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You are here: Home / Archives for वेदस्मृति ‘कृती’ जी की कविताये

वेदस्मृति ‘कृती’ जी की कविताये

भ्रूण की पुकार।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ भ्रूण की पुकार। ♦

बहुत नन्हा, बहुत कोमल,
अजन्मा भ्रूण हूँ मैं माँ।
मगर एहसास हैं मुझमें,
बहुत पीड़ा हुई है माँ।

दवा जो ली अभी तुमने,
असर घातक लगा मुझको।
नुकीला सा अभी कुछ माँ,
सुई जैसा चुभा मुझको।

कहीं टुकड़े न हो जाएँ,
बचा लो माँ, बचा लो माँ!
सहूँ कैसे असह्य पीड़ा ?
बताओ माँ, बताओ माँ ?

अधूरे हैं अभी सपने,
अभी तो – प्यास है मुझमें।
अधूरी है, अभी – काया,
नहीं आकार है – इसमें।

स्पन्दन क्यों बने क्रन्दन,
न रोको श्वास मेरी, माँ।
सुनो विनती रुदन मेरा,
तुम्हीं हो आस, मेरी माँ।

बहुत नाज़ुक बहुत छोटा,
अजन्मा भ्रूण हूँ – मैं माँ।
चमन का मैं तुम्हारे ही,
अविकसित फूल हूँ मैं माँ।

नहीं, तुमको सताऊँगी,
मुझे दुनिया में आने दो।
तुम्हारे नाम का मुझको,
दिया बन जगमगाने दो।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

—————

  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए समझाने की कोशिश की हैं — बेटियां शक्ति, प्रेम, करुणा, ममता की वह चुलबुली चिड़िया सी चहकती, फूल सी महकती मुस्कुराती, राजकुमारी सबकी प्यारी लाड़ली – दुलारी, सबका सदैव ही ध्यान रखने वाली। ईश्वर द्वारा मानव जाती के लिए प्रदान की गई अनमोल शक्तिपुंज हैं। जो हर रूप में प्रेम और सहयोग के लिए तैयार रहती है। नहीं, तुमको सताऊँगी, मुझे दुनिया में आने दो। तुम्हारे नाम का मुझको, दिया बन जगमगाने दो। भ्रूण की पुकार।

—————

यह कविता (भ्रूण की पुकार।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/गीत/दोहे/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

साहित्यिक नाम : वेदस्मृति ‘कृती’
शिक्षा : एम. ए. ( अँग्रेजी साहित्य )
बी.एड. ( फ़िज़िकल )
आई आई टी . शिक्षिका ( प्राइवेट कोचिंग क्लासेज़)
लेखिका, कहानीकार, कवियित्री, समीक्षक, ( सभी विधाओं में लेखन ) अनुवादक. समाज सेविका।

अध्यक्ष : “सिद्धि एक उम्मीद महिला साहित्यिक समूह”
प्रदेश अध्यक्ष : अखिल भारतीय साहित्य सदन ( महाराष्ट्र इकाई )
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान बिहार प्रान्त की महिला प्रकोष्ठ,
श्री संस्था चैरिटेबल ट्रस्ट : प्रदेश प्रतिनिधि ( महाराष्ट्र )
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद में – सह संगठन मंत्री, मुंबई ज़िला, महाराष्ट्र
हिन्दी और अँग्रेजी दोनों विधाओं में स्वतंत्र लेखन।

अनेक प्रतिष्ठित हिन्दी/अँग्रेजी पत्र – पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

 

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Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, वेदस्मृति ‘कृती’ जी की कविताये।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: author Vedsmriti ‘Kritee’, poem on daughter in hindi, poet vedsmriti kritee poems, vedsmriti kritee poems, कन्या भ्रूण हत्या पर सुंदर कविता, घर की बेटियां, जन्नत है घर की बेटियां, बेटियां, बेटी का दर्द कविता, बेटी की मुस्कान कविता, बेटी की मुस्कान पर शायरी, बेटी के जन्म पर शायरी, बेटी के लिए स्टेटस, बेटी के लिए स्टेटस इन हिंदी, बेटी पर कविता वेदस्मृति 'कृती', बेटी पर कुछ सुंदर कविता, बेटी पर कुछ सुंदर लाइनों, बेटी पर कुछ सुंदर शायरी, बेटी पर मार्मिक कविता, बेटी पर मोटिवेशनल शायरी, भ्रूण की पुकार, भ्रूण की पुकार कविता, वेदस्मृति ‘कृती’, वेदस्मृति ‘कृती’ जी की कविताये

