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“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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हिंदी दिवस पर कविता

हिन्दी का हित चाहने वालों को।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ हिन्दी का हित चाहने वालों को। ♦

राष्ट्र का गौरव शोभित करने को,
फिर से हमको क्या लड़ना होगा?
राष्ट्र भाषा के सम्मानित पद पर,
शासित हिन्दी को करना होगा।

अमृत महोत्सव आजादी का भी,
मनाकर क्यों हम बस शर्मिंदा हैं?
दिला न सके जो न्याय मां को तो,
फिर हम बेटे भी काहे को जिन्दा है?

जुर्म हुए हैं और जलालत सही है,
दशकों से भारत में मां हिन्दी ने।
कभी अफगानी अंग्रेजी ने कुचला,
कभी अपमानित किया है सिंधी ने।

जापान में जापानी, चीन में चीनी,
तो भारत में हिन्दी राष्ट्र की भाषा हो।
भारत बने फिर विश्वगुरु, जो सोचा है,
हिन्दी ही पूर्ण करेगी इस आशा को।

मशाल जलाते हैं मिलकर के आओ,
हिन्दी के सम्मान, प्रचार – प्रसार की।
राष्ट्र भाषा का दर्जा दिलाने के खातिर,
आओ कुछ मदद लेते है सरकार की।

हिन्दी का हित चाहने वालों को अब,
मिलकर एक तो यारों होना ही होगा।
नहीं तो विदेशी भाषाओं का भार हमें,
सदियों तक यूं ही निरंतर ढोना होगा।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कवि हम सभी से पूछते हैं: राष्ट्र का गौरव शोभित करने को, फिर से हमको क्या लड़ना होगा? राष्ट्र भाषा के सम्मानित पद पर, शासित हिन्दी को करना होगा। अमृत महोत्सव आजादी का भी, मनाकर क्यों हम बस शर्मिंदा हैं? दिला न सके जो न्याय मां को तो, फिर हम बेटे भी काहे को जिन्दा है? जापान में जापानी, चीन में चीनी, तो भारत में हिन्दी राष्ट्र की भाषा हो। तब भारत बने फिर विश्वगुरु, जो सोचा है, हिन्दी ही पूर्ण करेगी इस आशा को। हिन्दी का हित चाहने वाले सभी उम्र के साथियों से आग्रह है की “मशाल जलाते हैं मिलकर के आओ, हिन्दी के सम्मान, प्रचार – प्रसार की। राष्ट्र भाषा का दर्जा दिलाने के खातिर, आओ कुछ मदद लेते है सरकार की। विशेषताओं से भरे भाषा का, प्रसार जो होना चाहिए हुआ नहीं। आओ हमसब मिलकर करें प्रचार, हिंदी का करें खूब विस्तार। तब मिलेगा इसे वाजिब हक और सम्मान, हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान।

—————

यह कविता (हिन्दी का हित चाहने वालों को।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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हिंदी मेरी जान।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ हिंदी मेरी जान। ♦

अभिव्यक्ति का माध्यम है हिन्दी,
दिल में प्रेम जगाती हिंदी।
जीवन सरस बनाती हिंदी,
हिंदी से ही है हमारी शान।
हिंदी ही हमारा अभिमान,
हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान।

हिंदी से होती हमारी पहचान,
इससे बढ़ता राष्ट्र का मान।
हर क्षेत्र में अपना सिक्का जमाती,
लोगों के मन को है लुभाती।
भाव का करती संचार,
हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान।

जो पूरे राष्ट्र को एकसुत्री धागा में है जोड़,
वो मजबूत डोर है हिंदी।
जन-जन की भाषा है हिंदी,
प्रेम भाईचारे का प्रतीक है हिंदी।
इतना बेमिसाल, जिसकी पहचान,
हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान।

विशेषताओं से भरे भाषा का,
प्रसार जो होना चाहिए हुआ नहीं।
आओ मिलकर करें प्रचार,
हिंदी का करें खूब विस्तार।
मिलेगा इसे वाजिब हक और सम्मान,
हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — अभिव्यक्ति का माध्यम है हिन्दी, दिल में सदैव ही प्रेम जगाती हिंदी, जीवन सरस बनाती हिंदी, हिंदी से ही है हमारी शान। हिंदी ही हमारा अभिमान, वह हिंदी मेरी जान है, हम इस पर कुर्बान। जो पूरे राष्ट्र को एकसुत्री धागा में है जोड़ती वो मजबूत डोर है हिंदी। जन-जन की भाषा है हिंदी, प्रेम भाईचारे का प्रतीक है हिंदी। इतना बेमिसाल, जिसकी पहचान, वह हिंदी मेरी जान। विशेषताओं से भरे भाषा का, प्रसार जो होना चाहिए हुआ नहीं। आओ हमसब मिलकर करें प्रचार, हिंदी का करें खूब विस्तार। तब मिलेगा इसे वाजिब हक और सम्मान, हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर, 1953 को मनाया गया था।

