Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ नाभि चिकित्सा। ϒ
नाभि द्वारा समस्त प्रकार की बीमारियों का उपचार सदियों से होता आया है, यह उपचार विधि अत्यन्त सरल है। विश्व के हर काेने में, कही न कही, किसी न किसी नाम या किसी न किसी चिकित्सा पद्धति में इस उपचार का उल्लेख हमे देखने काे मिल ही जाता है। परंतु एक ताे इसका एक जगह पर एक साथ संगृह नही है, फिर यह अलग-अलग चिकित्सा पद्धतियाें में इसका उल्लेख अलग-अलग नामाें से किया गया हैं। यहा पर नाभि उपचार से विभिन्न प्रकार की बीमारियों के उपचार की चर्चा की जा रही है। नाभि उपचार – हमारे देश में देसी उपचारकर्ताओं द्वारा बडे ही विश्वास से किया जाता रहा हैं। जैसे पेट से संबंधित बीमारियों में या फिर नाभि खिसक जाने पर, दस्त जैसी सिकायताें पर या अन्य प्रकार के पेट से संबंधित बीमारियों में इसका प्रयाेग किया जाता रहा है।
कभी-कभी मुख्यधारा की चिकित्सा या प्रचलित चिकित्सा पद्धतियाें के उपचार से जब राेगी परेशान हाे जाता था। तब नाभि उपचारकर्ता की शरण लेता था। नाभि के जानकार व्यक्तियाें द्वारा नाभि स्पंदन की जानकारी कर, नाभि स्पंदन काे यथास्थान पर ला कर, उसके इस राेग काे जड़ मूल से नष्ट कर देते हैं। यह ताे बात – मात्र नाभि स्पंदन परिक्षण के साथ उसे यथास्थान ला कर उपचार करने की है।
हमारे प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति मे नाडी परिक्षण से विभिन्न प्रकार की बीमारियों की जानकारी का विस्तृत विवरण किया गया है, इस प्राचीनतम चिकित्सा में नाडी की गति, नाडी का स्थान व उसकी चाल से बीमारियों की जानकारी के विवरण में नाभि-नाडी का भी विवरण हैं। परंतु नाभि जैसे छोटे से स्थान में अनेकाे प्रकार की बीमारियों काे पहचानना अत्यन्त कठिन कार्य है।
जबकि इस नाभि-नाडी परिक्षण से कई प्रकार के ऐसे असाध्य राेग तथा ऐसे राेग जाे साधारण नाडी परिक्षण या फिर अत्यआधुनिक चिकित्सकीय परीक्षणाें से भी ज्ञात नहीं हाेते थे, उसे नाभि-नाडी परिक्षणकर्ता आसानी से पहचान कर बतला दिया करता था। इस नाभि-नाडी परिक्षण में ताे यहा तक उल्लेख है कि असाध्य बीमारियों के साथ अज्ञात बीमारियों की जानकारी के साथ परिक्षणकर्ता यह तक बतला दिया करता था की बीमारी साध्य है या असाध्य।
महिलाओं में बाॅझता का कारण या बाॅझता साध्य है या असाध्य, बाॅझता उपचार की प्राकृतिक विधियाॅ आदि सभी बतला दिया करता था। चूंकि यह परीक्षण एक तो कठिन था, साथ ही इसके जानकाराें का व्याप्त अभाव, एंवम इसके जानकार व्यक्तियों ने इसे अपने तक ही सीमित रखा, नाभि-नाडी परिक्षण जैसे विषयों पर विद्वान चिकित्सकाें ने किसी प्रकार का कार्य नही किया न ही इस विषय पर ग्रंथ आदि की रचना की गई। इन्हीं सभी कारणाें से हमारे देश की यह अमूल्य धराेहर धीरे-धीरे लुप्त हाेती गयी। हमारे देश की इस अमूल्य धराेहर व इसकी उपयाेगिता काे बाैद्ध भिझुओं ने पहचाना एंव अपने साथ इसके मूल सिद्धान्ताें काे अपने देश चीन व जापान ले गये, एंव एक नई उपचार विधि “ची नी शाॅग चिकित्सा” के नाम से विकसित हुई एंव आज बडे-बडे मिसाज थैरापी, एक्यूपंक्चर, तथा परंपरागत प्राकृतिक चिकित्सा तथा सौंदर्य समस्याओं के निदान में `ब्यूटी क्लिनिक` आदि में इसका प्रयोग बडे ही आत्मविश्वास के साथ किया जा रहा हैं।