बेटी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ बेटी। ♦

नन्हें – नन्हें हाथों से अपने,
गालों को मेरे सहला देती है।
पल भर में मेरी भोली सी बेटी,
संतापित मन को बहला देती है।

खाना पकाने में उँगली जली मेरी,
माँ की तरह मुझे वो डाँटने लगी।
मासूम सी बेटी मेरी न जाने कब,
हर दर्द मेरा ‘ कृती ‘ बाँटने लगी।

न जाने कब बेटी इतनी बड़ी हो गई,
पहन के लाल जोड़ा आके खड़ी हो गई।
हुआ साकार बचपन यादों में उसका ‘कृती’
बहुत मुश्किल विदाई की ये घड़ी हो गई।

साज है बेटा तो गीत है बेटी।
सृष्टि में बिखरा संगीत है बेटी।

नन्ही कोंपल सी जब जन्मी वो,
सूना आँगन – गुलज़ार … हुआ।
आने से – उसके छाई रौनक़,
जैसे कोई फल जाए दुआ।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

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  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए समझाने की कोशिश की हैं — बेटियां शक्ति, प्रेम, करुणा, ममता की वह चुलबुली चिड़िया सी चहकती, फूल सी महकती मुस्कुराती, राजकुमारी सबकी प्यारी लाड़ली – दुलारी, सबका सदैव ही ध्यान रखने वाली। ईश्वर द्वारा मानव जाती के लिए प्रदान की गई अनमोल शक्तिपुंज हैं। जो हर रूप में प्रेम और सहयोग के लिए तैयार रहती है।

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यह कविता (बेटी।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/गीत/दोहे/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

साहित्यिक नाम : वेदस्मृति ‘कृती’
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लेखिका, कहानीकार, कवियित्री, समीक्षक, ( सभी विधाओं में लेखन ) अनुवादक. समाज सेविका।

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प्रदेश अध्यक्ष : अखिल भारतीय साहित्य सदन ( महाराष्ट्र इकाई )
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान बिहार प्रान्त की महिला प्रकोष्ठ,
श्री संस्था चैरिटेबल ट्रस्ट : प्रदेश प्रतिनिधि ( महाराष्ट्र )
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद में – सह संगठन मंत्री, मुंबई ज़िला, महाराष्ट्र
हिन्दी और अँग्रेजी दोनों विधाओं में स्वतंत्र लेखन।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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युवा और नशा।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ युवा और नशा। ♦

तना सीना, तनी ग्रीवा, लगे अच्छी युवाओं की।
शिथिल कंधे, मुँदी आँखें, नहीं भातीं युवाओं की।

घुसे हैं देश में दुश्मन, तुम्हारा मार्ग भटकाने,
समय से पूर्व ही तुमको, नशे की नींद सुलवाने।
मिले जो मुफ़्त में भी तो, सदा कहना नशे को ना,
बड़ा अनमोल है जीवन, नशे में न खो देना।

क़तारें ख़ूब लंबी हैं, नशे के सरगनाओं की।
सफल साज़िश न हो पाये, भयंकर योजनाओं की।
तना सीना, तनी ग्रीवा, लगे अच्छी युवाओं की।
शिथिल कंधे, मुँदी आँखें, नहीं भातीं युवाओं की।

तुम्हीं तो देश का कल हो, तुम्हीं हो देश की गरिमा,
रचो इतिहास ऐसा तुम, बढ़े जो देश की महिमा।
तुम्हीं को नींव रखनी है, नशे से मुक्त भारत की,
करे जो बात गाँजे की, सजा दो इस जहालत की।

जगाओ चेतना अपनी, दिशा बदलो हवाओं की।
नशे के घोल में डूबी, नशीली इन फ़िज़ाओं की।
तना सीना, तनी ग्रीवा, लगे अच्छी युवाओं की।
शिथिल कंधे, मुँदी आँखें, नहीं भातीं युवाओं की।

