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You are here: Home / Archives for विवेक कुमार जी की कविताएं

विवेक कुमार जी की कविताएं

हमारा बिहार।

Kmsraj51 की कलम से…..

Our Bihar | हमारा बिहार।

आर्यावर्त की जान,
जो है हिंद की पहचान,
आर्यभट्ट की धरती पर, बस एक ही नाम,
बिहार बिहार बिहार, हमारा बिहार।

कुंवर से जिनकी शान,
मुजफ्फरपुर की लीची, जिनकी पहचान।
मां जानकी की नगरी से बढ़ता, राज्य का सम्मान,
बिहार बिहार बिहार, हमारा बिहार।

जहां बुद्ध ने पाया ज्ञान,
जिनपर हमें है अभिमान।
शिक्षा का गौरव नालंदा, देश की पहचान,
वही है मेरा बिहार, वो हमारा बिहार,
बिहार बिहार बिहार, हमारा बिहार।

प्रथम गणराज्य की छवि महान,
वो वैशाली ही एक नाम।
जिनकी अमिट पहचान,
वो हमारा बिहार,
बिहार बिहार बिहार, हमारा बिहार।

पशुओं के मेले सोनपुर से बढ़ता, वैभव और सम्मान,
जैनों के पहले तीर्थंकर, महावीर भगवान।
ये है मेरा बिहार ये हमारा बिहार,
बिहार बिहार बिहार, ये है हमारा बिहार।

लिट्टी चोखा व्यंजन, अपने में है खास,
मधुबनी की पेंटिंग का, नहीं है कोई काट।
सिल्क सिटी का पहनावा, आता सबको रास,
ये है मेरा बिहार, ये हमारा बिहार,
बिहार बिहार बिहार हमारा बिहार।

प्रथम नागरिक बने, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद,
चंपारण से बापू ने किया, आंदोलन शुरुआत।
दशरथ मांझी के सामने, पहाड़ भी हुआ निढ़ाल,
ऐसा मेरा बिहार,
बिहार बिहार बिहार हमारा बिहार।

आरक्षण ने दिलाया, बराबर का अधिकार,
महिलाओं में आया, सबलता का एहसास।
ये है हमारा बिहार, ये हमारा बिहार,
बिहार बिहार बिहार, हमारा बिहार।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — बिहार राज्य प्राचीन काल से ही ज्ञान, धर्म व शिक्षा का केंद्र रहा है, ये बुद्ध की भूमि हैं, यहाँ से ज्ञान व शिक्षा पूरी दुनिया को मिलता आया है। बिहार दिवस (भोजपुरी: 𑂥𑂱𑂯𑂰𑂩 𑂠𑂱𑂫𑂮) हर साल २२ मार्च को मनाया जाता है। यह बिहार राज्य के गठन को चिह्नित करता है। इसी दिन अंग्रेजों ने १९१२ में बंगाल से बिहार को अलग कर एक राज्य बनाया था। इस दिन बिहार में सार्वजनिक अवकाश होता है। बिहार भारत के राज्यों में से एक राज्य है। बिहार को राजनीति तथा सांस्कृतिक का एक केंद्र बिंदु कहा जाता है। बिहार राज्य में गंगा नदी और उनकी अन्य सहायक नदियों का स्थान बसा है।

—————

यह कविता (हमारा बिहार।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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होली के रंग खुशियों के संग।

Kmsraj51 की कलम से…..

