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राष्ट्रीय पराक्रम दिवस

राष्ट्रीय पराक्रम दिवस।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ राष्ट्रीय पराक्रम दिवस। ♦

नेता जी को राष्ट्रीय पराक्रम दिवस का पहनाए ताज।
इनके हौंसले, वीरता भरे जज्बातों को शीश झुकाए आज॥

स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता कहलायें सुभाष चन्द्र बोस।
जो भी नारा दिया बना बाद में वहीं आजादी का विजय-घोष॥

विरासत में मिला इनको दमन चक्र के विरोध का जज़्बा।
इनके पिता जी ने भी ठुकराया था रायबहादुर के पद का रुतबा॥

अंग्रेजों से आजादी दिलाने चले राष्ट्र-प्रेम का संकल्प लेकर।
सेना में जोश भरते आजादी के नए-नए नारों का विकल्प देकर॥

राष्ट्रसेवा के पथ से विचलित न होना कभी दिया पिता ने मूलमंत्र।
समभाव, निडरता से एकता के सूत्र में बांधा जनतंत्र॥

सच्चाई, कर्तव्य, बलिदान देकर ही देश के प्रति बने वफादार।
नेताजी की प्यारी बातों को समाहित कर दिखलाए सच्चा राष्ट्र-प्यार॥

उनके विचारों में तो संघर्ष भरा जीवन ही संग अपने समाधान लायें।
संघर्षहीन व कायरता युक्त जीवन तो स्वादहीन कहलायें॥

सुभाषचंद्र जी ने तो लेखन से भी भारतीयों को शब्द-क्रांति सिखलाई।
इनकी पुस्तक भारत का संघर्ष फिर लंदन से प्रकाशित हो आई॥

“तुम मुझें खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा” ये प्रसिद्ध उनका था नारा।
ऐसे वीर देशभक्त को सदैव नमन करेगा राष्ट्र हमारा॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कड़वा है मगर सत्य है ऐसे महापुरुष सदी में एक दो ही जन्म लेते है… इस कविता के माध्यम से नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के पराक्रम, कर्तव्य व देश प्रेम को बताने की कोशिश की है। इनके साहस, हौंसले, वीरता भरे जज्बातों को शीश झुकाए आज भी हम सभी। हमे गर्व है अपने नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के पराक्रम पर, जिनके नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम व आजादी का विजय-घोष हुआ। विरासत में मिला इनको दमन चक्र के विरोध का जज़्बा, इनके पिता जी ने भी ठुकराया था रायबहादुर के पद का रुतबा। अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए चले राष्ट्र-प्रेम का संकल्प लेकर, सेना में सदैव जोश भरते आजादी के नए-नए नारों का विकल्प देकर। राष्ट्रसेवा के पथ से विचलित न होना कभी दिया पिता ने मूलमंत्र, समभाव, निडरता से एकता के सूत्र में बांधा जनतंत्र को। “तुम मुझें खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा” ये प्रसिद्ध उनका था नारा। ऐसे वीर देशभक्त को सदैव ही नमन करेगा राष्ट्र हमारा।

—————

यह कविता (राष्ट्रीय पराक्रम दिवस।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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