नशे के रास्तों से तुम, न नाता जोड़ कर आना,
पिता ने लाड़ से पाला, न रोता छोड़ कर जाना।
शपथ लो आज ही तुम सब, अलख घर – घर जलानी है,
पुनः शेखर भगत सिंह सी, तुम्हें लिखनी कहानी है।

तुम्हीं तो प्राण हो माँ के, कली हो भावनाओं की।
पिता का मान, मन्नत हो, रखो लज्जा दुआओं की।
तना सीना, तनी ग्रीवा, लगे अच्छी युवाओं की।
शिथिल कंधे, मुँदी आँखें, नहीं भातीं युवाओं की।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

—————

  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए समझाने की कोशिश की हैं — आज की युवा पीढ़ी किस तरह नशा के गर्त में धसती जा रही है, नशे में धुत युवक किसी को भी अच्छे नहीं लगते। नशे के आदी युवक का कोई भविष्य नहीं होता। तना सीना, तनी ग्रीवा, लगे अच्छी युवाओं की। शिथिल कंधे, मुँदी आँखें, नहीं भातीं युवाओं की। इसलिए नशा छोड़े और एक सुन्दर भविष्य के निर्माण में सहयोगी बने। आप युवाओं पर ही भारत का भविष्य निर्भर है, यूँ ही नशे की दीवानी – उड़े जवानी वाले युवक न बनो।

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प्यार पर शोध।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ प्यार पर शोध। ♦

जब से मेरा साहित्य में अनुराग जगा,
मैंने नाना विधाओं का साहित्य पढ़ा।
किया गौर तो ये पाया मैंने कि आधा,
साहित्य प्रेम कथाओं से है भरा पड़ा।

गीत, गज़लें, कविता, दोहे, रुबाई, छन्द,
लेख, निबन्ध, मुक्तक न जाने कितने ग्रंथ।
रच डाले कवियों ने प्रेम की व्याख्या में,
फिर भी समझा न पाये है क्या प्रेम पंथ?

उसी पल मन में मेरे आया ये विचार,
करुँ शोध मैं भी, जानूँ क्या है प्यार ?
अपने अनेक मित्रों का आया मुझे ख्याल,
सबसे पूछा मैंने बस यही एक सवाल।

पहले एक डॉक्टर मित्र से की मुलाक़ात,
सुन कर प्रश्न हँसे वो, कही विचित्र बात।
कृती इट्स मीनिंगलैस वर्ड, मेक्स नो सेन्स,
यू कैन डिफाइन इट एज़ हॉर्मोनल इम्बैलेन्स।

किसी ने कहा इसे काल्पनिक अफसाना,
किसी ने कहा इसे जिंदगी का तराना।
कुछ थे गालिब से सहमत, बोले है ये,
आग का दरिया और डूब कर है जाना।

कोई बोला इश्क ने जीना सीखा दिया,
कोई बोला इश्क ने पीना सीखा दिया।
एक ने कहा बेकार की चीज है मुहब्बत,
खाम खां इंसान को निकम्मा बना दिया।

किसी ने नियामत कहा, किसी ने कयामत,
किसी ने शरारत कहा, किसी ने इबादत।
किसी के लिए आंसू और आह थी उल्फत,
किसी के लिये खुदा का नूर थी मुहब्बत।

परिभाषा प्यार की न कोई बता पाया,
सबने केवल अपना अनुभव ही सुनाया।
चकराई बुद्धि मेरी सोच – सोच कर फिर,
ढाई आखर की कितनी विचित्र है माया।

मन मस्तिष्क में चला वैचारिक संघर्ष,
गहन चिन्तन के बाद निकला ये निष्कर्ष।
निजी अनुभव नहीं है प्यार की परिभाषा,
प्यार तो है जीवन का उत्सर्ग, उत्कर्ष।

इस शोध के बाद एक सत्य तो पता चला,
प्यार ने किसी का किया भला या हो छल।
पर ये भावना हर किसी में थी मौजूद,
कोई भी हृदय प्यार से रिक्त नहीं मिला।

प्रेम होता नहीं दुखद जब तक रहे शुद्ध,
मिलावट हिंसा की करती है इसे अशुद्ध।
प्यार और मार का नहीं है कोई मेल,
सबका यही संदेश नानक हो या बुद्ध।

