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हिंदी मेरा अभिमान - डॉ• जय महलवाल

हिंदी मेरा अभिमान।

Kmsraj51 की कलम से…..

Hindi Mera Abhiman | हिंदी मेरा अभिमान।

Hindi Diwas is a celebration of India's cultural diversity and unity.

हम सब भारतवासी हैं,
करते हैं अपनी मातृभाषा से प्यार,
उत्तर हो या हो दक्षिण
चाहे हो फिर पूर्व पश्चिम,
सारे लोग हो जाओ तैयार।
पूर्ण रूप से अपनाएं हिंदी को,
आओ हिंदी से करें हम प्यार।

बनाए हिंदी को आमजन की भाषा,
पढ़ाएं हिंदी लिखाएं हिंदी।
हर कार्यालय में बनाएं अनिवार्य हिंदी,
बने विश्व विधाता फिर अपनी प्यारी हिंदी।

आओ खुले मंच से करें अब ये ऐलान,
हिंदी का प्रयोग हो सभी जगह अनिवार्य।
हिंदी को पूर्ण रूप से मिले ये राष्ट्र सम्मान,
हिंदी मेरी जान है, पहचान है, है मेरा अभिमान।

प्रारंभिक स्तर से करो मिश्रण,
निज भाषा में हिंदी के शब्दों का।
फिर देखो कमाल हिंदी राष्ट्रभाषा का,
कैसे एकता बनी रहेगी अपने वतन में।
ना होगी किसी को कोई समस्या,
किसी की बात समझने में।

है हिंदी मेरा अभिमान,
है इससे मेरा मान सम्मान।
आओ करें और अधिक प्रयास,
करें हिंदी का प्रचार प्रसार और गुणगान।
है हिंदी मेरा अभिमान,
इसी से है हम सब का मान सम्मान।

♦ लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी  – बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “श्री लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कवि इस कविता में हिंदी भाषा के महत्व को बता रहे हैं। वे कह रहे हैं कि हम सभी भारतीय हैं और हमें अपनी मातृभाषा, यानी हिंदी, से प्यार करना चाहिए। कवि के अनुसार, हिंदी को अपनाना और बढ़ावा देना हम सभी की जिम्मेदारी है। हिंदी को आम जनता की भाषा बनाना चाहिए, और सभी को हिंदी पढ़ना और लिखना चाहिए। कवि का आग्रह है कि हिंदी का प्रयोग सभी जगह अनिवार्य बनना चाहिए, ताकि हिंदी को राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हो। कवि इसके साथ ही यह भी कहते हैं कि हमें हिंदी के शब्दों का अपनी निजी भाषा में मिश्रण करना चाहिए, ताकि सभी लोग इसे समझ सकें और एकता का आदान-प्रदान हो सके। हिंदी को अपना अभिमान मानने का आग्रह किया गया है, और इसका प्रचार-प्रसार करने का भी संदेश दिया गया है।

—————

यह कविता (हिंदी मेरा अभिमान।) “श्री लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, लघु कथा, सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल है। साहित्यिक नाम — डॉ• जय अनजान है। माता का नाम — श्रीमती कमला देवी महलवाल और पिता का नाम — श्री सुंदर राम महलवाल है। शिक्षा — पी• एच• डी•(गणित), एम• फिल•, बी• एड•। व्यवसाय — सहायक प्रोफेसर। धर्म पत्नी — श्रीमती संतोष महलवाल और संतान – शानवी एवम् रिशित।

  • रुचियां — लेखक, समीक्षक, आलोचक, लघुकथा, फीचर डेस्क, भ्रमण, कथाकार, व्यंग्यात्मक लेख।
  • लेखन भाषाएं — हिंदी, पहाड़ी (कहलूरी, कांगड़ी, मंडयाली) अंग्रेजी।
  • लिखित रचनाएं — हिंदी(50), पहाड़ी(50), अंग्रेजी(10)।
  • प्रेरणा स्त्रोत — माता एवम हालात।
  • पदभार निर्वहन — कार्यकारिणी सदस्य कल्याण कला मंच बिलासपुर, लेखक संघ बिलासपुर, सह सचिव राष्ट्रीय कवि संगम बिलासपुर इकाई, ज्वाइंट फाइनेंस सेक्रेटरी हिमाचल मलखंभ एसोसिएशन, सदस्य मंजूषा सहायता केंद्र।
  • सम्मान प्राप्त — श्रेष्ठ रचनाकार(देवभूमि हिम साहित्य मंच) — 2022
  • कल्याण शरद शिरोमणि सम्मान(कल्याण कला मंच) — 2022
  • काले बाबा उत्कृष्ट लेखक सम्मान — 2022
  • व्यास गौरव सम्मान — 2022
  • रक्त सेवा सम्मान (नेहा मानव सोसायटी)।
  • शारदा साहित्य संगम सम्मान — 2022
  • विशेष — 17 बार रक्तदान।
  • देश, प्रदेश के अग्रणी समाचार पत्रों एवम पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Dr. Jai Mahalwal, Hindi Mera Abhiman, कविता, डॉ• जय महलवाल, हिंदी दिवस पर कविता, हिंदी मेरा अभिमान, हिंदी मेरा अभिमान - डॉ• जय महलवाल, हिन्दी-कविता

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