Holi ke Rang Khushiyon ke Sang | होली के रंग खुशियों के संग।

फागुन की बयार लाए, मौसम की फुहार,
उदास मन में लाए नवीनता की बहार।
सूने चमन में छाए, उमंगों की खुमार,
अनकहे रिश्तों में लाए बेहतरीन निखार।

टूटे दिलों को जोड़े ऐसे रंगतों में सुमार,
फगुआ, आमोद प्रमोद का एकमात्र त्योहार।
आपसी भाईचारे को बनाता खास,
प्रेम बंधुत्व में घोलता, नई मिठास।

सूने जीवन को रंगीन बना, करता सपने साकार,
आपसी रंजिश मिटा, लोग होते गुलजार।
एक दूजे संग कड़वाहट भूला, होते एक,
लाल हरी पीली मगर गुलाल होते एक।

गालों पर लगी रंगों की लाली,
हाथ में सजी गुलाल से भरी थाली।
लगाकर एक दूसरे को गले, जतलाते प्यार,
ये बस एक रिवाज नहीं, है अनोखा त्योहार।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

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• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — होली अर्थात – प्रेम, स्नेह व स्वार्थ से मुक्त आत्मिक रिश्ता, जहां अपने विकारों को त्याग कर, सभी के प्रति करुणा का भाव मन में रख सबका भला करना। सभी गीले शिकवे भुला कर प्रेम से सबका सम्मान करना व गले लगाना, सबकी मदद करने का भाव मन में प्रकट हो। रंगो की तरह सदैव ही जीवन खुशहाल हो सभी का यही संदेश देता ये महापर्व होली।

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यह कविता (होली के रंग खुशियों के संग।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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आन बान आउर शान बा।

Kmsraj51 की कलम से…..

Aan Baan Aur Shaan Ba | आन बान आउर शान बा।

आन बान आउर शान बा,
तिरंगा हम्मर जान बा।
मर जाईब, मिट जाईब,
इसकी खातिर दुनिया से,
भी लड़ जाईब।

सर पे कफ़न,
हाथ में कलम की धार बा।
सच्चाई, ईमानदारी,
अहिंसा हम्मर पहचान बा।

लोकतंत्र हमनी के सम्मान बा,
बसुधैव कटुंबकम,
बंधुता रग रग में बसल बा।
मिट्टी की सौंधी खुशबू
जिसका स्वाभिमान बा,
ओ कोई और नहीं,
हमर हिंदुस्तान बा।

आजादी के लिए कुर्बान,
वीरों की शहादत पर गर्व बा।
फर्ज की खातिर सभी जन,
जहां तिरंगे को कफन…
बनाने की रखते चाह बा।

उस राष्ट्र पे हमें नाज बा,
जहां गांधी, सुभाष, भगत जन्म लिए।
जान हथेली पर लिए हुए,
अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए।
उन नामों पे हम सब को गर्व बा,
आन बान आउर शान बा,
तिरंगा हम्मर जान बा।

जय हिन्द – जय भारत।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — हम सभी का शान है तिरंगा, हमे गर्व है अपने तिरंगे पर, माँ भारती की सेवा के लिए सर पे कफ़न, हाथ में कलम की धार बा। सच्चाई, ईमानदारी, अहिंसा हम सबका पहचान है। हमे गर्व है अपने लोकतंत्र पर, हम सब बसुधैव कटुंबकम की भाषा जानते है, लेकिन यदि कोई गलत नज़र वाली आँख उठाएगा तो उसका जवाब भी देना जानते है। जिस मिट्टी की सौंधी खुशबू जो मिट्टी हम सभी का स्वाभिमान बा, ओ कोई और नहीं, हमारा हिंदुस्तान बा। आजादी के लिए कुर्बान हुए अपने वीरों की शहादत पर गर्व है हमे। फर्ज की खातिर सभी जन, जहां तिरंगे को कफन… बनाने की रखते चाह वह प्यारा हमर हिंदुस्तान बा। जय हिन्द – जय भारत।

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यह कविता (आन बान आउर शान बा।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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गुरु का वंदन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ गुरु का वंदन। ♦

मिट्टी को प्रभु ने आकार दिया,
दिया जीवन का वरदान।
मां ने नौ महीने गर्भ में ढोकर,
दिया जीवन जीने का सम्मान।

परिवार ने पाल पोसकर बड़ा किया,
बताया मेरी क्या है पहचान।
मैं मिट्टी का कच्चा घड़ा था,
था तपने को तैयार।

