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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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You are here: Home / Archives for शैलेश कुमार मिश्र “शैल”

शैलेश कुमार मिश्र “शैल”

बल के लिए।

Kmsraj51 की कलम से…..

Bal Ke Liye | बल के लिए।

देवभूमि की जड़, जमीन, जंगल के लिए,
नदिया, पर्वत, सेहरा, चरखा, हल के लिए।
बलखाती बेले, लहलहाती फसल के लिए,
सुखद सुरक्षित आज, सुनहरे कल के लिए।
क्यूँ ना सीना चौड़ा हो, क्यूँ ना मस्तक ऊँचा हो,
हमे चुना माँ भारती नें अपने सुहाग, आँचल के लिए।
हम प्रहरी क्यूँ ना गर्व करें, सीमा सुरक्षा बल के लिए।

सरहद से संसद तक जल और थल के लिए,
विघ्न और बाधाओं से दंगल के लिए।
शत्रुओं का दर्प-दलन ओ दहल के लिए,
हम तैयार खड़े सब अनल, गरल के लिए।
जब देश को सर की जरूरत हो,
त्यागी तेवर की जरूरत हो,
तब राष्ट्र हमारी ओर तके उस पल के लिए।
हम प्रहरी क्यूँ ना गर्व करें सीमा सुरक्षा बल के लिए।

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – बॉर्डर ही उसका बिस्तर है, आकाश ही उसका चादर है। क्यूँ ना सीना चौड़ा हो, क्यूँ ना मस्तक ऊँचा हो, हमे चुना माँ भारती नें अपने सुहाग, आँचल के लिए। हम प्रहरी क्यूँ ना गर्व करें, सीमा सुरक्षा बल के लिए। सरहद से संसद तक जल और थल के लिए, हर प्रकार के विघ्न और बाधाओं से दंगल के लिए। शत्रुओं का दर्प-दलन ओ दहल के लिए, सदैव ही हम (सीमा सुरक्षा बल) तैयार खड़े सब अनल, गरल के लिए। जब देश को सर की जरूरत हो, त्यागी तेवर की जरूरत हो, तब राष्ट्र हमारी (सीमा सुरक्षा बल) ओर तके उस पल के लिए। हम प्रहरी क्यूँ ना गर्व करें सीमा सुरक्षा बल के लिए। जय हिन्द – जय भारत।

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यह कविता (बल के लिए।) “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

About Yourself – आपके ही शब्दों में —

  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
  • शिक्षा: स्नातकोत्तर (PG Diploma)
  • व्यवसाय: केन्द्रीय पुलिस बल में 2001 से राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत।
  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

  • जरूर पढ़े: चली जाती है।
  • जरूर पढ़े: अच्छा लगता है।

—————

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Quotes, Poetry, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं। ____

Filed Under: हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Desh Bhakti Kavita in Hindi, Patriotic Poems in Hindi, poet shailesh kumar mishra, Shailesh Kumar Mishra, उत्साह बढ़ाने वाली कविता, जोश भर देने वाली देशभक्ति कविता, देश के जवान पर कविता, देशभक्ति कविता, देशभक्ति कविता बच्चों के लिए, देशभक्ति क्रांतिकारी कविता, देशभक्ति जोशीला कविता, देशभक्ति पर सर्वश्रेष्ठ कविताएँ, बल के लिए, बल के लिए - शैलेश कुमार मिश्र शैल, बहादुरी पर कविता, वीर जवानों पर कविता, वीरों पर कविता, शैलेश कुमार मिश्र, शैलेश कुमार मिश्र “शैल”, शैलेश कुमार मिश्र-शैल जी की कवितायें, सैनिकों पर हिंदी में देशभक्ति कविता

सैनिक का सैनिक।

Kmsraj51 की कलम से…..

Sainik Ka Sainik | सैनिक का सैनिक।

उसके हिस्से चारदीवारी, शहर कहाँ आता है,
शब्दकोश में छुट्टी, आराम अक्षर कहाँ आता है।
दुनियाँ को सैनिक का शौर्य, त्याग तो दिखता है,
उस सैनिक के पीछे का सैनिक नजर कहाँ आता है।

जिसे जवानी कहते हैं वो उमर कहाँ आता है,
वो चार कदम वाला रोमांटिक सफर कहाँ आता है।
किस्मत में उसके मायके और ससुराल आया करती है,
उस सैनिक के हिस्से अपना घर कहाँ आता है।

उनके ख्वाबों के परिंदों को पर कहाँ आता है,
सरहद से उसकी जमीं उसका अंबर कहाँ आता है।
लोगों के दिन, दुनियाँ, तकदीर बदलते रहते हैं,
उस सैनिक के हिस्से नया कैलेंडर कहाँ आता है।

