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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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विजयलक्ष्मी जी की कविताएं

होली से होलिका।

Kmsraj51 की कलम से…..

Holi to Holika | होली से होलिका।

होली रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।

आओ मिलकर रंगोत्सव मनाते हैं,
खोई हुई संस्कृति को वापस लाते हैं।

फाल्गुन मास, कृष्ण पक्ष, प्रतिपदा तिथि आई है,
पुरातन समय की बातें यादें साथ लाई है,
कृष्ण राधा की वो बरसाने वाली होली मन में समाई है।

होलिका दहन की परंपरा की कथा मन में समाई है,
भगत प्रहलाद(प्रह्लाद) की निष्ठा भक्ति सबके मन में समाई है।
कृष्ण राधा की वो……

हिरण्यकश्यप ने तप करके खुद को भगवान कहता भाई है,
भगत प्रहलाद की भक्ति भी बाधित करवाता भाई है।
कृष्ण राधा की वो……

बुआ होलिका के हाथों प्रहलाद को मरवाने की करता ढिठाई है,
भगत प्रहलाद को गोद में ले होलिका अग्नि बीच समाई है।
कृष्ण राधा की वो……

भगत प्रहलाद ने अग्नि के बीच भी विष्णु भगवान की माला जपाई है,
भगवान विष्णु की लीला से होलिका की चुनरी प्रहलाद के तन पर आई है।
कृष्ण राधा की वो……

भगत प्रहलाद बच गए होलिका अग्नि में समाई हैं,
उस दिन से आज तक हम होलिका दहन की परंपरा निभाते भाई है।
कृष्ण राधा की वो……

इतिहास से जुड़ी ये कहानी फिर से दोहराई है,
भगत प्रहलाद जैसी भक्ति किसी ने नहीं पाई है,
कृष्ण राधा की वो बरसाने वाली होली मन में समाई है।

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए; इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की हैं — हिरण्यकश्यप का सबसे बड़ा पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का उपासक था और यातना एवं प्रताड़ना के बावजूद वह विष्णु की पूजा करता रहा। क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह अपनी गोद में प्रह्लाद को लेकर प्रज्ज्वलित अग्नि में चली जाय क्योंकि होलिका को वरदान था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी। भगत प्रहलाद बच गए होलिका अग्नि में समाई हैं, उस दिन से आज तक हम होलिका दहन की परंपरा निभाते भाई है। भक्त प्रह्लाद विष्णु के भक्त थे। हिरण्यकश्यप के वध के बाद वे ही असुरों के सम्राज्य के राजा बने थे। प्रहलाद के महान पुत्र विरोचन हुए और विरोचन से महान राजा बलि का जन्म हुआ जो महाबलीपुरम के राजा बने। इन बलि से ही श्री विष्णु ने वामन बनकर तीन पग धरती मांग ली थी।

—————

यह कविता (होली से होलिका।) “विजयलक्ष्मी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम विजयलक्ष्मी है। मैं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय, छारा – 2, ब्लॉक – बहादुरगढ़, जिला – झज्जर, हरियाणा में मुख्य शिक्षिका पद पर कार्यरत हूँ। मैं पढ़ाने के साथ-साथ समाज सेवा, व समय-समय पर “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” और भ्रूण हत्या पर Parents मीटिंग लेकर उनको समझाती हूँ। स्कूल शिक्षा में सुधार करते हुए बच्चों में मानसिक मजबूती को बढ़ावा देना। कोविड – 19 महामारी में भी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाना, वीडियो और वर्क शीट बनाकर भेजना, प्रश्नोत्तरी कराना, बच्चों को साप्ताहिक प्रतियोगिता कराकर सर्टिफिकेट देना। Dance Classes प्रतियोगिता का Online आयोजन कराना। स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर कार्य करना। इन सभी कार्यों के लिए शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा और कई Society द्वारा बार-बार सम्मानित किया गया।

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©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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शिव शंभू और नंदी।

Kmsraj51 की कलम से…..