पक्का रूप दिया गुरु ने,
पढ़ाया सच्चाई का पाठ।
इंसानियत का मर्म समझाकर,
दिखाया सत्य की राह।

जीवन संघर्ष की गाथा है,
जूझना इससे मुझे सिखाया।
मात-पिता ने तो जीवन दिया,
सार बताया गुरु ने।

ईश्वर को मैने नहीं देखा,
देखा भी तो अपने पालनहार को।
जिनका मान है सर्वोपरि,
उनके बाद कोई है अगर,

वो है हमारे सृजनकार गुरु,
ईश्वर से ऊंचा दर्जा है उनका।
करते है हम उनका सम्मान,
बार-बार शीश झुका करते प्रणाम।

चंद शब्द गुरु के लिए,
आज ये मैं कहता हूं।
गुरु वंदन जग वंदन,
गुरु जीवन आधार।
गुरु बिना कछु ज्ञान नहीं,
हम उनके आभार।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस संसार में प्रथम गुरु तो माँ ही हैं। गुरु हमें जिंदगी में एक जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनाने में हमारी सहायता करते हैं। वही हमें जीवन जीने का असली तरीका सिखाते हैं; और वही हमें जीवन के राह पर ता-उम्र सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु हमें अंधकार भरे जीवन से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु एक दीपक की भांति होता है जो अपने शिष्यों के जीवन को प्रकार से भर देते हैं। विद्यार्थी जीवन में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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यह कविता (गुरु का वंदन।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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रहमत के बंदे रहीम।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ रहमत के बंदे रहीम। ♦

आसमां से आया फरिश्ता,
प्यार का सबक सिखलाने।
सरजमीं पर रहमत बरसाने,
चारों तरफ समभाव जताने।

कलम और तलवार था जिनका,
आसानी से एक ही कमान।
मानव प्रेम के सूत्रधार मसीहा,
कहलाए रहमत के बंदे रहीम।

मध्यकालीन युग के उन्मुक्त कवि,
सभी विधाओं में थे पारंगत।
सोंच थी उनकी बेमिशाल,
रखते थे सबका ख्याल।

धार्मिक परंपरा की अद्भुत मिशाल,
बहुमुखी प्रतिभा के धनी भाव थे उनके लाजवाब।
अकबर के नवरत्नों में था उनका नाम,
कहलाए रहमत के बंदे रहीम।

बैरम खां, सुल्ताना बेगम का सितारा,
लाहौर में जन्मा, था सबका दुलारा।
काव्य रचना का गुण था मिला, उन्हें विरासत में,
मुस्लिम होते हुए भी, धर्म अपनाया हिंदू का।

उनके कार्यों के बदले मिर्जा खां की मिली उपाधि,
अवधी, ब्रजभाषा, खड़ी भाषा का करते थे प्रयोग।
बाबर की आत्मकथा का, तुर्की से फारसी में,
किया अनुवाद, कहलाए रहमत के बंदे रहीम।

रहीम के दोहे ने जग को था मोहा,
सबों ने उनके कार्यों को था खूब सराहा।
एक एक दोहे में था, सबक बड़ा ही खास,
सोच समझ और प्रेम, व्यवहार, उनका था दास।

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरे चटकाय,
टूटे पे फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ पड़ी जाय।
1627 में ली अंतिम सांस, हो गई शाम,
कहलाए रहमत के बंदे रहीम।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

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• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — रहीम दास के ज्ञान, व्यवहार, और कार्यों का तथा उनके साहित्य के समझ और साहित्य कार्यों का सुन्दर वर्णन किया हैं। रहीम दास के लेख से इतिहास के कई सारी बातों का साबुत मिलता है, एक कवि हृदय रहीम दास की रचनाएँ उस समय की जीवन शैली को भी दर्शाता है। रहीम दास के दोहे आज भी उतने ही कारगर है, जितने उस समय हुआ करते थे। रहीम दास के दोहे से समाज को काफी कुछ सीखने को मिलता है। आज भी रहीम दास के दोहे से लोग बहुत ज्यादा लाभान्वित हो रहे है। रहीम दास अपने समय के महान कवियों में से एक थे। उनकी समझ और साहित्य प्रेम उनकी रचनाओं में साफ़ साफ़ दिखती हैं। उनकी रचनाएँ उस समय के इतिहास को काफी हद तक उजागर करती है।