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – बॉर्डर ही उसका बिस्तर है, आकाश ही उसका चादर है, उसके हिस्से में चारदीवारी या शहर का आराम कहाँ आता है। एक सैनिक के शब्दकोश में छुट्टी व आराम अक्षर कहाँ आता है भला। दुनियाँ को एक सैनिक का शौर्य, त्याग तो दिखता है, पर उस सैनिक के पीछे का सैनिक नजर कहाँ आता है। एक सैनिक के लिए जवानी का उमर व चार कदम वाला रोमांटिक सफर कहाँ आता है। किस्मत में उसके मायके और ससुराल आया करती है, उस सैनिक के हिस्से अपना घर कहाँ आता है, उसका घर तो पूरा देश ही है। आम लोगों के दिन, दुनियाँ, तकदीर बदलते रहते हैं, पर उस सैनिक के हिस्से नया कैलेंडर कहाँ आता है। गर्व करो अपने वीर सैनिकों पर जो बॉर्डर पर सीना ताने खड़े है हमारे सुख चैन के लिए। जय हिन्द – जय भारत।

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यह कविता (सैनिक का सैनिक।) “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

About Yourself – आपके ही शब्दों में —

  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
  • शिक्षा: स्नातकोत्तर (PG Diploma)
  • व्यवसाय: केन्द्रीय पुलिस बल में 2001 से राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत।
  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

  • जरूर पढ़े: चली जाती है।
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आप सभी का प्रिय दोस्त

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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माँ की शिकायत।

Kmsraj51 की कलम से…..

Maa ki Shikayat – माँ की शिकायत।

साँपों का अब देश नहीं सारी दुनियां स्वीकार करे,
इधर ना अब ताके-झाँकें ना खरी कोई दीवार करे।
महारूद्र सा सीमा प्रहरी सरहद पर हुंकार रहा,
जिसकी माँ ने दूध पिलाया हो वो सीमा पार करे।

काटके गर्दन रख दूँगा सीमा-स्तंभ के ऊपर ही,
हर वार सामने से होगा मस्तक, छाती औ धर पर ही।
सन सैंतालीस, बासठ का ना भारत हमें समझना तुम,
आँख हमारी दुश्मन पर और रहते कर खंजर पर ही।
कदम बढ़ाने से पहले अंजाम का सोच विचार करे,
जिसकी माँ ने दूध…….

कायर श्रृगालों चोरी छुप के सोये शेरों को मत छेड़ो,
अपने नापाक हाथ हमारे शीश, भाल पर मत फेरो।
थप्पड़ पड़ते ही दुम दबाकर राष्ट्रसंघ भाग जाते हो,
चूहे-बिल्ली की फौज बनाकर ऐरावत को मत घेरो।
या फिर बीवी-बहनों को बेवा बनने को तैयार करे,
जिसकी माँ ने दूध…….

एक से बढ़के एक हुतात्मा खड़े हैं दिल दहलाने को,
रणचंडी बन शत्रु के घर में त्राहिमाम मचाने को।
दो हाथ दिये, दो पाँव दिये, दो आँखे भी दी लड़ने को,
सिर्फ एक ही जिंदगी क्यूँ दी भारत माँ पे लुटाने को।
यही शिकायत माँ को भी है सुत दो से प्रभु चार करे,
जिसकी माँ ने दूध पिलाया हो वो सीमा पार करे।

जय हिन्द – जय भारत।

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – मेरे देश के वीर सैनिक, महारूद्र सा सीमा प्रहरी सरहद पर हुंकार रहा, जिसकी माँ ने दूध पिलाया हो वो सीमा पार करे। वीर सैनिको की गर्जना है – काटके गर्दन रख दूँगा सीमा-स्तंभ के ऊपर ही, हर वार सामने से होगा मस्तक, छाती औ धर पर ही। सन सैंतालीस या बासठ का ना भारत हमें समझना तुम, आँख हमारी दुश्मन पर और रहते कर खंजर पर ही। कदम बढ़ाने से पहले अंजाम का सोच विचार करलो। कायर श्रृगालों चोरी छुप के जो वार करने की आदत है तुम्हारी, ये मत भूलो व सोये शेरों को मत छेड़ो, अपने नापाक हाथ हमारे शीश, भाल पर मत फेरो। जरा सा थप्पड़ पड़ते ही दुम दबाकर राष्ट्रसंघ भाग जाते हो तुम। एक से बढ़के एक वीर हुतात्मा खड़े हैं तुम्हारे दिल दहलाने को, रणचंडी बन शत्रु के घर में त्राहिमाम मचाने को। “हे प्रभु दो हाथ दिये, दो पाँव दिये, दो आँखे भी दी लड़ने को, सिर्फ एक ही जिंदगी क्यूँ दी भारत माँ पे लुटाने को।” यही शिकायत माँ को भी है सुत दो से प्रभु चार करे, जिसकी माँ ने दूध पिलाया हो वो सीमा जरा पार करे। जय हिन्द – जय भारत।

