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विश्व कविता दिवस

कविता।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ कविता। ♦

सृजन करताओंं में कविता,
मार्गदर्शक बनकर आती।
नवीन द्वार खोल कर वह,
मुखोटा हटाके लहराती।

साहित्य में नव अभिव्यक्ति,
चिंतन शीलता की शक्ति।
गतिशील चलती कविता,
सत्ता से बढ़कर कविता?

कविता भी एक औजार,
समाज पर केन्द्रित विचार!
जीवन में खुशियां निखार,
प्रकृति छवि के बीच विचार।

तानाशाह पर है तलवार,
युग चेतना का संवाहक!
रूढ़ सिद्धांतो पर प्रहार,
करती है सच का प्रचार।

कविता को पोस्टर ना मानो,
जो दीवारों पर टांगे जाए!
खुद के स्वार्थ के वास्ते ही
जहां तहां लिख चिपका दें।

नवीन साहित्य सृजन करती,
अनियंत्रित – नियंत्रण करती।
संस्कृति उत्थान का आधार,
मानवता की रक्षक प्रचार।

सूर्य की किरणों सा अहसास,
रसानुभूती की लिए प्रबलता!
प्रेम की भाषा का शब्द उद्धार,
नवीन मुकाम का करती चुनाव।

इसमें भावना कल्पना के महत्व,
सरलता की होती है प्रधानता।
अनुभूतियां का सृजन मिश्रण,
सच्चाई से स्वागत चिंतन चित्रण।

यथार्थ को प्रकट करती कविता,
चिंता से ऊपर उठकर यह आती।
बौद्धिकता जीवन में सुख भरती,
निरंतर कविता आगे बढ़ती रहती।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — कविता दिल की एक सच्ची अनुभूति है, जो एक कवि के हृदय की गहराई से निकली हुई कृति है। भाव स्वरूप कविता तो होता है जीवन का एक प्रवाह, जो सदैव ही प्रेरित करता है कार्यशील होने के लिए। हृदय की गहराई से निकली हुई कृति में न तो होती उसमें कोई भी बनावट, होती बस दिल के उदगारों की सजावट है। याद रखें – केवल शब्दों को लयबद्ध करना ही नही काफी होता है, सार्थक अर्थ के बिना तो शब्दों के संग नाइंसाफी होता है। गहरे अर्थ लिए हुए शब्दों का इक आईना होती है कविता, जिसमें अति सुंदर भाव के साथ-साथ होता हर शब्द का मायना है। ये कविता प्रेम का गहरा समुद्र है, दरिया इश्क का भी, जिसमें करुणा, जज्बात का अहसास, मरहम होता अश्क का भी। कहते है इंसान जब भी इसमें खो जाए तो हर शह में ही कविता गुनगुनाए, फिर जज्बातों की कलम से सदैव ही ह्रदय पर भाव अंकित करता जाए।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह कविता (कविता।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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विश्व कविता दिवस।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ विश्व कविता दिवस। ♦

काव्य जगत।

धरणि के खंडों में विकसित अपनी-अपनी बोली,
हर साँस में बसी गंगा साहित्य काव्य की लहरी।

रंग बिरंगी आभा जिसकी मधुर-मधुर है वाणी,
प्रेम प्रीति बसी वक्ष में आकर्षित करती शैली।

चारण चाक्रिक भट्ट मंख भू जग में भरे सभी,
पावन पुनीत कोमल पल्लवन से सजे सभी।

हर्षित हो लिखें सभ्यता हृदय की भावों से भरी,
मसीपथ बनी आदर्श सभी की उत्कीर्ण करे मन की।

खलक जगत में कविता की मीठी-मीठी स्वर लहरी,
सुर-सरगम से सदा रची रहे विश्व जगत की ये बोली।

साहित्य सभ्यता संदर्प यहां कथन काव्य की जननी,
चिर-काल से संघर्ष समर करे वर्णाका मसी लेखनी।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

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  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — कविता दिल की एक सच्ची अनुभूति है, जो एक कवि के हृदय की गहराई से निकली हुई कृति है। भाव स्वरूप कविता तो होता है जीवन का एक प्रवाह, जो सदैव ही प्रेरित करता है कार्यशील होने के लिए। हृदय की गहराई से निकली हुई कृति में न तो होती उसमें कोई भी बनावट, होती बस दिल के उदगारों की सजावट है। याद रखें – केवल शब्दों को लयबद्ध करना ही नही काफी होता है, सार्थक अर्थ के बिना तो शब्दों के संग नाइंसाफी होता है। गहरे अर्थ लिए हुए शब्दों का इक आईना होती है कविता, जिसमें अति सुंदर भाव के साथ-साथ होता हर शब्द का मायना है। ये कविता प्रेम का गहरा समुद्र है, दरिया इश्क का भी, जिसमें करुणा, जज्बात का अहसास, मरहम होता अश्क का भी। कहते है इंसान जब भी इसमें खो जाए तो हर शह में ही कविता गुनगुनाए, फिर जज्बातों की कलम से सदैव ही ह्रदय पर भाव अंकित करता जाए।

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