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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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You are here: Home / Archives for सीमा रंगा इन्द्रा की कविताएं

सीमा रंगा इन्द्रा की कविताएं

राज बताते नहीं।

Kmsraj51 की कलम से…..

Raaj Bataate Nahin | राज बताते नहीं।

प्रेम पत्र सभी को दिखाते नहीं,
हाथों से लिखी भावनाएं मिटाते नहीं।

भेजा था चित्र सभी को दिखाते नहीं,
खोलते चूमा जिसे बटुए से हटाते नहीं।

मन की बेचैनी को यूं जताते नहीं,
ओ राज था राज को बताते नहीं।

महीने गुजारे इंतजार में सबको दिखाते नहीं,
रात भर बातें की थी तन्हाई को दिखाते नहीं।

पेड़, झरने, पानी, बर्फ छोड़ कागज निहारते नहीं,
वादियों के बीच में महबूबा-महबूबा चिल्लाते नहीं।

90 दिन में हर एक दिन यूं काटते नहीं,
बचे बस दिन कुछ, यह आश लगाते नहीं।

छुट्टी की खुशी में भागे-भागे यू आते नहीं,
बचा हर पल को यूं खुद को परेशान करते नहीं।

आ कर जाने की तिथि बताते नहीं,
खुशी में यूं जाना है रोज बताते नहीं।

जाते वक्त मुरझाया चेहरा दिखाते नहीं,
पी आंसू नकली हंसी इन्द्रा हंसते नहीं।

हर बार छोड़ सीमा को यूं जाते नहीं,
जिम्मेदारियों का बहाना हर बार बनाते नहीं।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — आपसी दिल से लिखा हुआ प्रेम पत्र सभी को दिखाते नहीं, हाथों से लिखी भावनाएं कभी मिटाते नहीं। भेजा था चित्र सभी को दिखाते नहीं, खोलते चूमा जिसे बटुए से कभी हटाते नहीं। ओ मन की बेचैनी को यूं जताते नहीं, ओ राज था राज को बताते नहीं। किस क़दर महीने गुजारे इंतजार में सबको दिखाते नहीं, यूँ रात भर बातें की थी तन्हाई को कभी भी दिखाते नहीं। खूबसूरत वादियों के बीच में यूँ महबूबा-महबूबा चिल्लाते नहीं। कभी भी आ कर जाने की तिथि बताते नहीं, खुशी में यूं जाना है हर रोज बताते नहीं। जाते वक्त अपना मुरझाया चेहरा दिखाते नहीं, पी आंसू नकली हंसी इन्द्रा हंसते नहीं। हर बार छोड़ सीमा को यूं जाते नहीं, जिम्मेदारियों का बहाना हर बार बनाते नहीं।

—————

यह कविता (राज बताते नहीं।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. ए. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।

सम्मान पत्र -180 ऑनलाइन सम्मान पत्र, चार बार BSF से सम्मानित, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सोसायटी से सम्मानित, नेहरू युवा केंद्र बाड़मेर से सम्मानित, शुभम संस्थान और विश्वास सेवा संस्थान द्वारा सम्मानित, प्रज्ञा क्लासेस बाड़मेर द्वारा, आकाशवाणी से लगातार काव्य पाठ, सम्मानित, बीएसएफ में वेलफेयर के कार्यों को सुचारु रुप से चलाने हेतु सम्मानित। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, प्रेसिडेंट ग्लोबल चेकर अवार्ड।

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©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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एक हमसफ़र ऐसा भी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ एक हमसफ़र ऐसा भी। ♦

(सच्चा प्यार)

क्या हुआ मुझे दिया नहीं कभी लाखों का हार,
पर जीवन के हर पल को माला में संजोया है।

क्या हुआ मुझे कभी दिया नहीं कीमती उपहार,
पर अपने जीवन के कीमती पल मेरे नाम किए हैं।

क्या हुआ कभी मुझे महंगी साड़ी गिफ्ट नहीं की,
पर हमारे रिश्तों को एक-एक धागे में पिरोए रखा है।

क्या हुआ ऊंचे महलों में नहीं बिठाया कभी हमें,
पर छोटे से घर की एक-एक ईंट में प्यार भर दिया है।

क्या हुआ कभी हम गए नहीं विदेश घूमने तो,
स्वदेश के हर सुनहरे संगीत से रूबरू करवाया है।

