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Biography of Amit Premshankar | अमित प्रेमशंकर का जीवन परिचय।
अमित प्रेमशंकर का पूरा नाम अमित प्रेमशंकर प्रजापति है। इनके पिता का नाम श्री द्वारिका प्रजापति व माता का नाम श्रीमती रेखा देवी है। इनका जन्म 10 मार्च 1993 को झारखण्ड राज्य के चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड के एदला नामक गांव में हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही विद्यालय से हुई। अमित प्रेमशंकर बचपन से ही पढ़ने लिखने में बहुत तेज थे। जब ये कक्षा एक में थे तब से ही इन्हें हिन्दी में बड़ी रुचि थी। जब कक्षा दो या तीन के छात्र पुस्तक नहीं पढ़ पाते तो हेडमास्टर साहब इन्हें बुलाकर उनकी कक्षा में ले जाते और उन लोगों के सामने इनसे पुस्तक पढ़वाते थे। अमित प्रेमशंकर शांत स्वभाव के साथ-साथ बहुत ही अनुशासित बच्चों में से एक थे। सभी शिक्षक इनसे बहुत प्रसन्न रहते थे।
ये अपना सारा होमवर्क अच्छे से कर के जाते थे जिसके फलस्वरूप इन्होंने कभी किसी मास्टर से मार नहीं खाया। इन्होंने किसान उच्च विद्यालय डाडी से 2010 में दसवीं पास कर उच्च शिक्षा के लिए प्रखण्ड के “सिमरिया इंटर कॉलेज सिमरिया” में दाखिला लिया। 12वीं करने के बाद विनोबा भावे विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातक किया। अमित प्रेमशंकर को बचपन से ही कविताएं व गीत लिखने के साथ साथ संगीत में भी अत्यधिक रुचि थी। जब रेडियो पर कोई गीत प्रसारित होती थी तब ढोलक लेकर तैयार रहते थे। और गाने के साथ साथ धून मिलाकर ढोलक बजाने का प्रयास करते थे। अमित प्रेमशंकर अपने पिताजी के साथ खेती बाड़ी में भी बड़े लगन और होशियारी पूर्वक कार्य करते थे जिससे गांव वाले प्रसंशा करते थकते नहीं थे। हल चलाना, कुदाल चलाना, खेतों की साज सज्जा, से लेकर फसलों की बुआई व कटाई बड़ी कुशलता से करते थे।
एक दौर था जब सोशल मीडिया इतनी एक्टिव नहीं थी तब अखबारों में कविता लिखने के लिए आने वाले काॅलम के लिए डाक द्वारा अपनी कविता भेजते थे। और हर दिन अखबार में अपना नाम ढूंढते। इनकी रचना कभी छपती तो कभी नहीं भी छपती थी। पर कभी निराश नहीं हुए और निरंतर लेखन का कार्य जारी रखा।
वैसे इनके संघर्ष की कहानी बहुत लम्बी है और आज भी संघर्षरत हैं। इनका मानना है कि किसी एक सीढ़ी पर पहुंचकर ये नहीं मान लेना चाहिए कि हम सफल हो गए। अगर आज हम सिर्फ साहित्य की बात करें तो अमित प्रेमशंकर किसी परिचय के मोहताज नहीं है। इनके दर्जनों हिन्दी साझा काव्य संकलन के साथ साथ “मन की धारा” नामक एकल काव्य संग्रह भी दिल्ली से प्रकाशित हुई है। जो सभी प्रमुख आनलाईन बाजारों में भी उपलब्ध है।
अमित प्रेमशंकर की दो कविताएं “आज राम जी आएंगे” व “सीता माता सी कोई नहीं ” को महाराष्ट्र आमगांव महाविद्यालय के प्राचार्य व वरिष्ठ साहित्यकार ओ. सी. पटले जी ने पोवारी और मराठी भाषा में अनुवाद किया है। साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट लेखन के लिए अमित प्रेमशंकर कई सम्मानों से भी नवाजे जा चुके हैं जिसमें, आत्म सृजन साहित्य सम्मान, काव्य श्री साहित्य सम्मान, भावोन्नती साहित्य सम्मान, सुमित्रानंदन पंत स्मृति सम्मान, रैदास साहित्य सम्मान, सरदार भगत सिंह काव्य लेखन सम्मान, साहित्य कर्नल सम्मान, द फेस ऑफ इंडिया साहित्य सम्मान समेत व दिल्ली साहित्य रत्न सम्मान आदि प्रमुख हैं। मुंबई आने के बाद इन्होंने भोजपुरी व हिन्दी एल्बम के लिए लगभग दो दर्जन से अधिक गीत लिखें, जिसमें राम भजन, सरस्वती भजन, शिव भजन, छठ गीत और होली के जोगिरा से लेकर रोमांटिक गीत भी शामिल हैं। हाल ही इनके लिखे गीत “तुम कहो अयोध्या वासी” काफी लोकप्रिय हुई, लाखों लोगों ने शेयर किया, कुछ रैप बनाए गए, कुछ संगीतबद्ध कर एल्बम बनाए गए। इसके पहले कोरोना काल में “काली भद्रकाली मांँ” ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में”हे शूलपाणि हे शंकरा” राम मंदिर उद्घाटन में”आज आए मेरे राम अवध ” समेत जादू तेरे चरण में रघुवर, लौटा दे मेरी सीता को, जैसे गीत लोगों के मन में एक अमिट छाप छोड़ गई है।
