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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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स्वरचित कविता इन हिंदी

होली आई गाया जाए।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

♦ होली आई गाया जाए। ♦

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होली पर मधुमास गाया जाए।
सर र र होली में सुनाया जाए।
परदेसी जींस फारवाया जाय।
चैता चनैनी का गीत गाया जाए।

परदेशी कंपनी लगवाई जाय।
उसमें जींस फटी निकाली जाय।
आगे पीछे ढक्कन बनाया जाय।
होली में सर र र गाया जाए।

बाकी दुनिया खुली किताब।
ऐसा वस्त्र उद्योग लगाया जाय।
होली आई भाई गाया जाय।
मघुमास जलवा दिखाया जाय।

मुख पर गमछा अंग अंहिन्या।
जींस ग्लेशियर बनवाया जाए।
खिड़की ऊपर से नीचे उतार।
होली आई सर र र गाया जाए।

जींस पहन कर छोरा-छोरी मस्त।
जंगल बाले कपड़े खोजने में पस्त।
देश को और आगे बढ़ाया जाए।
कपड़ों की शॉपिंग सगाई जाए।

बहकल बाजार बहुत बबुआ।
मौगी – मौगा सभी अड़े – पड़े।
छोरी – छोरा मस्त, चले खड़े।
बुढ़वा मंगल तक दौरौले जाए।

होली आई सर से पांव रंगौले जाए।
खुल्ला जींस पहनकर सुनाउले जाय।
खिड़की ऊपर से कह दे खौले जाय।
रंग भरी होली भर गरियौले जाय।

गुझिया जामुन खाया जाए।
लाल गुलाल लगाया जाए।
केसर मिलाकर लगाया जाए।
होली है कुछ लाया जाए।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से बखूबी समझाने की कोशिश की है – आजकल के होली में क्या-क्या हो रहा है लोग कैसे-कैसे होली खेल रहे हैं, और क्या-क्या पहन रहे है आज समाज में। खानपान व किसका किसके प्रति कैसा व्यवहार हैं।

—•—•—•—

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यह कविता “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

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Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, सुखमंगल सिंह जी की कविताये।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: holi poem in hindi, poetry on holi in hindi, काव्य संग्रह – सुखमंगल सिंह, जीवन के रंग पर कविता, रंगों पर कविता इन हिंदी, शार्ट पोएट्री इन हिंदी, सुखमंगल सिंह जी की कविताये।, सुखमंगल सिंह हिन्दी कविता, सुपाठय काव्य सरिता – सुखमंगल सिंह, स्वरचित कविता इन हिंदी, होली कविता kmsraj51, होली कविता सुखमंगल सिंह, होली की श्रेष्ठ हिंदी कविताएं, होली गांव-गांव घुमावत।, होली पर प्रसिद्ध कविता, होली पर साहित्यिक कविता

होली गांव-गांव घुमावत।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

♦ होली गांव-गांव घुमावत। ♦

holi-gaanv-gaanv-ghumaavat-kmsraj51.png

होली गांव-गांव घुमावत।
मऊगी लॉ ठी लेकर धावत।
होली में क्या-क्या सुनावत।
घर की घर नहीं पता बतावत।

पास पड़ोसी बोलने नहीं आवत।
घर में ही मऊगी आग लगावत।
सुबह सुबह उठ कर नहलावत।
पाउडर इत्र से शरीर महकावत।

काम आदमी ना कर पावत।
कुकुर से काम कर आवत?
माल पुरुष फेंकने जावत।
आदमी औरत रार मचावत।

पाप लगती जो कुकुरु छुहात।
घर अपनी वही कुत्ता पालन।
कुत्ता समाज में एक दिन बोला।
बिस्तर पर रात भर हमने खेला।

रात भर मुझको नींद नहीं आई।
कुत्ते ने समाज में गुहार लगाई।
समाजी बोले सुन कुत्ते मेरे भाई।
तू छोटे धतूरे की ले लो दवाई।

पहली रोटी गाय को खिलाया जाता।
जूठी रोटी कुकुर फिर बाद में पाता।
कुकुर जबकि बिस्तर पर है सोता।
आओ रे आदमी चौकी पर होता।

गलती मंच से कवियों की हो जाए।
तो उन्हें माफ करना बहन और भाई।
कवि मंडली मौसम हिसाब से आई।
बन ठन कर अपनी कविता है लाई।

दूल्हा दुल्हन की हो रही है लड़ाई।
दुल्हन दूल्हा छोड़ स्टेशन से पराई।
पुलिस दुल्हन के गांव में जब धाई।
पड़ोसी निकला फेरारी सुना भाई।

मुल्तानी हीरोइन सुल्तानपुर आई।
भारतीय परिधान में थी वह छाई।
बोला खुशीराम आपने पेट दिखाई।
थाना में फरियाद को लेकर धाईं।

हीरोइन अपने पर उतर आई।
फिल्मों में अर्धांगिनी बनी दिखाइ।
अंग प्रदर्शन की ना पूछो भाई।
माझी शरीर कपड़े से ढकी लाई।

होली गांव गांव घुमावत।
कुछ अपनी बात सुनावत।
औरो की मिलती दावत।
आवत हुड़दंग माचावत।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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