Kmsraj51 की कलम से…..
Nari | स्त्री।
मैं स्त्री हूं, प्रायः घर की देवी भी कहलाती हूं,
कहीं प्रताड़ित, तो कहीं पूजी जाती हूं।
कहीं मेरा मान सम्मान किया जाता है,
कहीं मुझे कोख में ही मार दिया जाता है।
कभी बड़े चाव से सोलह शृंगार करते है,
कभी भरी सभा में, वस्त्र भी तो हरते है।
कभी वंश वृद्धि के लिए सर माथे बिठाते हैं,
कभी रहन सहन पर, बेबात ही उंगली उठाते है।
देख चोंचले समाज के, आ जाता है रोष मुझे,
पूछती हूं दर्पण से, क्यों जड़ा यह दोष मुझे?
क्यों मर्यादा की बेड़ी ने, स्त्रियों को ही जकड़ा है,
मान की जंजीरों ने, पुरुषों को कब पकड़ा है?
जिद्दी, अड़ियल, ढीठ, चाहे जो कह लो मुझे,
देवी की संज्ञा न दो, बस स्त्री ही रहने दो मुझे।
♦ नंदिता माजी शर्मा – मुंबई, महाराष्ट्र ♦
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- “नंदिता माजी शर्मा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — मैं स्त्री हूं, जीवन हूं,आकांक्षा हूं ,सपना हूं स्वयं के निर्माण का, परिवार के और मानव समाज के! मैं सौंदर्य नहीं स्वरूप हूं ,सृष्टि का! पर आजकल के मानव को क्या हो गया है कहीं मेरा बहुत मान सम्मान किया जाता है, तो कहीं मुझे कोख में ही क्यों मार दिया जाता है? वैसे तो प्रायः घर की देवी भी कहलाती हूं, लेकिन फिर भी कहीं प्रताड़ित, तो कहीं पूजी जाती हूं। कभी बड़े चाव व प्रेम से सोलह शृंगार करते है, तो कभी भरी सभा में, वस्त्र भी तो हरते है। कभी वंश वृद्धि के लिए सर माथे बिठाते हैं, तो फिर क्यों कभी रहन सहन पर, बेबात ही उंगली उठाते रहते है? इस तरह का देख चोंचले समाज के, आ जाता है कभी-कभी बहुत रोष मुझे, अक्सर पूछती हूं दर्पण से, क्यों जड़ा यह दोष मुझे? जरा सोचे क्यों मर्यादा की बेड़ी ने, स्त्रियों को ही जकड़ा है? मान की जंजीरों ने, पुरुषों को कब पकड़ा है? बस यही कहना है हमारा – जिद्दी, अड़ियल, ढीठ, चाहे जो कह लो मुझे, भले ही देवी की संज्ञा न दो, बस स्त्री ही रहने दो मुझे।
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यह कविता (स्त्री।) “नंदिता माजी शर्मा जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी मुक्तक/कवितायें/गीत/दोहे/लेख/आलेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।
नाम – नंदिता माजी शर्मा
साहित्यिक नाम : नंदिता “आनंदिता”
लेखिका/डिजीटल अलंकरणकर्ता/कवियत्री/समाज सेविका
संस्थापक/अध्यक्ष — कर्मा फाऊंडेशन
राष्ट्रीय सह-अध्यक्ष — साहित्य संगम संस्थान (पंजीकृत साहित्यिक संस्था)
अलंकरण प्रमुख — साहित्योदय(पंजीकृत साहित्यिक संस्था)
अलंकरण अधिकारी — अंतरराष्ट्रीय शब्द सृजन
प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष — साहित्य संगम संस्थान, (महाराष्ट्र इकाई)
जिला प्रभारी — एन.जी.टी.ओ
मीडिया प्रभारी — महाराष्ट्र शब्दाक्षर
मुख्य संपादक — दोहा संगम ( मासिक ई पत्रिका )
प्रधान संपादक — वंदिता ( मासिक ई पत्रिका )
मुख्य संपादक — महाराष्ट्र मल्हार ( मासिक ई पत्रिका )
प्रधान संपादक — आह्लाद मासिक ई-पत्रिका
प्रधान संपादक — अविचल प्रभा मासिक ई-पत्रिका
कई विधाओं में लेखन।
अनेक ई-पत्रिकाओं का सफल संपादन।
विभिन्न साहित्यिक मंचो और गोष्ठियों से ‘श्रेष्ठ रचनाकार’ ‘सर्वश्रेष्ठ रचनाकार’ इत्यादि अनेक सम्मान प्राप्त।
हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में स्वतंत्र लेखन।
०६ साझा – संग्रह ‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज।
अनावृत संचालन हेतु लन्दन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज।
०१ साझा – संग्रह इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज।
०१ दिव्याक्षर ब्रेल साझा – संग्रह वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज।
हिंदी अकादमी, मुंबई द्वारा साहित्य भूषण सम्मान २०२३ से सम्मानित।
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