कभी किया नहीं झूठा वादा कि ताज महल बनवा दूंगा,
पर घर के एक कोने में सुंदर सा कमरा हमारे नाम किया है।

क्या हुआ कभी हम धन-दौलत से भरा नहीं हमारा घर,
प्यार भरपूर देकर हमें रहीश बना दिया है।

दुनिया से अलग है मेरे हमसफर झूठे वादे करते नहीं,
मुझे हमेशा खुश रखते हैं हमारे लिए वही काफी है।

देख दुनिया जिन से सीख ले दुनिया ऐसा हमसफर मेरा है,
तभी तो खुदा से सातों जन्म मांगती तुझको हूं।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — क्या केवल धन से ही कोई अमीर होता है? हर इंसान के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब उसे एहसास होता है की दिल से जो अमीर होता है, वही सच्चा अमीर है। अगर सच्चे दिलसे कोई आपको प्यार करे और आपका सदैव साथ दे तो उससे अच्छा कोई भी नहीं। मन से व दिलसे जो अमीर है वही सुखी है। जो सच्चा है वो आपको सदैव सहयोग करेगा, और जो दिखावा करता है उसके पास अपार धन होते हुए भी छोटी-छोटी बातों से दुःखी होता हैं।

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यह कविता (एक हमसफ़र ऐसा भी।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. ए. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।

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बेरोजगार युवाओं का दर्द।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ बेरोजगार युवाओं का दर्द। ♦

इन नौजवानों को देख लो जरा,
समझ जाओ ना इनकी तकलीफ।

रहते हरदम परेशान बेचारे,
समझो ना इनकी बेचैनी तुम।

गहराई में छुपे अश्रुओं को देखो तुम,
खाम का ही बोलते हो दर्द नहीं होता इन्हें।

उतर जाओ नैनों में इनके एक बार,
दुख की परछाई को झांक लो जरा तुम।

इनकी हंसी के पीछे छुपे गम जानो,
तड़पते मन को मरहम लगा दो पूछकर।

जिम्मेदारियों का वजन इन पर बहुत,
कभी तो उठा लो तुम भार इनका।

संभले, सुलझे लगे भले ही तुम्हें ये,
गहराई में जा इनकी उलझ न जाना तुम।

वक्त से पहले हो जवां उठा लेते जिम्मेदारियां,
बेरोजगारी छीन लेती बचपन की हठखेलियां।

खंडूस बोल दे ताने ना वार करो तुम,
समझो गहराई, नरमी, मासूमियत इनकी।

बना लो पहचान संग इनके तुम,
समझ पीड़ा देख दर्द मिटा दो ना।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — बेरोजगार युवाओं का दर्द कोई तो समझे, उनके आंतरिक दर्द को कोई तो महसूस करें। वह अपना दर्द कभी जल्दी किसी से बया नहीं करते, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है की उन्हें दर्द नहीं होता। बेरोजगारी समाज के लिए एक अभिशाप है। इससे न केवल व्यक्तियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि बेरोजगारी पूरे समाज को भी प्रभावित करती है। कई कारक हैं जो बेरोजगारी का कारण बनते हैं। बेरोजगार व्यक्ति को अपने ही समाज अपने ही रिश्तेदार परिवार और दोस्तों का नजरिया बदल जाता है वह बेरोजगार व्यक्ति को इस नजरिए से देखते हैं कि कहीं वह हमसे पैसा ना मांगे।

—————

यह कविता (बेरोजगार युवाओं का दर्द।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. ए. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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नासमझ बेटा, समझ ना पाया बापू।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ नासमझ बेटा, समझ ना पाया बापू। ♦

काश समझ पाते कीमत वक्त की,
काश मान जाते बात मात-पिता की।

काश रहते ना उतावले हमेशा,
काश कभी तो शांति से करते बात।

काश झुक जाते फर्ज की खातिर,
काश भनक लग जाती तूफ़ा की हमें भी।

काश आंचल में संभलते रहते धीरे-धीरे,
काश पिता का साया पहले याद करते।

काश कुछ जिम्मेदारियां हम भी बांट लेते,
काश कुछ वजन हम भी कर देते कम।

काश उन्हें भी सोने देते बेफिक्र होकर,
काश कभी हम भी उठ जाते पहले उनसे।

काश जिन हाथों ने हमेशा रखा सिर पर हाथ,
काश हम भी लगा लेते हाथ उनके चरणों के।

काश हमारी तरह होता सीना चौड़ा उनका,
काश मैं भी कर लेता पिता संग काम कुछ।

काश घर ऐसो आराम के बजाय दिखता घर,
काश हम भी समझ पाते दर्द उनका भी।

एक सच्चा पिता सदैव ही अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिये दिन-रात अनवरत (continuously) कार्य करता हैं। जहा माता अपने बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखती हैं ताे वही पिता उन्हे सही ज्ञान और समझ देते हैं। जहा प्रथम गुरु माँ हैं ताे वही पिता गुरु हाेने के साथ-साथ सच्चा संरक्षक भी हाेता हैं।-KMSRAJ51

