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“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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हिंदी कहानी

रिश्तों के महत्व को समझें।

Kmsraj51 की कलम से…..

Rishton Ke Mahatva Ko Samjhe | रिश्तों के महत्व को समझें।

घर की नई नवेली इकलौती बहू एक प्राइवेट बैंक में बड़े ओहदे पर थी। उसकी सास तकरीबन एक साल पहले ही गुज़र चुकी थी। घर में बुज़ुर्ग ससुर औऱ उसके पति के अलावे कोई न था। पति का अपना कारोबार था।

पिछले कुछ दिनों से बहू के साथ एक विचित्र बात होती। बहू जब जल्दी-जल्दी घर का काम निपटा कर ऑफिस के लिए निकलती ठीक उसी वक़्त ससुर उसे आवाज़ देते औऱ कहते बहू, मेरा चश्मा साफ कर मुझें देती जा। लगातार ऑफिस के लिए निकलते समय बहू के साथ यही होता। काम के दबाव औऱ देर होने के कारण क़भी कभी बहू मन ही मन झल्ला जाती लेकिन फ़िर भी अपने ससुर को कुछ बोल नहीं पाती।

जब बहू अपने ससुर के इस आदत से पूरी तरह ऊब गई तो उसने पूरे माजरे को अपने पति के साथ साझा किया। पति को भी अपने पिता के इस व्यवहार पर बड़ा ताज्जुब हुआ लेकिन उसने अपने पिता से कुछ नहीं कहा। पति ने अपनी पत्नी को सलाह दी कि तुम सुबह उठते के साथ ही पिताजी का चश्मा साफ करके उनके कमरे में रख दिया करो, फिर ये झमेला समाप्त हो जाएगा।

अगले दिन बहू ने ऐसा ही किया औऱ अपने ससुर के चश्मे को सुबह ही अच्छी तरह साफ करके उनके कमरे में रख आई। लेकिन फ़िर भी उस दिन वही घटना पुनः हुई औऱ ऑफिस के लिए निकलने से ठीक पहले ससुर ने अपनी बहू को बुलाकर उसे चश्मा साफ़ करने के लिए कहा। बहू गुस्से में लाल हो गई लेकिन उसके पास कोई चारा नहीं था। बहू के लाख उपायों के बावजूद ससुर ने उसे सुबह ऑफिस जाते समय आवाज़ देना नहीं छोड़ा।

धीरे-धीरे समय बीतता गया औऱ ऐसे ही कुछ वर्ष निकल गए। अब बहू पहले से कुछ बदल चुकी थी। धीरे धीरे उसने अपने ससुर की बातों को नजर अंदाज करना शुरू कर दिया और फ़िर ऐसा भी वक़्त चला आया जब बहू अपने ससुर को बिलकुल अनसुना करने लगी। ससुर के कुछ बोलने पर वह कोई प्रतिक्रिया नहीं देती औऱ बिलकुल ख़ामोशी से अपने काम में मस्त रहती। गुज़रते वक़्त के साथ ही एक दिन बेचारे बुज़ुर्ग ससुर भी गुज़र गए।

समय का पहिया कहाँ रुकने वाला था, वो घूमता रहा घूमता रहा। छुट्टी का एक दिन था। अचानक बहू के मन में घर की साफ़ सफाई का ख़याल आया। वो अपने घर की सफ़ाई में जुट गई। तभी सफाई के दौरान मृत ससुर की डायरी उसके हाथ लग गई। बहू ने जब अपने ससुर की डायरी को पलटना शुरू किया तो उसके एक पन्ने पर लिखा था -“दिनांक 26.10.2019…. आज के इस भागदौड़ औऱ बेहद तनाव व संघर्ष भरी ज़िंदगी में, घर से निकलते समय, बच्चे अक्सर बड़ों का आशीर्वाद लेना भूल जाते हैं जबकि बुजुर्गों का यही आशीर्वाद मुश्किल समय में उनके लिए ढाल का काम करता है। बस इसीलिए, जब तुम चश्मा साफ कर मुझे देने के लिए झुकती थी तो मैं मन ही मन, अपना हाथ तुम्हारे सिर पर रख देता था क्योंकि मरने से पहले तुम्हारी सास ने मुझें कहा था कि बहू को अपनी बेटी की तरह प्यार से रखना औऱ उसे ये कभी भी मत महसूस होने देना कि वो अपने ससुराल में है औऱ हम उसके माँ बाप नहीं हैं। उसकी छोटी मोटी गलतियों को उसकी नादानी समझकर माफ़ कर देना। वैसे मेरा आशीष सदा तुम्हारे साथ है बेटा। डायरी पढ़कर बहू फूटफूटकर रोने लगी। आज उसके ससुर को गुजरे ठीक 2 साल से ज़्यादा समय बीत चुके हैं लेकिन फ़िर भी वो रोज़ घर से बाहर निकलते समय अपने ससुर का चश्मा साफ़ कर, उनके टेबल पर रख दिया करती है, उनके अनदेखे हाथ से मिले आशीष की लालसा में।