Shiva Shambhu and Nandi | शिव शंभू और नंदी।

विद्या : चित्रलेखा।

जय जय भोले भंडारी,
जय जय भोले भंडारी,
करते हो सदा नंदी पे सवारी,
जय जय भोले भंडारी,
जय जय भोले भंडारी॥

सबके रखवाले हो शिवा,
डमरू वाले हो शिवा,
कैलाश पर है डेरा,
जय जय भोले भंडारी,
जय जय भोले भंडारी॥

सर पे तेरे बहती है गंगा,
काम सभी का करते हो चंगा,
हाथों में त्रिशूल विराजे,
सिर पर अर्ध चंद्रमा साजे,
जय जय भोले भंडारी,
जय जय भोले भंडारी॥

भूत पिसाच निकट नहीं आते,
जब आप अघोरी रुप में हो आते,
योगी आदि हो कहलाते,
श्मशान में हो धूणी रमाते,
जय जय भोले भंडारी,
जय जय भोले भंडारी॥

नंदी संग में रहते हैं,
मां पार्वती के बेटे हैं,
जब शिव डमरू बजाते हैं,
नंदी भी नाच दिखाते हैं,
जय जय भोले भंडारी,
जय जय भोले भंडारी,
करते हैं नंदी की सवारी॥

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए; इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की हैं — महाशिवरात्र‍ि भगवान भोलेनाथ की आराधना का ही पर्व है, जब धर्मप्रेमी लोग महादेव का विधि-विधान के साथ पूजन-अर्चन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन शिव मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो शिव के दर्शन-पूजन कर खुद को सौभाग्यशाली मानते है। भक्तों के सब संकट हरते शिव ही महाकाल है। शिव ही संहार करते शिव शक्ति का रूप है। कोटि कोटि वंदन करूँ शिव ही तारणहार है। नंदी संग में रहते हैं, मां पार्वती के बेटे हैं, जब शिव डमरू बजाते हैं, नंदी भी नाच दिखाते हैं, जय जय भोले भंडारी, जय जय भोले भंडारी, करते हैं नंदी की सवारी।

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यह कविता (शिव शंभू और नंदी।) “विजयलक्ष्मी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम विजयलक्ष्मी है। मैं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय, छारा – 2, ब्लॉक – बहादुरगढ़, जिला – झज्जर, हरियाणा में मुख्य शिक्षिका पद पर कार्यरत हूँ। मैं पढ़ाने के साथ-साथ समाज सेवा, व समय-समय पर “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” और भ्रूण हत्या पर Parents मीटिंग लेकर उनको समझाती हूँ। स्कूल शिक्षा में सुधार करते हुए बच्चों में मानसिक मजबूती को बढ़ावा देना। कोविड – 19 महामारी में भी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाना, वीडियो और वर्क शीट बनाकर भेजना, प्रश्नोत्तरी कराना, बच्चों को साप्ताहिक प्रतियोगिता कराकर सर्टिफिकेट देना। Dance Classes प्रतियोगिता का Online आयोजन कराना। स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर कार्य करना। इन सभी कार्यों के लिए शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा और कई Society द्वारा बार-बार सम्मानित किया गया।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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पहले और अब – गणतंत्र दिवस।

Kmsraj51 की कलम से…..

Earlier and Now – Republic Day – पहले और अब – गणतंत्र दिवस।

वो जमीन न रही, वो आसमां न रहा,
गणतंत्र दिवस मना रहें हैं हम।
वो गण न रहे वो तंत्र न रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा।

संविधान हम सब पूजते हैं,
हर जन के मन में विधान न रहा।
न्याय है किताबों में हकीकत में न रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा।

बात जब आती है अधिकारों पर,
तरिका-ए-कार न रहा।
वो मानव अधिकार न रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा।

प्रस्तावना को उद्देशिका कहा जाता रहा,
संविधान निर्माता राष्ट्र निर्माण सजाता रहा।
संपूर्ण प्रभुता के साथ संपन्नता दिखाता रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा।

समाजवाद, पंथनिरपेक्षता को 42वें,
संशोधन से जोड़ा गया।
लोकतंत्रात्मक जनता का शासन बताते रहे,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा।

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को हम मनाते रहे,
सामाजिक, आर्थिक न्याय की गुहार लगाते रहे।
न्यूनतम और अधिकतम आयु हमें दर्शात रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा।