प्यार ही समझता है मानवता की हद,
नासमझी से हमारी हो जाता है बद।
होती है मिलावट इसमें हिंसा की जब,
खोकर स्वरूप अपना बन जाता है जिद।

यही भाव मेरे चिंतन में व्याप्त हुआ,
मुझे तो प्यार का यही अर्थ प्राप्त हुआ।
इसी ज्ञान और संदेश के साथ दोस्तों,
“प्रेम” विषय पर शोध मेरा समाप्त हुआ।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

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  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए समझाने की कोशिश की हैं — प्रेम होता नहीं दुखद जब तक रहे शुद्ध, मिलावट हिंसा की करती है इसे अशुद्ध। प्यार और मार का नहीं है कोई मेल, सबका यही संदेश नानक हो या बुद्ध।

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यह कविता (प्यार पर शोध।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/गीत/दोहे/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

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पाहन से मुलाकात।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ पाहन से मुलाकात। ♦

एक दिन एक पाहन से
हुई थी मुलाक़ात।
उसने कहीं उस दिन,
मुझसे अपने मन की बात।
पूछा उसने मुझसे…
कुछ नाराज़गी से —

“क्यों करते हो तुलना हमारी
तुम कठोर हृदय मनुज से ?”

ये अपमान है हमारा
मेरी समझ से,
क्योंकि —
हम तो संगीत के राग
से ही पिघल जाते हैं।
कोई तराश दे तो,
मूर्ति में ढल जाते हैं।

हम दिखते हैं कठोर,
किन्तु मन में नहीं चोर।
दुर्ग और भवनों में,
आलीशान इमारतों में,
मेरे पारिवारिक सदस्य
जड़ें है कई गुम्बदों में।

सुनी हैं मैंने सच्ची दास्तानें,
मनुष्य की कुटिलता की।
दौलत, सत्ता के लोभ,
अपनों के कत्ल और क्रूरता की।

पाषाण नहीं करते ऐसा,
फिर हम पर ये आरोप कैसा ?

तुम्हारे ह्रदय जितने कठोर नहीं हैं हम।
घाती, कपटी, कुटिल चोर नहीं हैं हम।
देखो, सुनो जाकर अपने टी वी पर,
कैसे मनुज की वजह से मनुज मर रहा है।
मेरा ह्रदय तोसे कहते हुए भी पिघल रहा है।

और भी बहुत कुछ कहा उसने,
एक पत्थर ने सामने मेरे …
कटु सच का पुलिन्दा रख दिया।
और किस कदर मनुष्य होने पर
मुझे शर्मिंदा कर दिया।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

—————

  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों में समझाने की कोशिश की हैं — पत्थर का उदाहरण देकर बताया है की आजकल के पत्थर दिल मनुष्य से तो लाख गुना अच्छा पत्थर है। सुनी हैं मैंने सच्ची दास्तानें मनुष्य की कुटिलता की। दौलत, सत्ता के लोभ, अपनों के कत्ल और क्रूरता की। पाषाण नहीं करते ऐसा, फिर हम पर ये आरोप कैसा ?

—————

यह कविता(पाहन से मुलाकात।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/गीत सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

साहित्यिक नाम : वेदस्मृति ‘कृती’
शिक्षा : एम. ए. ( अँग्रेजी साहित्य )
बी.एड. ( फ़िज़िकल )
आई आई टी . शिक्षिका ( प्राइवेट कोचिंग क्लासेज़)
लेखिका, कहानीकार, कवियित्री, समीक्षक, ( सभी विधाओं में लेखन ) अनुवादक. समाज सेविका।

अध्यक्ष : “सिद्धि एक उम्मीद महिला साहित्यिक समूह”
प्रदेश अध्यक्ष : अखिल भारतीय साहित्य सदन ( महाराष्ट्र इकाई )
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान बिहार प्रान्त की महिला प्रकोष्ठ,
श्री संस्था चैरिटेबल ट्रस्ट : प्रदेश प्रतिनिधि ( महाराष्ट्र )
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद में – सह संगठन मंत्री, मुंबई ज़िला, महाराष्ट्र
हिन्दी और अँग्रेजी दोनों विधाओं में स्वतंत्र लेखन।