जीवन में हम रिश्तों का महत्व महसूस नहीं करते हैं, चाहे वो किसी से भी हो, कैसे भी हो और जब तक महसूस करते हैं तब तक वह हमसे बहुत दूर जा चुके होते हैं।

रिश्तों के महत्व को समझें और उनको सहेज कर रखें।

♦ संपादकीय ♦

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  • Conclusion — आज के इस भागदौड़ औऱ बेहद तनाव व संघर्ष भरी ज़िंदगी में, घर से निकलते समय, बच्चे अक्सर बड़ों का आशीर्वाद लेना भूल जाते हैं जबकि बुजुर्गों का यही आशीर्वाद मुश्किल समय में उनके लिए ढाल का काम करता है। जीवन में हम रिश्तों का महत्व महसूस नहीं करते हैं, चाहे वो किसी से भी हो, कैसे भी हो और जब तक महसूस करते हैं तब तक वह हमसे बहुत दूर जा चुके होते हैं। रिश्तों के महत्व को समझें और उनको सहेज कर रखें।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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पक्षियों की समझदारी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ पक्षियों की समझदारी। ♦

अरे ! तोता, कबूतर, मैना सुना क्या तुमने आज। बड़ी चिड़िया आई मेरे घोसलें के पास मुझे गिरा कर खुद बैठ गई और बोली यह घर मेरा है। भाग जा यहां से। अच्छा बहन यह तो बहुत बुरा हुआ। हमने देखा था तूने कितनी मेहनत लगन से घोंसला बनाया था। हां इसी बात का तो रोना है पर हम छोटी चिड़िया कुछ कर भी तो नहीं सकते। उस बड़ी चिड़िया के सामने तोता, मैना, कबूतर सब ने कहा क्यों नहीं कर सकते हम मिलकर कोई तरकीब ढूंढते हैं। सभी मिलकर बड़ी चिड़िया को काली चिड़िया के घोसलें से निकालने की तरकीब सोचने लगे। फिर कबूतर को एक आईडिया आया। हम सब जैसे ही बड़ी चिड़िया तेरे घोंसले आएगी उसे देखकर बातें करेंगे कि अच्छा हुआ काली बहन जो तू इस घोसलें से निकल गई।

वरना आज तो। हां-हां क्यों नहीं मैं यह जरूर काम आएगा। कुछ समय पश्चात जैसे बड़ी चिड़िया घोंसले में आई। तोता, मैना, कबूतर चिड़िया जोर-जोर से बातें करने लगे काली चिड़िया अच्छा हुआ जो समय रहते घोसलें को छोड़ दिया। नहीं तो आज! इतना बोल कर सभी चुप हो गए। तभी बड़ी चिड़िया बोली नहीं तो क्या। कुछ नहीं बड़ी चिड़िया हम तो बस ऐसे ही। ऐसे ही क्या बोल रहे हो! खुल कर बोलो। नहीं तो तुम सब को मारकर खा जाऊंगी। हां हां हां बड़ी चिड़िया अभी बताते हैं।

हमने क्या देखा अभी कुछ समय पहले ही सांप आया था उसने घोंसले के चारो ओर देखा और देख कर बोला कोई नहीं चिड़िया अब तू घोसले में नहीं है जैसे ही आएगी उसे खा जाऊंगा। यह देखो सांप की केचूंली भी है। दिखाओ दिखाओ किधर किधर डर के मारे बड़ी चिड़िया का बुरा हाल हो रहा था। देखो हां हां ये तो सांप की केचूंली है।

सभी मन ही मन हंस रहे थे क्योंकि उन्होंने कहीं जंगल से केचूंली को लाकर रख दिया था। और वह भी टूटी-फूटी परंतु बड़ी चिड़िया ने तो डर के मारे देखा भी नहीं की कितनी पुरानी है और टूटी हुई भी है केचूंली।

देखते ही फुर से उड़ गई और सभी पक्षियों को बोली तुम भी भाग जाओ वरना सब के सब मारे जाओगे। सांप सब को खा जाएगा। सभी जोर-जोर से हंस रहे थे और बड़ी चिड़िया का मजाक बना रहे थे। परंतु सब की समझदारी से काली चिड़िया का घोंसला बच गया।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कहानी के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — हसमझदारी और सूझबूझ से हर समस्या का समाधान किया जा सकता है। इसलिए जब भी जीवन में कोई समस्या आये तो घबराये नहीं, समझदारी और सूझबूझ से उस समस्या का समाधान निकाले। इस पृथ्वी पर एक भी ऐसी समस्या नहीं जिसका समाधान न हो, इसलिए धैर्य के साथ समझदारी और सूझबूझ से हर समस्या का समाधान करे। शांत मन से विचार करे आपको समाधान जरूर मिलेगा।