राजनीति, विचार अभिव्यक्ति बताते रहे,
अध्याय 19(1) जनमत निर्माण हमें बताते रहे।
विश्वास, धर्म उपासना का अधिकार भी बताता रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा।

प्रतिष्ठा और अवसर की समानता भी बताता रहा,
व्यक्ति की गरिमा न रही फिर भी गिनवाता रहा।
राष्ट्र की एकता अखंडता सलामत रही,
भाई से भाई को मरवाता रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा।

आओ हम सब सच्चाई का रूख अपनाएं,
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाए।
हर जन में मानव व मानवीयता बनी रहे,
वो जमीन भी उजागर हो आसमां भी उजागर रहे।
जय हिन्द – जय भारत॥

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए; इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की हैं — आज प्रश्न है तो वह यह है कि आखिर भारत में कब पूर्ण गणतंत्र मनाया जाएगा? जब हर आदमी को उसका पूरा अधिकार मात्र कागजों में ही नहीं बल्कि असल में मिलेगा। जिन पूर्वजों ने अपना बलिदान देकर भारत को यह सपना देख कर आजाद करवाया था, कि भारत की जनता को पूर्ण गणतंत्रता प्राप्त हो। उनके दिलों पर आज क्या बीतती होगी, यदि वे किसी लोक या दुनियां से आज भारत का दृश्य देखते होंगे। वे तो अंग्रेज थे, जो भारतीयों का काम कभी भी समय पर नहीं करते थे। फिर करते भी थे तो पूरी खुशामद करवा कर ही करवाते थे। पर आज तो काम करवाने वाला भी भारतीय है और काम करने वाला भी भारतीय ही है। आज हालत उससे भी बदतर है। बिना रिश्वत या चाटुकारिता के कोई काम करने को राजी नहीं है। शायद ऐसे भारत की कल्पना तो कभी हमारे पुरखों ने न की हो।

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यह कविता (पहले और अब – गणतंत्र दिवस।) “विजयलक्ष्मी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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गुरु महिमा।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ गुरु महिमा। ♦

गुरु पूर्णिमा एक बहुत ख़ास अवसर है, क्योंकि एक गुरु ही है जो पूरे समाज की नींव होता है। तो आइए हम आपको बताते है गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु के चरणों में मेरी एक छोटी सी कविता समर्पित है।

गुरु ब्रह्मा-गुरु विष्णु है, गुरु ही मान महेश।
गुरु से अन्तर-पट खुलें, गुरु ही हैं परमेश॥

—♦—

मां बाप ने जन्म दिया,
प्रथम गुरु मां कहलाए।
दूसरा गुरु शिक्षक कहलाए,
भले बुरे का भेद बताए।

इंसान और जानवर में भेद बताए,
जीवन पथ की डगर दिखाए।
परछाई की तरह साथ निभाए,
धैर्यता का पाठ पढ़ाए।

संकट में हंसना सिखाए,
अपमान महत्वाकांक्षा से ऊपर उठाएं।
मिथ्या आडंबरों से बचाए,
देश भक्ति की भावना जगाने।

सूर्य की उर्जा सा धमकाए,
अंबर सा विस्तार बनाए।
गुरु की अराधना से,
पानी में पत्थर दिए तराए।

गुरु के स्मरण से,
अर्जुन ने धनुष दिया उठाए।

जो गुरु की शरण में आए,
भवसागर तर जाए।
आओ गुरु चरण वंदन करें,
भाग्य रेखा भी बदल जाए।

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए; इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की हैं — गुरु हमें जिंदगी में एक जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनाने में हमारी सहायता करते हैं। वही हमें जीवन जीने का असली तरीका सिखाते हैं; और वही हमें जीवन के राह पर ता-उम्र सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु हमें अंधकार भरे जीवन से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु एक दीपक की भांति होता है जो अपने शिष्यों के जीवन को प्रकार से भर देते हैं। विद्यार्थी जीवन में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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यह कविता (गुरु महिमा।) “विजयलक्ष्मी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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तपन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ तपन। ♦

