईंट बंद कर दी।

मैं हूँ ना……., मैंने सब तुझे बचाने के लिए किया।’ तो व्यक्ति ने कहा: ‘भगवान, मुझसे भूल हो गई। मुझे माफ़ कीजिए। आज के बाद – फरियाद नहीं करूँगा।’ 

भगवान ने कहा: माफी मांगने की जरूरत नहीं, परन्तु विश्वास रखना कि मैं हूँ ना….., मैं जो करूँगा, जो योजना बनाऊंगा, वो तेरे अच्छे के लिए ही।

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सीख – जीवन में जो कुछ अच्छा-ख़राब होता है, उसकी सही तस्वीर लम्बे वक्त के बाद समझ में आती है। मेरे कोई भी कार्य पर शंका न कर, श्रद्धा रख। जीवन का भार अपने ऊपर लेकर घूमने के बदले मेरे कंधाे पर रख दे।’

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