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यह कहानी (पक्षियों की समझदारी।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।

सम्मान पत्र -180 ऑनलाइन सम्मान पत्र, चार बार BSF से सम्मानित, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सोसायटी से सम्मानित, नेहरू युवा केंद्र बाड़मेर से सम्मानित, शुभम संस्थान और विश्वास सेवा संस्थान द्वारा सम्मानित, प्रज्ञा क्लासेस बाड़मेर द्वारा, आकाशवाणी से लगातार काव्य पाठ, सम्मानित, बीएसएफ में वेलफेयर के कार्यों को सुचारु रुप से चलाने हेतु सम्मानित। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, प्रेसिडेंट ग्लोबल चेकर अवार्ड।

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छोटे अहंकार के कारण…।

Kmsraj51 की कलम से…..

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ϒ छोटे अहंकार के कारण…। ϒ

छोटे अहंकार के कारण…

एक बार रेलगाड़ी में लोग यात्रा कर रहे थे। एक व्यक्ति खड़ा हुआ और खिड़की खोल दी, थोड़ी ही देर में दूसरा यात्री उठा और उसने खिड़की बंद कर दी। पहले को उसका यह बंद करना नागवार गुज़रा और उठकर खिड़की पुनः खोल दी।

  • जानते तो बहुत है…। ….. जरूर पढ़े।

एक बंद करता दूसरा खोल देता। यह बंद और खोलने का नाटक शुरू हो गया। यात्रियों का मनोरंजन हो रहा था, लेकिन अंततः सभी तंग आ गये। फिर क्या, ‘टी टी को बुलाया गया,’ टी टी ने पूछा ‘महाशय ! यह क्या कर रहे हो ? क्यों बार-बार खोल – बंद कर रहे हो ?’ पहला यात्री बोला- ‘क्यों न खोलू, मई गर्मी से परेशान हूँ, खिड़की खुली ही रहनी चाहिए।’ टी टी ने दूसरे यात्री को कहा – ‘भाई ! आपको क्या आपत्ति है, खिड़की खुली रहे तो ?’ इस पर दूसरे यात्री ने कहा- ‘मुझे ठंड लग रही है, मुझे ठंड सहन नहीं होती। टी टी बेचारा परेशान, एक को गर्मी लग रही है तो दूसरे को ठंड।

Stop Living In The Past, Spend Time In Future.
“अतीत में रहना बंद करो, भविष्य में समय व्यतीत करें।”

टी टी यह सोचकर खिड़की के पास गया कि कोई बीच का रास्ता निकल आये। उसने देखा और मुस्करा दिया। खिड़की में शीशा था ही नहीं। वहा तो मात्र फ्रेम थी। वह बोला – ‘कैसी गर्मी या कैसी ठंडी ? यहाँ तो शीशा ही गायब है, आप दोनों तो मात्र फ्रेम को ही ऊपर नीचे कर रहे हो।’ मित्रों, वस्तुतः दोनों यात्री न तो गर्मी और न ही ठंडी से परेशान थे। वे परेशान थे तो मात्र अपने अभिमान से। वे अपने अंह पाेषण में लिप्त थे, गर्मी या ठंडी का अस्तित्व ही नहीं था।

  • हिंदी कहानी – निरंतर प्रयास जरूर पढ़े।

सीख – अधिकांश कलह मात्र इसलिए होते है, कि अहंकार को चोट पहुँचती है, और आदमी को सबसे ज्यादा आनंद दूसरे के अहंकार को चोट पहुँचाने में आता है। साथ ही सबसे ज्यादा क्रोध अपने अहंकार पर चोट लगने से होता है। जो दूसरों के अहंकार को चोट पहुँचाने में सफल होता है, वह मान लेता है कि उसने बहुत ही बड़ा गढ़ जीत लिया, वह यह मानकर चलता है कि दूसरों के स्वाभिमान की रेखा को काट पीट कर ही वह सम्मानित बन सकता है। किन्तु परिणाम अज्ञानता भरे शर्म से अधिक नहीं होता। अधिकांश लड़ाइयों के पीछे कारण एक छोटा सा अहम् ही होता है। ज्ञान-ध्यान, कर्मयोग व् धर्मयोग की साधना से अहम और वहम (अहंकार और भ्रम), से ऊपर उठ कर अर्हम को प्राप्त करो।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought to life by. By doing this you Recognize hidden within the buraiya ensolar radiation and encourage good solar radiation to become themselves.

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मन के रोग निकालें…।

Kmsraj51 की कलम से…..