उसकी मुस्कान में तपन थी कितनी प्यारी सी,
भीड़ भरे जहां में लगने लगी फरिश्ता सी।

इक नई कशमकश से हम गुजरते रहे,
खिल गए फूल चमन में उनके प्यार की तपन से।

प्यार भरी बयार बहने लगी महक उठी फूलवारी तपन में,
उनके मधुर स्वरों से बह उठी सद्भावों की धाराएं सी।

तपन की अग्न लगे तो रोशन हो जाए संसार सारा,
लगने लगे माधव बंशी वाला प्यारा जब लग्न हो मीरा सी।

हर समस्या का हल निकलता है बुजुर्गो के अनुभवों से,
आचरणों को बल मिलता है संस्कारों की तपन से।

सोना जब कुंदन बन बाहर आता है आग की तपन से,
रत्न जड़ित आभूषणों में चार चांद लग जाते हैं तपन से।

भावों का उड़ता पंछी महके तपन में स्नेह की वर्षा से,
भारत धरा का कण-कण महके त्याग तपस्या के भावों से।

थोड़ा सा दुलार स्नेह उसे दो जिसका दुनिया में कोई नहीं,
जीवन औरों का भी संवार दो तुम स्नेह भरी तपन से।

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

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  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए; इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की हैं — भगवान महावीर स्वामी त्याग तपस्या और उनके गुणों के कारण आज भी हमारे बीच मौजूद हैं, या और भी जितने महापुरुषों को समझे तो सभी ने त्याग व तपस्या से जीवन में सफलता को बताया है। माया की चकाचौंध में हम प्रभु को भूल जाते हैं मनुष्य का मन बेलगाम है इसलिए मन पर संयम रखना बहुत जरूरी है। महापुरुषों में सबसे महत्वपूर्ण गुण मन पर नियंत्रण ही है। सच्चे मन से किये गए कार्य में जब त्याग व तपस्या का बल हो तो जीवन में सफलता जरूर मिलती हैं।

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यह कविता (तपन।) “विजयलक्ष्मी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम विजयलक्ष्मी है। मैं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय, छारा – 2, ब्लॉक – बहादुरगढ़, जिला – झज्जर, हरियाणा में मुख्य शिक्षिका पद पर कार्यरत हूँ। मैं पढ़ाने के साथ-साथ समाज सेवा, व समय-समय पर “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” और भ्रूण हत्या पर Parents मीटिंग लेकर उनको समझाती हूँ। स्कूल शिक्षा में सुधार करते हुए बच्चों में मानसिक मजबूती को बढ़ावा देना। कोविड – 19 महामारी में भी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाना, वीडियो और वर्क शीट बनाकर भेजना, प्रश्नोत्तरी कराना, बच्चों को साप्ताहिक प्रतियोगिता कराकर सर्टिफिकेट देना। Dance Classes प्रतियोगिता का Online आयोजन कराना। स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर कार्य करना। इन सभी कार्यों के लिए शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा और कई Society द्वारा बार-बार सम्मानित किया गया।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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पहले और अब – गणतंत्र दिवस।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ पहले और अब – गणतंत्र दिवस। ♦

चलो कुछ नया सवेरा लाए, सत्य की राहों पर चले, देश में नया उजियारा फैलाएं।

वो जमीन न रही, वो आसमां न रहा,
गणतंत्र दिवस मना रहें हैं हम।
वो गण न रहे वो तंत्र न रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा॥

संविधान हम सब पूजते हैं,
हर जन के मन में विधान न रहा।
न्याय है किताबों में हकीकत में न रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा॥

बात जब आती है अधिकारों पर,
तरिका-ए-कार न रहा।
वो मानव अधिकार न रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा॥

प्रस्तावना को उद्देशिका कहा जाता रहा,
संविधान निर्माता राष्ट्र निर्माण सजाता रहा।
संपूर्ण प्रभुता के साथ संपन्नता दिखाता रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा॥

समाजवाद, पंथ निरपेक्षता को 42वें,
संशोधन से जोड़ा गया॥
लोक तंत्रात्मक जनता का शासन बताते रहे,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा॥

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को हम मनाते रहे,
सामाजिक, आर्थिक न्याय की गुहार लगाते रहे।
न्यूनतम और अधिकतम आयु हमें दर्शात रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा॥

