Kmsraj51 की कलम से…..
Corona Understand Indian Sanitization | कोरोना भारतीय सेनेटाइजेशन को समझता था।
भारतीय सेनेटाइजेशन को समझता था,
लेकिन कुछ दूसरों के पल्ले नहीं पड़ता था।
जब पूरी दुनिया में कोरोना पूरी तरह छाया,
सब दुनिया के लोगों को भारतीयता समझ में आया।
मुंह पर सभी लोगों ने अपने से मांस्क लगाया,
और हाथ पांव धोकर ही पावन भोजन पाया।
बाहर से घर आते ही आकर पहले नहाया,
कपड़ों को खुद धोकर ही डेटॉल आदि लगाया।
जूता चप्पल प्राचीन काल से बाहर रखा जाता था,
हाथ पैर धो कर ही मनुष्य भोजन पाता था।
चुपके से घर अंदर मौजा पहने प्रवेश कर जाता,
दादी माई की कड़क आवाज और डॉ ट खाता।
पत्नी कहती आपको समझ में नहीं है कुछ आता,
धोकर ही सब्जी – भाजी क्यों बनाई जाती है।
शौचालय को खुद ही चमकाया जाता है,
कोना – कोना का कचरा रोज साफ किया जाता।
रोज – रोज झाड़ू – पोछा क्यों घुमाया जाता है,
संपूर्ण कमरों को सप्ताह भर में धोया जाता है।
सारी दुनिया मेरी यह बात समझ में पाई थी,
संसार में इसीलिए कोरोना वायरस जी आई थी।
♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦
—————
— Conclusion —
- “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — भारतीय सेनेटाइजेशन को पूरी दुनिया ने अच्छा माना और समझा, पूरी दुनिया के लोगों को भारतीयता व भारतीयों की दया समझ में आया। मुंह पर सभी लोगों ने अपने से मांस्क लगाया, और हाथ पांव धोकर ही पावन भोजन पाया। जूता चप्पल हमारे यहां प्राचीन काल से ही बाहर रखा जाता था और हाथ पैर धो कर ही मनुष्य भोजन पाता था। अगर कभी चुपके से घर अंदर मौजा पहने प्रवेश कर जाता, तो दादी माई की कड़क आवाज और डॉ ट खाता। सारी दुनिया के लोगो को स्वच्छता की सीख़ देने के लिए ही इस संसार में कोरोना वायरस जी आई थी। हम सभी को गर्व है अपने प्राचीन भारतीय संस्कृति पर, जो हमे स्वच्छता के साथ जीवन जीना सिखाया था। जैसे – जैसे समय बदला वैसे – वैसे इंसान के सोचने व समझने की छमता ख़त्म होती जा रही है, अपने प्राचीन महत्वपूर्ण संस्कारों को भूलता जा रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप कई तरह के समस्याओं से परेशान है, फिर भी भौतिक विकास के नाम प्रकृति के पञ्च तत्वों से खिलवाड़ करने से नही चूक रहा है। हे मानव अब भी समय है सुधर जाओ वर्ना ये पृथ्वी रहने लायक नहीं रहेगी। याद रखें की – जिस देश के लोग अपनी प्राचीन संस्कृति, संस्कार व सभ्यता को भूल जाते है, उनको विलुप्त होने से कोई भी नहीं बचा पायेगा। इसलिए अपने अंदरऔर वर्तमान पीढ़ी व आने वाली नई पीढ़ी को प्राचीन भारतीय संस्कृति, संस्कार व सभ्यता का पूर्ण ज्ञान दो, और उन्हें अनुसरण करना भी सिखाओ।
—————
यह कविता (कोरोना भारतीय सेनेटाइजेशन को समझता था।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।
अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!
ज़रूर पढ़ें — प्रातः उठ हरि हर को भज।
Please share your comments.
आप सभी का प्रिय दोस्त
©KMSRAJ51
———– © Best of Luck ®———–
Note:-
यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari Etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!
“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं! ____