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ϒ मन के रोग निकालें…। ϒ

मन के रोग निकालें… Remove the disease from the mind…

एक सेठ के घर में चोर घुस गया। कमरे में कुछ खड़खड़ की आवाज हुई तो सेठानी चौक उठी। उसने अपने पति को जगाकर कहा: ‘मुझे लगता है कि अपने घर में कोई चोर घुस आया है।’ सेठ ने कहा: ‘हाँ-हाँ ज़रुर आया होगा, रात के समय और कौन आ सकता है।’ यह कहकर उसने चादर सिर तक तान ली। सेठानी ने दरवाज़े के छिद्र में से देखा – चोर ने तिजोरी खोल ली है और रुपये व जेवर आदि कपड़े में बांध रहा है। सेठानी ने पति से कहा: ‘जल्दी उठो, उसने सारी संपत्ति कपड़े में बांध ली है।’

सेठ बोला – ‘मैं जानता हूँ, वह आया है, तो कुछ लेकर ही जाएगा। सेठानी बोली: ‘हम लुट गए हैं।’ सेठ ने कहा – ‘मैं जानता हूँ, मगर अब कोई उपाय भी तो नहीं है।’ इस बार सेठानी को आवेश आ गया। बोली – ‘तुम बस जानते ही रहो। अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा।’ वह दाैड़कर घर के मुख्य द्वार पर पहुंचकर ज़ोरों से चिल्लाई: ‘बचाओ ! चोर-चोर !’ चोर डरकर गठरी को वहीं फेंक कर भाग खड़ा हुआ। सेठानी ने गठरी अंदर लेकर पति से कहा: ‘मैंने चोर को भगा दिया है।’ सेठ उठकर बोला: ‘मैं जानता था, तुम कमरे से बाहर गई हो तो बचाव का कुछ न कुछ उपाय करके ही आओगी।’ सेठानी ने अपना सिर थाम कर कहा: ‘जानते थे तो फिर साथ क्यों नही दिया ?’

इसी तरह आज हम सब जानते है, लेकिन ज्ञान को आचरण में उतार नहीं पाते। ज्ञान केवल जान लेने मात्र से कुछ भी लाभ होने वाला नहीं है। उदाहरण के तौर पर, हम सर्प को भी जानते है, इसलिए उसके मुँह को तो क्या पूंछ को भी हाथ नहीं लगाते। बिच्छू के स्वभाव से परिचित होने के कारण हम उसे अपनी जेब में रखकर नहीं घूमते, क्योंकि हमें यह ज्ञान है कि ये विषैले जीव हैं। हम स्वप्न में भी इन्हें पकड़ने की भूल नहीं करते।

सीख – आज हमारे तन में जितने रोग नहीं हैं, उससे कहीं अधिक रोग हमने अपने मन में पाल रखे हैं। हमारा चिंतन सकारात्मक कम और नकारात्मक अधिक हो गया है। जीवन की यह मस्ती ही जीवन की कश्ती को डुबो देगी। अभी हमारे पास समय है। हम जागें, अंधकार से बाहर निकलें और जीवन को जागृति और सत्यता के साथ जियें।

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In English

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बिना कष्ट सहे सफलता नहीं मिलता।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ बिना कष्ट सहे सफलता नहीं मिलता। ϒ

बाज लगभग 70 वर्ष जीता है। परन्तु अपने जीवन के ४०-वें वर्ष में आते-आते उसे एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ता है। उस अवस्था में उसके शरीर के तीन प्रमुख अंग निष्प्रभावी होने लगते हैं…

  • पंजे लम्बे और लचीले हो जाते है व शिकार पर पकड़ बनाने में अक्षम होने लगते हैं।
  • चोंच आगे की ओर मुड़ जाती है और भोजन निकालने में व्यवधान उत्पन्न करने लगती है।
  • पंख भारी हो जाते हैं, और सीने से चिपकने के कारण पूरे खुल नहीं पाते हैं, उड़ानें सीमित कर देते हैं।

भोजन ढूँढ़ना, भोजन पकड़ना और भोजन खाना। तीनों प्रक्रियायें अपनी धार खोने लगती हैं। उसके पास तीन ही विकल्प बचते हैं…..

  • या तो देह त्याग दे।
  • या अपनी प्रवृत्ति छोड़ गिद्ध की तरह त्यक्त भोजन पर निर्वाह करे।
  • या फिर स्वयं को पुनर्स्थापित करे।

आकाश के निर्द्वन्द्व एकाधिपति के रूप में।
जहाँ पहले दो विकल्प सरल और त्वरित हैं।
वहीं तीसरा अत्यन्त पीड़ादायी और लम्बा।

  • हिंदी कहानी – निरंतर प्रयास जरूर पढ़े।

बाज पीड़ा चुनता है और स्वयं को पुनर्स्थापित करता है। वह किसी ऊँचे पहाड़ पर जाता है, एकान्त में अपना घोंसला बनाता है और तब प्रारम्भ करता है पूरी प्रक्रिया। सबसे पहले वह अपनी चोंच चट्टान पर मार-मार कर तोड़ देता है। अपनी चोंच तोड़ने से अधिक पीड़ादायक कुछ भी नहीं पक्षीराज के लिये।