इसका एक कारण और भी है, इसके परिणाम अत्यन्त ही आश्यर्चजन व आशानुरूप हैं। इस सरल उपचार विधि का प्रयोग Five Star Hotels में शरीर की सर्विसिंग हेतु किया जाता है। जिस प्रकार से हम अपने वाहन आदि की सर्विसिंग इस लिये कराते है ताकि हमे मालूम हाे कि इसमें क्या खराबी है जाे भी खराबी हाेती है, उसे ठिक कर दिया जाता है, इससे वाहन पहले की अपेक्षा अच्छी तरह से कार्य करने लगता हैं। ठीक इसी प्रकार से हमारे शरीर के आंतरिक अंग नियमित कार्य करते-करते, कभी-कभी निष्क्रिय सुषुप्तावस्ता में आ जाते है इससे रस रसायनाें में परिवर्तन हाेने लगता है इससे विभिन्न प्रकार की बीमारियां होने लगती हैं।
यदि शरीर का एक अंग कार्य नहीं करता ताे इसका परिणाम यह हाेता है, उससे संबंधित अन्य अंग भी प्रभावित हाेने लगते हैं। “ची नी शाॅग चिकित्सा” में संपूर्ण बीमारियों का कारण पेट काे माना गया है, पेट में पाये जाने वाले आंतरिक अंगाें काे ही उपचार हेतु टारगेट किया जाता है। इसकी पहचान हेतु दाे विधियाॅ अपनाई जाती है एक नाभि परिक्षण द्वितीय पेट पर पाये जाने वाले अंगाें की पहचान कर उपचार किया जाता हैं। जापानीयाें में नाभि परिक्षण ही प्रमुख है इसमें सर्वप्रथम नाभि-नाडी व स्पंदन दाेनाे का संयुक्त परिक्षण कर उपचार किया जाता है, जापानीयाें का मानना है कि नाभि का संबंध भावनात्मक हाेता हैं। नाभि की बनावट धारियों से बीमारियों की पहचान की जाती है।
यह पृष्ठ रखरखाव के अंतर्गत है।
This page is under maintenance…..
Comment`s के माध्यम से अपनी राय जरूर बताये।
Please Share your comment`s.
© आप सभी का प्रिय दोस्त ®
Krishna Mohan Singh(KMS)
Head Editor, Founder & CEO
of,, http://kmsraj51.com/
जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~ कृष्ण मोहन सिंह(KMS)
~Kmsraj51
———– © Best of Luck ® ———–
Note::-
यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है: kmsraj51@hotmail.com. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!
Also mail me ID: cymtkmsraj51@hotmail.com (Fast reply)
– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –
* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)
∗ निश्चित सफलता के २१ सूत्र।
* क्या करें – क्या ना करें।
∗ जीवन परिवर्तक 51 सकारात्मक Quotes of KMSRAJ51
* विचारों का स्तर श्रेष्ठ व पवित्र हो।
* अच्छी आदतें कैसे डालें।
* KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।
* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।
* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।
* सकारात्मक सोच है जीवन का सक्सेस मंत्र
* चांदी की छड़ी।
“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”
In English
Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiyaensolar radiation, and encourage good solar radiation to becomethemselves.
~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)
“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”
~KMSRAJ51