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वर्षा ऋतु पर कविताये

मेघराज आये माँ तेरा स्वागत करने।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ मेघराज आये माँ तेरा स्वागत करने। ♦

हे जगदम्बे माँ! तेरे गुप्त नवरात्रि की सबको बधाई।
इस वर्ष की फिर से शुभ मंगल, पावन घड़ी आई॥

कई दिनों से इन मेघों का उमड़-घुमड़ कर आना।
फिर इस पावन दिन पर ही इनका यूँ बरस जाना॥

सार्थक किया देव इंद्र ने भी अपने नाम को।
उचित समय अंजाम दे दिया अपने काम को॥

धरा को अपनी प्यारी बूंदों के स्पर्श से किया पावन।
प्रकृति भी शीश झुका कर मानो हो रही मनभावन॥

धरा ने इन बूंदों से खुद को कर लिया निर्मल।
जैसे खुद को पाक किया, डाला जैसे गंगा-जल॥

पावन नवरात्रि में चारों दिशाएँ तुझें पुकार रही।
तेरे स्वागत में अतृप्त नैन राहें तेरी बुहार रही॥

इंद्रदेव खुश होकर झमाझम जल बरसाए।
धरा भी शीतल हो तेरे आगमन में मन्द-मन्द हर्षाये॥

तू भी अपने लाल-लाल चुनरी को ओढ़ कर आएगी।
कुम-कुम लगे पग तेरे खुशहाली बिखेर जाएगी॥

तेरा ही सम्पूर्ण ब्रह्मांड गुणगान करेगा।
ये भी अपने दामन को तेरे आशीष से भरेगा॥

हे जग जननी, तू तो वरदायिनी ममतामयी माँ।
तुझसा इस ब्रह्मांड में कोई और कहाँ॥

इस पृथ्वी माँ को धन्य करती तुम बारम्बार।
मानव मन पर दया कर बार-बार करती उपकार॥

तेरे ही पावन चरण कमलों में हर सुख का बसेरा है माँ।
तेरी कृपादृष्टि से तो हर रात में भी खुशियों का सवेरा है माँ॥

तू अपनी कृपादृष्टि बिखरा जाना नूर ही नूर, माँ।
हे विश्वविनोदिनि माँ, तेरे खजाने तो रहमतों से भरपूर, माँ॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — पवित्र प्रकृति व वर्षा भी मातारानी का दिल से स्वागत कर रहा है। हे जगदम्बे माँ! तेरे इस गुप्त नवरात्रि की सबको बधाई। धरा को अपनी प्यारी बूंदों के स्पर्श से किया पावन। प्रकृति भी शीश झुका कर मानो हो रही मनभावन। धरा ने इन बूंदों से खुद को कर लिया निर्मल, जैसे खुद को पाक किया, डाला जैसे गंगा-जल हो।

—————

यह कविता (मेघराज आये माँ तेरा स्वागत करने।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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