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यह कविता (माँ की शिकायत।) “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

About Yourself – आपके ही शब्दों में —

  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
  • शिक्षा: स्नातकोत्तर (PG Diploma)
  • व्यवसाय: केन्द्रीय पुलिस बल में 2001 से राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत।
  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

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  • जरूर पढ़े: अच्छा लगता है।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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राष्ट्रपर्व।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ राष्ट्रपर्व। ♦

वो कैसा दृश्य रहा होगा, गोरों का किला ढहा होगा,
डंके की चोट पर किसी नें चिल्लाकर कहा होगा।
आज से तुम आजाद हो सब जश्न मनाओ हिंदुस्तानी,
कहीं आँसू बहा होगा तो कहीं लहू बहा होगा।

नव परिधान में माँ भारती अंगराई ली होगी,
गंगाजल से दाग-धब्बों की धुलाई की होगी।
मिट्टी से मांग भरी होगी सर चूनर ओढ़ तिरंगा,
हिमालय की तुंग से शंख, शहनाई बजी होगी।

फिर से वो शुभ दिन विजयी राष्ट्रपर्व आया है,
विश्वशांति का झंडा हर घर नभ पे फहराया है।
हिंदुस्तान सिर्फ एक देश नहीं है, देवभूमि भी है,
दुनियां का सिरमौर है ये दुनियां से ही कहलाया है।

सोच रहा हूँ क्या मैं उनकी जवानी याद करूँ,
कुर्बानी याद करूँ, शौर्य, मेहरबानी याद करूँ।
हँसते हँसते जिसने सीना, सर खंजर पर धर दिया,
उन शूरवीरों के नाम, कहानी, निशानी याद करूँ।

आज चाहता है दिल तुझे कुछ तो करूँ अर्पित,
श्रद्धा के दो पुष्प संग, दो बूंद करूँ अश्रु समर्पित।

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – यह धरती है उन वीरों की जो देश पर होते है सदैव ही कुर्बान। तहे दिल से नमन है माँ भारती के हर उन शूरवीर सपूतों को जिनके बलिदान के बदले हमे आज़ादी मिली। जो आये थे यहां व्यापार करने, व्यापार के बहाने हमे अपना गुलाम बनाकर खूब मनमानी किया। उन्होंने हम पर बहुत ही निर्दयता पूर्वक अत्याचार किया, और हमें खूब लुटा। हमें कभी भी नहीं भूलना चाहिए उन शूरवीर सपूतों के बलिदान को, जिनके बलिदान के बदले हमे आज़ादी मिली। शत-शत नमन है उन वीर सपूतों की जननी को जिन्होंने अपने लाल को माँ भारती की रक्षा के लिए ख़ुशी – ख़ुशी समर्पित किया। जय हिन्द – जय भारत।

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यह कविता (राष्ट्रपर्व।) “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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  • व्यवसाय: केन्द्रीय पुलिस बल में 2001 से राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत।
  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, शैलेश कुमार मिश्र शैल जी की कविताएं।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: 15 अगस्त पर कविता हिंदी में, Shailesh Kumar Mishra Shail poem in hindi, राष्ट्रपर्व - शैलेश कुमार मिश्र शैल, शैलेश कुमार मिश्र “शैल”, शैलेश कुमार मिश्र-शैल जी की कवितायें

चेस्ट नंबर 13 हाजिर हो।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ चेस्ट नंबर 13 हाजिर हो। ♦

कलम वाला सैनिक

दूसरे हाथ में बंदूक थामें “एक गोली एक दुश्मन” और “SHOOT TO KILL” जैसे उद्देश्य में प्रशिक्षित होने के बावजूद एक सैनिक जिंदगी की नयी परिभाषायें और नये आयाम लिख रहा है। वह न सिर्फ राष्ट्र की एकता, अखंडता व अस्मिता की बाहरी दुश्मनों से रक्षा करता है बल्कि प्रकृति व प्रेम के गीत गाता है, जनमानस की आवाज बनता है और समाज में फैली कुरीतियों, विषमताओं व प्रायोजित भ्रष्टाचार के खिलाफ सजग प्रहरी बन आवाज बुलंद करता है। बंदूक के बैरल एवं सरहद के आखिरी छोर से निकली हुई प्यार, शांति, नफरत, फरेब, रिश्ते, मजबूरी, देशप्रेम, कर्तव्य व जिम्मेदारियों का एक भावात्मक व कलात्मक काव्य रूप है यह किताब और नायक है…⇒ “चेस्ट नंबर 13”

About the Book: क्यों पढ़ें यह किताब….?