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यह कविता (रहमत के बंदे रहीम।) “विवेक कुमार जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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सांता अंकल।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ सांता अंकल। ♦

लो आ गया क्रिसमस का त्योहार,
चलो मनाएं मिलजुलकर खुशियां अपार।
हम बच्चों के लिए आज का दिन है खास,
चॉकलेट, गिफ्ट पाने की रहती है आस।

आज से होती बड़े दिन की भी शुरुआत,
आओ मनाएं आज के छुट्टी की रात।
पॉजिटिव एनर्जी के प्रतीक को अपना बनाएंगे,
हम बच्चे मिलकर किसमस ट्री सजाएंगे।

लाल कपड़ों और सफेद बालों से सजे,
सांता अंकल आयेंगे, टॉफियां हमें बांटेंगे।

हम सब मिलकर मैरी क्रिसमस गायेंगे,
सांता अंकल के इस प्यार को कभी भूल न पाएंगे।
हम बच्चों की यही तमन्ना, सांता अंकल आएं हर बार,
वही प्यार, वही दुलार, मिलता रहे, हमें हर बार।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

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• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — क्रिसमस या बड़ा दिन ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है। यह 25 दिसंबर को पड़ता है और इस दिन लगभग संपूर्ण विश्व मे अवकाश रहता है। क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है। क्रिसमस को सभी ईसाई लोग मनाते हैं और आजकल कई गैर ईसाई लोग भी इसे सांस्कृतिक उत्सव के रूप मे मनाते हैं।

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यह कविता (सांता अंकल।) “विवेक कुमार जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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बिहार के लाल भारत के भाल।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ बिहार के लाल भारत के भाल। ♦

बहुमुखी प्रतिभा के धनी, बिहार का लाल,
जिसने अपने कार्यों से किया, देश को निहाल।

जिरादेई के कमलेश्वरी, महादेव का सितारा,
अपने कर्मो से बढ़ाया, लोगों के सोंच का पिटारा।

सरल जीवन, ऊंचे विचार, यही था उनका व्यवहार,
सच्चाई और सादगी के, अवतार।

अंदर और बाहर का जीवन था, जिनका एक समान,
भारतवासी जिन्हें करते है, सदा नमन।

मध्यम परिवार से निकला, बिहार का बाबू,
जानते है नाम से जिन्हें, हम सब राजेंद्र बाबू।

बापू जिनके थे परम आदरणीय आदर्श,
मजबूत जिजीविषा ने पहुंचाया, उन्हें फर्श से अर्श।

शरीर था दुबला पतला, मगर फौलाद सा था मन,
आजादी के संग्राम में सक्रिय हो, निभाई भूमिका समान।

विलक्षण प्रतिभा एवं राष्ट्र प्रेम ने बनाया, उन्हें मनोयोगी,
प्रथम राष्ट्रपति सह संविधान के बने, सहयोगी।

भारत रत्न सम्मान ने बढ़ाया, उनका बल,
बिहार के थे लाल, भारत के बने भाल।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज जयंती (Dr. Rajendra Prasad Jayanti) है। पूरा देश आज उनकी जयंती (Rajendra Prasad Birth Anniversary) के मौके पर उन्हें याद कर रहा है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म (Rajendra Prasad Birthday) 3 दिसंबर 1884 में बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था। राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति (First President Of India) थे। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था। पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू (Rajendra Babu) या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था। राजेंद्र प्रसाद एकमात्र नेता रहे, जिन्हें दो बार लगातार राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया।