तब वह प्रतीक्षा करता है, चोंच के पुनः उग आने की। उसके बाद वह अपने पंजे भी उसी प्रकार तोड़ देता है और प्रतीक्षा करता है पंजों के पुनः उग आने की। नये चोंच और पंजे आने के बाद, वह अपने भारी पंखों को एक-एक कर नोंच कर निकालता है और प्रतीक्षा करता पंखों के पुनः उग आने की।

150 दिन की पीड़ा और प्रतीक्षा….. और तब उसे मिलती है वही भव्य और ऊँची उड़ान, पहले जैसी नयी। इस पुनर्स्थापना के बाद वह 30 साल और जीता है, ऊर्जा, सम्मान और गरिमा के साथ।

सीख – प्रकृति हमें सिखाने बैठी है। पंजे पकड़ के प्रतीक हैं। चोंच सक्रियता की और पंख कल्पना को स्थापित करते हैं। इच्छा परिस्थितियों पर नियन्त्रण बनाये रखने की, सक्रियता स्वयं के अस्तित्व की गरिमा बनाये रखने की, कल्पना जीवन में कुछ नयापन बनाये रखने की। इच्छा, सक्रियता और कल्पना…..तीनों के तीनों निर्बल पड़ने लगते हैं। हममें भी चालीस तक आते-आते।

हमारा व्यक्तित्व ही ढीला पड़ने लगता है। अर्धजीवन में ही जीवन समाप्तप्राय सा लगने लगता है। उत्साह, आकांक्षा, ऊर्जा….. अधोगामी हो जाते हैं। हमारे पास भी कई विकल्प होते हैं…..

  • कुछ सरल और त्वरित।
  • कुछ पीड़ादायी।

हमें भी अपने जीवन के विवशता भरे, अतिलचीलेपन को त्याग कर नियन्त्रण दिखाना होगा। बाज के पंजों की तरह। हमें भी आलस्य उत्पन्न करने वाली वक्र मानसिकता को त्याग कर ऊर्जस्वित सक्रियता दिखानी होगी। “बाज की चोंच की तरह।” हमें भी भूतकाल में जकड़े अस्तित्व के भारीपन को त्याग कर कल्पना की उन्मुक्त उड़ाने भरनी होंगी।

  • हिंदी कहानी – प्यार का return गिफ्ट जरूर पढ़े।

“बाज के पंखों की तरह।” 150 दिन न सही, तो एक माह ही बिताया जाये, स्वयं को पुनर्स्थापित करने में। जो शरीर और मन से चिपका हुआ है, उसे तोड़ने और नोंचने में पीड़ा तो होगी ही।

बाज तब उड़ानें भरने को तैयार होंगे। इस बार उड़ानें और ऊँची होंगी, अनुभवी होंगी, अनन्तगामी होंगी।

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Note:-

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiya ensolar radiation, and encourage good solar radiation to become tthemselves

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAJ51

 

 

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सात दिन ही बचे हैं…।

Kmsraj51 की कलम से…..

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ϒ सात दिन ही बचे हैं…। ϒ

एक बार की बात है, संत तुकाराम अपने आश्रम में बैठे हुए थे। तभी उनका एक शिष्य, जो स्वभाव से थोड़ा क्रोधी था, उनके समक्ष आया और बोला, ‘गुरु जी, आप कैसे अपना व्यवहार इतना मधुर बनाये रहते हैं, ना आप किसी पे क्रोध करते हैं और ना ही किसी को कुछ भला-बुरा कहते हैं। 

  • हिंदी कहानी – प्यार का return गिफ्ट जरूर पढ़े।

कृपया अपने इस अच्छे व्यवहार का रहस्य बताइए। (Please tell the secret of your good behavior.) संत तुकाराम जी बोले – ‘मुझे अपने रहस्य के बारे में तो नहीं पता, पर मैं तुम्हारा रहस्य जानता हूँ।’ ‘मेरा रहस्य ! वह क्या हैं गुरु जी?’ शिष्य ने आश्चर्य से पूछा।

‘तुम अगले एक हफ्ते में मरने वाले हो।’ संत तुकाराम दुःखी होते हुए बोले। कोई और कहता तो शिष्य ये बात मजाक में टाल सकता था, पर स्वयं संत तुकाराम के मुख से निकली बात को कोई कैसे काट सकता था।

शिष्य उदास हो गया और गुरु का आशीर्वाद ले वहा से चला गया। उस समय से शिष्य का स्वभाव बिलकुल बदल सा गया। वह हर किसी से प्रेम से मिलता और कभी किसी पे क्रोध न करता, अपना ज्यादातर समय ध्यान और पूजा में लगाता। वह उनके पास भी जाता जिससे उसने कभी गलत व्यवहार किया था और उनसे माफ़ी मांगता। देखते-देखते संत की भविष्यवाणी को एक हफ्ते पुरे होने को आये।

शिष्य ने सोचा, चलो एक आखिरी बार गुरु के दर्शन कर आशीर्वाद ले लेते हैं। वह उनके समक्ष और बोला- ‘गुरु जी, मेरा समय पूरा होने वाला हैं, कृपया मुझे आशीर्वाद दीजिये।’ ‘मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ हैं पुत्र। अच्छा, ये बताओ कि पिछले सात दिन कैसे बीते? क्या तुम पहले की तरह ही लोगों से नाराज हुए, उन्हें अपशब्द कहे?’