एक सैनिक के हाथ में बंदूक ही नहीं कलम भी हो सकती है, बंदूक के नाल से भी गीत व गजल निकल सकती है, सरहद के आखिरी पत्थर पे भी कविताएँ लिखी जा सकती है, शब्द भी राष्ट्र की रक्षा और अखंडता के लिए गोला-बारुद बन सकता है और एक सैनिक शांतिकाल में भी कई मोर्चों पर लड़ता ही रहता है – बस जिगरा और जज्बा होना चाहिए। यही इस किताब का मूल कथ्य और संदेश है। यकीनन यह किताब आपको विचारों और भावनाओं के तल पर ले जाकर खुद के अंदर झाँकने व कुछ सोचने तथा करने पर मजबूर कर देगी।

About the Author:

शैलेश कुमार मिश्र “शैल” का जन्म मधुबनी, बिहार के एक मध्यवर्गीय ब्राह्मण परिवार में 1975 में हुआ। इन्होंने आपदा प्रबंधन में स्नातकोत्तर किया है। संयुक्त परिवार और गाँव की मिट्टी में लोट पोट हो जिंदगी के कई उतार-चढ़ावों को जीते एवं आत्मसात करते हुए 2001 में सीमा सुरक्षा बल (BSF) में सहायक कमांडेंट के पद पर भर्ती हो गए एवं फिलहाल द्वितीय कमान अधिकारी के रूप में इंदौर में पदस्थापित हैं। लेखन इनका शौक रहा है। पठन-पाठन, हिंदी संगीत, खेलकूद, पर्यटन, मंच संचालन, समाजसेवा इत्यादि में गहरी रूचि है। पाँच कविता संग्रह एवं विभागीय किताब अभी तक इनके द्वारा लिखी जा चुकी है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ के तत्वावधान में अफ्रीका में शांति सेना के रूप में कार्यानुभव, गरीब बच्चों को छुट्टियों में मुफ्त पढ़ाना एवं गाँव में पुस्तकालय की स्थापना सह मुफ्त-संचालन, कैरियर कांउसिलिंग, नशापान के विरुद्ध जागरूकता अभियान इनका सामाजिक योगदान एवं उत्तम सेवा के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ का 2 पदक एवं महानिदेशक सीमा सुरक्षा बल द्वारा 3 अलंकरण खास व्यावसायिक उपलब्धियाँ रही है।

खुश रहें, खुश रखें और यथाशक्ति सामाजिक समरसता तथा राष्ट्रनिर्माण में योगदान इनकी जिंदगी का फलसफा है।

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चेस्ट नंबर 13 हाजिर हो (Chest No.13 Hazir Ho) 

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Reading Age: 11 Years and up

Jai Hind – जय हिन्द

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

sk-mishra-kmsraj51.pngमेरे सभी प्रिय पाठकों आपसे विनम्र निवेदन है की ये किताब “चेस्ट नंबर 13 हाजिर हो” जरूर पढ़े, ऊपर दिए गए किसी भी प्लेटफॉर्म से आप किताब खरीद सकते हैं।

ध्यान दें: एक सैनिक के हाथ में बंदूक ही नहीं कलम भी हो सकती है, बंदूक के नाल से भी गीत व गजल निकल सकती है, सरहद के आखिरी पत्थर पे भी कविताएँ लिखी जा सकती है, शब्द भी राष्ट्र की रक्षा और अखंडता के लिए गोला-बारुद बन सकता है और एक सैनिक शांतिकाल में भी कई मोर्चों पर लड़ता ही रहता है – बस जिगरा और जज्बा होना चाहिए। यही इस किताब का मूल कथ्य और संदेश है। यकीनन यह किताब आपको विचारों और भावनाओं के तल पर ले जाकर खुद के अंदर झाँकने व कुछ सोचने तथा करने पर मजबूर कर देगी।

प्रिय पाठकों “चेस्ट नंबर 13 हाजिर हो” किताब पढ़ने के बाद अपने विचार Comments कर जरूर बताएं।

 

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, शैलेश कुमार मिश्र शैल जी की कविताएं।, हिन्दी साहित्य Tagged With: Chest No.13 Hazir Ho, Chest No.13 Hazir Ho book, Shailesh Kumar Mishr "Shail", Shailesh Kumar Mishra "Shail" Author, कलम वाला सैनिक, चेस्ट नंबर 13 हाजिर हो, चेस्ट नंबर 13 हाजिर हो किताब, शैलेश कुमार मिश्र, शैलेश कुमार मिश्र “शैल”, शैलेश कुमार मिश्र-शैल जी की कवितायें

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