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योग ही जीवन है

योग ही जीवन है।

Kmsraj51 की कलम से…..

Yog Hi Jeevan Hai | योग ही जीवन है।

12 जनवरी 1863 को जन्मे नरेन्द्र दत्त,
कलकत्ता श्री विश्वनाथ दत्त जी के घर,
अंग्रेजी पढ़ाकर इनको,
पाश्चात्य सभ्यता में ढालना चाहा पर,
इन बातों से जीवन पर गहरा हुआ असर।

बचपन से ही तीव्र बुद्धि के कारण,
इनके जीवन पर हुआ ये असर,
परमात्मा को पाने की लालसा,
मन में कर गई घर,
इन बातों से जीवन पर गहरा हुआ असर।

ब्रह्म समाज में पहूंच गए,
वहां भी शांति न आई नज़र।
1884 में पिता की मृत्यु का हुआ ये असर,
अपने कंधों पर संभाला अब सारा घर,
इन बातों से जीवन पर गहरा हुआ असर।

शादी नहीं की इन्होने,
अतिथि सेवा करते थे ये,
स्वयं भूखे प्यासे रहकर,
परमहंस जी के पास गए सोच विचार कर,
इन बातों से जीवन पर गहरा हुआ असर।

परमहंस जी की कृपा से,
इनका हुआ आत्म सत्कार,
संन्यास लेने के बाद हुआ,
विवेकानंद जी नाम प्रखर,
इन बातों से जीवन पर गहरा हुआ असर।

अंत समय गुरुदेव जी,
कैंसर से हुए ग्रस्त,
उनकी सेवा में लग गए,
घर, भूख प्यास को त्याग कर,
इन बातों से जीवन पर गहरा हुआ असर।

25 वर्ष की आयु में गेरुआ वस्त्र धारण किया,
पुरे भारत को पैदल यात्रा कर नाप दिया,
1893 में शिकागो (अमेरिका) पंहूचे,
भारत के प्रतिनिधित्व बनकर,
इन बातों से जीवन पर गहरा हुआ असर।

उनकी बातों से यूरोप अमेरिका पर,
गहरा हुआ असर,
अध्यात्म विद्या, भारतीय दर्शन करवाया,
रामकृष्ण मिशन की शाखाएं फैलाकर,
इन बातों से जीवन पर गहरा हुआ असर।

देश देशांतरो में भारत का नाम किया,
योग गुरु की उपाधि पाकर,
दीन दुखियों की सेवा कर,
4 जुलाई 1902 को अमर हो गए,
अपनी देह त्याग कर,
इन बातों से जीवन पर गहरा हुआ असर।

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए; इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की हैं — जब तक कोई बात स्वयं प्रत्यक्ष न कर सको, तब तक उस पर विश्वास न करो–राजयोग यही शिक्षा देता है। सत्य को प्रतिष्ठित करने के लिए अन्य किसी सहायता की आवश्यकता नहीं।” स्वामी विवेकानंद का मत है कि योग का अनुशीलन भी ज्ञान की भाँति व्यवस्थित तरीक़े से होना चाहिए और इसमें तर्कशीलता का अवलम्बन करना चाहिए।

—————

यह कविता (योग ही जीवन है।) “विजयलक्ष्मी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम विजयलक्ष्मी है। मैं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय, छारा – 2, ब्लॉक – बहादुरगढ़, जिला – झज्जर, हरियाणा में मुख्य शिक्षिका पद पर कार्यरत हूँ। मैं पढ़ाने के साथ-साथ समाज सेवा, व समय-समय पर “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” और भ्रूण हत्या पर Parents मीटिंग लेकर उनको समझाती हूँ। स्कूल शिक्षा में सुधार करते हुए बच्चों में मानसिक मजबूती को बढ़ावा देना। कोविड – 19 महामारी में भी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाना, वीडियो और वर्क शीट बनाकर भेजना, प्रश्नोत्तरी कराना, बच्चों को साप्ताहिक प्रतियोगिता कराकर सर्टिफिकेट देना। Dance Classes प्रतियोगिता का Online आयोजन कराना। स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर कार्य करना। इन सभी कार्यों के लिए शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा और कई Society द्वारा बार-बार सम्मानित किया गया।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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