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“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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हिंदुत्व की राखी

राखी-साखी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ राखी-साखी। ♦

काव्य : अनुराग उल्लास।

आती है अब तो सज कर बाजार में राखी,
सजकर बड़े प्रीति से बुलाती है मन साखी।
सुनहली पीली लाल बैंगनी अनार सी राखी,
रेवती रोहिणी की बनी अनुपम अनोखी है राखी,
सलोनी सुंदर-सुंदर-सी अनूठी मनोरम है राखी।

उज्जवलित है, कुसुमाकर हेमा और निहार भी,
इतराती मुस्कुराती जाती मुक्तामणि और रेशम भी।
खेल तमाशा कोलाहल कलरव में हर्षित होकर,
वेदना व्यथा पीड़ा को भुला दुआ छागे का देखती,
इंदुरत्नों में पिरोयी प्रीति के तार की राखी।

अनुराग से भरी सावन की पूर्ण-करी ये पावन,
इंदिरा के बहार के कर सजाने ढूंढती फिरती साखी।
घूम-घूम फिरे बाजार-बाजार खोजे नयन बार-बार,
ढूढ़े नजर हर तार के बाजार सुनहरी पीली संसार,
बांधे भैया के हाथों ममता दुलार राखी।

हुई है शोभित सुंदरता और भरपूर हो राखी में,
किन्तु तुमसे अब चैतन्य है कुसुम फूले वो कुछ राखी।
अनुरागी बबूले देख ललिता लगी चुनने तिनके,
सजी हाथों में मेंहदी ने अँगुलियों से नाखूनों तक,
फुलवारी उपवन की बगिया हरियाली की राखी।

अंदाज़ से हाथ उठने में फूल राखी के जो हिलते हैं,
देखने वालों के उर में न जाने कितने फूल खिलते हैं।
यह पहुँचे कहाँ ये कोमल रंग कहाँ मिलते हैं,
सावन की साख पर चमन के हर्ष फूल खिलते हैं,
सद्गुण है चंचल सुमन के कपोल से हैं राखी।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

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  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — रक्षाबंधन का त्योहार भाई बहन के पवित्र प्यार का प्रतिक है, जिसे राखी का त्योहार भी कहा जाता है। रक्षा बंधन पर बहन, भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसके दीर्घायु व सुखी जीवन की प्रार्थना करती है। इसके साथ ही बहन अपने भाई से अपनी सुरक्षा का वचन लेती है, की जीवन में जब भी उस पर कोई मुसीबत आएगा उसका भाई उसकी मदद के लिए आ जायेगा। कृष्ण ने फर्ज निभाया भाई का, द्रोपदी बहन की लाज बचाने को। राखी की शक्ति देखो, कृष्ण दौड़े, दुष्टों को मजा चखाने को। रक्षाबंधन हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे भारत समेत अन्य देशों में भी मनाया जाता है।

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यह कविता (राखी-साखी।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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रक्षा सूत्रों का।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ रक्षा सूत्रों का। ♦

काव्य : हिंदुत्व की राखी।

संसर्ग उर हिय कुसुमित सुमन-सुमन,
तत्वज्ञ आलोक विवुध अंतस् रहे।
बस इक साध्य इष्ट हमारा भरतखंड रहे,
जयध्वनि से निनादित शून्य महालय रहे।

स्कन्ध अनुगत नव्य आलय में,
स्तुत्य-प्रशस्त सम्पूर्ण समस्त जगत रहे।
इसके निमित्त ढलते चलते हम,
स्वस्ति अभिप्रणयन अंत:करण रहे।

ममतामयी दुर्लभ प्रवाहमयी इस माटी की,
वेदित्व मधु पा सब लीन रहे।
बस इक साध्य इष्ट हमारा भरतखंड रहे,
जयध्वनि से निनादित शून्य महालय रहे।

सुगमता के लिये ऐसा करें साधन,
विपत्ति में भी सदैव तत्पर बने।
लक्षित अंतस् साधना बने अनुष्ठान हमारी,
उपासक सेवक बन चले गिरि शेखर बने।

आत्म-अभिमान में भ्रमण करे,
डोले उसे देखे सदा ये संसार।
बस इक साध्य इष्ट हमारा भरतखंड रहे,
जयध्वनि से निनादित शून्य महालय रहे।

नव्य-नूतन मंगल कल्याण बदलाव को,
अंत:पुर से हो सबको स्वीकार।
कैसी भी हो कठिन चुनौती या ललकार,
आर्यधर्म रहे विश्वजनीय नेत्री अपना संस्कार।

वह सुसुप्त है जिनके मन में राष्ट्रधर्म प्यार नहीं,
जो रहे क्रियाशील वो सब करे वैभव-वंदन।
बस इक साध्य इष्ट हमारा भरतखंड रहे,
जयध्वनि से निनादित शून्य महालय रहे।

अटल निश्चय है हमारा,
उद्देश्य निमित्त पथ हम न छोड़ेगें।
इस नूतन युग के हम महीपाल,
आशुतोष उमेश भी साथ निभाऐगें।

आओ मिलकर बाँधें सूत्र राखी का हम,
प्रकृति के इस कर कमलों में।
शुभ मंगलमय हो राष्ट्र हमारा,
दिन-रात इसी में लगे रहें।

संसर्ग उर हिय कुसुमित सुमन-सुमन,
तत्वज्ञ आलोक विवुध अंतस् रहे।
बस इक साध्य इष्ट हमारा भरतखंड रहे,
जयध्वनि से निनादित शून्य महालय रहे।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

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  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — वह सुसुप्त है जिनके मन में राष्ट्रधर्म प्यार नहीं, जो रहे क्रियाशील वो सब करे वैभव-वंदन। बस इक साध्य इष्ट हमारा भरतखंड रहे, जयध्वनि से निनादित शून्य महालय रहे। रक्षाबंधन का त्योहार भाई बहन के पवित्र प्यार का प्रतिक है, जिसे राखी का त्योहार भी कहा जाता है। रक्षा बंधन पर बहन, भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसके दीर्घायु व सुखी जीवन की प्रार्थना करती है। इसके साथ ही बहन अपने भाई से अपनी सुरक्षा का वचन लेती है, की जीवन में जब भी उस पर कोई मुसीबत आएगा उसका भाई उसकी मदद के लिए आ जायेगा। कृष्ण ने फर्ज निभाया भाई का, द्रोपदी बहन की लाज बचाने को। राखी की शक्ति देखो, कृष्ण दौड़े, दुष्टों को मजा चखाने को। रक्षाबंधन हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे भारत समेत अन्य देशों में भी मनाया जाता है।

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