Kmsraj51 की कलम से…..
♦ कथा का सार तत्व। ♦
आज यहां मैं कथा – सार
तुम्हें सुनाने आया हूं।
यहां सुकदेव परीक्षित का
संबाद बताने आया हूं।
इंद्रिय – शक्ति अगर चाहो तो,
इंद्र का पूजन शुरू करो।
ब्रह्म तेज की चाह अगर हो,
बृहस्पती – कृपा भरो।
चाहें श्री लक्ष्मी को खुश करना।
माया देवी का जप करना।
तेज की हो चाहे यदि तुम्हें,
अग्नि प्रज्ज्वलित करके पूजना।
वीर तुम्हें है बनना यदि,
रूद्र को खुश करते जाओ।
धन पाने की हो जो लालसा,
वसुओं के आराधक बन जाओ।
अन्न कृपा तुम पर होगी ही,
अदिति को यदि आप मनायें।
स्वर्ग प्राप्ति की हो अभिलाषा,
अदिति पुत्रों का जप करें कराएं।
राज्य प्राप्ति के लिए सुनो,
विश्व – देव को तुम गुनो।
अनुकूल प्रजा अगर चाहो तो,
साध्य देव को तुरंत चुनो।
दीर्घायु की इच्छा वाले,
अश्वनी कुमारों को न भूलना।
अगर पुष्टि की तेरी कामना,
पृथ्वी को है तुम्हें पूजना।
प्रतिष्ठा की यदि चाह तुम्हारी,
पृथ्वी आकाश की पूजा न्यारी।
सौंदर्य अगर तुम्हें है पाना,
गंधर्व के पूजन पे दृष्टि हो सारी।
पत्नी प्राप्ति की खातिर तुम,
करो उर्वशी अप्सरा की पूजा।
सभी का स्वामी बनना चाहो,
ब्रह्मा के अतिरिक्त कोई न दूजा।
यश की कामना अगर तुम्हारी,
यज्ञ पुरुष का ध्यान धरो।
और खजाना आप आना चाहो,
वरुण देव का मान करो।
यदि ध्यान विद्या प्राप्ति पर,
शिव – शिव का ध्यान लगावे।
पति-पत्नी परस्पर प्रेम पावें,
मां पार्वती की पूजा करावें।
धन उपार्जन के लिए हे नर,
विष्णु भगवान की पूजा कर।
बाधाओं पर पढ़ोगे भारी,
मरुत गनों का हो आभारी।
राज्य कायम रखने का हो ध्यान,
मन्वंतर के अधिपति का रख मान।
अभि-चारक के लिए तू नर,
देवों का मान तूं कर।
भोगों खातिर तेरा यदि सफर,
चंद्रमा की उपासना कर।
निष्काम प्राप्त की खातिर ध्यान,
परम पुरुष नारायण का मान।
सभी थपेड़े दूर भगाओ,
श्री नारायण की स्तुति गाओ।
संवाद सुकदेव और परीक्षित,
पढ़ो – पढ़ाओ और सुनाओ।
♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦
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- “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – किस-किस व्रत और पूजा, जप, तप, आराधना से क्या-क्या सिद्धि और प्राप्ति होगी। व्रत और पूजा, जप, तप, आराधना के महत्व व गुणों को समझाया हैं। आम इंसान के जीवन में सुख, शांति और खुशहाली के लिए उसे किस-किस व्रत और पूजा, जप, तप, आराधना को करना चाहिए, बहुत ही सरल तरीके से समझाया हैं।
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यह कविता (कथा का सार तत्व।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
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