राजनीति, विचार अभिव्यक्ति बताते रहे,
अध्याय 19(1) जनमत निर्माण हमें बताते रहे।
विश्वास, धर्म उपासना का अधिकार भी बताता रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा॥

प्रतिष्ठा और अवसर की समानता भी बताता रहा,
व्यक्ति की गरिमा न रही फिर भी गिनवाता रहा।
राष्ट्र की एकता अखंडता सलामत रही।
भाई से भाई को मरवाता रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा॥

आओ हम सब सच्चाई का रूख अपनाएं,
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाए।
हर जन में मानव व मानवीयता बनी रहे।
वो जमीन भी उजागर हो आसमां भी उजागर रहे॥
जय हिन्द जय भारत॥

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए समझाने की कोशिश की हैं — कड़वा है मगर सत्य है… जिन सूरमाओं ने अपने रक्तिम रंग से खेली क्रांति की होली थी। भारत की स्वतंत्रता खातिर, खाई वक्ष स्थल में गोली थी। सदैव ही इंकलाब की जिनके मुंह में, रहती सदा एक ही बोली थी। वह नर के वेश में नारायण की, अवतरी भारत में टोली थी। इतिहास छुपाया सच न बताया, इज्ज़त, माटी में रोली थी? यह राष्ट्रीय पर्व हमें देश की एकता और गौरव को बनाये रखने की प्रेरणा देता है। हम सभी को संविधान के सभी नियमों का पालन करना चाहिए। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान पूर्ण रूप से लागू हो गया था। भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। 26 जनवरी के दिन ही भारत को गणराज्य का सर्वोत्तम दर्जा प्राप्त हुआ। 26 जनवरी के दिन दिल्ली में इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक परेड निकाली जाती है। जिस वतन ने हमें प्यार, मां का आंचल, समरसता, रंग रूप भेष भाषा सभी को मिलता मान दिया उस वतन पे हमें नाज है। जिस वतन का सबसे बड़ा संविधान लोकतंत्र जिसकी शान वो भारत देश महान वो भारत देश महान। वतन हमारी आन हमारा सम्मान है उस मां को हमारा सलाम वंदे मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम्॥

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यह कविता (पहले और अब – गणतंत्र दिवस।) “विजयलक्ष्मी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम विजयलक्ष्मी है। मैं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय, छारा – 2, ब्लॉक – बहादुरगढ़, जिला – झज्जर, हरियाणा में मुख्य शिक्षिका पद पर कार्यरत हूँ। मैं पढ़ाने के साथ-साथ समाज सेवा, व समय-समय पर “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” और भ्रूण हत्या पर Parents मीटिंग लेकर उनको समझाती हूँ। स्कूल शिक्षा में सुधार करते हुए बच्चों में मानसिक मजबूती को बढ़ावा देना। कोविड – 19 महामारी में भी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाना, वीडियो और वर्क शीट बनाकर भेजना, प्रश्नोत्तरी कराना, बच्चों को साप्ताहिक प्रतियोगिता कराकर सर्टिफिकेट देना। Dance Classes प्रतियोगिता का Online आयोजन कराना। स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर कार्य करना। इन सभी कार्यों के लिए शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा और कई Society द्वारा बार-बार सम्मानित किया गया।

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देव पूर्णिमा।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ देव पूर्णिमा। ♦

चली है नई हवा देव पूर्णिमा पर,
ठंडी हवा से लगा वसंत आया लगता है।
सभी जगह खुशनुमा माहौल है,
सर्द पूर्णिमा के साथ वसंत सा आया लगता है।

आओ ऐसी पूजा करे ठंड से,
भूख से, मौत न हो किसी की,
देव पूर्णिमा सर्द ऋतु के साथ बसंत आया लगता हैं।
चारों ओर माहौल में धुआं – धुआं सा छाया है।

इस धुएं को छांटने सर्द हवाओं के साथ,
बसंत सा आया लगता है।
जो महामारी फैली है संसार में चारों ओर,
इसे खत्म करने सर्द ऋतु में बसंत सा आया लगता है।

हरियाली छाई है सर्द मौसम में,
देव पूर्णिमा के साथ वसंत सा आया लगता है।
हर चेहरे पर खुशी की शमा जलती रहे विजयलक्ष्मी,
ये सर्द हवाओं के मौसम में वसंत आया लगता है।