  • हिंदी कहानी – निरंतर प्रयास जरूर पढ़े।

संत तुकाराम ने प्रश्न किया। ‘नहीं-नहीं, बिलकुल नहीं। मेरे पास जीने के लिए सिर्फ सात दिन थे, मैं इसे बेकार की बातों में कैसे गंवा सकता था। मैं तो सबसे प्रेम से मिला, और जिन लोगों का कभी दिल दुखाया था उनसे क्षमा भी मांगी।’ शिष्य तत्परता से बोला।

सीख- संत तुकाराम मुस्कुराए और बोले – ‘बस यही तो मेरे अच्छे व्यवहार का रहस्य हैं। मैं जानता हूँ कि मैं कभी भी मर सकता हूँ, इसलिए मैं हर किसी से प्रेमपूर्ण व्यवहार करता हूँ।’ शिष्य समझ गया कि संत तुकाराम ने उसे जीवन का यह पाठ पढ़ाने के लिए ही मृत्यु का भय दिखाया था। वास्तव में हमारे पास भी सात दिन ही बचे हैं… रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि, आठवां दिन तो बना ही नहीं हैं। तो, आइये आज से ही परिवर्तन आरम्भ करें।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

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मैं हूँ ना…।

Kmsraj51 की कलम से…..

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ϒ मैं हूँ ना…। ϒ

एक व्यक्ति का दिन बहुत खराब गया। उसने रात को ईश्वर से फरियाद की। उसने कहा : ‘भगवान, आप गुस्सा न हों तो एक प्रश्न पूछूँ?’  भगवान ने कहा: ‘पूछ, जो पूछना हो पूछ।’ व्यक्ति ने कहा: ‘भगवान, आपने आज मेरा पूरा दिन एकदम ख़राब क्यों किया?’ भगवान हँसे……. पूछा: ‘पर हुआ क्या?’ व्यक्ति ने कहा: ‘सुबह अलार्म नहीं बजा, मुझे उठने में देरी हो गई…….।’ भगवान ने कहा: ‘अच्छा फिर…….।’ व्यक्ति ने कहा: ‘देर हो रही थी, उस पर स्कूटर बिगड़ गया। मुश्किल से रिक्शा मिला।’ 

भगवान ने कहा: ‘अच्छा फिर…….।’ व्यक्ति ने कहा: ‘टिफिन ले नहीं गया था, वहाँ कैंटीन भी बंद थी….. एक सैंडविच पर दिन निकाला, वो भी ख़राब थी।’

भगवान केवल हँसे……. व्यक्ति ने फरियाद आगे चलाई, ‘मुझे आवश्यक काम के लिए महत्वपूर्ण फोन आया था और फ़ोन बंद हो गया।’ भगवान ने कहा: ‘अच्छा फिर…….।’ व्यक्ति ने कहा: ‘विचार किया कि जल्दी घर जाकर सो जाऊँ, पर घर पहुँचा ताे लाईंट नहीं थी। भगवान……. सब तकलीफें मुझे ही। ऐसा क्यों किया मेरे साथ?’

  • हिंदी कहानी – प्यार का return गिफ्ट जरूर पढ़े।

भगवान ने कहा: ‘देख, मेरी बात ध्यान से सुन…, आज तुझ पर कोई आफत आणि थी। मैंने देवदूत को भेजकर अलार्म बजे ही नहीं ऐसा किया। भगवान ने कहा: स्कूटर से accident होने का डर था इसलिए स्कूटर बिगाड़ दिया। कैंटीन में खाने से food poisoning हो जाता। फ़ोन पर बड़ी काम की बात करने वाला आदमी तुझे बड़े घोटाले में फँसा देता। इसलिए फ़ोन बंद कर दिया।  तेरे घर में आज शार्ट-सर्किट से आग लगती, तू सोया रहता और तुझे ख़बर ही नहीं पड़ती। इसलिए लाईंट बंद कर दी।

मैं हूँ ना……., मैंने सब तुझे बचाने के लिए किया।’ तो व्यक्ति ने कहा: ‘भगवान, मुझसे भूल हो गई। मुझे माफ़ कीजिए। आज के बाद – फरियाद नहीं करूँगा।’ 

भगवान ने कहा: माफी मांगने की जरूरत नहीं, परन्तु विश्वास रखना कि मैं हूँ ना….., मैं जो करूँगा, जो योजना बनाऊंगा, वो तेरे अच्छे के लिए ही।

  • हिंदी कहानी – निरंतर प्रयास जरूर पढ़े।

सीख – जीवन में जो कुछ अच्छा-ख़राब होता है, उसकी सही तस्वीर लम्बे वक्त के बाद समझ में आती है। मेरे कोई भी कार्य पर शंका न कर, श्रद्धा रख। जीवन का भार अपने ऊपर लेकर घूमने के बदले मेरे कंधाे पर रख दे।’

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

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Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiya ensolar radiation, and encourage good solar radiation to become tthemselves

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सच्ची मानवता – संवेदनशीलता।

Kmsraj51 की कलम से…..

