Kmsraj51 की कलम से…..
Khushi Nahin Milati | खुशी नहीं मिलती।
खुश रहना जिसने है सीखा।
समय उसका आंनद में है बीता॥
एक से सौ, सौ से हज़ार बनाने की है कोई सोचता।
तो कोई पाई-पाई के लिए है तरसता॥
सुंदर व सबसे न्यारा महल है कोई बनाता।
तो किसी को छत भी नसीब नहीं होता॥
नाना प्रकार के व्यंजन है कोई खाता।
कोई भूखे पेट ही सो जाता॥
शौक से कोई अर्धनग्न है घूमता।
तो कोई बदन ढकने को है तरसता॥
रोटी पचाने को किसी को घूमना है पड़ता।
तो कोई रोटी के लिए दर दर है भटकता॥
कोई माँ बाप का श्रवण कुमार है बनता।
तो कोई इन्हें घर से बाहर है निकालता॥
किसी के पास हजारों का पलंग पर नींद कहाँ।
जिसको नींद वो सो जाता है चाहे हो फुटपाथ या हो खुला आसमां॥
♦ विनोद वर्मा जी / (मझियाठ बलदवाड़ा) जिला – मंडी – हिमाचल प्रदेश ♦
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- “विनोद वर्मा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कवि इस कविता के माध्यम से जीवन में खुश रहने के महत्व को बताते हैं। वे कहते हैं कि जिसने खुश रहना सीख लिया, उसका जीवन आनंद से भर जाता है।दुनिया में लोगों की आर्थिक, सामाजिक और व्यक्तिगत परिस्थितियाँ अलग-अलग होती हैं—
- कोई व्यक्ति धन कमाने और संपत्ति बढ़ाने में लगा रहता है, जबकि कोई बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष करता है।
- कोई आलीशान महल बनाता है, जबकि किसी को छत तक नसीब नहीं होती।
- कोई तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन खाता है, जबकि कोई भूखा सोने को मजबूर होता है।
- इसी तरह, कोई शौक से आधुनिक वस्त्र पहनता है, जबकि किसी के पास तन ढकने के लिए कपड़े तक नहीं होते। कोई भोजन पचाने के लिए घूमता है, जबकि कोई रोटी के लिए दर-दर भटकता है।परिवार में भी भिन्न परिस्थितियाँ देखने को मिलती हैं—
- कोई संतान अपने माता-पिता की सेवा करता है, तो कोई उन्हें घर से निकाल देता है।
- किसी के पास महंगे बिस्तर होते हुए भी नींद नहीं आती, जबकि जिसे सुकून प्राप्त होता है, वह कहीं भी चैन की नींद सो सकता है।
अंततः, कवि हमें संतोष और खुशी का महत्व समझाने की कोशिश करते हैं, यह दर्शाते हुए कि संपत्ति या संसाधन ही सुख का कारण नहीं होते, बल्कि मन की शांति और संतोष ही सच्चा आनंद देते हैं।
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यह कविता (खुशी नहीं मिलती।) “विनोद वर्मा जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम विनोद कुमार है, रचनाकार के रुप में विनोद वर्मा। माता का नाम श्री मती सत्या देवी और पिता का नाम श्री माघु राम है। पत्नी श्री मती प्रवीना कुमारी, बेटे सुशांत वर्मा, आयुष वर्मा। शिक्षा – बी. एस. सी., बी.एड., एम.काम., व्यवसाय – प्राध्यापक वाणिज्य, लेखन भाषाएँ – हिंदी, पहाड़ी तथा अंग्रेजी। लिखित रचनाएँ – कविता 20, लेख 08, पदभार – सहायक सचिव हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ मंडी हिमाचल प्रदेश।
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