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए समझाने की कोशिश की हैं — बुरी शक्तियों पर दैवी शक्तियों को जीत जब मिलता है, उस जीत की खुशी में सभी देवतागण द्वारा जो दीपक जलाकर अपनी खुशी जाहिर की जाती है वही देव दीपावली का महापर्व कहलाया। आओ हमसब मिलकर इस देव दीपावली महापर्व को सच्चे मन से मनाए। इस दिन ध्यान साधना करे, सच्चे मन से। अपने मन को शांत रखने के लिए इस देव दीपावली पर देशी घी से यज्ञ करे पूर्ण शांत मन से। देव दीपावली पर पुरे दिन अच्छे व सच्चे मन से ध्यान – साधना में रत रहे। पूर्ण शांत मन से ध्यान करने से, आपके आत्मा की सुषुप्त शक्तियां जागृत होने लगती। आत्मा की सुषुप्त शक्तियां जिस भी मनुष्य की जागृत हो जाती है, उसके लिए हर कार्य आसान हो जाता हैं।

—————

यह कविता (देव पूर्णिमा।) “विजयलक्ष्मी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम विजयलक्ष्मी है। मैं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय, छारा – 2, ब्लॉक – बहादुरगढ़, जिला – झज्जर, हरियाणा में मुख्य शिक्षिका पद पर कार्यरत हूँ। मैं पढ़ाने के साथ-साथ समाज सेवा, व समय-समय पर “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” और भ्रूण हत्या पर Parents मीटिंग लेकर उनको समझाती हूँ। स्कूल शिक्षा में सुधार करते हुए बच्चों में मानसिक मजबूती को बढ़ावा देना। कोविड – 19 महामारी में भी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाना, वीडियो और वर्क शीट बनाकर भेजना, प्रश्नोत्तरी कराना, बच्चों को साप्ताहिक प्रतियोगिता कराकर सर्टिफिकेट देना। Dance Classes प्रतियोगिता का Online आयोजन कराना। स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर कार्य करना। इन सभी कार्यों के लिए शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा और कई Society द्वारा बार-बार सम्मानित किया गया।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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बाल दिवस और इतिहास।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ बाल दिवस और इतिहास। ♦

बाल दिवस सार्थक हो हमारा, ऐसा बाल दिवस मनाते हैं।

आओ हम सब मिलकर बाल दिवस मनाते हैं।
बाल दिवस के साथ थोड़ा इतिहास दोहराते हैं॥

सबसे पहले ये दिवस मनाने का बीड़ा उठाते हैं।
20 नवंबर 1956 को अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस मनाते है॥

सभी देश अलग – अलग तिथियों में ये दिवस मनाते है।
सभी देश मिलकर सर्वसम्मति से बच्चों के लिए न्यायिक कानून बनाते हैं॥

14 नवंबर 1889 को जन्मे प. जवाहर लाल जी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री कहलाते हैं।
बच्चे थे उनको प्यारे इसलिए चाचा नेहरू नाम धराते है॥

27 मई1964 को नेहरू जी स्वर्ग सिधार जाते है।
उनकी याद में 14 नवंबर को हम राष्ट्रीय स्तर पर बाल दिवस मनाते हैं॥

आओ हम सब मिलकर थोड़ा इतिहास दोहराते हैं।
जो देश के लिए हुए कुर्बान बच्चे उनके बारे में बच्चों को बताते हैं॥

सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह कहे जाते है,
इनकी पत्नी जीतो की कोख से चार पुत्र जन्म पाते हैं॥

अजीत, जुझार, जोरावर, फतेह सिंह नाम धराते है,
नौकर की गद्दारी से जोरावर, फतेह सिंह को सरहिंद नवाब वजीर खां दीवार में चुनवाते है॥

1705 में औरंगजेब चमकौर में सेना के साथ हमला करवाते हैं,
अजीत, जुझार सिंह उनसे लड़ते हुए 18 और 14 वर्ष की आयु में शहिद हो जाते हैं॥

इन सब के साथ जहन में वीर हकीकत राय का नाम याद आ जाता है,
1719 मे पिता लाला भागमल पुरी, माता कैरो के घर जन्म पाते हैं॥