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ϒ सच्ची मानवता – संवेदनशीलता। ϒ

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प्यारे दोस्तों – एक Postman ने घर के दरवाजे पर दस्तक देते हुए कहा, “चिट्ठी ले लिजिये”। अंदर से एक बालिका की आवाज़ आई, “आ रही हूँ”। लेकिन तीन से चार मिनट तक काेई न आया ताे Postman ने फिर कहा, “अरे भाई! घर में काेई है क्या, अपनी चिट्ठी ले लाे”। लड़की की फिर आवाज़ आई, “Postman साहब, दरवाजे के नीचे से चिट्ठी अंदर डाल दीजिए, मैं आ रही हूँ”। “नहीं, मैं खड़ा हूँ, रजिस्टर्ड पत्र है, पावती पर तुम्हारे signature चाहिए”।

करीबन छह से सात मिनट के बाद दरवाज़ा खुला। Postman इस देरी के लिए झल्लाया हुआ ताे था ही और उस पर चिल्लाने वाला था लेकिन, दरवाज़ा खुलते ही वह चाैंक गया। एक अपाहिज कन्या जिसके पांव नहीं थे, सामने खड़ी थी।

Postman चुपचाप पत्र देकर और उसके signature लेकर चला गया। सप्ताह – दो सप्ताह में जब कभी उस लड़की के लिए डाक आती, Postman एक आवाज़ देता और जब तक वह कन्या न आती तब तक खड़ा रहता। एक दिन लड़की ने Postman काे नंगे पांव देखा।
दिपावली नज़दीक आ रही थी। उसने सोचा Postman काे क्या उपहार दूँ।

एक दिन जब Postman डाक देकर चला गया, तब उस लड़की ने जहाँ मिट्टी में Postman के पांव के निशान बने थे, उस पर काग़ज रखकर उन पांवाे का चित्र उतार लिया। अगले दिन उसने अपने यहाँ काम करने वाली बाईं से उस नाप के जूते मंगवा लिये।

दिपावली आई और उसके अगले दिन Postman ने गली के सब लाेगाें से ताे उपहार माँगा और साेचा कि अब इस बिटिया से क्या उपहार लेना? पर गली में आया हूँ ताे उससे मिल ही लूँ। उसने दरवाज़ा खटखटाया। अंदर से आवाज़ आई, “काैन ?” Postman उत्तर मिला। कन्या हाथ में एक Gift पैक लेकर आई और कहा, “अंकल, मेरी तरफ से दिपावली पर आपकाे भेंट है। “Postman ने कहा” तुम मेरे लिए बेटी के समान हाे, तुमसे मैं उपहार कैसे लूँ?” कन्या ने आग्रह किया कि मेरी इस उपहार के लिए मना न करें।

ठिक है कहते हुए Postman ने पैकेट ले लिया। कन्या न कहा, “अंकल इस पैकेट काे घर ले जाकर खाेलना। घर जाकर जब उसने पैकेट खाेला ताे विस्मित रह गया, क्योंकि उसमें एक जाेड़ी जूते थे। उसकी आँखे भर आई। अगले दिन वह Office पहुंचा और Postmaster से फरियाद की कि उसका तबादला फाैरन कर दिया जाए। Postmaster ने कारण पूछा, ताे Postman ने वे जूते टेबल पर रखते हुए सारी कहानी सुनाई और भीगी आँखाें और रूंधे कंठ से कहा, “आज के बाद मैं उस गली में नहीं जा सकूंगा। उस अपाहिज बच्ची ने मेरे नंगे पाँवाें काे ताे जूते दे दिये पर मैं उसे पाँव कैसे दे पाऊंगा ?”

