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You are here: Home / Archives for सुखमंगल सिंह की मोटिवेशनल कविता हिंदी में

सुखमंगल सिंह की मोटिवेशनल कविता हिंदी में

दिल खोल।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ दिल खोल। ♦

अपना सपना – हकीकत दिखी दिल खोलकर,
चलना – फिरना लिखना – पढ़ना तोल कर।
सोच – समझ सुरक्षित संबल का शोध कर,
साथ – आए साथ – निभाएं दिल खोलकर॥

अक्षर – अक्षर और निक्षर पढ़ते खोज कर,
अनछुए, पहलू – उजागर करें सोचकर।
चल- चल, पद – छंद सुच्चरित लय जोड़कर,
घातक – प्रतिघात रहित विश्वास – खुलकर॥

ताना – बाना, माना – जाना छोड़ कर,
चलना – संभलना सदा रिश्ता जोड़कर।
बिरहा – कजरी – रसिया रचिये सोचकर,
सोहर – सुहाग – सावन सुनाएं खोजकर॥

बेबसी – बेचैनी में खुलकर चर्चा कर,
स्वछंद खग – सम उन्मुक्त प्रेम रस भर।
गीत – गोविंद की पदावली वा सूर,
भाव – भाषा, कल्पना लिख लें भरपूर॥

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — जीवन में परिस्थिति अनुकूल हो या विपरीत हो, सदैव ही कोई भी निर्णय दिल से ले, दिल खोल कर चर्चा करें।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह कविता (दिल खोल।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

 

 

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