1734 में धर्म के अपमान का प्रतिकार करने के कारण मुसलमान उनकी गर्दन कटवाते है,
आओ हम सब मिलकर ऐसे वीर बच्चों के आगे शीश झुकाते हैं॥

विजयलक्ष्मी हरियाणा है कहती आओ हम सब मिलकर ऐसा बाल दिवस मनाते हैं,
सार्थक हो बाल दिवस मनाना जब हम हर बच्चे के मन में देश भक्ति का भावना भर पाते हैं॥

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए समझाने की कोशिश की हैं — बच्चे मन के सच्चे होते है, वे कुम्हार के चाक पर रखे मिट्टी के समान होते है, उन्हें जैसा ढालना चाहे ढाल सकते हैं। बच्चों को संस्कारवान, परोपकारी व दया, प्रेम, धैर्य के गुणों से सिंचित करना चाहिए, क्योंकि किसी भी देश का भविष्य उस देश के बच्चों पर ही निर्भर होता हैं। बच्चे आने वाले कल के सूत्रधार है। बच्चों पर कभी भी क्रोध नहीं करना चाहिए, यदि बच्चे कोई गलती करे तो उन्हें प्यार से समझा दे। कभी भी उनकी पिटाई न करे, पिटाई करने से उनके मन में आपके प्रति घृणा का भाव उत्पन्न होने लगता है, ऐसे बच्चे आगे चलकर बहुत ही गलत कदम उठाने लगते हैं। अतः सदैव ही बच्चों को प्रेम से ही समझाना चाहिए, जिससे वो समझ भी जाए, और उनके बाल मन पर कोई बुरा प्रभाव भी न पड़े।

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यह कविता (बाल दिवस और इतिहास।) “विजयलक्ष्मी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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दीपक संग इतिहास।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ दीपक संग इतिहास। ♦

दिवाली का पर्व आया है धूमधाम से मनाना है।
धनतेरस से भैया दूज, इन पांच दिनों का इतिहास पुराना है॥

दिवाली के दिन श्री राम जी अयोध्या लौटकर आए थे।
इस खुशी में सब लोगों ने अपने घरों में घी के दीप जलाए थे॥

इसी दिन मां दुर्गा ने काली का रुप भी धारा था।
कितने पापी असुरों को मौत के घाट उतारा था॥

इसी दिन भगवान महावीर को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।
दिवाली के दिन ही पांडव भी अज्ञातवास काटकर आए थे॥

कार्तिक मास की अमावस्या को क्षीरसागर से हुई लक्ष्मी माँ प्रकट थी।
सुना है लक्ष्मी और विष्णु जी इसी दिन प्रणय सूत्र में बंधे थे॥

जब इन्द्र देव कुपित हुए बारिश करके तबाही मचाई थी।
श्री कृष्ण भगवान ने गोवर्धन पर्वत उठा इन्द्र के गर्व को तोड़ा था॥

कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की रीत चलाई थी।
सभी गोकुलवासियों ने मिलकर संध्या समय गोवर्धन पर्वत की आरती उतारी थी॥

एकबार कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वादशी को यमराज यमुना के घर पधारे थे।
भाई दूज नाम पड़ा इस दिन का यमुना ने यमराज से हर साल आने का प्रण लिया था॥

कठोपनिषद में कहा है नचिकेता के पिता ने यमराज को दान देने की बात कही थी।
पिता की बात मानी नचिकेता ने, कार्तिक अमावस्या को यमलोक पहुंचा गए थे॥

यह देख यमदेव खुश हुए फिर तीन वर मांगने को कहा था।
नचिकेता ने पिता का स्नेह, अग्नि विद्या और मृत्यु का ज्ञान मांगा था॥

दैत्यों के राजा बलि के राज्य में दया, दान, अहिंसा और सत्य व्याप्त था।
दैत्यों के राजा बलि के यहां विष्णु जी ने द्वारपाल का पद संभाला था॥

धर्मनिष्ठता स्मृति के साथ तीन दिन तक अहोरात्रि महोत्सव किया था।
यही महोत्सव दीपमालिका के नाम से दुनिया में प्रसिद्ध हुआ था॥

