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Shaktishali Banna Hai Tujhe Meri Laado | शक्तिशाली बनना है तुझे मेरी लाडो।
हम अपनी बेटियों को फूल की तरह, तितली की तरह नाजुक बनाते जा रहे हैं। क्योंकि हम सब अपनी लाड-दुलारी से बेहद प्यार करते हैं और चाहते हैं कि उसे हमारे सामने रहते हुए एक भी कष्ट ना सहन करना पड़े। अच्छी बात है परंतु आज के समाज को देखते हुए सही नहीं है। कुछ समय पीछे चले जाए तो पहले की मां बेटी को तमाम काम सिखा देती थी। ऐसा नहीं कि बेटियां पढ़ती नहीं थी। पढ़ाई के साथ-साथ घर का काम करना भी उन्हें बचपन से सिखाया जाता था।
गांव की बेटियां
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि लड़कियां अपने घर का सारा काम करके पढ़ने जाती थी। गांव में तो यह अब भी जारी है, कुछ घरों को छोड़कर। क्योंकि उनकी मां को पशुओं के साथ घर की जिम्मेदारी निभानी होती है। गांव में तो ज्यादातर को दूसरे गांव में पढ़ने जाना पड़ता है। सुबह जल्दी उठना घर के काम में मां का हाथ बंटाना उन्हें शुरू से सिखाया जाता है।
ऐसा नहीं है सिर्फ बेटियों से काम करवाया जाता है लड़कों को भी बहुत सारे काम करवाए जाते हैं। समय के साथ-साथ लोगों की सोच भी बदलती जा रही है। अब अगर कोई मां कुछ करवाना भी चाहती है तो पिताजी आकर बोलेंगे नहीं मेरी बेटी काम नहीं करेगी। तुम किस लिए हो। जिसे तुम यह सब कह रहे हो क्या वह किसी की बेटी नहीं है। बोलते हैं यह तो सिर्फ पढ़ेंगी, अच्छी बात है पढ़ना बहुत जरूरी है। परन्तु कुछ काम सीखने में भला क्या बुराई है।
मेरे पापा अक्सर कहते थे बेटा चाहे कुछ भी काम मत सीखना पर खाना बनाना जरूर सीखना, और उन्होंने हमें सिखाया भी। ऐसा नहीं कि सिर्फ हम बहनों को बल्कि भाईयों को भी खाना बनाना सिखाया है। और उनका कहना बिल्कुल सही था जब हम बाहर पढ़ने गए तो खाना बनाने में कोई दिक्कत भी नहीं आई। घर पर आराम से खाना बनाकर खाते थे उससे पैसे तो बचते थे साथ में शुद्ध खाना मिल जाता था। कई मां लड़की को कुछ भी नहीं करने देती। टेबल पर चाय, नाश्ता सब कुछ दे देती है सोचती है कि पढ़ लिखकर नौकरी लग जाएगी।
पढ़ाई के साथ-साथ…
पर ये सही नहीं है पढ़ाई के साथ-साथ उसकी योग क्लास, कराटे क्लास भी लगाएं। उसे मजबूत बनाएं। ताकि आवश्यकता पड़ने पर सब काम आए। क्योंकि उसे आगे भविष्य में जाकर अकेले भी रहना पड़ेगा और देर रात को भी घर आना पड़ेगा तो उसका पढ़ाई के साथ-साथ अपने शरीर को मजबूत करना बेहद जरूरी है।
चाहकर भी मां-बाप उसके साथ नहीं रह सकते। कभी ना कभी तो उसे अकेला रहना ही पड़ेगा। अगर आप सोच रहे हैं बाहर खा सकती हैं तो रोज-रोज बाहर का खाना नहीं खा सकते। सोचते हो कि कोई भी खाना बनाने वाली मिल जाएगी, आप सभी ने कोरोना काल में देख लिया होगा। वक्त का भला किसे पता है। दुनिया बड़ी तेजी से बदलती जा रही है सिर्फ पढाई से काम नहीं चलेगा। अपनी बिटिया को स्वावलंबी बनाना होगा। उसे समाजिक बनाना भी होगा ताकि बाहर निकल कर उसे समझ आ जाए दुनिया में क्या चल रहा है।
सभी प्यारी मां और बेटियों को समर्पित मेरी चंद पंक्तियां…
मेरी लाडो तू हमारी जान है,
मेरी घर की शान है।
तू मेरे घर की रौनक है,
तुझसे महकता संसार है।
बेटी खुश है तो घर के
सभी सदस्य खुश हैं।
उसे ताकतवर बनाना,
हमारा फर्ज है,
और हम पढ़ाई के साथ साथ
जुड़े-कराटे और अपने
पैरों पर खड़ा भी करेंगे।
♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦
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- “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस लेख में लिखा गया है कि बेटियों को सिर्फ नाजुक और पढ़ाई में ही ध्यान देने की बजाय, उन्हें विभिन्न कौशल भी सीखाना चाहिए। लेखिका के पापा ने उन्हें खाना बनाने की कौशल सिखाया और उन्हें समझाया कि स्वावलंबी बनना महत्वपूर्ण है। उनका मत है कि बेटियों को पढ़ाई के साथ-साथ अपने शारीरिक और सामाजिक कौशल भी विकसित करना चाहिए, ताकि वे आगे जाकर समस्याओं का समाधान कर सकें और स्वतंत्र रूप से जीवन जी सकें।
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यह लेख (शक्तिशाली बनना है तुझे मेरी लाडो।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. ए. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।
सम्मान पत्र -180 ऑनलाइन सम्मान पत्र, चार बार BSF से सम्मानित, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सोसायटी से सम्मानित, नेहरू युवा केंद्र बाड़मेर से सम्मानित, शुभम संस्थान और विश्वास सेवा संस्थान द्वारा सम्मानित, प्रज्ञा क्लासेस बाड़मेर द्वारा, आकाशवाणी से लगातार काव्य पाठ, सम्मानित, बीएसएफ में वेलफेयर के कार्यों को सुचारु रुप से चलाने हेतु सम्मानित। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, प्रेसिडेंट ग्लोबल चेकर अवार्ड।
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