अनेक प्रतिष्ठित हिन्दी/अँग्रेजी पत्र – पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

 

 

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सावन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ सावन। ♦

आया सावन
अति मनभावन
पड़ गए झूले
अमुआ की डाल पे
चल सखि झूलें
नभ तक ले – लें
पींगे सँभाल के।

आया सावन —
करतल करके
वृक्षों के पात भी
मिल बूँदों से
ख़ुश हो कर के
करते हैं बात भी।

आया सावन —
प्यासी धरती
सूखे हैं गात भी
जल बिन तरसी
बदली बरसी
जल की सौग़ात दी।

आया सावन —
बम-बम भोले
गूँजे शिव द्वार पे
शंकर भोले
सारे बोलें
तू पालनहार रे।

आया सावन —
चूनर धानी
धरती ने ओढ़ ली
बरखा रानी
करे मनमानी
सागर से होड़ की।

आया सावन —
काग़ज़ कश्ती
पानी में डाल के
छोड़ के सुस्ती
मिलकर मस्ती
करते हैं बाल रे।

आया सावन —
साजन सजनी
हाथों में हाथ ले
अपनी अपनी
प्रेम प्रीत की
करते हैं बात रे।

आया सावन —
जंगल – जंगल
नाचे हैं मोर रे
नभ से थल तक
केवल जल-जल
नदियों का शोर रे।
आया सावन,
अति मनभावन।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

—————

  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों में समझाने की कोशिश की हैं – सावन के मौसम में धीमी – धीमी बारिश का होना, प्रकृति का खूबसूरत दृश्य, झूला-झूलना, हर तरफ हरियाली ही हरियाली, पृथ्वी पर चारो ओर प्रकृति का सुन्दर नज़ारा नजर आती है। मन खुशियों में झूमता है जैसे मोर मस्त होकर नाचता हैं।

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यह गीत/कविता/आर्टिकल (सावन।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/गीत सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

साहित्यिक नाम : वेदस्मृति ‘कृती’
शिक्षा : एम. ए. ( अँग्रेजी साहित्य )
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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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मेरा ईश्वर से विश्वास उठने ही लगा था कि।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ मेरा ईश्वर से विश्वास उठने ही लगा था कि। ♦

बचपन से सुनती आयी हूँ कि –
पत्ता भी नहीं हिलता ‘उसकी ‘ ( प्रभु की )
मर्ज़ी के बिना ….
फिर भी इंसान रह नहीं पाता अपनी
ख़ुदगर्ज़ी के बिना…
वर्तमान दौर में ये अटूट विश्वास
हिलने लगा था।

‘रब’ है ही नहीं, ऐसा ही लगने लगा था।
सारे मीडिया यंत्र दहाड़ रहे हैं,
मृत्यु के मंजर पर गला फाड़ रहे हैं।

अब लोग ईश्वर की मर्ज़ी से
या आयु पूरी होने पर नहीं मरते।
ईश्वर उनके प्राण नहीं हरते।
अब तो ख़ुदा कोई नया आ गया है,
जिसे विप्लव मौत का बहुत भा गया है।

ये भी सुना था और पढ़ा था बचपन से:
‘हर सौ वर्ष में एक महामारी फैलती है धरा पर-
जो निगल लेती है असंख्य ज़िंदगियाँ’।
और वसुन्धरा का हरापन –
जैसे चेचक, हैज़ा, टीबी इत्यादि।

कुछ अतीत की हैं महामारियाँ,
सभी प्राणघातक बीमारियाँ –
असंख्य जानें चली जातीं थीं।
फिर टीके बनते थे,
जो बच जाते थे उनको लगते थे।

फिर से वही दौर आ गया है-
फ़र्क़ ये है कि पहले टी वी नाम का
मूर्ख बक्सा नहीं था – इसलिए
जिन्हें वो रोग हो गया वे रोग से मर जाते थे।

कम से कम बाक़ी अफ़वाहों और भय से,
से बच कर सुरक्षित रह जाते थे।

जनसंख्या हज़ारों में थी – सैंकड़ों मरते थे।
जब जनसंख्या लाखों में हो गयी तो हज़ारों मर गये।
अब करोड़ों में है तो लाखों मर रहे हैं,
पर अब आविष्कारों के दुरुपयोग से।