अमित प्रेमशंकर आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। लोग कहते है कि इनकी वीर रस की कविताओं में महाकवि रामधारी सिंह दिनकर जी परछाई की झलक दिखाई देती है। लोगों को धर्म,कर्म के प्रति उत्साहित करना, मार्गदर्शन करना इनके रचनाओं की प्राथमिकता है। श्री अमित प्रेमशंकर श्रृंगार रस, वीर रस व भक्ति रस समेत करुण रस की कविताएं लिखते हैं । जिसे पढ़कर एक अलौकिक आनन्द की अनुभूति होती है॥
♦ अमित प्रेमशंकर जी — एदला-सिमरिया, जिला–चतरा, झारखण्ड ♦
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Conclusion
- “अमित प्रेमशंकर“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से अपना जीवन परिचय बताने की कोशिश की है — अमित प्रेमशंकर प्रजापति एक प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार, कवि और गीतकार हैं, जिनका जन्म 10 मार्च 1993 को झारखंड के चतरा जिले के एदला गांव में हुआ। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से प्राप्त की और बचपन से ही हिंदी भाषा और साहित्य में गहरी रुचि दिखाई। स्कूल के समय से ही वे कविताएं और गीत लिखने लगे थे और अनुशासनप्रिय व बुद्धिमान छात्र के रूप में पहचाने जाते थे।अमित ने दसवीं के बाद “सिमरिया इंटर कॉलेज” से 12वीं की पढ़ाई की और फिर विनोबा भावे विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातक किया। वे न सिर्फ एक साहित्यकार हैं बल्कि खेती-बाड़ी में भी निपुण हैं, जहां वे अपने पिता के साथ मिलकर खेती करते थे। उनके गीत और कविताएं अखबारों में प्रकाशित होती थीं, और उन्होंने कभी हार नहीं मानी, चाहे उनकी रचनाएं प्रकाशित हों या नहीं।अमित प्रेमशंकर का साहित्यिक योगदान कई साझा काव्य संग्रहों में शामिल है, और उनका एकल काव्य संग्रह “मन की धारा” भी प्रकाशित हुआ है। उनके कई गीत और कविताएं लोकप्रिय हुई हैं, जैसे “तुम कहो अयोध्या वासी”, “काली भद्रकाली मां”, “हे शूलपाणि हे शंकरा”, और “आज आए मेरे राम अवध”। उनके गीतों और कविताओं का अनुवाद मराठी और पोवारी भाषाओं में भी किया गया है।अमित प्रेमशंकर को कई साहित्यिक सम्मानों से नवाजा जा चुका है, जैसे आत्म सृजन साहित्य सम्मान, काव्य श्री साहित्य सम्मान, दिल्ली साहित्य रत्न सम्मान आदि। उनकी वीर रस की कविताओं में महाकवि रामधारी सिंह दिनकर की झलक दिखाई देती है। वे आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं और उनके लेखन का उद्देश्य लोगों को धर्म और कर्तव्य के प्रति जागरूक करना है।
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यह जीवन परिचय (अमित प्रेमशंकर का जीवन परिचय।) “अमित प्रेमशंकर जी“ जीवन पर आधारित है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। आपकी ज्यादातर कविताएं युवा पीढ़ी को जागृत करने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
नाम: अमित प्रेमशंकर
पिता: श्री द्वारिका प्रजापति
माता: श्रीमती रेखा देवी
पत्नी: श्रीमती संजू प्रेमशंकर
जन्मतिथि: १० मार्च १९९३
पता: ग्राम+पोस्ट – एदला
प्रखण्ड: सिमरिया
जिला: चतरा (झारखण्ड)
पिन: ८२५१०३
शिक्षा: स्नातक (हिंदी) विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग
सम्प्रति: कवि, गीतकार व ढोलक वादक।
प्रकाशित पुस्तकें: मन की धारा(एकल),आत्म सृजन, काव्य श्री, एक नई मधुशाला १, एक नई मधुशाला २, भावों के मोती, हमारी शान तिरंगा है व अक्षर पुरूष
प्रकाशित रचनाएं: देश के अलग-अलग पत्र पत्रिकाओं में लगभग दो सौ रचनाएं प्रकाशित व समय समय पर सामाचार पत्रों के माध्यम से पत्राचार।
विशेष: कविता “सीता माता सी कोई नहीं” तथा “आज राम जी आएंगे” महाराष्ट्र के वरिष्ठ साहित्यकार श्री ओ. सी. पटले द्वारा पोवारी भाषा में अनुवाद व दर्जनों हिन्दी, भोजपुरी गीत यूट्यूब पर मौजूद हैं जिसे अलग अलग गायक और गायिकाओं ने अपने स्वर से सजाया है।
प्राप्त सम्मान: काव्य श्री साहित्य सम्मान, आत्म सृजन साहित्य सम्मान, भावोन्नती साहित्य सम्मान, सरदार भगतसिंह काव्य लेखन सम्मान, सुमित्रानंदन पंत स्मृति सम्मान, साहित्य कर्नल सम्मान दो बार, रैदास साहित्य सम्मान,द फेस ऑफ इंडिया साहित्य सम्मान, राष्ट्र प्रेमी साहित्य सम्मान तथा दिल्ली साहित्य रत्न सहित अनेकों आनलाईन काव्य पाठ द्वारा ई-सम्मान पत्र शामिल है।
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