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वृक्षारोपण पर निबंध

एक नजर इन पर भी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ एक नजर इन पर भी। ♦

प्रकृति प्रेमियों के चेहरे पर खुशी झलकती है मानसून के आते ही। क्योंकि इसके आते ही उनका पौधा रोपण का कार्य शुरू हो जाता है।

अति प्रेरणादायी बात होती है जब सभी पौधा-रोपण पर कार्य शुरू हो जाता है। लेकिन इस मानसून से पहले एक विशेष बात पर ध्यान देना चाहिए वो है सड़क के दोनों ओर लगे हुए पेड़ों का सूखा होना।

अगर हम किसी भी सड़क पर चल रहें हैं तो हम सब अगर ध्यानपूर्वक देखे तो अगर सौ पेड़ लगे हो तो उसमें कम से कम पांच या दस पेड़ लगभग इस प्रकार होते है जो या तो पूरी तरह से दीमक लगने से या अन्य किसी कारण से सूख चुके होते हैं कि हल्की हवा से ही वो गिर कर सड़क के रास्ते अवरोधक बन जाते हैं।

कई बार तो आँधी आने पर इतने बड़े हादसे को अंजाम दे देते है कि इनका गिरना इंसान की जान पर जोखिम बन सकता है। तो मानसून के आने से पहले या समय-समय पर इनकी कटाई को सुनिश्चित करना होगा ताकि इनके गिरने से कोई भी जान-माल की हानि न हो।

अगर इन सूखे और खोखले पेड़ों को समय पर हटा दिया जाए तो एक तो बड़े हादसों से बचा जा सकता है और दूसरा उनके स्थान पर नया पौधा रोपण किया जा सके।

सूखे और खोखले पेड़ न बने हादसे का कारण कोई।
समयानुसार कटाई कर उनकी जगह नई पौध बोई।

मानसून के बाद तो इनकी जड़ो की मिट्टी स्वतः ही जगह छोड़ देती है, और कहीं सड़क पर अवरोधक के रूप में कहीं पर बिजली की तारों को तोड़ते दिखाई देते हैं। इसलिए समय रहते ही इनके प्रति जागरूकता प्रशासन और आम व्यक्ति को भी दिखानी होगी, ताकि इनसे होने वाली अनहोनी को टाला जा सके।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — वर्षा ऋतू के समय सड़क के किनारे पेड़ लगाए जरूर, लेकिन पेड़ लगाना ही काफी नहीं है। उसका अच्छे से देखरेख व कटाई-छटाई मानसून आने से पहले हो जाये तो कोई भी अनहोनी न हो, किसी तरह का कोई हादसा (दुर्घटना) न हो। इस कार्य के लिए इससे जुड़े सरकारी विभाग व समाज के लोगों को जागरूक रहना होगा, और जिससे जितना हो सके सभी को मदद भी करना चाहिए। हम सभी भलीभांति जानते है की पेड़ भी धरती माता के बेटे हैं और हम इंसानो के सच्चे व अच्छे मित्र भी हैं। वृक्षों से हमें फल, सब्जियां, बीज, लकड़ियां, इत्यादि प्राप्त होते है। लकड़ी से हमे फर्नीचर, कागज़, गोंद, इत्यादि वस्तुएँ प्राप्त हो जाती हैं। इसके अलावा अनेको पेड़ों व पौधों से बहुत सारी औषधियां तैयार की जाती है, जो हमारे शरीर से संबंधित कई प्रकार के हानिकारक रोगों का उपचार करने में हमारी मदद करती है।

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यह लेख (एक नजर इन पर भी।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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