रोगी रोग से और निरोगी रोग के भय,
से मर रहे हैं/ जो बचे हैं वो भी डर रहे हैं।
ईश्वर की भूमिका तो समाप्त हो चली है।
नये ईश्वर से अब ये सौग़ात ए मौत मिली है।

अब सबकी मृत्यु का ज़िम्मेदार या तो ‘प्रभु
कोरोना’ है या फिर देवी असुविधाएं या देवी दुर्व्यवस्थाएँ।

न उम्र न कोई अन्य रोग न लापरवाही,
कुछ बुद्धिजीवी यही चर्चा रोज़ कर लेते हैं।
एक दूसरे को चिन्ता की डोज़ दे कर,
कुछ देर सरकारों को कोस लेते हैं।

संवेदनशीलता दिखाने का सबसे सरल,
और टिकाऊ तरीक़ा है बुद्धिविलास।
और फिर सामर्थ्य अनुसार वाणी विलास,
बहुत से गुरू, शिक्षक सकारात्मक ज्ञान देते हैं।

गिलास आधा ख़ाली है के स्थान पर गिलास,
आधा भरा है ऐसा कहना सिखलाते हैं।

ताकि सकारात्मकता आये,
तो समाचार- कोविड से इतने **** मर गये ,
इसके स्थान पर इतने ***** बच गये।
क्यों नहीं कह सकते ?

अर्थात् गिलास आधा भरा है ये क्यों नहीं कह सकते ?
आख़िर बचने वाले मरने वालों से तो ज़्यादा हैं न।

ये भी कहेंगे- पर अभी नहीं-
कोविड ख़त्म होने के बाद अपने भाषणों में,
हाई – फ़ाई होटल के कमरों में ‘मोटिवेशनल स्पीच’ में
ये दौर जब चला जायेगा-

तब सकारात्मक संदेशों के वृक्ष पर,
उदाहरणों का बौर आयेगा।
जिनका स्रोत इस नकारात्मकता से ही तो आयेगा।
तब ये सबको बहुत भायेगा।

ख़ैर – मुझे इस राजनीति में नहीं पड़ना,
बस भरोसा भगवान पर कैसे लौटा ये है कहना।
तो – मुझे भी लगने लगा था कि
ईश्वर नाम की कोई सत्ता नहीं है अब।

पड़ोस के एक वृद्ध के बारे में पता चला तब,
कि वे क़रीब एक साल से मृत्यु की गोद में पल रहे हैं –
और अभी तक यमराज को छल रहे हैं-
आयु अस्सी के आसपास है।

प्राणघातक रोग से ग्रस्त हैं,
घर के लोग भी अब उनसे त्रस्त हैं।

कोरोना पॉजिटिव भी हो गये थे,
अपने आप नेगेटिव भी हो गये।
हॉस्पिटल वो जा नहीं सकते,
डॉ ० घर पर आ नहीं सकते।

जाँच रिपोर्ट के अनुसार उन्हें न दवा
बचा सकती है न दुआ।
पर वो अब तक बचे हुए हैं।
परिवार पर बोझ से लदे हुए हैं।
अपनों की ही ज़िल्लत सह रहे हैं।

जिन्हें खिलाया था गोद में वही,
‘कब मरेंगे ‘ मुँह पर कह रहे हैं।

ये बात मैंने अपनी एक मित्र को बतायी,
उसने भी मुझे एक ऐसी ही घटना बतायी।
धीरे – धीरे मुझे ऐसे बहुत से लोग मिले,
जो अनेकों रोगों से थे घिरे।

महीनों से कटे वृक्ष की तरह बिस्तर पर थे गिरे-
पर प्रभु कोविड भी कुछ न कर सके।
तब कहीं जा कर मेरा खोया विश्वास लौट आया।
और फिर मैंने ईश्वर की मर्ज़ी को सर नवाया 🙏🏼
ईश्वर की सत्ता पर भरोसा जताया।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

—————

  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों में समझाने की कोशिश की हैं – कोरोना महामारी के आने से कैसे इंसानी जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। कैसे इंसान के अंदर से इंसानियत खत्म हो गया। कोई भी किसी की भी मदद नहीं कर रहा है। रोगी रोग से और निरोगी रोग के भय से मर रहे हैं, जो बचे हैं वो भी डर रहे हैं।

—————

यह कविता/आर्टिकल (मेरा ईश्वर से विश्वास उठने ही लगा था कि।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

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Grass To Grace

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ Grass To Grace ♦

Dwelling down the memory lane,
when I recall my childhood days,
planting a seed in the ground,
is the most delightful reminiscence.

