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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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सुखमंगल सिंह की कविताएं - KMSRAj51

काशी में देव विग्रह का वीडियोग्राफी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ काशी में देव विग्रह का वीडियोग्राफी। ♦

न्यायालय के आदेश पर,
ज्ञानवापी परिसर का सर्वे।
सीनियर डिवीजन सिविल,
जज रवि कुमार दिवाकर।

वीडियो ग्राफी के आदेश में,
कमीशन कार्रवाई सीमा तक।
अदालत ने कहा कमीशन,
कार्रवाई आदेश हमने दिया है।

श्रृंगार गौरी और देव विग्रह से,
सबूत सुरक्षित रखा जाएगा।
काशी के ज्ञानवापी मस्जिद में,
देवताओं के साक्ष संकलित होंगे।

अंजुमन इंतजा मियां का कहना,
मस्जिद! गैर मुस्लिम घुसने न देंगे।
अधिवक्ता आयुक्त कमीशन,
10 मई को रिपोर्ट दाखिल करें।

6 मई 2022 को दोनों पक्षों को,
कमीशन कार्रवाई सूचित किया।
अधिवक्ता आयुक्त साक्ष को,
सुरक्षित स्थान पर उसे रखेंगे।

मिश्रित आबादी वाले क्षेत्र में,
फोर्स मौके पर एलर्ट जारी है।
भीड़ – भाड़ रोकने के लिए,
पूरा इंतजाम यहां किया गया।

कानून व्यवस्था को प्रभावित,
करने वालों पर सख्ती होगी।
जनता से शांति बनाने के लिए,
पुलिस अपील कर रही दिखी।

सुप्रीम कोर्ट आदेश पालन में,
माइक रिपोर्ट हाईकोर्ट रद्द किया।
विश्व में बढे प्रदूषण नियंत्रण –
न्यायालय ने निज आदेश दे दिया।

प्राचीन विश्वनाथ के अवशेषों को,
एकत्रित सबकुछ किया जाएगा।
मंदिर के उत्तर पश्चिम दिशा में,
दूर-दूर तक जबकि बने बंकर है।

दक्षिण दिशा में भी मंदिर के,
सड़क पार वर्ग विशेष के बंकर है।
पुलिस आयुक्त के निगाह ने,
जुड़ा नहीं सुरक्षा के अंदर है।

अधिकांश लोगों से बात करने पर,
उनको कोई आपत्ति नहीं बताया।
धर्म के ठेकेदारों ने ही केवल,
इस आदेश का विरोध जताया है।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — 6 मई 2022 को दोनों पक्षों को कमीशन कार्रवाई सूचित किया। अधिवक्ता आयुक्त साक्ष को सुरक्षित स्थान पर उसे रखेंगे। प्रश्न हमारा यह है मुस्लिम संप्रदाय से की अगर काशी के ज्ञानवापी मस्जिद में कुछ भी गलत नहीं है तो फिर ये आपत्ति क्यों? आखिर क्या छिपाने की कोशिश कर रहे है ये? इनको तो खुश होना चाहिए, की सत्य बाहर आ रहा हैं। जो सत्य है उसे तो बाहर आना ही चाहिए। वह डर रहे है की प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती हैं। उनके डर का मुख्य कारण यही हैं। सत्य तो बाहर आएगा ही चाहे ये लाख कोशिश कर ले, विरोध करने की या रोकने की। सभी को शांतिपूर्ण तरीके से कोर्ट की कारवाही को होने देना चाहिए।

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यह कविता (काशी में देव विग्रह का वीडियोग्राफी।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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चिरायता अमृत आयुर्वेदिक औषधि।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ चिरायता अमृत आयुर्वेदिक औषधि। ♦

दुनिया की सबसे पुरानी औषधि को,
मंगल कामनाओं हेतु बताता हूं!
वैकल्पिकता से सीधे दूर ले जाता हूं,
मुख्य चिकित्सा प्रणाली समझाता हूं।

चिरायता मधुमेह जड़ से खत्म करे,
नीम के काढे से भी कडवा यह लगे।
इसमें कालमेघ का गुण है मिलता,
खून से संबंधित विकार दूर करता।