सीख : संवेदनशीलता का यह श्रेष्ठ दृष्टांत है। संवेदनशीलता यानि, दूसराें के दुःख दर्द काे समझना, अनुभव करना और उसके दुःख-दर्द में भागीदारी करना, उसमें शरीक हाेना। एक ऐसा मानवीय गुण है जिसके बिना इंसान अधूरा है।

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– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

* अपनी आदतों को कैसे बदलें।

∗ निश्चित सफलता के २१ सूत्र।

* क्या करें – क्या ना करें।

∗ जीवन परिवर्तक 51 सकारात्मक Quotes of KMSRAJ51

* विचारों का स्तर श्रेष्ठ व पवित्र हो।

* अच्छी आदतें कैसे डालें।

* KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

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 ~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)

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दयालु लकड़हारा।

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ϒ दयालु लकड़हारा। ϒ

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प्यारे दोस्तो – बहुत समय पहले किशनपुर गाँव में रामू नाम का एक गरीब लकड़हारा रहता था। वह दूसराे की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता। जीवाें के प्रति उसके मन में बहुत दया थी। एक दिन वह जंगल से लकड़ी इकट्ठी करने के बाद थक गया ताे थाेड़ी देर सुस्ताने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठ गया। तभी उसे सामने के पेड़ से पक्षियों के बच्चाें के ज़ाेर-ज़ाेर से चीं-चीं करने की आवाज़ सुनाई दी।

उसने सामने देखा ताे डर गया। एक सांप घाेसले में बैठे चिड़िया के बच्चाें की तरफ बढ़ रहा था। बच्चे उसी के डर से चिल्ला रहे थे। रामू उन्हें बचाने के लिए पेड़ पर चढ़ने लगा। सांप लकड़हारे के डर से नीचे उतरने लगा। उसी दाैरान चिड़िया भी लाैट आई। उसने जब रामू काे पेड़ पर देखा ताे समझा कि उसने बच्चाें काे मार दिया।

वह रामू काे चाेच मार-मारकर चिल्लाने लगी। उसकी आवाज़ से और चिड़िया भी आ गईं। सभी ने रामू पर हमला कर दिया। बेचारा रामू किसी तरह पेड़ से नीचे उतरा। चिड़िया जब घाेसले में गई ताे उसके बच्चे सुरक्षित बैठे थे। बच्चाें ने चिड़िया काे सारी बात बताई ताे उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।

वह रामू से माफी मांगना चाहती थी और उसका शुक्रिया अदा करना चाहती थी। उसे कुछ दिन पहले दाना ढूंढ़ते हुए एक कीमती हीरा मिला था। उसने हीरे काे अपने घाेसले में लाकर रख लिया था। चिड़िया ने वह हीरा रामू के आगे डाल दिया और एक डाली पर बैठकर अपनी भाषा में धन्यवाद करने लगी। रामू ने हीरा उठा लिया और चिड़िया की तरफ हाथ उठाकर उसका धन्यवाद किया और वहां से चल दिया। तभी कई चिड़िया आईं और उसके ऊपर उड़कर साथ चलने लगीं मानाे वे उसका आभार करते हुए विदा करने आई हाें।

सीख – किसी भी जीव पर किये गये उपकार का फल सदैव ही सकारात्मक नतीजे के रूप में return मिलता हैं।

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कर्तव्य की उपेक्षा।

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एक सेठ के पास बहुत सारी गायें थी। उसने उनकी देखभाल के लिए दाे नाैकर रखे। कुछ दिनाें के बाद पता चला कि गायें बहुत दुबली हाे गई हैं और कुछ मर भी चुकी हैं। सेठ को इस पर बहुत गुस्सा आया। उसने इसके लिए दाेनाें नाैकराें काे जिम्मेदार ठहराया। जांच करने पर पता चला कि दाेनाें नाैकर अपने-अपने व्यसनाें में लगे रहे। एक काे जुआ खेलने की आदत थी। गायाें की देखभाल करने में उसका मन नहीं लगता था।

अक्सर वह जुआ खेलने बैठ जाता और गायाें की देखभाल नहीं हाे पाती थी। यही बात दुसरे के साथ भी थी। वह पूजा-पाठ का व्यसनी था। वह गायाे की तरफ ध्यान नहीं देता और पूजा-पाठ में लगा रहता था। सेठ दाेनाें काे राजा के पास ले गया। राजा काे उनके बारे में फैसला करना था। लाेगाें काे लगा कि राजा पूजा-पाठ करने वाले नाैकर काे क्षमा कर देगा। लेकिन राजा ने दाेनाें काे समान दंड दिया और कहा कर्तव्य की उपेक्षा अपराध है चाहे वह किसी भी कारण से किया जाए।

प्यारे दोस्तों – जब भी कभी काेई भी जिम्मेदारी वाला कार्य आपके ऊपर हाे, अर्थांत आपके ऊपर निर्भर हाे ताे सही समय पर कार्य काे प्रधानता देते हुए सही तरह से करें।

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– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

* अपनी आदतों को कैसे बदलें।

∗ निश्चित सफलता के २१ सूत्र।

* क्या करें – क्या ना करें।

∗ जीवन परिवर्तक 51 सकारात्मक Quotes of KMSRAJ51

* विचारों का स्तर श्रेष्ठ व पवित्र हो।

* अच्छी आदतें कैसे डालें।

* KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

kmsraj51- C Y M T

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiyaensolar radiation, and encourage good solar radiation to becomethemselves.

 ~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

~KMSRAJ51

 

 

 

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