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यह कविता (बिहार के लाल भारत के भाल।) “विवेक कुमार जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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बालमन के घुंघरू चाचा नेहरू।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ बालमन के घुंघरू चाचा नेहरू। ♦

निश्छल निर्मल स्वर्ण धरा पर,
कोमल संग मुस्कान लिए।
कच्ची मिट्टी सा मन है जिसका,
भविष्य जिसके भाल है।
नव निर्माण का जो आधार,
जिसके मन भांप बजाते थे थमरू।
बालमन के घुंघरू वही थे चाचा नेहरू॥

बहुत सारे दिवस है आते,
बालमन को कोई कोई पहचाने।
मासूमियत भरी जिनकी निगाहें,
नटखट निराली बोली जिनकी।
सत्य की जो ईश्वरत्व आधार,
जिसके मन भांप बजाते थे डमरू।
बालमन के घुंघरू वही थे चाचा नेहरू॥

बच्चों संग बच्चे बन जाते,
भावनाओं का करते सम्मान।
प्रथम नागरिक के समान,
उनकी महिमा का कैसे करें बखान।
बच्चों के लिए हर पल करते जतन,
जिसके मन भांप बजाते थे डमरू।
बालमन के घुंघरू वही थे चाचा नेहरू॥

बच्चे है ईश्वरत्व की अनमोल देन,
मौलिक अधिकार है उनका हक।
फिर क्यूं मिलता नहीं वाजिब हक,
नेहरू जी ने उसे पहचाना।
उनके अधिकार दिलाने हेतु थे प्रतिबद्ध,
जिसके मन भांप बजाते थे डमरू।
बालमन के घुंघरू वही थे चाचा नेहरू॥

भावी पीढ़ी के कर्णधार,
शिक्षा मिले सभी को समान अधिकार।
बाल शोषण का सब मिलकर करें काम तमाम,
बच्चें करेंगे स्वछंद विहार।
तभी सपने होंगे साकार,
जिसके मन भांप बजाते थे डमरू।
बालमन के घुंघरू वही थे चाचा नेहरू॥

बाल दिवस पर आज करें विचार,
सब मिलकर बनाएं सुदृढ संसार।
ऐसा बनाएं चमन नाचे गाएं होकर मगन,
बच्चे मन के सच्चे, सारी जग की आंखों के तारे।
वो नन्हें फूल खिले भगवान को लगते प्यारे,
जिसके मन भांप बजाते थे डमरू।
बालमन के घुंघरू वही थे चाचा नेहरू॥

आप सभी को प्रेम पूर्वक तहे दिल से बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — बच्चे मन के सच्चे होते है, वे कुम्हार के चाक पर रखे मिट्टी के समान होते है, उन्हें जैसा ढालना चाहे ढाल सकते हैं। बच्चों को संस्कारवान, परोपकारी व दया, प्रेम, धैर्य के गुणों से सिंचित करना चाहिए, क्योंकि किसी भी देश का भविष्य उस देश के बच्चों पर ही निर्भर होता हैं। बच्चे आने वाले कल के सूत्रधार है। बच्चों पर कभी भी क्रोध नहीं करना चाहिए, यदि बच्चे कोई गलती करे तो उन्हें प्यार से समझा दे। कभी भी उनकी पिटाई न करे, पिटाई करने से उनके मन में आपके प्रति घृणा का भाव उत्पन्न होने लगता है, ऐसे बच्चे आगे चलकर बहुत ही गलत कदम उठाने लगते हैं। अतः सदैव ही बच्चों को प्रेम से ही समझाना चाहिए, जिससे वो समझ भी जाए, और उनके बाल मन पर कोई बुरा प्रभाव भी न पड़े।

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यह कविता (बालमन के घुंघरू चाचा नेहरू।) “विवेक कुमार जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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दिवाली जीवन में लाती भरकर खुशहाली।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ दिवाली जीवन में लाती भरकर खुशहाली। ♦