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — बिना पिता के दुनिया कभी भी नहीं अपनाती हैं। पिता का जीवन में होना बहुत जरूरी है, जिनके पास पिता होते हैं उनके पास दुनिया की सबसे बड़ी ताकत होती है। पिता से ही नाम है और पहचान मिलती है, माता-पिता वो अनमोल रत्न है जिनके आशीर्वाद से हम दुनिया की सबसे बड़ी कामयाबी भी सरलता पूर्वक हासिल कर लेते है। अपने माता-पिता का सदैव ही पूर्ण मन से सम्मान करें, उनकी सेवा करें, जहां तक हो सके उनके कार्यों में उनकी मदद करें। एक बात सदैव ही याद रखें- माता-पिता का प्यार व आशीर्वाद सबको नसीब नहीं होता हैं।

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यह कविता (नासमझ बेटा, समझ ना पाया बापू।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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गुरु।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ गुरु। ♦

बिन अक्षर ज्ञान
थे तुल्य पशु हम।
दे अक्षर हमें,
ज्ञानी बनाया,
संयम, सदाचार का पढ़ाया पाठ।

ये गुरुवर तो,
प्रभु का प्रतिबिंब।
मूढ़ से बुद्धिमान बना,
दी हमें अलग पहचान।

किया हमें विकसित,
थे हम कच्चे घड़े।
देकर थाप बनाया पक्का,
भविष्य बनाया उज्जवल।
गणित देख सिर चकराता,
ये उलझनें करते तुरंत ठीक।

निष्ठावान बन शिक्षण करवाया,
डांट के इनकी आगे,
नतमस्तक हम।
तभी विश्व गुरु बना देश हमारा,
सत् सत् नमन इन्हें हमारा।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस संसार में शिक्षादान से बड़ा कोई भी दान नहीं, शिक्षादान ही महादान हैं, शिक्षा से ही किसी भी इंसान के जीवन में आने वाली समस्याओं से बाहर निकला जा सकता हैं। एक शिक्षक ही होते है जो हमे अच्छी और बुरी आदतों का पहचान करवाते है और वो हमारी बुरी आदतों को छोड़वाने का दिल से पूर्ण प्रयास भी करते हैं। हमें अच्छी आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करते है, सदैव ही आगे बढ़ने का सही ज्ञान देते है। वो शिक्षक ही होते है जो हमें ईर्ष्या, हिंसा, अधर्म, चोरी जैसी बुरी आदतों से दूर रखते है। शिक्षक ही, सही आचरण, नैतिकता का पाठ पढ़ाते है, कर्तव्य, संयम और धैर्य से सही पथ पर चलना सिखाते है। भारत में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्म दिवस अर्थात 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से अपने जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाने की इच्छा जताई थी। पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ राधाकृष्‍णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

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यह कविता (गुरु।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. ए. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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बाबुल।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ बाबुल। ♦

तेरे आंगन के झूले में झूली,
तेरी दया पर पली-बढ़ी।

तूने ही दिया शिक्षा ज्ञान,
तूने ही दिया है ऐशो-आराम।

फिर क्यों बाबुल विदाई कर दी?
फिर क्यों बाबुल पराई कर दी ?

किया कैसे जान के टुकड़े को अलग,
दिल तेरा धड़का नहीं।

पसीना तुझे आया नहीं,
हर ख्वाब पूरे किए।

जूते तेरे फटे – फटे,
फिर मुझे क्यों दिए नए-नए।

मुझे हर काम सिखाया,
खुद जी तोड़ मेहनत की।

कर्ज ले दहेज दिया ढेर सारा,
मां ने बताया बाबुल मुझे।

मेरी विदाई पर छूप – छूप,
रोया बंद कमरे में तू।

मैं पगली सोचती रही,
विदा करने भी ना आया तू।

पापा की लाडली!