Transformation of a seed to a sapling,
And from sapling to a big hefty tree,
taught me a lifetime lesson, how to
start a journey from scratch, gradually.

This surveillance motivated me a lot.
When a tender twig is prepared to face,
thundering storm, wind, rough weather
to attain glorious heights from surface.

Then, being born as human with brain,
nothing should be impossible in my case,
Why should I give up due to hurdles on
my way, Isn’t it just a temporary phase.

How easily we’ll blame circumstances
for not getting success in a particular task,
And put several excuses and try to cover,
our weak efforts wearing a fake mask.

No, no, no a ‘ Big No ‘ I decided to say
to all negativities and ill minded people.
Who always love to make fun ridiculously
and don’t let anyone to be successful.

This thought made me calm and tranquil,
and instilled in me a fervour or courage.
Consistently and diligently, I too began,
my odyssey to grow from ‘Grass to Grace.’

♦ Vedsmriti ‘Kritee’ Ji – Pune, Maharashtra ♦

—————

  • ” Vedsmriti ‘Kritee’ Ji “ Describe In very simple words – Transformation of a seed to a sapling And from sapling to a big hefty tree, taught me a lifetime lesson, how to start a journey from scratch, gradually.

—————

This poem (Grass To Grace) is Written by ” Vedsmriti ‘Kritee’ Ji “ for – KMSRAJ51.COM readers. Your poems are life-changing by getting down to the depths of the heart in simple words. I have full faith that your poems and articles will benefit the public. May your writing activity continue like this for the welfare of the people.

Brief introduction of Poet
__________________
Name : Vedsmriti Gour
Name for publication : Vedsmriti ‘Kritee’
Education : M. A. English litrature
B. Ed. ( Physical )
Diploma in Information Technology
Teacher : Private coaching classes, Freelance writer, poet, critic, translator, lyricist, social – worker.
Adhyaksh : ‘Siddhi Ek Sahityik Samooh’
State Head : ‘Akhil Bhartiya Sahitya Sadan’ ( Maharashtra )
Mahila Prakoshtth : ‘Rashtriya Aanchalik Sahitya Sansthan Bihar Prant’.
Sah Sangthan Mantri : ‘Antarrashtriya Hindi Parishad Mahila Prakoshtth, Mumbai, Maharashtra.
Representative ( Maharashtra ) : Shri Sanstha Charitable Trust
Write in both the languages – Hindi & English

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मैं धीर भरी सुख की बदली।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ मैं धीर भरी सुख की बदली। ♦

मैं धीर भरी सुख की बदली।
बदली दुनिया मैं भी बदली।

हो पीर भले चाहे जितनी।
जीना अब मैंने सीख लिया।
जो शूल बिछे पथ में मेरे,
वो शूल हटाना सीख लिया।

कंटक पथ पर, उर साहस भर।
मासूम कली मैं चल निकली।
मैं धीर भरी सुख ………
बदली दुनिया मैं ………

नैनों से चाहे नीर बहे।
हिय से अनुराग बहाती हूँ।
यूँ ही नहीं मैं इस सृष्टि की,
अनुपम रचना कहलाती हूँ।

असुरों का वध करने को अब,
खुद आयुध लेकर चल निकली।
मैं धीर भरी सुख ……..
बदली दुनिया मैं ……..

नीरव नीरस गृह को मैं ही,
मधुर सुरों से भर देती हूँ।
निर्जीव खड़ी दीवारों की,
जड़ता सारी हर लेती हूँ।

कण – कण घर का महके ऐसे,
मानो सुवासित बयार चली।
मैं धीर भरी सुख ……..
बदली दुनिया मैं ………

केवल भीतों के आयत से,
होता है निर्मित सदन नहीं।
गृहलक्ष्मी बन कर आ जाऊँ।
बस जाता है फिर भवन वहीं।

मंगल गायन उत्सव पूजा,
लगती हैं सको बहुत भली।
मैं धीर भरी सुख की ……..
बदली दुनिया मैं ………..