चिरायता का स्वाद होता है तीखा,
रक्त पित्त विकार के रामबाण सरीखा,
खुजली बवासीर में प्रयोग में लाएं,
कैंसर जैसे रोग में भी इसे अपनाएं।

लीवर में जब कभी सूजन आ जाए,
सोठ और चिरायता के साथ-साथ-
पुनर्नवा काढा बराबर प्रयोग में लाए,
वैद्य ने (से) संपर्क कर मरीज को पिलाएं।

नई कहानी गर जीवन में बनाने हो,
तुम्हें पुराने ज्वर से मुक्ति पानी हो!
शक्ति रूप में फिर शरीर दिखानी हो,
चिरायता के घूट लेकर सयाने हों।

जीभ पर मिलता न कोई स्वाद हो,
अपना मन जब कभी उदास हो!
उसी समय आप कीचन के द्वार हों,
तभी काढे से आपका सरोकार हो।

यदि मुख में बनती नहीं लार हो,
मुख से निकले दुर्गंध की बयार हो!
कुछ भी खाने से मन घबराता हो,
एक कप भर काढ़ा लाभ दिलाता है।

लीवर में जब निगेटिव कीटाणु हों,
काढ़े पीते ही नहीं नामो निशान हों!
मन पर नियंत्रण प्रसन्नता छा जाती,
दो चुटकी चिरायता जवानी लाती।

इसके अलावा अनिद्रा दूर करने वाला,
खुजली होने पर फायदा पहुंचाने वाला!
खांसी और हरात मे लाभदायक होता,
आधा कप काढ़ा सबको फायदा देता।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — मधुमेह रोगी चिरायता के सूखे पत्तों का काढ़ा पीकर डायबिटीज से राहत प्राप्त कर सकते हैं। संक्रमण से लड़ने व बचाव के लिए चिरायता का सेवन काफी पुराने समय से किया जाता रहा है। इसमें मौजूद एंटीवायरल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण काफी मजबूत होते हैं, यह सामान्य सर्दी-जुकाम से राहत देने में काफी कारगर साबित होता है। चिरायता एक आयुर्वेदिक औषधि है, चिरायता का उपयोग आयुर्वेद में जड़ी-बूटी के तौर पर किया जाता है। यह शरीर को खून की कमी से भी बचा सकता है। इसकी पत्तियों में मौजूद विटामिन और खनिज हेमाटिनिक (Haematinic) का प्रभाव होता है। यह प्रभाव शरीर में खून को बनाने में सहायक हो सकता है, इसलिए एनीमिया के घरेलू उपचार में चिरायता का उपयोग प्राचीन काल से ही किया जा रहा है।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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जल ही जीवन है।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ जल ही जीवन है। ♦

निर्मल जल बहता पड़ोस में,
अपनी कैसे प्यास बुझाएं।
ललई के नल की टोटी से,
कितना फैला दुर्गंध बताएं॥

व्याकुल मन पानी को तरसे,
बारिश देख मन मोर हरषे।
पर्वत – घाटी वा जंगल में,
तन मन व्याकुल हो तरसे॥

रात रात भर जागा फिर भी,
जाति पांति का जल गिरता।
मानव श्रृंखला बना सजती,
जल संरक्षण किनारे लगती॥

इच्छाएं सपने बुनती रहती,
जीवन है कहती रहती।
जल दान में उज्ज्वल भविष्य,
फोटो गैलरी से होते प्रसिद्ध॥

जगह जगह जलके संयंत्र,
कुछ बोले बड़ा खडयंत्र।
सरकारी जल जीवन मिशन,
लाए जनता में अमन चैन॥

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — हे मानव अब भी समय है संभल जा तू और पानी की बर्बादी को बंद कर दे। वरना बिन पानी सब सुन हो जायेगा, तेरा जीना दूभर हो जायेगा इस धरा पर। पानी 100 डिग्री सेल्सियस पर उबलने लगता है, जबकि 0 डिग्री सेल्सियस पर बर्फ के रूप में जम जाता है। धरती की सतह पर तकरीबन 326 मिलियन क्यूबिक मील की दूरी तक पानी फैला हुआ है। पृथ्वी पर मौजूद पानी का एक प्रतिशत से भी कम पीने योग्य है, बाकी समुद्र के खारे पानी और बर्फ के रूप में जमा हुआ है।

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यह कविता (जल ही जीवन है।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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