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — पापा का प्यार निराला है, पापा के साथ रिश्ता न्यारा है, इस रिश्ते जैसा कोई और नहीं यही रिश्ता दुनिया में सबसे प्यारा है। मेरे होठों की हँसी मेरे पापा की बदौलत है, मेरी आँखों में खुशी मेरे पापा की बदौलत है, पापा किसी भगवान से कम नही क्योकि मेरी ज़िन्दगी की सारी खुशी पापा की बदौलत है। ये बाप तुझे अपना सब कुछ दे जाएगा, और तेरे कंधे पर दुनिया से चला जाएगा। पिता हैं तो हमेशा बच्चो का दिल शेर होता हैं। वो इस छोटी सी दुनिया में मेरा अनंत संसार है। एक पापा की बदौलत ही मेरा जीवन खुबसूरत बन पाया।

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यह कविता (बाबुल।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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शहीद नहीं हूं।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ शहीद नहीं हूं। ♦

दे दिए जिसने,
प्राण मातृभूमि को,
रक्षा करते – करते,
समा गया जो धरा में,
ना कहलाया शहीद।

अर्ध सैनिक बल का जवान,
कैसी विडंबना, कैसी पीड़ा।
ना समझे इसे कुर्सी वाले,
चारों दिशाओं में फैला सन्नाटा।

फिर दे दिए प्राण धरा को एक लाल ने,
पर ना कहलाया शहीद।
नादान हो तुम जो कहते,
सभी फौजियों को शहीद हो,
जरा पढ़ लो कागज।

ऐसे भी शूरवीर मिट गए, भू के लिए,
पर ना कहलाए शहीद।
अर्धसैनिक बल के जवान,
ये तो रक्षक है भू के,
करते-रहते जीवन पर्यंत।

रक्षा देश की,
रहते गोलियों में हरदम।
लग जाती गोली सीने में,
पर ना दिया जाता,
दर्जा शहीद का।
नासमझ हो तुम,
जो कह देते हर फौजी को शहीद।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — सच्च में शहीद वह है जिन्होंने दे दिए प्राण धरा को, नादान हो तुम जो कहते, सभी फौजियों को शहीद हो, जरा पढ़ लो कागज।। इस भारत भूमि पर ऐसे भी शूरवीर मिट गए, भू के लिए,पर ना कहलाए वह शहीद कभी। अर्धसैनिक बल के जवान, ये तो रक्षक है भू के, करते-रहते जीवन पर्यंत भारत भूमि की रक्षा। पहचानो सच्चे शहीद को तुम, और उन्हें पूर्ण मान सम्मान दो जिसके वह हकदार हैं।

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यह कविता (शहीद नहीं हूं।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मर्द भी थकता है।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ मर्द भी थकता है। ♦

जरा समझो तकलीफ उसकी भी,
उसे भी परेशानी होती है।

दिनभर की भागदौड़ में,
काम के बोझ से थक जाता है।

भौर निकलता रात्रि आता,
बस काम ही काम होता है।

हजारों मसले हल करने होते,
बॉस की डांट भी शामिल होती है।

गर्दन ना उठती उसकी दिन भर,
बोझ काम का इतना होता है।

लिए दिन भर की थकान,
उम्मीद से घर आता है।

बैठो जरा कुछ पल हमारे संग,
कान उसके भी सुनना चाहते है।

देखो तनिक उसका चेहरा,
सुन प्यारे बोल कैसे खिल उठता है।

भूल जाएगा दिनभर की तकलीफें,
एक मुस्कुराहट से चुस्ती-फुर्ती लौट आती है।

सुन लो जरा उसकी भी तुम,
मर्द को भी तकलीफ होती है।

कौन कहता है सीमा थकता नहीं,
दिनभर की भागदौड़ में मर्द थकता है।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — मर्द भी थकता है, लेकिन कभी भी किसी से कहता नहीं है। सुबह से लेकर शाम तक कार्य करता है, बॉस की डाट भी सुनता है लेकिन कभी भी किसी से शिकायत नहीं करता है। पुरे मन से कार्य करता है, ऑफिस में भी और घर में भी। आखिर वह भी तो इंसान है उसे भी थकावट होती है। परिवार के सभी सदस्यों को घर के मर्दों का पूरा ख्याल रखना चाहिए। आखिर वह भी तो थकते है।

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यह कविता (मर्द भी थकता है।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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