दो शब्दों की दिवाली लाती घर-घर खुशहाली,
दीप से दीपक बना श्रृंखला बनाती आवली।
खुशियों से दामन भर जाती भरकर थाली,
मन की तरंगे संग मिल जाती होती मतवाली।
दिवाली जीवन में लाती भरकर खुशहाली॥

दिवाली तमस मिटाती घनघोर घटा काली,
मन में फैले अंधियारों को दूर भगाने वाली।
राम का सत्कर्म सत्य की आभा दिखलाती,
जन-जन को संदेश है देती असत्य है नाली।
दिवाली जीवन में लाती भरकर खुशहाली॥

तमसो मा ज्योतिर्गमय: है बताती दीपावली,
दीपों की चमक से जगमगाती अमावस्या की काली।
दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत बतलाती,
अज्ञानता पर ज्ञान और निराशा पर आश है लाती।
दिवाली जीवन में लाती भरकर खुशहाली॥

हमारा मन खाली रहता है हम करते काली,
अगर हमें चाहिए हर घर सुख शांति वाली।
मन के काली को इस दिवाली करनी होगी लाली,
सबके घर लक्ष्मी मईया भरकर देंगे झोली।
दिवाली जीवन में लाती भरकर खुशहाली॥

दीप से दीप मिले बन जाती एकता निराली,
मन से मन आज मिल जाए बजेंगी सद्भावना की ताली।
हर दिल को साफ करती है हमारी दिवाली,
आज मिलकर प्रण करें मिटायेगे दिलों की काली।
दिवाली जीवन में लाती भरकर खुशहाली॥

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — संस्कारों का, धैर्य का, इंसानियत, ईमानदारी व भाईचारे के लिए भी एक ज्योत जगा लो। हम सब जानते है की सदैव से ही त्याग का प्रतीक है दीप और सत्य की मशाल है दीप। अपने मन मंदिर में एक दीप जला लो, सुकून का एक ज्योत जगा लो। दिवाली तमस मिटाती घनघोर विकारों वाली घटा काली, सदैव से ही मन में फैले अंधियारों को दूर भगाने वाली दिवाली। राम का सत्कर्म सत्य की आभा दिखलाती ये दिवाली, जन-जन को संदेश है देती असत्य है समान नाली के, दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत बतलाती, अज्ञानता पर ज्ञान और निराशा पर आश है लाती। मन के इस काली को इस दिवाली करनी होगी लाली, सबके घर लक्ष्मी मईया भरकर देंगे झोली। हर दिल को साफ करती है हमारी दिवाली, आज मिलकर प्रण करें मिटायेगे दिलों की काली। दिवाली जीवन में लाती भरकर खुशहाली।

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यह कविता (दिवाली जीवन में लाती भरकर खुशहाली।) “विवेक कुमार जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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मिट्टी का दिया।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ मिट्टी का दिया। ♦

अरमानों की साज सजा लो,
हर घर को तुम सजा धजा लो।
अपने मन मंदिर में एक दीप जला लो,
सुकून का एक ज्योत जगा लो।
धैर्य का तुम आस जगा लो,
मिट्टी के तुम दिए जला लो।
मिट्टी के तुम दिए जला लो॥

त्याग का प्रतीक है दीप,
सत्य की मशाल है दीप।
खुद जलकर औरों को करता रौशन,
खुशहाली का राग है दीप।
दिलवालों का प्यार है दीप,
मन मंदिर में इसे बसा लो।
मिट्टी के तुम दिए जला लो॥

ईमानदारी का झंडा दो गाड़,
इसके लिए एक दीप जला लो।
भाईचारे की कर लो बात,
चुपके से एक दीप जला लो।
इंसानियत का जब हो भान,
इसके लिए भी दीप जला लो।
मिट्टी के तुम दिए जला लो॥

मन का तमस आज भगा लो,
भाग दौड़ भरी जिंदगी में,
सुकून के एक दीप जला लो,
संस्कारों को तुम अपना लो।
सुख शांति जीवन में आएं,
सबके लिए एक दीप जला लो।
मिट्टी के तुम दीए जला लो॥

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

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