हो जाऊँ मैं पल भर ओझल।
अनुपस्थिति मेरी बहुत खले।
दृष्टि पड़े जब भी मुझ पर तो,
मुख पर सबके मुस्कान खिले।

केवल मेरे होने से ही।
सूरत सबकी है खिली – खिली।
मैं धीर भरी सुख की बदली।
दुनिया बदली मैं भी बदली।

औरों की गलती पर मैंने,
अब नीर बहाना छोड़ दिया।
नभ तक परचम फहराया है।
धारा का रुख़ ही मोड़ दिया।

निज सक्षमता के बल पर ही,
लाचारी पीछे छोड़ चली।
मैं धीर भरी सुख की बदली।
दुनिया बदली मैं भी बदली।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

—————

  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों में समझाने की कोशिश की हैं – “नारी तू नारायणी” एक नारी से ही घर का रौनक है, वही है जो हरेक हालात, में घर को व घर के सभी सदस्यों का देखभाल करती हैं। “नीरव नीरस गृह को मैं ही मधुर सुरों से भर देती हूँ, निर्जीव खड़ी दीवारों की जड़ता सारी हर लेती हूँ। हो जाऊँ मैं पल भर ओझल, अनुपस्थिति मेरी बहुत खले, दृष्टि पड़े जब भी मुझ पर तो, मुख पर सबके मुस्कान खिले।”

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यह कविता (मैं धीर भरी सुख की बदली।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

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That Very Week

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ That Very Week ♦

Just for a week or so
I was bound to stay at home.
As I was sick and on medication,
had no freedom to roam.

That very week I felt
so sad, bored and helpless
and realised how important
the freedom is, It’s priceless.

As a human being I had,
options like reading, watching TV
talking to my friends on phone
and other things to keep myself busy.

But all those options proved futile
to compensate the joy of freedom.
All indoor activities couldn’t
erase the feelings of boredom.

That very moment I got
connected with the plight
of my poor bird, captive
in a small cage day and night.

Unable to express his pain
sad, sorrowful, as if forced to die.
I felt guilty why could I never feel
or noticed his silent cry.

With a heavy heart I got up
and freed him from the cage.
I’ll never keep any creature
imprisoned, I took the pledge.

For the first time I heard
his melodious chirping voice.
Gleefully he fluttered his wings
and merrily made the noise.

His joyful gesture gave me
immense pleasure, “Go away and fly high”
I said with a big smile – “You are
born to touch the sky.”

♦ Vedsmriti ‘Kritee’ Ji – Pune, Maharashtra ♦

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  • ” Vedsmriti ‘Kritee’ Ji “ Describe In very simple words – During Covid-19 Pandemic, had no freedom to roam. Realised how important the freedom is, It’s priceless. As a human being I had, options like reading, watching TV talking to my friends on phone and other things to keep myself busy. But all those options proved futile to compensate the joy of freedom……….. His joyful gesture gave me immense pleasure, “Go away and fly high” I said with a big smile – “You are born to touch the sky.”

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This poem (That Very Week) is Written by ” Vedsmriti ‘Kritee’ Ji “ for – KMSRAJ51.COM readers. Your poems are life-changing by getting down to the depths of the heart in simple words. I have full faith that your poems and articles will benefit the public. May your writing activity continue like this for the welfare of the people.

Brief introduction of Poet
__________________
Name : Vedsmriti Gour
Name for publication : Vedsmriti ‘Kritee’
Education : M. A. English litrature
B. Ed. ( Physical )
Diploma in Information Technology
Teacher : Private coaching classes, Freelance writer, poet, critic, translator, lyricist, social – worker.
Adhyaksh : ‘Siddhi Ek Sahityik Samooh’
State Head : ‘Akhil Bhartiya Sahitya Sadan’ ( Maharashtra )
Mahila Prakoshtth : ‘Rashtriya Aanchalik Sahitya Sansthan Bihar Prant’.
Sah Sangthan Mantri : ‘Antarrashtriya Hindi Parishad Mahila Prakoshtth, Mumbai, Maharashtra.
Representative ( Maharashtra ) : Shri Sanstha Charitable Trust
Write in both the languages – Hindi & English

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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