विजयलक्ष्मी कलम रोककर है कहती, आओ भेदभाव को दूर कर स्नेह का दीप जलाए।
जो शहीद हुए हैं देश के लिए उनके स्वप्नों को हम साकार कर दिखाएं॥

॥ आप सभी को दीपावली प्रकाश पर्व पर — हार्दिक शुभकामनाएं ॥

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

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  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए समझाने की कोशिश की हैं — धनतेरस से भैया दूज तक इन पांच दिनों का इतिहास बहुत ही पुराना है। दीपावली प्रकाश पर्व के इतिहास का विस्तार से वर्णन किया है, जैसे – श्री राम जी का अयोध्या लौटकर आना, मां दुर्गा ने काली का रुप धरकर कितने पापी असुरों को मौत के घाट उतारा। इसी दिन भगवान महावीर जी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। दिवाली के दिन ही पांडव भी अज्ञातवास काटकर वापस आए थे। कार्तिक मास की अमावस्या को क्षीरसागर से हुई लक्ष्मी माँ प्रकट, सुना है लक्ष्मी और विष्णु जी इसी दिन प्रणय सूत्र में बंधे थे, और भी बहुत कुछ हुआ था इस दिन।

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यह कविता (दीपक संग इतिहास।) “विजयलक्ष्मी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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राष्ट्रीय अखंडता बनाएंगे।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ राष्ट्रीय अखंडता बनाएंगे। ♦

सबके मन में हो एकता है ऐसी भावना,
जो करती रहे पैदा मन में सद्भावना।
देश की प्रखंडता को एकता में,
बांधने का कार्य किया महान।
श्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को,
याद रखेगा भारत देश महान॥

परिवेश में एकता के रूप,
में पाया है हमने।
इस जज्बे को हमेशा जगाए,
रखना दिल में अपने।
भारत माता के वीर सपूतों,
देश क्यों करते हो बदनाम॥

एक दूसरे पर वार कर के,
भाईचारे का देते हो नाम।
क्यों देश की अखंडता को तार तार,
करने का करते हो काम।
ऐसा करके देश के महापुरुषों को,
क्यों करते हो बदनाम॥

बहिष्कार किया कई मुद्दों पर,
सांप्रदायिकता का विचार लिए मन में।
सबके मन में प्रेम बांटना ही,
अब होगी हमारी विश्व में पहचान।
एकता की भावना पैदा कर के,
ऊंची आवाज उठाएंगे हम॥

हमारे दिलों से राष्ट्रीय एकता का,
कोई न कर पाएगा दमन।
ईश्वर के बच्चों के मन से जाति पाति,
धर्म, भेदभाव को करना होगा खत्म।
देश की राष्ट्रीय अखंडता को न होने देंगे,
खत्म आओ मिलकर खाते हैं कसम॥

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए समझाने की कोशिश की हैं — राष्ट्रीय एकता दिवस 2014 से हर साल 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के द्वारा देश की एकता के लिए किए गए योगदान को याद करते हुए राष्ट्रीय एकता दिवस हर भारतीय दिल से मनाता है। देश की एकता के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के द्वारा किए गए कार्य को समझाया है।

—————

यह कविता (राष्ट्रीय अखंडता बनाएंगे।) “विजयलक्ष्मी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम विजयलक्ष्मी है। मैं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय, छारा – 2, ब्लॉक – बहादुरगढ़, जिला – झज्जर, हरियाणा में मुख्य शिक्षिका पद पर कार्यरत हूँ। मैं पढ़ाने के साथ-साथ समाज सेवा, व समय-समय पर “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” और भ्रूण हत्या पर Parents मीटिंग लेकर उनको समझाती हूँ। स्कूल शिक्षा में सुधार करते हुए बच्चों में मानसिक मजबूती को बढ़ावा देना। कोविड – 19 महामारी में भी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाना, वीडियो और वर्क शीट बनाकर भेजना, प्रश्नोत्तरी कराना, बच्चों को साप्ताहिक प्रतियोगिता कराकर सर्टिफिकेट देना। Dance Classes प्रतियोगिता का Online आयोजन कराना। स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर कार्य करना। इन सभी कार्यों के लिए शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा और कई Society द्वारा बार-बार सम्मानित किया गया।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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