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रक्षाबंधन पर बहन के लिए कविता

कच्चे धागे की प्रीत।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ कच्चे धागे की प्रीत। ♦

श्रावण मास की पूर्णिमा, एक पावन त्यौहार ले आई।
अटूट प्रीत, विश्वास व आस्था का एक और उपहार ले आई॥

रक्षाबंधन की प्रचलित है, ऐसी ऐतिहासिक कहानियाँ।
जो सुनते आए हम, अपने पुराण कथाओं की जुबानियाँ॥

एक कच्चा धागा अपने अंदर समाहित किए, सागर जितना प्यार।
एक भरोसा, निश्छल प्रेम से, दो आत्माओं को बांधे ये त्यौहार॥

भगवान विष्णु बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर, भक्त के घर रहने आए भगवान।
फिर मां लक्ष्मी व्याकुल हो बलि को राखी बांध, हरि को ले आई बैकुंठ धाम॥

चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने भी, अपनी प्रजा की रक्षा के लिए हुमायूं को राखी भेजी।
तब हुमायूं ने भी उनकी राज्य की रक्षा कर, बहन की प्रीत दिल में सहेजी॥

जब इंद्राणी ने भी अपने पति की दानवों से रक्षा की, बांधकर रेशम का धागा।
फिर इंद्र के मस्तक पर, विजय श्री का तिलक लागा॥

महाभारत में शिशुपाल के वध से, जब श्री कृष्ण की उंगली से रक्त बहा था।
तब द्रोपदी ने साड़ी के पल्लू का अंश बांधकर, श्री कृष्ण को धर्म भाई कहा था।

एक बार यमदेव कई बरस तक, अपनी बहन यमुना से नहीं मिलने आए।
तब यमुना ने भी, प्यारी आंखों से नीर बहाए॥

फिर गंगा ने अपने भाई को, मिलने के संदेश पहुँचाये।
आकर बहन को प्यार से मिलकर, यमुना को अमृतत्व दे जाए॥

यह त्यौहार रक्षा – कवच के नाम से भी, अक्सर जाना जाए।
इस कच्चे धागे में तो, दो पावन आत्माओं का बंधन माना जाए॥

जब कच्चे धागे की प्रीत बसती चली जाए, ऐसा ही यह पर्व पावन।
सारी खुशियां देकर अब, रुखसत हो जाएगा सावन॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

मेरे सभी प्रिय पाठकों आप सबको तहे दिल से रक्षाबंधन पर्व पावन की शुभकामनाएं।-KMSRAJ51

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से भाई बहन के पवित्र प्रेम और रक्षा वचन से भरपूर पवित्र पर्व रक्षाबंधन का वर्णन किया है। भाई बहन एक दूजे के सच्चे मित्र भी है जन्म – जन्मांतर तक। रक्षाबंधन – भाई और बहन के प्रेम को दिखाता एक पवित्र पर्व।

—————

यह कविता (कच्चे धागे की प्रीत।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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