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यह कविता (हिंदी मेरी जान।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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हिंदी दिवस की शुभकामनाएं।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ हिंदी के सिंहासन पर। ϒ

मेरे प्यारे दोस्तों व प्यारे पाठकों आप सभी काे हिंदी दिवस की शुभकामनाएं।

हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है।

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी।

kmsraj51-hindi-diwas-14-sep

हिन्दी दूर है हिन्दूस्तान से, नाम के लिये है राष्ट्र भाषा।
शायद हम भूल गये हैं, राष्ट्र भाषा की परिभाषा।

अरब में सुनाई देती है अरबी, बोलते हैं जापान में जापानी।
चाइना में चाइनीज़, इरान में इरानी, नहीं बोलते हैं हिन्दी हिन्दूस्तानी।

जहाँ हिन्दी बोली जाती है, वो बहुत कम ही स्थान है।
हिन्दी के सिंहासन पर, अंग्रेजी विराजमान है।

दूध पीते बच्चों को, अंग्रेजी यहां सिखाते हैं।
हिन्दी सीख कर क्या बनेगा, बच्चों को समझाते हैं।

भारतीयों के मुख पर तो, अंग्रेजी ही छाई है।
हिन्दी के शब्दों की तो बस केवल परछाई है।

हिन्दी का निज देश में, हो रहा अपमान है।
हिन्दी के सिंहासन पर, अन्ग्रेजी विराजमान है।

हमारी जननी आज घर से, बहुत दूर हो गयी है।
वेदनायें है दिल में उसके, उदास बैठी रो रही है।

उम्मीद है उसे बहुत जल्द, भारतेंदू कोई आयेगा।
उसे अपने घर ले जाकर, खोया सम्मान दिलायेगा।

शुक्ल प्रशाद और गुप्त, पुकारती कई नाम है।
हिन्दी के सिंहासन पर, अंग्रेजी विराजमान है।

पुरा हुआ मैकाले का स्वप्न, बहुत ही आसानी से।
लगता है भारतीय अंग्रेज रूचि विचार और वाणी से।

नहीं जानेंगे अगर हम अपनी भाषा, अपना इतिहास क्या जानेंगे।
अपनी संस्कृति सभ्यता, को कैसे हम मानेंगे।

प्रेमचन्द को हम भूल गये, शैक्सपियर का ध्यान है।
हिन्दी के सिंहासन पर, अंग्रेजी विराजमान है।

हिन्दी हमारी जननी है, इस के महत्व को जानो।
छिपा है इस में अलौकिक ज्ञान, उस ज्ञान को पहचानो।

सूर तुलसी ने इसे संवारा मीरा ने किया शृंगार।
देवों की भाषा है ये, अलौकिक है इस का संसार।

अनन्त है इस का सागर, इस में लिखे वेद पुराण है।
हिन्दी के सिंहासन पर, अंग्रेजी विराजमान है।

राष्ट्र की प्रगति के लिये, हिन्दी को अपनाना होगा।
हिन्दी देश की बिन्दी है, सब को ये समझाना होगा।

वो दिन न जाने कब आयेगा, जब हिन्दी होगी हर मुख पर।
हिन्दी सब की भाषा होगी, रहेंगे सब मिल-झुलकर।

वो दिन अब आने वाला है, ये मेरा ऐलान है।
हिन्दी के सिंहासन पर, अंग्रेजी विराजमान है।

© कुलदीप ठाकुर ~ रोहरू, हिमाचल प्रदेश ®

Blog of Kuldeep : kuldeepkikavita.blogspot.in/

Kuldeep Thakur

कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा, यही मेरी पहचान है।

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Krishna Mohan Singh(KMS)
Head Editor, Founder & CEO
of,,  http://kmsraj51.com/

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~ कृष्ण मोहन सिंह(KMS)

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cymt-kmsraj51

– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

* अपनी आदतों को कैसे बदलें।

∗ निश्चित सफलता के २१ सूत्र।

* क्या करें – क्या ना करें।

∗ जीवन परिवर्तक 51 सकारात्मक Quotes of KMSRAJ51

* विचारों का स्तर श्रेष्ठ व पवित्र हो।

* अच्छी आदतें कैसे डालें।

* KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

kmsraj51- C Y M T

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