Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ सुलगती हवा में…। ϒ
⇒ कुछ कड़वी सच्ची बातें, कुछ सुझाव।
Simmering in the air ?
Some bitter truths, some suggestions.
🙂 सुलगती हवा में…।
गर्म झांझ से झंखाड़ बन गयी लताएं।
विदा हुए महावर में भीगें मधुमास।
मार्च में जो दहके थे गेरूए “पलाश” ।
बदरंग जुदा हो चुके टहनियों से उदास आज।
गर्म लपट सहती मुरझा गई –
गुलाब की पँखुरियाँ।
रुई से उड़ते नही अब खेतों में चिट्टे कास …॥
आग उगलते आसमा से –
कुम्हलाई चम्पई कलियाँ सारी।
अकुला गयी सिंदूरी गेंदे की क्यारी-क्यारी।
तवा सी सड़कों पर न झरे हरसिंगार।
सहमे गुड़हल झाँकते अब तो कभी कभार।
सिगड़ी सी सुलगती इस मई में-
पीली सरसों भी बनी धूसर गुबार …॥
शोले बरसते या भट्टियों से चली हवा।
दिखती नही हरी कोपलें दो चार।
धू धू लपट जेठ की सिकी दोपहर।
आग जैसे उगलती या की अंगार …॥
सुलगती हवा में भी मगर झूमता लहर लहर।
चिलचिलाती धूप के थपेड़ों से जो बेअसर,
भीषण लू में खिलकर मुस्कुराता –
हुआ वो पीला पीला “अमलतास” ।
हौले हौले झूलती शोख लम्बी कड़ियाँ,
या जर्द अंगूरी गुच्छे है या …
रौशन झूमर की लट्टू लड़ियाँ,
ढलती साँझ में मंथर डोलती रहती –
नन्हें गुब्बारों से लरजी लदी टहनियाँ …॥
विपरीत समय और विषम दशा में –
पल्लवन का नाम है “अमलतास” ।
सूरज की आँच से निडर डोलता।
दम टूटते मौसम में ताज़ी साँस।
विपरीत समय में पल्लवन –
का नाम “अमलतास” ।
जीने का सलीका सिखा रहा,
चुपचाप यही कि देखो तुम भी –
जीवन के झंझावतों में अडिग,
अकेले ही लहलहाना बनकर,
“अमलतास” …॥
© …(Madhu Chaturvedi Ji) _ Writer at film association Mumbai ®
हम दिल से आभारी हैं मधु जी के “सुलगती हवा में…।“ हिन्दी में कविता साझा करने के लिए।
FB Page Link : https://www.facebook.com/madhuchaturvediwriter/
मधु जी के लिए मेरे विचार:
♣ “मधु जी” ने “सुलगती हवा में…।“ कविता के माध्यम से “प्रकृति, सूर्य की किरणों और वृक्षाें के बीच हाेने वाले खट्टे मीठे संबंधों” पर विशेष दिल को छूने वाला कितना सरल सुंदर-शिक्षाप्रद व अनुकरणीय वर्णन किया हैं। “अमलतास” के वृक्षाें और प्रकृति, सूर्य की किरणों के बीच हाेने वाले खट्टे-मीठे नोच झोक का बहुत ही सरल शब्दों में अति सुन्दर वर्णन किया हैं। मधु जी – की लेखनी की खासियत है की बिलकुल खुले मन से लिखती है, इनके लेख के हर एक शब्द दिल को छूने वाले होते है। हर एक शब्द अपने आप में एक पूर्ण सुझाव देता है, फिर चाहे वो कवितायें हो या अन्य लेख। जो भी इंसान इनके लेख को दिल से समझकर आत्मसात करेगा उसका जीवन धन्य हो जायेगा।
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Krishna Mohan Singh(KMS)
Editor in Chief, Founder & CEO
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