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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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हिंदी भाषा पर कविता

हिन्दी काव्य दर्शन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ हिन्दी काव्य दर्शन। ♦

जीवन शैली है, भागवत धर्म,
हृदय सहजात है, हमारा।

इक मुल्क, कौम, संगत है,
कोई कभी न पराया।
मन तरंग आत्म बोध से,
क्षण एक में जुटता गया।

झुकने न दिया अन्य को,
सम्मान दिया हर विचार को।
हर वर्दी के नीचे, है नाम,
इक मात वसुंधरा का।

हर आत्म तन्मय जन है यहां,
योगी, हर दिवा है अर्पित प्रेम।
यज्ञ को, थाहे कौन बुनियाद,
इस भरत जन ज्ञान – विज्ञान का।

घटक अनेक राम – कृष्ण के,
इस देश में, असंख्य जाति।
धर्म, वर्ग, पंथ हैं, सुर – ताल,
लय, मन के द्वार हैं एकल।

विभिन्नता ही है छवि सुभग,
इस महा जीवन – मंत्र श्रृंगार का।
मत – भेदी होते… एकमना,
प्रश्न आता जब राष्ट्र के सेवा अस्मिता का।

संभव है, क्रूर हो कोई दस्यु ,
अंगुलिमाल सम, भाव हो अशुभ।
बुद्ध का प्रेम, ले भावांजलि,
गढ़े शुभत्व, हर नर में राम का।

कौम है यह संगम प्रेम, संयम, क्षमा का,
न रहा कभी मत्स्य न्याय यहां।
जलधार है नेह, दया, सेवा, सुख है,
वैराग्य, सहयोग, सदाचार यहां।

अमर बेल से एकत्व से बनता,
विश्व धर्म जन मन संगीत सदा।
है जनाधार सत् चित् आनन्द का,
आत्मबल ही… मनमीत यहां।

हिन्दी ही जोड़े, गुण धर्म सभी के,
गुण ग्राहिता, हर जन सम्मान यहां।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — अतुल्य हमारा भारत देश सबसे न्यारा है, यहां बहुत सारी जातियों और धर्म के लोग, अलग – अलग बोली भाषा के साथ रहते है फिर भी सभी के बीच एक बात कॉमन है, सभी अपने मातृभूमि से अटूट प्रेम करते है। हर भारतीय के अंदर अपने देश के प्रति सच्चा प्रेम है, देश के लिए कुछ भी कर गुजरने का जज्बा है। हम आध्यात्मिकता, अहिंसा और वसुधैव कुटुम्बकम वाले लोग है, हम सभी से प्यार करते है, हम कभी भी किसी का बुरा नही चाहते है। हम सदैव से ही पूरी मानव जाती के कल्याण के लिए कार्य करते आ रहे है।

—————

यह कविता (हिन्दी काव्य दर्शन।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, प्रो. मीरा भारती/मिश्रा जी की कविताएं।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: author mira bharti, Hindi Kavita, hindi poetry, Hindi Shayari, matribhumi poem in hindi, mira bharti poems, poet mira bharti, अतुल्य भारत पर कविता, कविता हिंदी में, प्रो. मीरा भारती जी की कविताएं, भारत पर कविता हिंदी में, मातृभाषा गीत, मातृभाषा पर कविता, मातृभाषा हिंदी, मातृभूमि कविता हिंदी में, मातृभूमि पर कविता, मीरा भारती जी की कविताएं, राष्ट्रभाषा हिंदी पर सुन्दर कविता, हिंदी भाषा, हिंदी भाषा पर कविता, हिन्दी काव्य दर्शन, हिन्दी भाषा पर कविता, हिन्दी मेरी भाषा है

हिंदी है भारत की बिंदी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ हिंदी है भारत की बिंदी। ♦

आज के शीर्षक को देखते ही, एक बात ह्रदय तल से टकराई।
मंथन करें आज, अपना घर होते हुए भी, क्यूँ हिंदी हुई पराई।

गर्व है हमे, हिंदी की बिंदी, जो है भारत माँ के माथे की शान।
हम भारतीयों के दिलों का है, खिलखिलाता अरमान।

पर आज क्यूँ इसका, आस्तित्व ख़तरे में खड़ा।
लगता है, किसी और भाषा के मोहपाश में दिल पड़ा।

हिंदी भाषा में एक बिंदी भी गर इधर उधर हो जायें, अर्थ ही बदल जाता।
तभी इसका मोहक स्वरूप बोलने में, लिख़ने में दिलों को लुभाता।

सबसे सुंदर शब्द प्रणाम, आठों पहर वंदन ही रहता।
जैसे चन्दन वृक्ष का सूक्ष्म टुकड़ा चन्दन ही रहता।

माना समयानुसार सब भाषाओं का ज्ञान भी जरूरी।
पर अपनी हिंदी को त्यागें, ऐसी भी क्या मजबूरी।

जितनी चाहे भाषाओं का ले लो ज्ञान, होगा ये आपका बड़प्पन।
पर हिंदी भाषा जितना कहीं, नही मिलेगा अपनापन।

हिंदी बिना भारतीयों का, नही साजे साज।
हिंदी भाषा अपनी भारत माँ का ताज।

३६५ दिन ही हम अपनी, हिंदी भाषा का करें सम्मान।
गर्व से प्रयोग करों, खूब बढ़ाये, इसका मान।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – इस कविता में कवयित्री ने हिंदी भाषा के गुणों और खूबियों का महत्व बयां किया है। हम सभी भारतीयों के लिए हिंदी भाषा शान है, भारत माँ के सिर का ताज है। हिंदी भाषा में जो अपनापन है वो दुनिया के किसी भी अन्य भाषा में नही हैं। आओ हम सब मिलकर सदैव ही करें हिंदी भाषा का सम्मान, गर्व से प्रयोग कर खूब बढ़ाये, इसका मान।

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यह कविता (हिंदी है भारत की बिंदी।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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